Monday, April 29, 2024
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सुंदरीकरण के इंतजार में गांव के तालाबों में गन्दगी का ढेर

⇒कहीं तालाबों पर कब्जे हैं तो कहीं पर कूड़ा, जिम्मेदार मौन
पवन कुमार गुप्ताः ऊंचाहार, रायबरेली। वर्षों पुराने तालाबों के सुंदरीकरण केवल सरकारी कागजों में हुए हैं। क्योंकि अधिकतर लेखपाल ग्रामप्रधानों के साथ मिलकर केवल मुनाफा कमाने के लिए ही सोचते हैं और गांव को विकास की योजनाओं से दूर रखते हैं। ग्रामीणों को आवास भले ही न मिले लेकिन ग्राम समाज की जमीन पर लेखपाल की मेहरबानी से प्रधानों को कब्जा जरूर मिल जाता है।
उत्तर प्रदेश प्रदेश के मुखिया ने तालाबों को अवैध कब्जेदारों से मुक्त कराने का आदेश पारित किया है। लेकिन संबंधित विभाग अपनी मनमानी चाल ही चल रहा है।
बताते चलें कि प्रत्येक ग्राम सभा में कम से कम एक तालाब तो बना ही है लेकिन इन तालाबों का कई दशकों से सुंदरीकरण नहीं हुआ है। गांव के अंदर तालाबों के किनारे रहने वाले ग्रामीणों ने धीरे धीरे उस पर अवैध तरीके से कब्जा करना शुरू कर दिया है। यहां तक कि उसे मिट्टी और पूरे गांव के घरेलू कूड़े कचरे से ढकना भी शुरू कर दिया है। गांव में मौजूद तालाबों की सुंदरता दिन प्रतिदिन ढंकती जा रही है। जलीय जंतुओं और जलीय पौधों ने इन्हें अपना डेरा बना लिया है। सबसे अहम बात यह है कि इन तालाबों की गंदगी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां बढ़ती जा रही हैं और तहसील कर्मचारी और खासकर लेखपाल इन तालाबों की तरफ ध्यान भी नहीं दे रहे हैं।