Wednesday, July 3, 2024
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जीवन का मूल्य पहचानोः आचार्य विशुद्ध सागर

-दशलक्षण पर्व पर होगा श्रावक संयम साधना संस्कार शिविर
बागपत। दिगम्बराचार्य गुरुवर श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने बड़ौत नगर के ऋषभ सभागार में आयोजित धर्म सभा में मंगल प्रवचन करते हुए कहा कि व्यक्ति जीवन में सबसे अधिक जड़-शरीर की देख-भाल करता है, इस देह को सुंदर और पुष्ट करने के लिए कुछ भी अनर्थ करने को तैयार हो जाता है। जबकि शरीर की राख की होने वाली है। जिसकी राख होने वाली है, उसके लिए हम अपने जीवन को मिटा रहे हैं।
जैन मुनि ने कहा, शाश्वत सुख पाने को एक-एक क्षण मूल्यवान है। मनुष्य भव अत्यंत दुर्लभ है। तन का श्रृंगार मत करो, चेतन को निर्मल करो। चित्त की निर्मलता भविष्य में पवित्र भव को प्रदान करती है।
कर्म सिद्धांत बहुत विचित्र व बलवान है। कर्म किसी को नहीं छोड़ता है। कर्म के वेग में बड़े- बड़े सम्राट भी परास्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा, जीवन अमूल्य है, इसे पहचानो।
जीवन के पथ पर सँभल-संभल कर आगे बढ़ो। एक जीवन वह है जो पुल रहा है, एक जीवन वह है जो तिरस्कार को प्राप्त हो रहा है। एक पाषाण वह है जिससे परमात्मा की प्रतिमा बन रही है और एक पाषाण वह है जिसे सीढ़ियों पर लगाया जा रहा है।अहो ! एक फूल अर्थी पर फेंका जाता है, एक फूल किसी सुन्दरी के गले में शोभायमान हो रहा है और एक फूल प्रभु के चरणों में चढ़ाया गया है। समझो, जहाँ कभी पूरा था वहाँ भी महल बन जाते हैं। जो कुछ हो रहा है, उसे तटस्थ भाव से स्वीकारो। राग-द्वेष-मोह की मदिरा का त्याग करो।
संचालन पंडित श्रेयांस जैन ने किया।
मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि 19 सितंबर से 28 सितंबर तक ऋषभ सभागार मे आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ के पावन सानिध्य में 10 दिवसीय श्रावक संयम साधना संस्कार शिविर का आयोजन होगा, जिसमें हजारों जैन श्रद्धालु और विद्वान सम्मिलित होंगे।
कार्यक्रम को सफल बनाने मे धनेंद्र जैन, धन कुमार जैन, कमल जैन, पवन जैन, आनंद जैन, प्रवीण जैन, सुनील जैन, सुरेंद्र जैन, अमित जैन, पंकज जैन, अंकुर जैन, अजय जैन, सुखमाल जैन, अतुल सोनू आदि जुटे हुए हैं।

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