Monday, May 6, 2024
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छः लाख की आबादी के बीच खोजे जाएंगे क्षय रोगी

मथुरा। वर्ष 2025 तक भारत से टीबी को खत्म करने के लिए सोमवार से सक्रिय टीबी रोगी खोज (एसीएफ) अभियान को शुरू कर दिया गया। टीमों के द्वारा टीबी के मरीजों को खोजकर उनका उपचार शुरू कराते हुए निक्षय पोर्टल से जोड़ा जाएगा। टीमों ने अनाथालय, कारागार, वृद्धा आश्रम, नारी निकेतन में जाकर संबंधित से संवाद किया। टीमों ने टीबी के लक्षण बताएं। संदिग्ध लगने वालों की स्क्रीनिंग की।
सीएमओ डॉ. अजय कुमार वर्मा ने बताया कि आगामी वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग (टीबी) से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पांच मार्च तक एसीएफ कार्यक्रम चलाया जायेगा। इसके तहत जिले की 20 प्रतिशत से अधिक आबादी में क्षय रोगियों की खोज की जाएगी। प्रथम चरण में कारागार, मदरसा, वृद्वाश्रम व अनाथालय आदि में क्षय रोगियों की स्क्रीनिंग का कार्य होगा। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. संजीव यादव ने बताया कि जिले की आबादी की 20 प्रतिशत यानी लगभग छह लाख लोगों में टीबी के लक्षण के आधार पर जांच कराई जाएगी। लक्षण होने पर सर्वे टीम व्यक्ति के बलगम का नमूना लेकर जांच के लिए भेजेंगी। रोग की पुष्टि होने पर दो दिन के भीतर व्यक्ति का उपचार शुरू हो जाएगा। यह पूरा अभियान पोलियो अभियान की तरह चलाया जाएगा।
शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है क्षय रोगः
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि क्षय रोग माइक्रोबैक्टीरिया, ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है। यह रोग मुख्यतः फेफड़े में होता है, लेकिन शरीर के अन्य अंगो जैसे दिमाग, हड्डी, ग्रन्थियों व आंत में भी हो सकता है। यह रोग टीबी के रोगी द्वारा खांसने या छींकने, रोगी द्वारा इधर उधर खुली जगह पर बलगम थूकने, व रोगी के कपड़े, तौलिए, चादर आदि का प्रयोग करने से हो सकता है। लेकिन टीबी उपचार के दो माह पूरे होने पर टीबी संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती।
मरीजों के इलाज के लिए यह हैं सुविधाएं
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के जिला कार्यक्रम समन्वयक शिवकुमार ने बताया कि जिले की आबादी कुल 30 लाख है। दस ब्लाकों में कुल 15 टीबी यूनिट है। 36 माइक्रोस्कोपिक सेंटर है। तीन एलईडी माइक्रोस्कोप है। तीन सीबीनाट व पॉच ट्रूनाट मशीन है। एक डीडीआरटीबी सेंटर है, जिसमें चार बेड हैं। क्षय रोगियों को सारी सुविधाएं मिलती हैं।
कुल चिन्हित रोगी की संख्या
वर्ष 2019 में चिन्हित रोगी – 18598
वर्ष 2020 में चिन्हित रोगी -11358
वर्ष 2021 में चिन्हित रोगी -13019
वर्ष 2022 में चिन्हित रोगी -13112
वर्ष 2023 में अब तक कुल चिन्हित रोगी -1755