Saturday, May 18, 2024
Breaking News
Home » लेख/विचार » दोहरा चरित्र–देश, समाज, संविधान के लिए खतरा- कुसुम सिंह

दोहरा चरित्र–देश, समाज, संविधान के लिए खतरा- कुसुम सिंह

अभी कुछ ही दिन हुए हैदराबाद की महिला चिकित्सक का दुर्भाग्यशाली कृतघ्न सामूहिक बलात्कार व जघन्य हत्या। बात बात पर आग उगलने वाले हैदराबाद के सांसद महोदय के मुंह से एक भी शब्द इस शर्मनाक हत्याकांड के  विरुद्ध नहीं निकला। उन्होंने न तो पीड़िता के प्रति कोई संवेदना दिखाई न पीड़ित परिवार के प्रति कोई सहानुभूति न ही अपराधियों के प्रति सख्ती दिखाई और न ही इस कुकृत्य की निंदा की।वे मूक दर्शक बनकर पूरा घटनाक्रम देखते रहे शायद आनन्दित भी होते रहे। क्यों? क्या इसलिए कि पीड़िता एक हिन्दू थी या कोई और वजह?
विडम्बना देखिए, जैसे ही हैदराबाद पुलिस द्वारा अपराधियों के एनकाउंटर की सूचना प्रसारित। हुई,वे तुरंत मुखरित हो उठे।अपराधियों के मारे जाने से व्यथित हो उठे, पुलिस की कार्यवाही को कानून के घेरे में ले लिया। प्रश्न खड़ा कर दिया, कैसे पुलिस ने अपराधियों को मार गिराया, कानून अपने हाथ में कैसे ले सकते है, तुरन्त पुलिस एनकाउंटर की विशेष जांच कराई जाए।मारे गए अपराधियों के शवों का पोस्टमार्टम कराया जाय।
जिसने पीड़िता के अपराधियों को जल्द से जल्द व सख्त से सख्त सजा की मांग नहीं की वह अपराधियों के पक्ष में सुरक्षातन्त्र के विरुद्ध तुरंत खड़ा हो गया। बोतल में बंद जिन्न बाहर निकल आया। इनको जनता क्या सोचकर चुनकर जनप्रतिनिधि बनाती है। धिक्कार है ऐसे जनप्रतिनिधियों को जो जनता का विश्वास जीतकर विश्वासघात करें। धर्म जाति के नाम पर जनता को भड़काएं, पथभ्रमित करें।
सुरक्षा कर्मियीं को सरकार ने हथियार किसलिए दिए हैं? क्या वे आत्म रक्षा न करें,पीड़ित की रक्षा न करें, भाग रहे अपराधियों को न मार गिराएं,अपराधियों के समक्ष स्वयं आत्मसमर्पण कर दें। उन्होंने अपराधियों द्वारा कारावास से भागने व पुलिस पर हमला बोलने पर दौड़ाकर उनका एनकाउंटर किया।अपनी कर्तव्यनिष्ठा व त्वरित कार्यवाही के लिए बधाई के पात्र हैं हमारे हैदराबाद के पुलिसकर्मी। और हैदराबाद के तथाकथित जनता के हितैषी सांसद महोदय आगबबूला हो रहे हैं, इस मुठभेड़ में पुलिस की जांच के आदेश की बात कह रहे हैं। जांच बैठा भी दी।तबसे वे लगातार जहर उगल रहे हैं। वे हर मुद्दे पर विषवमन के आदी हैं।
बात आई सीमा सुरक्षा की, घुसपैठियों को रोकने की, एन आर सी की, राजनैतिक सियासत का शिकार बना कश्मीर प्रान्त की धारा 370 हटाने की, अनधिकृत रूप से पाक अधिकृत कश्मीर, को भारत की सीमा में लेने की। तो महाशय फुफकार उठे। भरे बैठे रहते हैं शायद कुंठाग्रस्त हैं। भारत सरकार के लिए स्टेटमेंट आया-पाक अधिकृत कश्मीर की बात करते हो, चीन जो जमीन हड़पे बैठा है, उसकी बात क्यों नहीं करते।क्या चीन से डरते हो।
यह वक्तव्य है भारत के नागरिक का, हैदराबाद के जनप्रतिनिधि का। भ्रम होने लगता है कि यह हिंदुस्तान के है या पाकिस्तान के।मुस्लिमों के मसीहा बने बैठे हैं मानों मुस्लिम इस देश के नागरिक न होकर, इनकी उंगलियों पर नाचने वाली कठपुतली हों। संसद में बैठकर इस तरह की बात करना नितान्त असंसदीय व संसद की गरिमा के विरुद्ध है। किन्तु इसका विरोध कोई भी मुस्लिम संगठन नहीं करता। क्यों?
राममन्दिर का फैसला आया, तो तुरंत हरकत में आ गए। न्यायालय का फैसला गलत है, इस पर दुबारा विचार किया जाए। क्यो? क्या फैसला मन्दिर के पक्ष में आया, इसलिए? मामला इन्हीं नकारात्मक,विध्वंसात्मक हिंदुस्तान में रहकर हिन्दू विरोधी मानसिकता ग्रस्त राष्ट्रद्रोहियों, जो कि हर फैसला मुस्लिमों के पक्ष में चाहते है, के कारण राममंदिर मुद्दा न्याय के प्रथम पायदान से उच्च और फिर उच्चतम पायदान पर पंहुचा।लगभग 26-27 वर्षों का न्यायलत के तीनों चरणों का कानूनी सफर तय करके, सभी तथ्यों का गहनतम न्यायिक अध्ययन, विचार विमर्श के बाद  भी जो फैसला आया उस पर भी उनकी उंगली उठ गई। न्याय व न्यायिक प्रणाली पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिया। क्यो? क्योकि राम मंदिर के पक्ष में निर्णय रास नही आया।
बात आई नागरिकता संशोधन विधेयक की, महाशय ने आग उगलना शुरू कर दिया। बोले-यह बिल मुसलमानों के विरुद्ध है। जबकि भारत के गृह मंत्री बराबर विधेयक को स्पष्ट कर रहे है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश-तीनों मुस्लिम देशों में हिन्दू अल्पसंख्यक है।उनकी संख्या निरन्तर घट रही है। जबकि भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक है, किन्तु इनकी संख्या निरंतर बढ़ रहीं है। क्यों? निश्चित ही मुस्लिम देशों के हिन्दू प्रताड़ना के शिकार हो धर्म परिवर्तन को बाध्य होंगे। विडम्बना देखिए-भारत में मुस्लिमों की सहूलियत के लिए दो संविधान लागू हैं। मुस्लिम समाज पर परिवार नियोजन लागू नहीं,धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा, दिन में सरकारी ड्यूटी छोड़कर नमाज पढ़े, चाहे बीच सड़क पर मस्जिद बना लें, नमाज पढ़े, चाहे भोर प्रहर ऊंची आवाज़ में लाउडस्पीकर लगाकर नमाज पढ़े, लोगों की नींद हराम हो, चैन हराम हो, बीमार हो जाएं।उन्हें क्या।कोई विरोध करे तो तुरन्त  सांप्रदायिक विवाद,सरकार को घेरे में लेना, समाज को घेरे में लेना।
संसद सत्र में नागरिक संशोधन बिल का इस कदर विरोध कि विद्रोह पर उतर आए। गृह मंत्री के हर बिंदु को अनसुना करते हुए सीधे बिल को असंवैधानिक ठहरा कर मुस्लिम विरोधी बताकर बिल की प्रति भरी संसद में इतने तैश में फाड़ी मानो महाशय एक जनप्रतिनिधि नहीं,कोई विद्रोही तानाशाह हों। न संसदीय गरिमा का ख्याल, न संविधान का सम्मान।क्या यह कृत्य संवैधानिक था,क्या यह अनुशासनहीनता नहीं,क्या इस पर कोई कार्यवाही नहीं होनी चाहिए? शायद भारत में फिर से कोई जिन्ना तैयार हो गया है,राष्ट्रवाद का कट्टर विरोधी।
बड़ी सावधानी बरतनी होगी। देश पुनः एक कठिन दौर से गुजर रहा है।नैतिकता का कहीं लोप हो रहा है, युवा शक्ति भटकाव के मार्ग पर है।समाज में अराजकता, अपराध सिर उठा चुके है, इन्हें निर्मूल करने को राष्ट्रवाद को मजबूत करना होगा। जब हमारा देश धर्म निरपेक्ष है,फिर धर्म के नाम पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। हम नागरिकों, चाहे किसी भी धर्म, जाति, वर्ग, वर्ण, सम्प्रदाय के हों, सतर्क रहना होगा ऐसे विघटनकारी तत्वों से। समाज को जागरूक करना होगा। हम सबसे पहले भारतीय हैं, राष्ट्रवाद ही हमारा धर्म है-इसी सोच के साथ।