कर्मियों के शहर प्रेम की सजा भुगत रहे हैं मरीज
घाटमपुर, कानपुर। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घाटमपुर में ढीले प्रशासन के चलते मरीजों को भीषण समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यहां तैनात स्वास्थ्य कर्मियों पर किसी प्रकार का प्रशासनिक दबाव न होने के कारण अस्पताल में लापरवाही व अफरातफरी का आलम है। कहने को तो स्वास्थ्य केंद्र में 3 पुरुष व चार महिला सात फार्मेसिस्ट तैनात है। लेकिन इमरजेंसी ड्यूटी मात्र तीन फार्मेसिस्ट दिनेश चाचा, सतीश सचान व राज किशोर पटेल ही करते हैं। शहर प्रेम के चलते कानपुर से ड्यूटी करने आने वाले कर्मचारी ड्यूटी के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाते हैं। शासन द्वारा अस्पताल का निर्धारित समय सुबह 8 बजे से अपराहन 2 बजे तक का है। लेकिन कानपुर से आने वाले सुबह 9 बजे अस्पताल पहुंच पाते हैं और 1 से 1ः30 के बीच कार्य बंद कर अस्पताल से भागने की फिराक में रहते हैं। समय से पहले अस्पताल छोड़ने में कोई दिक्कत ना हो इसके लिए बाकायदा एक बजे अस्पताल में पर्चे बनाना बंद कर दिए जाते हैं। जब संवाददाता अस्पताल पहुंचा तो पर्चा काउंटर के आगे मरीजों की लाइन लगी थी और पर्चा बनाने वाला कर्मी सहकर्मियों के लिए चाय लेने गया था। जब लौटकर आया तो उसका कहना था कि मैं थक गया हूं। चिकित्सा अधीक्षक डाॅ संगम सचान से फोन पर जब शिकायत की गई तो उन्होंने कानपुर मुख्यालय में होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। जिन मरीजों के पर्चे पहले बन चुके थे, वह दवा के लिए भटक रहे थे, समस्या को देखते हुए चिकित्साअधिकारी डाॅ पवन सचान ने दवा वितरण काउंटर संभाल कर मरीजों को सरकारी दवा वितरित की। आए दिन की घटनाओं से मरीज परेशान है और उनके मन में शासन व प्रशासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है।