लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान लखनऊ-संस्कृति विभाग उ0प्र0, पर्यटन विभाग, जनजाति विकास विभाग, उ0प्र0 अनुसूचित जाति एवं जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, भागीदारी भवन, इफ्को, नई दिल्ली और उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में बिरसा मुण्डा जी की जयंती के अवसर पर ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय जनजाति भागीदारी उत्सव’’ दिनांक 15 से 20 नवम्बर, 2024 तक उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, गोमती नगर लखनऊ में किया जा रहा है। यह जानकारी शुक्रवार 08 नवम्बर को गोमती नगर स्थित पर्यटन निदेशालय के चतुर्थ तल स्थित सभाकक्ष में संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम और समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव डा0 हरिओम, ने प्रेसवार्ता में दी। इस अवसर पर ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय जनजाति भागीदारी उत्सव’’ के प्रचार-प्रसार से सम्बन्धित वाहन को भी हरी झण्डी दिखाकर डा0 हरिओम ने रवाना किया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी सहित अन्य विशिष्टजन भी उपस्थित रहे।
प्रेसवार्ता में बताया गया कि पहली बार ‘‘अंतर्राष्ट्रीय जनजाति भागीदारी उत्सव’’ में स्लोवाकिया और वियतनाम के लोक कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियां होगी। साल 2022 में भारत सरकार द्वारा लोकनायक बिरसा मुंडा की जयंती को ‘‘जनजातीय गौरव दिवस’’ के रूप में घोषित किया गया था। उसी क्रम में इस वर्ष पूरे प्रदेश के सभी ज़िलों में 15 से 26 नवंबर 2024 तक जनजाति गौरव पखवाड़ा मनाया जाएगा, जिसके लिए सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। इस दौरान जनजातीय विकास के लिए चलाये जाने वाले कार्यक्रमों के प्रति जागरूकता अभियान भी प्रदेश भर में चलाए जाएँगे, जिनमें जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा, साथ ही जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री द्वारा दिनांक 02 अक्तूबर 2024 को प्रारंभ किए गए ‘‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’’ के तहत उत्तर प्रदेश के 517 जनजाति बाहुल्य ग्रामों के सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न विभागों द्वारा किए जा रहे प्रयासों से भी जनजाति समुदायों एवं जन सामान्य को अवगत कराया जायगा।
इस बार ‘‘जनजातीय गौरव दिवस’’ के अवसर पर विगत वर्षों से प्रारंभ की गई भव्य परम्परा को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम को विस्तृत स्वरूप दिया जा रहा है जिसके क्रम में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर दिनांक 15 नवम्बर 2024 से दिनांक 20 नवम्बर 2024 तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ‘जनजाति भागीदारी उत्सव’ का आयोजन गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, परिसर में किया जा रहा है। यह समारोह उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, जनजाति विकास विभाग और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। पर्यटन विभाग, उत्तर प्रदेश, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, ट्राई, समाज कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली और इफको इस समारोह के प्रायोजक रहेंगे। इस अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी उत्सव में गुजरात, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, सिक्किम, उड़ीसा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, केरल, हिमाचल प्रदेश, असम, त्रिपुरा झारखंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित 22 राज्यों के 600 से अधिक कलाकार अपने पारंपरिक नृत्य, संगीत, परिधान, वाद्य यंत्रों आदि का प्रदर्शन करेंगे। इसके अतिरिक्त आयोजन में हस्तशिल्प के 100 से अधिक स्टॉल लगाए जा रहे हैं जहाँ उत्तराखंड से एंब्रॉयडरी, हैंडलूम चादर, मध्य प्रदेश से बीड ज्वेलरी, लेदर शिल्प, चंदेरी साड़ी, पीतल की मूर्ति, वुडेन वर्क, महेश्वरी साड़ी, पश्चिम बंगाल से धान ज्वेलरी, टेराकोटा, कांथा साड़ी, बिहार से मधुबनी पेंटिंग, टिकुली, सिक्की वर्क, तेलंगाना से हैदराबादी मोती शिल्प, केरल से कॉटन सिल्क, उड़ीसा से पिपली वर्क, संबलपुरी साड़ी, कोटिकी साड़ी, हरियाणा से मोढ़ा शिल्प, राजस्थान की लाख की चूड़ियां, गोटा पत्ती, स्टोन पेंटिंग, महाराष्ट्र से कोल्हापुरी चप्पल, म्यूरल वुडन पेंटिंग, कोसा सिल्क साड़ी व ड्रेस मटेरियल तथा उत्तर प्रदेश से खुर्जा पाट्री, ब्रास वर्क, बनारसी साड़ी, सुपारी के खिलौने तथा गाय के गोबर से बने उत्पाद, “द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया”और प्रधानमंत्री वनधन केन्द्रों में निर्मित उत्पाद आकर्षण का केंद्र रहेंगे। आयोजन में देसी स्वाद का भी आनंद लिया जा सकेगा। इसमें विभिन्न किस्म की चाय, हरियाणवी, राजस्थानी, अवधी व जनजाति पारंपरिक व्यंजन, मिलेट तथा महुआ से बने उत्पाद उपलब्ध रहेंगे। अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी उत्सव में साहित्यिक और विकास पक्ष को भी विशेष बल दिया जा रहा है जिसके क्रम में जनजाति साहित्य को समेटे ‘पोथी घर’, जनजाति कवि सम्मेलन और नाटक का आयोजन तथा जनजाति समाज के उत्थान व विकास और उनकी सहभागिता पर प्रतिदिन संगोष्ठियों का भी आयोजन किया जा रहा है। 6 दिवसीय इस कार्यक्रम में शिल्प मेले का आयोजन प्रतिदिन प्रातः 11ः00 बजे से तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम सायं 5ः30 बजे से प्रारम्भ होंगे व मेला रात्रि 9ः00 बजे तक चलेगा।