Tuesday, April 30, 2024
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मथुरा जनपद को मिला 175 सर्वे सैंपल का लक्ष्य

’आप तक पहुंच रहा शुद्ध दूध भी कितना शुद्ध, बताएगा सैंपल सर्वे’
प्रदेशभर में चलाया जा रहा है अभियान, सर्वे सैंपल अभियान के तहत दूध के 30 नमूना संग्रहित

मथुराः श्याम बिहारी भार्गव। मिठाई में दुकानदार, घर पहुंच रहे दूध में दूधिया तो डेयरी पर डेयरी संचालक मिलावट कर सकता है। इसे रोकने के लिए खाद्य औषधि प्रशासन लगातार अभियान चलाता है, सैंपलिंग की जाती है। सैंपल फेल आने पर संबंधित के खिलाफ विभाग विधिक कार्यवाही करता है। खेती में लगातार बढ़ रहे रसायनों के उपयोग, दुधारू पशुओं पर ऑक्सीटोसिन के इस्तेमाल, दूध बढ़ाने के लिए पशुओं को खिलाए जाने वाले कई दूसरे पदार्थों से भी दुधारू पशुओं द्वारा दिया जाने वाला दूध दूषित हो सकता है। भूगर्भीय जल, तालाब पोखरों का जल भी कई जगह दूषित हो चला है। पशु इसे पीते हैं इस का भी प्रभाव पडता है। समूचे प्रदेश में यह जानने के लिए कि शुद्ध दूध भी कितना शुद्ध है सर्वे सैंपल कराया जा रहा है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा जनवरी माह में शुरू किए गए सर्वे सैंपल अभियान के तहत दूध के तीस सैंपल जांच के लिए संग्रहित किए गए हैं। जिसमें ब्रांडेड कंपनियों पराग, अमूल, सहज, प्रयाग, आनंदा तथा मिल्क वेंडर, चिलिंग सेंटर एवं पशु पालकों के दूध सैंपल सम्मिलित हैं। विभाग द्वारा सर्वे सैंपल अभियान के तहत 20 जनवरी तक 175 सर्वे सैंपल लिए जाने हैं। जिसमें मावा, पनीर, घी, दाल, मसाले आदि के संग्रहित किए जाएंगे। सभी नमूनों को जांच हेतु प्रयोगशालाओं में भेजा जाएगा। जिससे सर्वे अभियान के तहत खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट की जांच उपरांत प्रभावी रोक लगाई जा सके।

सर्वे सैंपल अभियान प्रदेश भर में चल रहा है। हर जनपद को लक्ष्य मिला है। हमें 175 का टारगेट मिला है। इनकी विशेष लैब से जांच करा कर देखा जाएगा कि इनमे कोई गंभीर प्रकार की मिलावट तो नहीं। पशुपालन के यहां से भी सैंपल लिए जा रहे हैं, जिसमें देखा जाएगा कि पशु जो चारा खा रहे हैं उससे तो दूध की गुणवत्ता में तो फर्क नहीं पड रहा है। गंदे तालाबों से पशु पानी पी लेते हैं, उसमें हैवी मेटल आ जाते हैं।  
-डॉ गौरी शंकर, सहायक आयुक्त खाद्य औषधि प्रशासन मथुरा।