लखनऊ। उप्र के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में प्रदेश में कृषि एवं सहवर्ती सेक्टर के विकास के लिए संचालित विभिन्न केन्द्रीय योजनाओं की अम्ब्रेला स्कीम कृषोन्नति योजना की राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बैठक आयोजित की गयी।
कृषोन्नति योजनार्न्तगत सम्मिलित योजनाओं के गत वर्ष की प्रगति समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि इन योजनाओं का सामयिक रूप से मूल्यांकन अध्ययन कराया जाये। हार्टिकल्चर मिशन के अर्न्तगत ऐसे मॉडल विकसित किये जायें, जिसकी तकनीकी को अपनाकर किसान आय में वृद्धि कर सके। नेशनल मिशन ऑन सीड एण्ड प्लान्टिंग मैटेरियल के अर्न्तगत् दलहन, तिलहन के अधिकतम उत्पादकता वाले बीज जहां भी देश में उपलब्ध हों, किसानों को उपलब्ध कराये जायें।उन्होंने कहा कि प्रदेश में बांस के उत्पादन और उनके उत्पादों के विपणन की असीम संभावनायें हैं। बैम्बू मिशन के अर्न्तगत् वृहद कार्यक्रम लेकर इसे बढ़ाया जाये। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि भारत सरकार की इन योजनाओं के क्रियान्वयन में अपनी विचारशीलता का प्रयोग करते हुये इन्हें प्रदेश हेतु अधिकाधिक लाभकारी बनाते हुये प्रदेश की वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था में अपना योगदान करें।
अपर मुख्य सचिव, कृषि देवेश चतुर्वेदी द्वारा योजनावार प्रस्तुतीकरण देते हुए अवगत कराया गया कि कृषोन्नति अम्ब्रेला स्कीम अर्न्तगत् सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन, नेशनल फूड सिक्योरिटी एण्ड न्यूट्रीशन मिशन, नेशनल मिशन ऑन एडबिल ऑयल्स, सब मिशन ऑन सीड एण्ड प्लान्टिंग मैटेरियल, मिशन फार इंटीग्रेटेड डेवलपमेन्ट ऑफ हार्टिकल्चर, नेशनल बैम्बू मिशन जैसे कार्यक्रम सम्मिलित हैं। उनके द्वारा अवगत कराया गया कि इन योजनाओं के अर्न्तगत् गत् वर्ष प्रदेश हेतु लगभग 325 करोड की धनराशि केन्द्रांश के रूप में निर्धारित थी, जिसके समतुल्य ही इस वर्ष की योजनाओं में केन्द्रांश की मांग रखी गयी है।
इन योजनाओं के अन्तर्गत प्रस्तावित कार्ययोजनाओं के परीक्षण के सम्बन्ध में भारत सरकार स्तर से बैठक हो चुकी है। अब राज्य स्तरीय समिति से अनुमोदन प्राप्त कर भारत सरकार को विस्तृत कार्य योजनायें भेजी जानी हैं, ताकि प्रदेश हेतु भारत सरकार से धनराशि प्राप्त कर क्रियान्वयन किया जा सके।
बैठक में सहवर्ती विभागों के सचिव, विशेष सचिव सहित भारत सरकार के प्रतिनिधि, विभिन्न विभागों के निदेशकगण आदि द्वारा प्रतिभाग किया गया।