Friday, September 20, 2024
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डिजिटल अटेंडेंस जरूरी क्यों?

“गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर:।
गुरुदेवो परमेश्वर: गुरुदेवो भव:”।।
गुरु के सम्मान में कहे हुए यह वाक्य गुरु की महिमा को दर्शाते हैं। ज्ञान की कल्पना गुरु के बिना संभव नहीं है। एक शिक्षक ही होता है जो बच्चों को संसार की तमाम विभिन्नताओं और देश देशांतर की विभिन्नताओं से अवगत कराता है। शिक्षक बच्चों की नींव मजबूत करता है और उनका मार्गदर्शक होने के साथ-साथ उन्हें अनुशासित भी करता है। बच्चों का कक्षा में देर से आने पर वह उन्हें दंड देता है साथ ही उन्हें समय का पाबंद होना सिखाता है लेकिन आज यही समय की पाबंदी शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गई है। आज शिक्षा पद्धति के साथ-साथ शैक्षणिक व्यवस्था में भी बहुत बदलाव आया है। आज शिक्षकों की डिजिटल हाजिरी पर तमाम सवाल खड़े हो गए हैं ऐसे कई कारण है जिसके चलते शिक्षकों का डिजिटल हाजिरी देना संभव नहीं हो पाता है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने यह मामला स्थगित कर दिया है लेकिन विचार करने जैसी बात है कि शिक्षक आखिर समय पर डिजिटल हाजिरी क्यों नहीं दे पा रहे हैं? ग्रामीण अंचलों की बात करें तो वहां स्कूल होने के बावजूद शिक्षक समय पर नहीं पहुंच पा रहे क्योंकि उनके आवास दूर-दराज इलाकों में होते हैं साधन न होने पर यातायात संसाधनों की भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और अक्सर सर्वे के लिए उनकी नियुक्ति दूर दराज इलाकों में की जाती है जहां उनका समय पर पहुंच पाना लगभग संभव नहीं होता है ऊपर से ग्राम प्रधान का दबाव भी बना रहता है। डिजिटल हाजरी शिक्षकों के लिए एक तरह से सर पर लटकती हुई तलवार जैसी है जिसका वह विरोध कर रहे हैं।
इसी के साथ यदि दूसरे पहलू पर भी नजर घुमाये तो देखेंगे कि डिजिटल हाजिरी न होने पर शिक्षकों का किसी नियम को मानना गैर जरूरी हो जाता है शिक्षक कभी भी मनचाहे समय पर आते और काम करते हैं। कुछ शिक्षक तो बस खाना पूर्ति करने के लिए ही आते हैं। पढ़ाई, स्कूल की कार्यप्रणाली से उन्हें कोई मतलब नहीं रहता है। डिजिटल अटेंडेंस से उनकी अकर्मण्यता को लगाम लग रही है। स्कूल में देर से आने पर हाजिरी तो लग जाती है और कोई दिमाग पर तनाव भी नहीं रहता है साथ ही साथ खुद के व्यवसाय भी संभल जाते हैं और ऑफलाइन हाजरी के जरिये मनचाहे तरीके से कार्य भी किए जाते हैं।
हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षकों के विरोध पर डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित कर दिया है लेकिन ज्यादा जरूरी हो जाता है कि पहले शिक्षा में सुधार किया जाए। शिक्षकों की समुचित व्यवस्था की जाए। अप्रशिक्षित शिक्षकों के बजाय प्रशिक्षित शिक्षक रखे जाएं ताकि गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई हो सके। स्कूल की बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान दिया जाए। इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाना ज्यादा जरूरी है। डिजिटल अटेंडेंस दिखाकर सिर्फ सरकारी कार्य प्रणाली का दिखावा ना करके हकीकत में जमीनी स्तर पर कार्य करें। साथ ही शिक्षकों को भी ना आने या देर से आने पर कारण बताओ का नोटिस जारी करें ताकि शिक्षक समय पर स्कूल पहुंच सके और कोई आनाकानी ना कर सकें।

-प्रियंका वरमा माहेश्वरी, गुजरात