Monday, November 18, 2024
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कितनी खतरनाक होगी कोरोना की तीसरी लहर

लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद कोरोना संक्रमण की दर एक बार फिर बढ़ने लगी है। स्वास्थ्य मन्त्रालय द्वारा 24 जून की सुबह जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक 24 घण्टे के अन्दर पूरे देश में 54069 नये कोरोना संक्रमित मरीज सामने आये हैं तथा 1321 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इस तरह अब तक देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 3,00,82,778 तथा मरने वालों की संख्या 3,91,981 पहुँच गयी है। हालाकि मरने वालों की संख्या के सरकारी आंकड़ों पर अब तक कई बार उँगली उठ चुकी है। कुछ समाचर पत्रों तथा चैनलों के मुताबिक देश भर में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या 42 लाख से भी अधिक है। इनके संवाददाताओं को श्मशान घाटों में कोरोना प्रोटोकाल के तहत होने वाले अन्तिम संस्कार के आंकड़ों तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा बतायी गयी कोविड.19 से मरने वालों की संख्या में भारी अन्तर देखने को मिला था। अप्रैल और मई में मौत का जैसा ताण्डव देश ने देखा वह कल्पना से परे था। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी सुप्रीम कोर्ट में कोरोना मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि इस दूसरी लहर का अन्दाजा किसी को भी नहीं था। उनके इस बयान का निष्कर्ष यही था कि न तो देश.प्रदेश की सरकारों ने कोरोना की दूसरी लहर को गम्भीरता से लिया और न ही स्वास्थ्य महकमे ने। दूसरी लहर की शुरुआत में प्रधानमन्त्री ने देश को आश्वस्त किया था कि कोरोना की पहली लहर पर देश ने बिना वैक्सीन के ही विजय प्राप्त कर ली थी जबकि अब तो हमारे पास वैक्सीन है तथा संसाधनों की दृष्टि से भी हम पहले से अधिक तैयार हैं। लेकिन 15 अप्रैल के बाद कोरोना संक्रमण के द्रुत गति से बढ़े मामलों के सामने सारे आश्वासन हवा.हवाई ही साबित हुए। 23 जून के बाद एक बार फिर कोरोना के बढ़ते मामलों ने लोगों को सशंकित कर दिया है। मौत का वही मंजर पुनः सबकी आखों के सामने नाचने लगा है।
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर चेतावनी दे चुके हैं। उनका कहना है कि कोविड प्रोटोकाल का यदि ठीक से पालन नहीं किया गया तथा सार्वजनिक स्थानों पर हो रही भीड़.भाड़ को रोका नहीं गया तो छै से आठ हफ्तों में कोरोना की तीसरी लहर देश में दस्तक दे सकती है। हालाकि विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने अपने सीरोप्रेवैलेंस सर्वे में इस बात का दावा किया है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का ज्यादा असर बच्चों पर नहीं होगा। सीरोप्रेवैलेंस का अर्थ है सामान्य जनसंख्या में कोरोना एंटीबॉडी का विकसित होना। सर्वे के मुताबिक सीरोपॉजिटीविटी रेट बड़ो की अपेक्षा बच्चों में अधिक पाया गया है। इस सर्वे के लिए पाँच राज्यों से करीब दस हजार सैंपल लिये गये थे।
अमेरिका में रह रहे भारतीय डॉ0रवि गोडसे ने भी भारत में कोरोना की तीसरी लहर से इंकार किया है। एक टी.वी.चैनल को दिये गये अपने साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि भारत में संक्रमित होने से कोई नहीं बचा है। जिन्हें हुआ उनमें से ज्यादातर ठीक हुए।ै टीके भी लोगों को लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि केस आ सकते हैं मगर लहर नहीं आयेगी। डॉ.रवि के अनुसार जो लोग संक्रमण से ठीक हुए हैं। उनका इम्युनिटी सिस्टम कोरोना से लड़ने में सक्षम है, वैक्सीन लगने के बाद वह और अधिक बढ़ जायेगा। देश में टीकाकरण अभियान धीरे.धीरे गति पकड़ रहा है। अब तक लगभग 29 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। जिनमें से करीब सवा पाँच करोड़ लोग वैक्सीन की दूसरी डोज ले चुके हैं। हालाकि वैक्सीन लेने के बाद जो लोग अचानक मृत्यु का शिकार हो रहे हैं उनके मामलों को पता नहीं क्यों दबाने का प्रयास किया जा रहा है। इससे लोगों में वैक्सीन के प्रति भय कम होने की बजाय बढ़ ही रहा है। जबकि होना तो यह चाहिए था कि वैक्सीनेशन के बाद जिन लोगों की मृत्यु हुई है उनकी मेडिकल हिस्ट्री का विधिवत अध्ययन किया जाता और किसी को भी वक्सीन देने से पूर्व उन लक्षणों के दृष्टिगत सभी का मेडिकल परिक्षण कराया जाता। लेकिन कई विशेषज्ञ मरने वालों की संख्या बहुत कम बताकर इसे नजरअन्दाज करने की गैर जिम्मेदाराना सलाह दे रहे हैं। जबकि किसी भी ऐसे विषय को नजरअन्दाज करना कतई उचित नहीं है जिसका सीधा सम्बन्ध लोगों के जीवन.मृत्यु से हो। भले ही उसकी संख्या का अनुपात हजारों में नही बल्कि लाखों में एक क्यों न हो। हर व्यक्ति का जीवन उसकी और उसके परिजनों की दृष्टि में सर्वाधिक मूल्यवान होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के नये वेरिएंट डेल्टा प्लस को लेकर कुछ गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कोरोना का डेल्टा वेरिएंट अल्फा, बीटा और गामा वेरिएंट के मुकाबले कहीं ज्यादा संक्रामक है और इसके अधिक हावी होने की आशंका है। यह वेरिएंट अब तक भारत समेत विश्व के 85 देशों में पाया गया है। डेल्टा वेरिएंट को देखते हुए रुसी वैक्सीन स्पुतनिक वी जल्द ही बूस्टर शॉट मुहैया कराने का दावा कर रही है। अब यहाँ प्रश्न यह उठता है कि डेल्टा वेरिएंट से उन लोगों की रक्षा कैसे होगी जो कोवीशील्ड या कोवैक्सीन की डोज पहले ही ले चुके हैं। कुछ भी हो लेकिन लोगों को महामारी या अन्य किसी भी आपदा से बचाना सरकारी तन्त्र की नैतिक जिम्मेदारी है। अप्रैल और मई के कटु अनुभवों से यदि कुछ सीख ली गयी होगी तो निश्चित ही कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को मात दी जा सकेगी। अन्यथा की स्थिति में देश को एक और त्रासदी से गुजरना पड़ेगा। लोगों को भी सावधान रहना होगा, हमें यह बात अच्छी तरह से समझनी चाहिए कि अप्रैल.मई की अपेक्षा कोरोना के आंकड़े कम भले ही हुए हों परन्तु इस बीमारी का खात्मा बिलकुल भी नहीं हुआ है। जिस तरह राख में दबी चिंगारी कब शोला बनकर सब कुछ खाक कर दे वैसे ही यह संक्रमण कब भयंकर रूप ले ले कुछ कहा नहीं जा सकता। पैसा, रुतबा और ऊँची जान.पहचान का क्या हश्र होता है। यह बताने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए देश में जब तक कोरोना का वायरस मौजूद है तब तक इसके प्रोटोकाल का पालन करते हुए मास्क, शारीरिक दूरी और सेनेटाईजर का प्रयोग ही इस बीमारी का सबसे कारगर उपाय है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने हेतु कुछ योग चिकित्सक अधोमुख श्वानासन, सेतुबन्धासन, सुप्त मत्स्येन्द्रासन, धनुरासन, भुजंगासन, अनुलोम.विलोम, कपालभाती तथा वाकिंग की सलाह दे रहे हैं। इसलिए आप इन योग क्रियाओं के द्वारा भी अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं। लेकिन उपरोक्त में से कोई भी आसन करने से पूर्व किसी जानकार व्यक्ति से उसको समझ अवश्य लें।