Friday, September 20, 2024
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समय के साथ बहुत पुराना व दिलचस्प इतिहास है मथुरा वृंदावन रेलवे ट्रैक का

मथुराः श्याम बिहारी भार्गव। वृंदावन से मथुरा तक विकसित किए जा रहे रेलवे ट्रैक को लेकर मथुरा वृंदावन की जनता आंदोलित है। लोगों की दिलचस्पी इस विरोध के कारणो को जानने में भी है। मथुरा वृंदावन रेलवे लाइन का इतिहास बेहद दिलचस्प है। बताया जाता है कि जयपुर घराने के राजा सवाई माधव सिंह (द्वितीय) द्वारा वृंदावन में जयपुर मंदिर (राधा माधव) का निर्माण कराया गया था। इसके लिए 1905 से 1908 के बीच जयपुर और धौलपुर से लाल पत्थरों की ढुलाई के लिए राजा सवाई माधव सिंह द्वारा तत्कालीन ब्रिटिश शासकों से विशेष अनुमति लेकर यह मीटर गेज लाइन बिछाई गई थी। मंदिर परिसर में ही अस्थायी रूप से स्टेशन भी बनाया गया था। राधा माधव मंदिर के निर्माण में रेल से पत्थरों की ढुलाई के कारण मंदिर का निर्माण 23 मई 1917 में पूरा हुआ और इस अवसर पर ठाकुरजी का पाटोत्सव मनाया गया। इस मंदिर के निर्माण में 40 वर्ष का समय लगा था। इस रेल लाइन को अब डेढ़ सौ वर्ष के बाद गेज परिवर्तन करने का काम उत्तर मध्य रेलवे ने शुरू हुआ है। यह रेलवे लाइन मथुरा वृंदावन के बीच 12 किलोमीटर के मीटर गेज रेल ट्रैक के रूप में थी, जिस पर कभी वृन्दावन से बैशाली एक्सप्रेस नोर्थ बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन तक सवारी गाड़ी के रूप में अप एण्ड डाउन किया करती थी तथा मालगाड़ी भी वृन्दावन के कुछ व्यापारियों के लिए नोर्थ बंगाल से कुछ माल लेकर आती व जाती थी। इसके अलावा दिलचस्प बात यह है कि वृन्दावन में कुंज, छोटे पागल बाबा मंदिर में दुर्गा पूजा के लिए गौर कृष्ण दास उर्फ सुरेस्वरानन्द जी ने सन् 1963 में प्रथम बार एक दुर्गा की प्रतिमा को जलपाईगुड़ी से बनवा कर यहां पूजा के लिए मंगाया था। वहीं मंदिर के सेवायत नवद्वीप दास ने बताया कि मूर्ति प्रतिवर्ष वृन्दावन इसी ट्रेन के लगेज में लाई जाती रही, सन् 2000 के बाद मूर्ति अब यहां नहीं आती है, क्यों कि अब सवारी गाड़ी व माल गाड़ी का चलन इस रूट पर बन्द कर दिया गया। इसके कुछ समय के बाद इस रेल रूट पर बैटरी से चलने वाली दो डिब्बों की रेल बस को शुरू किया गया जिसे तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान ने शुरू किया था। हेमा मालिनी और ब्रज तीर्थ विकास परिषद् के उपाध्यक्ष शैलजा कांत मिश्रा ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को मथुरा वृन्दावन में अनियंत्रित यातायात के समाधान के रूप में मेट्रो चलाने का प्रस्ताव दिया था, जो मथुरा और वृंदावन के बीच यात्रा को सुविधाजनक और कम समय लेने वाला बनाना है। यूपी के तत्कालीन ऊर्जा मंत्री वर्तमान विधायक श्रीकांत शर्मा ने उनसे ‘ब्रज हेरिटेज मेट्रो ट्रेन कॉरिडोर’ पर भी चर्चा की थी।
मथुरा वृंदावन के बीच रेल ट्रैक 12 किलोमीटर का है
मथुरा वृंदावन के बीच करीब 12 किलोमीटर का रेल ट्रैक है। इस मीटर गेज को परिवर्तित करने के लिए रेलवे ने प्रोजेक्ट तैयार कर काम भी शुरू कर दिया। रेलवे द्वारा तैयार प्रोजेक्ट के अनुसार इस ट्रैक के ब्रॉड गेज में कन्वर्ट करने के दौरान 2 आरओबी, 17 आरयूबी के अलावा 23 छोटे ब्रिज भी बनाए जाने की योजना है। इस ट्रैक पर 6.6 किलोमीटर का एलिवेटेड एंबेंकमेंट ट्रैक रहेगा इसके अलावा 4.5 किलोमीटर लेबल ट्रैक बनाया जायेगा।
2 स्टेशनों के साथ 4 हॉल्ट स्टेशन भी प्रस्तावित
मथुरा वृंदावन के बीच गेज ट्रैक परिवर्तन के बाद इस रूट पर 4 हॉल्ट स्टेशन के साथ 2 रेलवे स्टेशन बनाए जाने की योजना थी। मथुरा जंक्शन से शुरू होने वाले इस रेल ट्रैक पर पहला हाल्ट स्टेशन शिव ताल पर होता। इसके बाद श्री कृष्ण जन्मस्थान और फिर मसानी पर क्रॉसिंग रेलवे स्टेशन बनाया जाना था। यहां से आगे चामुंडा देवी मंदिर के पास और चैतन्य विहार वृन्दावन में हाल्ट स्टेशन बनना था। अंत में वृंदावन स्टेशन टर्मिनल विकसित करने की योजना थी।

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