Sunday, May 19, 2024
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अगेती धान से बदल रही किसानों की किस्मत

» अप्रैल-मई में रोपाई और जुलाई में फसल तैयार
» फिर दोबारा अगस्त लगा देते है धान
खेकड़ा, बागपत। किसान अगेती धान की फसल लगाकर दोगुना मुनाफा कमाने में जुटे है। क्षेत्र में गेहूं कटाई के साथ ही साठा धान लगाने का क्रम शुरू हो गया है। हालांकि अधिक सिंचाई मांगने वाली साठा धान से कृषि वैज्ञानिक सहमत नही है। क्षेत्र में इन दिनों अनेक किसान अगेती धान की रोपाई में जुटे है। अप्रैल मई में रोपाई कर साठ दिन में जुलाई में फसल तैयार होकर काट ली जाती है। फिर से अगस्त में नई रोपाई के लिए खेत तैयार कर लेते है। इससे अगेती धान बोकर दो फसल लेना किसान के लिए वरदान बना हुआ है। साठ दिन में तैयार होने वाली गर्मी के मौसम की धान को किसान साठा धान के नाम से बुलाते है। हालांकि इस फसल को किसान बहुत कम लगाते है क्योंकि इस फसल को लगाना एक चुनौती भरा है। किसान ब्रहम यादव, गजेन्द्र आदि ने बताया कि अगेती साठा धान मुनाफे के सौदा है। लेकिन इसकी रोपाई और कटाई दोनों में मुश्किलें आती है। अप्रैल में बीज की बुआई होती है। मई के शुरू में लगाते है। साठ दिन बाद जुलाई के अंत में काट लेते है। फिर अगस्त में दोबारा धान रोपाई की तैयारी हो जाती है। ऐसे में एक खेत में दो बार धान की फसल तैयार हो जाती है। इससे किसानों को अच्छी खासी आमदनी भी हो जाती है।
क्या बोले कृषि वैज्ञानिक
कृषि विज्ञान केन्द्र के सस्य वैज्ञानिक डा. विकास मलिक ने बताया कि साठा धान फायदे का सौदा तो है, सबकुछ सही तो एक खेत में दो बार फसल लेकर दोगुना मुनाफा होता है, लेकिन इसको लगाने की मेहनत भी बहुत है। सबसे पहले तो गर्मी को देखते हुए यह सर्द मौसम की धान के मुकाबले अधिक सिंचाई मांगती है। दूसरे कीट नियंत्रण सही ना होने और तुरंत बाद अगली फसल लेने से उन कीटो को अनुकूल माहौल मिल जाता है। जिससे फसल बर्बाद होने का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में सरकार की ओर से किसानों को साठा धान की रोपाई की लाभ हानि बता दी जाती है।