रानी पद्मावती एक काल्पनिक पात्र है लेकिन भंसाली शायद यह भी भूल गए कि काल्पनिक होने के बावजूद रानी पद्मावती एक भारतीय रानी थी जो किसी भी सूरत में स्वप्न में भी किसी क्रूर मुस्लिम आक्रमण कारी पर मोहित हो ही नहीं सकती थी।
भंसाली का कहना है कि पद्मावती एक काल्पनिक पात्र है । इतिहास की अगर बात की जाए तो राजपूताना इतिहास में चित्तौड़ की रानी पद्मिनी का नाम बहुत ही आदर और मान सम्मान के साथ लिया जाता है।
भारतीय इतिहास में कुछ औरतें आज भी वीरता और सतीत्व की मिसाल हैं जैसे सीता द्रौपदी संयोगिता और पद्मिनी। यह चारों नाम केवल हमारी जुबान पर नहीं आते बल्कि इनका नाम लेते ही जहन में इनका चरित्र कल्पना के साथ जीवंत हो उठते है।
रानी पद्मिनी का नाम सुनते ही एक ऐसी खूबसूरत वीर राजपूताना नारी की तस्वीर दिल में उतर आती है जो चित्तौड़ की आन बान और शान के लिए 16000 राजपूत स्त्रियों के साथ जौहर में कूद गई थीं। आज भी रानी पद्मिनी और जौहर दोनों एक दूसरे के पर्याय से लगते हैं। इतिहास गवाह है कि जब अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ के महल में प्रवेश किया था तो वो जीत कर भी हार चुका था क्योंकि एक तरफ रानी पद्मिनी को जीवित तो क्या मरने के बाद भी वो हाथ न लगा सका ।