Friday, September 20, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » कनपुरवा, धाता पावर हॉउस की विद्युत आपूर्ति धडाम

कनपुरवा, धाता पावर हॉउस की विद्युत आपूर्ति धडाम

बूंद बूंद पानी को तरस रही क्षेत्र की आम जनमानस
फतेहपुर। खागा क्षेत्र के कनपुरवा विद्युत उपकेंद्र में हमेशा से बिजली की किल्लत का सामना करना पड़ता रहा है खास तौर से कोट फीडर की लाइन लंबी तथा अव्यवस्थित होने के चलते दर्जन भर से अधिक गांवों को बसंत जैसी सुहानी हवा चलने पर भी आंधी के नाम पर बिजली गायब हो जाती है। एक दशक से अधिक समय से समस्या का समाधान नहीं खोजा जा सका।
खखरेरु क्षेत्र में बिजली को लेकर कई बार आंदोलन धरना प्रदर्शन किए गए। धरने के समय ऊपर से आए प्रशासनिक एवं बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा आश्वासन के सिवा क्षेत्र को कुछ भी नहीं मिल सका।
विद्युत आपूर्ति को लेकर वर्तमान की स्थित इतनी दूभर है की लोगों को बूंद बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है बिजली का हिसाब लगाया जाए तो चार घंटे लगातार बिजली मिल पाना असम्भव है। वहीं राजधानी से निर्देश के ऊपर निर्देश आ रहे हैं कि किसानों को 18 घंटे बिजली देने की व्यवस्था की जाए चाहे इसके लिए अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़े। लेकिन देहात क्षेत्र में बिजली की व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।कनपुरवा विद्युत उपकेंद्र आने वाले सभी फीडरों में लो वोल्टेज एवं बिजली कटौती की समस्या बनी हुई है जिनमे कोट, ऐराना, विश्व बैंक, धाता,खखरेरु फीडर शामिल है। सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में 18 घंटे बिजली देने का फरमान इस समय तो हवाहवाई साबित हो रहा है विभागीय आदेशों की अवहेलना जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा सरकार की हवा निकाल रहे हैं या फिर यह कहा जाए की आदेश ही हवा हवाई होते हैं।क्योंकि जब बिजली की आवश्यकता क्षेत्र में बहुत कम होती है उन दिनों को छोड़कर शायद ही कभी क्षेत्र की लाइने बराबर 18 घंटे चल पाती हो जबकि कई वर्षों से कागजों में किसानों को बराबर 18 घंटे बिजली दी जा रही है।
ऐसे होगी क्षेत्र की बिजली की व्यवस्था बहाल कनपुरवा विद्युत उपकेंद्र आने वाले कई क्षेत्र ऐसे भी है जहाँ जर्जर तारे झूलते हुए खंभे दिखाई दे रहे है एक ओर मानक के विपरीत खंभों की दूरियां होने के कारण तारें किसानों के गन्ना के खेतों की फसल को छू रही हैं वहीं दूसरी ओर तारे बहुत पुरानी होने के कारण बार बार टूटती हैं। दोनों समस्याओं के निदान के बगैर बिजली की समस्या को ठीक कर पाना असम्भव है। किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है इसे अनदेखा करके ना तो देश का पेट भरा जा सकता है और ना ही सुचारू रूप से कारखानों को चलाया जा सकता है.. किसानों के ट्यूबवेल का बिल माफ किया जाना एक सराहनीय कदम है लेकिन इसके साथ ही आवश्यक है कि उनके हिस्से की बिजली भी दी जानी चाहिए अन्यथा बिल माफी मतलब कुछ भी नहीं है साथ ही गांव में सैकड़ों उपभोक्ताओं जो घरेलू बिजली का उपयोग करते हैं उन्हें इस से क्या मिलेगा। जबकि गाँव ग्रामीण के लोग हवा पानी के लिए तरस रहे है इस पुरे मामले को लेकर कनपुरवा पावर हॉउस के जेई आदित्य कुमार त्रिपाठी नें बताया की ऊपर से लोवोल्टेज होने के कारण यह समस्या बनी हुई है तथा सभी फीडर एक साथ चला दिए जाने पर विद्युत उपकेंद्र का मुख्य ट्रांसफार्मर जलने का खतरा बढ़ जाता है इस लिए बारी बारी से सभी फीडरों को चलाया जाता है ।