Sunday, May 5, 2024
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उप्र की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डालर बनाने के विषय पर दिया प्रस्तुतिकरण

लखनऊ। उप्र के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ;आईएमएफद्ध में कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर बनाने के विषय पर प्रस्तुती करण दिया।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि अपनी क्षमता का पूरा लाभ उठाते हुए उत्तर प्रदेश देश के बहुआयामी विकास का सबसे महत्वपूर्ण आधार बनेगा। वर्ष 2027 तक उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेश के समग्र विकास के लिए 10 सेक्टर बनाये गये हैं। हर सेक्टर के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक कार्ययोजना तय की गई है। कार्ययोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सतत मॉनीटरिंग भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि अवस्थापना सुविधाओं के विकास की गति जितनी तेज होगी, प्रदेश का विकास उतनी शीघ्रता से होगा, निवेश के लिए प्रदेश में बड़ी इंडस्ट्रीज आकर्षित होंगी, जिससे आम जनमानस को रोजगार के नवीन अवसर मिलेंगे। कनेक्टिविटी के लिहाज से बीते 5 वर्ष में बड़ा सुधार हुआ है। आज यहां 5 एक्सप्रेसवे बन रहे हैं, 9 एयरपोर्ट शुरू हो चुके हैं। पहला इन लैंड वाटर-वे वाराणसी से हल्दिया तक संचालित हो रहा है। 1 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमिक के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है।इससे पहले, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने उत्तर प्रदेश की वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया।
उन्होंने बताया कि सभी परिदृश्यों में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी काफी हद तक सकारात्मक है। यूपी पहले से ही भारत में चमड़ा, खिलौने और कपड़ा निर्यात का एक प्रमुख केंद्र है। उत्तर प्रदेश मुख्य रूप से यूरोप और यूएसए से वैश्विक रक्षा निर्यात पर कब्जा कर सकता है।
उन्होंने बताया कि भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था प्रगति की ओर अग्रसर है। ग्लोबल एण्ड टेक मार्केट में भारत प्रमुख होने जा रहा है। यूपी को दुनिया का डाटा स्टोरेज और प्रोसेसिंग हब बनने का लक्ष्य रखना चाहिए और नई औद्योगिक नीति में डेटा तथा डिजिटल स्टार्ट-अप से संबंधित व्यवसायों और डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देनी चाहिये। स्टार्टअप्स के लिए व्यवसाय करने में आसान टेम्पलेट की आवश्यकता है। किसी भी उद्यम को स्टार्टअप के रूप में पहचाना जाना चाहिए और परेशानी मुक्त व्यवसाय प्रदान करना चाहिए।
उन्होंने अर्थशास्त्री श्री ब्लैंकार्ड का उदाहरण देते हुये कहा कि यदि सरकार द्वारा भुगतान की जाने वाली ब्याज दर विकास दर से कम है, तो सरकार के सामने आने वाली इंटरटेम्पोरल बजट बाधा अब बाध्य नहीं होती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा स्टार्टअप्स के लिये ब्याज पर वित्त पोषण प्रदान करने से नवाचार और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन मिलेगा। आईटी, पर्यटन, एमएसएमई, कृषि, शिक्षा, फूड प्रोसेसिंग जैसे विभिन्न सेक्टरों में विशेष ध्यान केन्द्रित कर उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार दी जा सकती है। इसके अतिरिक्त उन्होंने अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिये कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये।
बैठक में मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अरविन्द कुमार, अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन हेमन्त राव, प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन नितिन रमेश गोकर्ण, प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात, प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थसारथी सेन शर्मा, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा सुधीर एम. बोबड़े, सचिव नियोजन आलोक कुमार समेत विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधि कारीगण आदि उपस्थित थे।