Sunday, May 19, 2024
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स्व बालादीन, नगर के प्रतिरक्षा संस्थानों में आज भी जीवित हैं जिनकी स्मृतियां

कानपुर। 60 के दशक में नगर के रक्षा प्रतिष्ठानों और पतित पावन मां गंगा नदी के किनारे स्थापित आयुध उपस्कर निर्माणी उपनाम (किले) से प्रसिद्ध संस्थान में कार्यरत रहते हुए मजदूरों की समस्याओं को दूर करने व उनके हक की आवाज को बुलंद करने के साथ मजदूरों में एकजुटता एवं संगठन पर बल देते हुए सुरक्षा संस्थान के प्रबंधन को लगभग बीस वर्षों तक झकझोरते व प्रबंधन के द्वारा अनेकों बार निलंबन के बाद, वहीं संस्थान के गेट पर ही रात दिन धरना, आंदोलनों के जरिए मजदूरों को उनके काम के घंटों का निर्धारण व अतिरिक्त काम के घंटों (ओवरटाइम) का आवश्यक परिश्रमिक ,बोनस आदि के लिए लंबी लड़ाई लड़ने का काम किया, जिसको बाद में प्रबंधन द्वारा माने जाने सफलता प्र
अर्जित की। बालादीन जी उच्च शिक्षित, हिंदी भाषा के प्रबल समर्थक व साहित्य में रुचि रखते थे। उनको जानने वाले बताते हैं, कि सुरक्षा संस्थान के प्रबंधन द्वारा मजदूरों को अंग्रेजी में ही दिशा निर्देश दिए जाते थे जिससे मजदूर काम करने में असहज महसूस करने लगे। मजदूरों की ऐसी स्थिति देखता है उन्होंने फैक्ट्री प्रबंधन को फैक्ट्री के अंदर हिंदी में कार्य करने और विभागो तथा अधिकारियों की लिखी नाम पट्टिका अंग्रेजी भाषा के बजाय हिंदी में परावर्तित करने के लिए प्रबंधन को पत्र लिखा। बाद में फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा ऐसी व्यवस्था को नामंजूर किए जाने पर बालादीन ने आक्रोश में आकर सुरक्षा संस्थान के अंदर सभी विभागों और अधिकारियों की अंग्रेजी में लिखी नाम पट्टिका को काले रंग से पोत दिया।
बालादीन के मजदूर हितों और मजदूर एकता की गूंज जब महान राजनीतिज्ञ, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा और कार्यों के प्रवर्तक तथा देश भर के मजदूर संगठनों के बीच मेलमिलाप और मजदूरों की समस्याओं से अवगत होने और उससे निजात पाने की दिशा में क्रियाशील दंतोपंत ठेंगड़ी को सुनाई पड़ी तो भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के प्रथम अधिवेशन में कोषाध्यक्ष का पदभार सौंपा।सत्तर की दशक की शुरुआत में बालादीन जी के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगी जिसको लेकर दंतोपंत ठेंगड़ी जी हमेशा चिंतित रहे और अपने सहयोगियों से उनके उचित इलाज व देखभाल के लिए आग्रह किया। दिनांक 12 वर्ष 1975 में बालादीन जी का मई के महीने में ही मजदूर संघ की एक बैठक उपरांत एकाएक स्वास्थ्य बिगड़ने से निधन हो गया। उनके निधन की सूचना पर नगर के सभी सुरक्षा संस्थानों में शोक अवकाश घोषित कर अपने जुझारू नेता को अंतिम विदाई देने के लिए उस समय लगभग पचास हजार मजदूरों , जनसमूह का जमावड़ा था। सातों सुरक्षा संस्थानों के उच्चाधिकारी और महाप्रबंधकों ने भी मौजूद रहकर उन्हें अंतिम विदाई दी। गंगा के किनारे स्थित भगवत दास घाट पर उनके पार्थिव शरीर को चिता अग्नि दी गई।
पिछले साल 27,28 अप्रैल को भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के उन्नीसवें राष्ट्रीय अधिवेशन में स्व बालादीन के नाती वीरेंद्र पाल जो की पत्रकारिता जगत से है, उन्हें आमंत्रित कर मजदूरों के हितों में बालादीन जी के अमूल्य योगदान को याद करते हुए सम्मानित किया गया।
आज मजदूर दिवस पर स्व. बालादीन ( प्रथम कोषाध्यक्ष, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ) अनन्य सहयोगी , अभिन्न मित्र (भारतीय मजदूर संघ संस्थापक स्व दंतोपंत ठेंगड़ी ) की अड़तालीसवी पुण्य तिथि पर राष्ट्र के मजदूरों का विशाल संगठन श्भारतीय मजदूर संघश् सहित हम उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं ।
-वीरेंद्र पाल (नाती)
वरिष्ठ पत्रकार, कानपुर