लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय में दिनांक 14 अप्रैल को विश्वविद्यालय स्थापना दिवस एवं बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर जयंती के अवसर पर कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र के दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने विश्वविद्यालय की ओर से मुख्यमंत्री एवं कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर के व्यक्तित्व को जानने के लिए उनका यह वाक्य ही काफी है कि ‘‘मैं आदि से अन्त तक भारतीय हूं।’’ आश्चर्य की बात है कि जिनका बचपन अभाव एवं सामाजिक भेद-भाव से गुजरा हो, जिन्हें पग-पग सामाजिक बंधनों एवं जंजीरों में जकड़े रहने के लिए मजबूर किया गया हो, फिर भी वे अपनी शिक्षा, प्रतिभा एवं बुद्धिमत्ता के दम पर देश-विदेश में सर्वाेच्च डिग्रियां हासिल करने वाले व्यक्ति बने। साथ ही शिक्षा हासिल करने के पश्चात वे स्वाधीनता संग्राम से जुड़कर भारत को पराधीनता एवं दासता की बेड़ियों से मुक्त कराने के संकल्प को चरितार्थ करने के लिए निकल पड़े।
मुख्यमंत्री ने भारतीय संविधान की विशेषता बताते हुए कहा कि अन्य राष्ट्रों के मुकाबले महिलाओं और वंचितों को समान मताधिकार भारतीय संविधान ने सबसे पहले दिया। किसी भी लोकतांत्रिक देश में संविधान एक ताकत की तरह होता है, इसीलिए संविधान के महत्व को आम जनमानस तक पहुंचाना चाहिये। इसके अतिरिक्त योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिक्षा सर्वांगीण विकास की पहली आधारशिला है, इसीलिए शिक्षा के माध्यम से नवीन विचारों को गृहण करने के लिए हमें बुद्धि और विवेक में समन्वय स्थापित करके मस्तिष्क के दरवाजों को खुला छोड़ देना चाहिए। साथ ही शिक्षा के माध्यम से अपनी संस्कृति, विरासत, भारतीय ज्ञान परंपरा, ऋषि परंपरा, बाबासाहेब, महात्मा ज्योतिबा फुले एवं सावित्री बाई फुले जैसे व्यक्तित्वों की विचारधारा को संजोए रखना होगा। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री द्वारा 2025 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में महाकुंभ के सफल आयोजन, इंसेफलाइटिस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर को शून्य प्रतिशत तक पहुंचाना, सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों एवं क्षेत्रों में संचालित योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना, शौचालय सहायता योजना, आयुष्मान कार्ड योजना आदि पर विस्तृत चर्चा की। साथ ही उद्यमिता के क्षेत्र में वन डिस्ट्रिक्ट – वन प्रोडक्ट, सीएम युवा योजना के साथ विभिन्न जनपदों के बेहतर उत्पादों एवं अनेकों यूनिकार्न स्टार्ट अप का जिक्र किया। और कहा कि स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन होता है, इसी विचारधारा पर कार्य करते हुए उत्तर प्रदेश के 77 उत्पादों को जीआई टैग मिला है। उन्होंने युवाओं को स्टार्टअप के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि देश का युवा स्टार्टअप के माध्यम से कारोबार को परंपरागत तरह से जोड़कर विरासत एवं विकास की पृष्ठभूमि से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने विश्वविद्यालय की नैक और एनआईआरएफ रैंकिंग एवं अन्य उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार बीबीएयू में सरकार की एमएसएमई यूनिट स्थापित करने में अपना पूर्ण सहयोग करेगी। साथ ही विश्वविद्यालय को भविष्य में देश के सर्वश्रेष्ठ दस विश्वविद्यालयों में शामिल होने के लिए शुभकामनाएं दीं।
विवि कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने मुख्यमंत्री को संत सिपाही बताते हुये प्रदेश में उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों एवं युवाओं में नवऊर्जा का जागरण करने के लिए धन्यवाद दिया। इसके अतिरिक्त प्रो. मित्तल ने मुख्यमंत्री को विश्वविद्यालय के विकास कार्यों के बारे में बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाकर पिछड़े वर्गों को आगे लाने का कार्य किया जा रहा है। साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा 5 गांवों को गोद लिया गया है जहां सामाजिक आर्थिक विकास का कार्य किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त कानपुर में 3 गांवों की बंजर जमीन को उपजाऊ भूमि में परिवर्तित किया गया है।
साथ ही विश्वविद्यालय ने एनआईआरएफ रैंकिंग में 33वां स्थान, नैक ।$$ ग्रेड, विश्वविद्यालय इंस्टिट्यूशन इनोवेशन काउंसिल को 3.5 स्टार रेटिंग एवं अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है। प्रो. मित्तल ने बताया कि भविष्य में विश्वविद्यालय में बेहतर इन्क्यूबेशन सेंटर, मनोविज्ञान, भूगोल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी जैसे पाठ्यक्रमों की शुरुआत एवं आम जनमानस के लिए स्किल सेंटर की स्थापना की जायेगी।
इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों एवं सफल उद्यमियों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया। साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा गौतम बुद्ध केन्द्रीय पुस्तकालय की ओर से बाबासाहेब के जीवन एवं विश्वविद्यालय से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर आधारित फोटो गैलरी एवं पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया एवं विश्वविद्यालय की विकास यात्रा की जानकारी ली गयी।
विश्वविद्यालय स्थापना दिवस एवं बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय में ‘बाबासाहेब की राष्ट्रनिर्माण की संकल्पना और संवैधानिक प्रतिबद्धताएं’ विषय पर आयोजित द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का बेहतरीन समापन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता लाल सिंह आर्य उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मंच पर मुख्य वक्ता के तौर पर प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रो. नरेंद्र जाधव, विशिष्ट अतिथि के तौर पर राज्यसभा सदस्य मिथलेश कुमार, लोकसभा सदस्य डॉ. भोला सिंह, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), समाज कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार असीम अरूण, सामाजिक कार्यकर्ता सतीश कुमार, विवि कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल, स्थायी आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. के. एल. महावर एवं संगोष्ठी के समन्वयक डॉ. अजय सिंह कुशवाहा मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से अतिथियों को पुस्तक, शॉल एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। डॉ. अजय सिंह कुशवाहा ने सभी को संगोष्ठी के विषय, उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया। इसके पश्चात विवि कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया। मंच संचालन का कार्य डॉ. सुभाष मिश्र द्वारा किया गया।
प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता लाल सिंह आर्य ने अपने विचार रखते हुए कहा कि संविधान निर्माता, सामाजिक – आर्थिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाले, महिलाओं एवं दलितों के लिए आवाज उठाने वाले बाबासाहेब एक ग्रंथ के समान है। इस महामानव ने शिक्षा के दम पर स्वयं को साबित करके न केवल भारत की एकता, अक्षुणता और अखंडता के लिए कार्य किया बल्कि अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी समाज की मुख्यधारा में शामिल करने का कार्य किया। बाबासाहेब का मानना था कि हम पहले भी भारतीय है और अंतिम रूप से भी भारतीय है एवं इस भारत के निर्माण में बहुत से महापुरुषों का बलिदान समाहित है। इसके अतिरिक्त श्री लाल सिंह आर्य ने कहा कि हमें देश सेवा में समर्पित ऐसे समाज का निर्माण करना होगा, जहां एक नहीं बल्कि हजार आम्बेडकर जन्म लें।
मुख्य वक्ता एवं प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. नरेंद्र जाधव ने बाबासाहेब की संविधान निर्माण प्रक्रिया में योगदान विषय पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि संविधान देश के प्राण, आत्मसम्मान और 144 करोड़ भारतीयों को एक सूत्र में बांधने वाली महाशक्ति है और किसी भी देश के संविधान की आयु 17 वर्ष निर्धारित है परंतु हमारा भारतीय संविधान 75 वर्षों की यात्रा को पूर्ण करने के बाद भी अखंड रूप से खड़ा है। इसके अतिरिक्त प्रो. जाधव ने पिछड़े वर्गों के मताधिकार, संविधान निर्माण की प्रक्रिया के दौरान उठी यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ इंडिया की मांग और पूणे करार एवं साइमन कमीशन पर चर्चा की। साथ ही 1895- 1946 तक संविधान निर्माण के बारह प्रयासों और अंतिम रूप से निर्मित एवं सुनहरे भविष्य की संकल्पना वाले संविधान की जानकारी दी।
राज्यसभा सदस्य मिथलेश कुमार ने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को संविधान निर्माता बाबासाहेब के योगदान एवं जीवनसंघर्ष और हमारे इतिहास की जानकारी देना है। इसके अतिरिक्त इन्होंने बाबासाहेब के जीवन से संबंधित विभिन्न पहलुओं जैसे शिक्षा का प्रतिनिधित्व करने, छुआछूत और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने एवं भारतीय रिजर्व बैंक की विचारधारा की विस्तृत जानकारी दी। मिथलेश कुमार ने सरकारी नीतियों की प्रशंसा करते हुए बताया कि सरकार पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टेंड अप इंडिया योजना, बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर इंक्यूबेशन सेंटर, प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना एवं राष्ट्रीय एससी – एसटी हब जैसी योजनाओं लायी है, जिनका मुख्य उद्देश्य हाशिये पर रहने वाले समुदायों का सामाजिक – आर्थिक सशक्तिकरण करना है।
लोकसभा सदस्य डॉ. भोला सिंह ने शिक्षा की महत्ता बताते हुए कहा कि शिक्षा उस शेरनी के समान है, जो इसका जितना दूध पियेगा उतना ही दहाड़ेगा। इसीलिए शिक्षा को सर्वाेपरि मानते हुए अज्ञानता, अंधविश्वास, सामाजिक कुरीतियों एवं कुप्रथाओं को दूर करना ही हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। इसके अतिरिक्त डॉ. भोला सिंह ने बाबासाहेब के योगदानों संविधान के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि संविधान के माध्यम से महिलाओं, गरीबों और दलितों को आर्थिक एवं राजनैतिक संरक्षण, शिक्षा प्राप्ति का अधिकार, अपनी आवाज उठाने का अधिकार एवं सरकार चुनने का अधिकार मिला है। साथ ही इन्होंने बाबासाहेब के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण पंचतीर्थ, आम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर एवं भीम एप आदि की जानकारी दी।
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), समाज कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार असीम अरूण ने सभी को समाज कल्याण के क्षेत्र में समय दान करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि हमें समउन्नति एवं सह-अस्तित्व की विचारधारा पर कार्य करने की आवश्यकता है। जिससे सभी अपनी – अपनी क्षमताओं के अनुरूप व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से ऐसा कार्य करें, जिससे समाज में प्रत्येक स्तर पर मौजूद स्वयं से कमजोर लोगों की सहायता हो। इसके अतिरिक्त इन्होंने गरीबी शून्य योजना के बारे में बताया जिसके अंतर्गत प्रत्येक गांव में गरीबी रेखा से नीचे के 15-25 परिवारों के लिए आवास, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड, बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था एवं आय के नियमित साधन पर ध्यान दिया गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता सतीश ने गरीबी को भारत की सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि भारत में बेरोज़गारी को दूर करना सबसे बड़ी प्राथमिकता है और इस विषम परिस्थिति में उद्यमिता ही एकमात्र रामबाण उपाय है। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि हमें स्वदेशी को ध्यान में रखते हुए उद्यमिता को प्रोत्साहित करना होगा, जिससे भारत देश में रोजगार के अवसर बढ़े एवं भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो।
विवि कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने बताया कि संविधान की प्रस्तावना में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की बात कही गयी है जो हमें समरसता, बंधुत्व, मूल्यों पर आधारित एवं भाईचारे से परिपूर्ण समाज का निर्माण करना सिखाती है। प्रो. मित्तल ने बताया कि शिक्षा के माध्यम से परिवर्तन संभव है क्योंकि शिक्षा का उद्देश्य भी विद्यार्थियों की प्रतिभा निखारने के साथ – साथ चारित्रिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सर्वांगीण विकास करना है। हमें युवाओं में विभिन्न मंचों के माध्यम से उनकी शिक्षा, शोध, नवाचार संबंधी एवं अन्य प्रतिभाओं को निखारना होगा एवं उनमें रोजगार पाने की जगह रोजगार देने की प्रवृत्ति को विकसित करना होगा। इसके अतिरिक्त प्रत्येक व्यक्ति की अपनी पहचान और आत्मसम्मान होता है, इसीलिए संवैधानिक नैतिकता एवं समर्पण को ध्यान में रखते हुए समावेशी समाज का निर्माण करना होगा, जहां विकास को प्राथमिकता दी जाये, महिलाओं एवं युवाओं का सशक्तिकरण देखने को मिले। प्रो. मित्तल ने युवाओं को अनुच्छेद 32 एवं अन्य मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों की शक्तियों का ध्यान दिलाते हुए संदेश दिया कि वह बाबासाहेब के सिद्धांतों को सही धरातल पर लाकर कार्य करें, जिससे विकसित भारत एवं बाबासाहेब के सपनों वाले भारत का स्वप्न साकार हो सके।
इसके अतिरिक्त संगोष्ठी के दौरान अतिथियों द्वारा श्बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ की विकास गाथाश् पुस्तिका का विमोचन किया गया। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रो. राम चंद्रा, अंजलि चौधरी एवं सना बानो द्वारा माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी एण्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट विषय पर लिखित पुस्तक का भी विमोचन किया गया। अंत में प्रो. के. एल. महावर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
मुख्यमंत्री द्वारा कमलेश कुमार, अनिल कुमार आनंद, अरविंद कुमार, नवनीत गुप्ता, तरूण चतुर्वेदी, शिखा कुमारी, अंकिता मिरी, सुजल सहाय एवं शिवांश कुमार द्विवेदी को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों हेतु सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में भीम वॉक का आयोजन किया गया। साथ ही बीबीएयू एवं संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वाधान में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, गैर-शिक्षण अधिकारी एवं कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।