Friday, November 15, 2024
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सीएम ने किया घटनास्थल का मौका मुआयना

हाथरस/सिकंदराराऊ। सिकंदराराऊ क्षेत्र के गांव फुलरई में हुए हादसे के चलते पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है। मृतक संख्या बढ़कर 121 हो गई है। एक ओर जहां सूबे के प्रमुख सचिव एवं डीजीपी समेत सभी आला अधिकारी यहां डेरा डाले हुए हैं। वहीं बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस जिले का दौरा किया। पुलिस लाइन में हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिला बागला अस्पताल पहुंचे। जहां घायलों से उनका हाल जाना और घटना के बारे में पूछताछ की। इसके बाद मुख्यमंत्री का काफिला घटनास्थल की ओर रवाना हो गया।

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विश्व प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना शिवानी मिश्रा ने छात्राओं को सिखाए कत्थक के गुर

फिरोजाबाद। संस्कृति मंत्रालय उ.प्र. सरकार एवं दाऊदयाल महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित सप्त दिवसीय कार्यशाला के तीसरे दिन प्रतिभागियों को विविध सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियों से रूबरू कराते हुए सर्वप्रथम आयोजन सचिव डॉ माधवी सिंह ने महाकवि कालिदास द्वारा रचित अभिज्ञान शाकुंतलम् नाटक के सफल मंचन हेतु छात्राओं को नाटकीय तत्वों से अवगत कराया। वहीं दूसरी ओर डॉ अंजू गोयल द्वारा काव्य में वर्णित विविध छंदों जैसे दोहा, सोरठा, मुक्तक, कुण्डलियां, पादाकुलक, घनाक्षरी, सवैया छंद एवं गीत लेखन हेतु अनुभूति और अभिव्यक्ति पक्ष को ध्यान में रखते हुए शब्द संयोजन की कला सिखाई गई।

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जनप्रतिनिधियों ने वृक्षारोपण कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश

फिरोजाबाद। प्राचीन मां शीतला देवी मंदिर शीतला धाम हजीरा लालपुर परिसर में वन विभाग के सहयोग से जनप्रतिनिधियों ने वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। बुधवार को वन विभाग के सहयोग से प्राचीन मां शीतला देवी मंदिर शीतला धाम हजीरा लालपुर परिसर में महापौर कामिनी राठौर, सदर विधायक मनीष असीजा, ब्लाक प्रमुख सदर डॉ लक्ष्मी नारायण यादव, भाजपा महानगर अध्यक्ष राकेश शंखवार, भाजपा महामंत्री राधेश्याम यादव, शीतला माता मंदिर कमेटी के अध्यक्ष भुवनेश्वर एडवोकेट, प्रबंधक व सचिव रामनिवास यादव

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शिक्षकों की समस्याओं को लेकर यूटा ने बीएसए को सौंपा ज्ञापन

फिरोजाबाद। शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को लेकर यूटा का एक प्रतिनिधि मंडल बीएसए से मिला और एक ज्ञापन सौंपा है। बीएसए ने शिक्षकों की समस्याओं का जल्द ही निस्ताण कराने का आश्वासन दिया है।
यूटा जिलाध्यक्ष जया शर्मा के नेतृत्व में शिक्षकों का एक प्रतिनिधि मंडल ने बीएसए आशीष कुमार पंाडे को सौंपा है। जिसमें कहा है कि 28 अगस्त 2005 में पूर्व विज्ञापन वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को पुरानी पेशन के लिए ऑप्शन प्रदान के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। वहीं नियुक्त कर्मचारी व शिक्षकों के हितार्थ पुरानी पेंशन को लागू करने, शिक्षकों को अपने निवास स्थान के निकटतम विकास खण्ड विद्यालय पर समायोजित करने के उपरांत एवं विभिन्न समस्याओं की निस्तारण के उपरांत ही ऑनलाइन उपस्थिति हेतु विचार किया जाए। साथ ही उपस्थिति हेतु निर्धारित समय में भी शिथिलता प्रदान करने की मांग की है।

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बाबाओं के मायाजाल में फंसती भीड़

आजकल विभिन्न सामाजिक वर्गों में अलग-अलग किस्म के अंधविश्वास प्रचलित हैं। इतने जागरूकता अभियानों के बावजूद आज भी आपको गांव-कस्बों में भूत-प्रेत के कस्से सुनने को मिल जाएंगे। वहीं हायर क्लास के अंधविश्वास अलग हैं। इस क्लास में भी असुरक्षा की भावना कम नहीं है। इस वर्ग के लोग यूं तो अत्याधुनिक होने का दावा करते हैं, लेकिन इसके बावजूद वे एयरकंडिशंड आश्रमों वाले गुरुओं के यहां लाखों का चढावा चढाने से लेकर अपनी सफलता/असफलता की वजह लकी चार्म को मानने से भी गुरेज नहीं करते। समाज में अतार्किक विचारधारा वाले इतने अधिक लोग कहां से आ गए? जवाब है, वह परवरिश और माहौल जो हम अपने बच्चों को देते हैं। शिक्षा व्यवस्था के तहत बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के उतने प्रयास नहीं हो रहे जितने होने चाहिए। संयुक्त परिवारों का टूटना और नई जीवन शैली का एकाकीपन, यांत्रिकता, तनाव आदि से पिछले रसायन ने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी जहां हर व्यक्ति परेशान और बेचौन हो चला है। इन्हीं सामाजिक-मनोवैज्ञनिक स्थितियों के बीच लोग जाने-अनजाने ऐसे बाबाओं की ओर उन्मुख होने लगते हैं जो लोगों को हर दुरूख-तनाव से छुटकारा दिलाने का दावा करते हैं। -प्रियंका सौरभ

पिछले कुछ दशकों से उभरने वाले किस्म-किस्म के बाबाओं ने राष्ट्र के मुख पर कालिख पोतने का का किया है। अपनी अनुयायी स्त्रियों के शारीरिक शोषण, हत्या-अपहरण से लेकर अन्य जघन्य अपराध करने वाले बाबाओं का प्रभाव इस कदर बढ़ता जा रहा है कि आज जनता को तो छोड़िये, सदिच्छाओं वाले राजनेता, अभिनेता, अधिकारी, बुद्धिजीवी इत्यादि वर्ग भी उनसे घबराने लगा है। आखिर इन बाबाओं के महाजाल का समाजशास्त्र क्या है? इसी तरह सवाल यह भी है कि इनके पीछे जनता के भागने का क्या अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान है? आजकल विभिन्न सामाजिक वर्गों में अलग-अलग किस्म के अंधविश्वास प्रचलित हैं। इतने जागरूकता अभियानों के बावजूद आज भी आपको गांव-कस्बों में भूत-प्रेत के किस्से सुनने को मिल जाएंगे। वहीं हायर क्लास के अंधविश्वास अलग हैं। इस क्लास में भी असुरक्षा की भावना कम नहीं है। इस वर्ग के लोग यूं तो अत्याधुनिक होने का दावा करते हैं, लेकिन इसके बावजूद वे एयरकंडिशंड आश्रमों वाले गुरुओं के यहां लाखों का चढावा चढाने से लेकर अपनी सफलता/असफलता की वजह लकी चार्म को मानने से भी गुरेज नहीं करते।
ऐसी मान्यताएं भारत ही नहीं बल्कि विश्व के सभी देशों में पाई जाती हैं। सवाल यह उठता है कि समाज में अतार्किक विचारधारा वाले इतने अधिक लोग कहां से आ गए? जवाब है, वह परवरिश और माहौल जो हम अपने बच्चों को देते हैं। शिक्षा व्यवस्था के तहत बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के उतने प्रयास नहीं हो रहे जितने होने चाहिए। संयुक्त परिवारों का टूटना और नई जीवन शैली का एकाकीपन, यांत्रिकता, तनाव आदि से पिछले रसायन ने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी जहां हर व्यक्ति परेशान और बेचौन हो चला है। इन्हीं सामाजिक-मनोवैज्ञनिक स्थितियों के बीच लोग जाने-अनजाने ऐसे बाबाओं की ओर उन्मुख होने लगते हैं जो लोगों को हर दुरूख-तनाव से छुटकारा दिलाने का दावा करते हैं। लोगों में वहम पैदाकर फायदा उठाने की कला बाजार ने भी सीख ली है। यही वजह है कि बाजार के जन्म दिए हुए बहुत सारे त्योहार आज परंपरा के नाम पर कुछ दूसरा ही रूप ले चुके हैं।

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सिकन्द्राराऊ में आयोजित सत्संग समागम में भगदड़, 100 से ज्यादा की मौत

» मौके पर आला अधिकारी व भारी पुलिस बल तैनात
» मौके पर पहुंच रहे हैं मुख्य सचिव व डीजीपी
» राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री, राहुल, प्रियंका, अखिलेश, खड़गे आदि ने जताया शोक
हाथरस/सिकन्द्राराऊ: जन सामना संवाददाता। इतिहास के पन्नों में आज का दिन काले दिन के रूप में दर्ज किया जाएगा और सत्संग समारोह में भाग लेने आए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ में भगदड़ हो जाने से करीब 120 लोगों की जहां दर्दनाक मौतें हो गई हैं। वहीं इस भयाभह हादसे से भारी चीख पुकारें मच गई है। जिले के सिकन्द्राराऊ कस्बे के फुलरई गांव में आज बड़ा हादसा हो गया। यहां साकार हरि बाबा (भोले बाबा) का सत्संग चल रहा था। सत्संग समाप्त होने के बाद यहां से जैसे भी भीड़ निकलना शुरू हुई तो भगदड़ मच गई। भगदड़ में अब तक 120 लोगों की मौत की खबर है। उक्त हादसे में सैकड़ो लोग व बच्चे घायल हो गये हैं। जिन्हें उपचार हेतु हाथरस, आगरा, अलीगढ़ व एटा भिजवाया गया है। मौके पर पुलिस एवं प्रशासन के आला अधिकारियों के अलावा भारी पुलिस बल पहुंच गया है। वही मौके के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव व डीजीपी रवाना हो गए हैं।

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परजीवी पार्टी के रूप में जानी जाएगी कांग्रेसः नरेन्द्र मोदी

राजीव रंजन नाग: नई दिल्ली। लोकसभा का नजारा बदला हुआ है। विपक्ष पसरा हुआ है और सरकार सहमी सी बचाव की स्थिति में खड़ी दिखती है। विपक्ष आक्रामक है और संख्या बल के हिसाब से वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के करीब है। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला सदन संचालन के अपने तरीकों से विपक्ष के निशाने पर हैं। वह खुल्लम खुल्ला सरकार की तरफ से ममद के इशारे से बचने बचाने की कोशिश करते भी देखे गए।
आज एक बार फिर संसद में विपक्ष फिर से अपनी ताकत दिखाने के लिए दृढ़ संकल्पित दिखा। और उन्होंने आज ऐसा करने का फैसला किया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देने के लिए खड़े हुए। इसका नतीजा एक उग्र शोर था जो 2004 के भाजपा विरोध का स्मरण दिलाने के करीब था, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपने मंत्रिपरिषद का परिचय देने से रोक दिया था।
विपक्ष के विरोध का स्पष्ट कारण यह था कि प्रधानमंत्री का भाषण उस समय आया जब मणिपुर के एक प्रतिनिधि का भाषण अचानक रोक दिया गया था। विपक्ष ने हमेशा यह कहा है कि प्रधानमंत्री ने हिंसा प्रभावित राज्य की उपेक्षा की हैष वह न केवल केवल दौरा करने में विफल रहे बल्कि इस पर चुप भी रहे। आज जब कुछ सांसदों ने स्पीकर ओम बिरला के इनकार का विरोध करना शुरू किया, तो बाकी विपक्षी सदस्यों ने इस मामले को उठाया। जल्द ही, लोकसभा कक्ष में शोर-शराबा और नारे गूंजने लगे।
हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने दो घंटे से अधिक समय तक शोर-शराबे के बीच काम किया। जब प्रधानमंत्री ने बोलना शुरू किया तो सांसदों ने जोरदार नारे लगाए और मेज थपथपाई। ‘मणिपुर, मणिपुर’, ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ और ‘मणिपुर के लिए न्याय’ के नारे गूंजे, जिस पर स्पीकर ने विपक्ष के नेता को कड़ी फटकार लगाई।
‘मैं कुछ लोगों का दर्द समझ सकता हूं।

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पानी की टंकी हादसाः पीड़ितों के लिए समाजसेवियों ने हाथ बढ़ाया

मथुराः जन सामना संवाददाता। कृष्णा विहार मथुरा में पानी की टंकी हादसे के एक दिन बाद लोगों को भोजन और पानी की समस्या की सूचना पर प्रमोद कसेरे ने पीने का पानी के टैंकर भेजें साथ ही राम कथा आचार्य पंडित अखिलेश गौड़ केशव गौड़, पूर्व पार्षद तिलकवीर चौधरी, समाजसेवी विनोद दीक्षित, नरेंद्र दीक्षित दीपक बंसल जितेंद्र अगवाल के द्वारा पीड़ित लोगों की मदद करने के साथ आज भूखे लोगों को भोजन के पैकेट का वितरण किया गया राम कथा आचार्य अखिलेश गौड़ ने कहा आपदा के समय एक दूसरे की लोगों को मदद करनी चाहिए इसके अंतर्गत पीड़ित व्यक्तियों के लिए भोजन के पैकेट लेकर आए हैं समाजसेवी विनोद दीक्षित ने कहा हम सब पड़ोसी घटना वाले दिन से ही अपने पड़ोसियों की मदद कर रहे हैं इस समय यहां पर रहने वाले लोगों को सभी की मदद की सख्त जरूरत है जो भी जिस रूप में भी मदद करना चाहे वह घटनास्थल पर पहुंचे पूर्व पार्षद तिलक वीर चौधरी और हमारी टीम लगातार लोगों के बीच में रहकर हर तरह की मदद कर रही है और अपनी तरफ से समय-समय पर भोजन के पैकेट बांट रहे हैं लोगों को चाहिए आपसी मतभेद बुलाकर लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए

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अखिलेश जीत से अहंकार नहीं पालें, बीजेपी के हश्र से लें सबक

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के हौसले इस समय काफी बुलंद हैं। उनकी पार्टी ने यूपी की 80 में से 37 सीटों पर जीत हासिल की है। इसी के बाद वह यूपी में 2014 के लोकसभा चुनाव में 71 और 2019 में 62 और अबकी 2024 में 33 सीटें एवं यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में 312 तथा 2022 में 273 सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी पर लगातार हमलावर हैं। ऐसा होना स्वभाविक भी है, उन्हें (अखिलेश यादव) अपने नेतृत्व में पहली बार लोकसभा चुनाव में 37 सीटों पर जीत का स्वाद चखने को मिला है। इससे पहले अखिलेश की जीत रिकार्ड ना के बराबर था। वह समाजवादी पार्टी की बागडोर संभालने के बाद लगातार जीत के लिये तरस रहे थे। 2012 के विधान सभा चुनाव, जो समाजवादी पार्टी द्वारा मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में लड़े गये थे गये थे, उसमें समाजवादी पार्टी को बहुमत हासिल हुआ था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद मुलायम ने अपनी जगह बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया था, जिसको लेकर पार्टी में मनमुटाव भी देखने को मिला था। तब से लेकर आज तक समाजवादी पार्टी यूपी से लेकर दिल्ली तक के चुनाव में अपनी पैठ नहीं बना पाई थी।

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विस. उप चुनाव जीतने के लिये योगी ने संभाला मोर्चा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव में मनमाफिक सीटें नहीं मिलने के दाग को धोने के लिये स्वयं मोर्चा संभाल लिया है। प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव में बड़ी जीत हासिल करके योगी विपक्ष को एक बार फिर से बैकफुट पर ढकेलने की रणनीति बना रहे हैं। खासकर अखिलेश यादव द्वारा जीत के बाद छोड़ी गई करहल और अयोध्या लोकसभा से सांसद चुने गये सपा नेता अवधेश प्रसाद के मिल्कीपुर विधान सभा सीट त्यागपत्र देेने के बाद खाली हुई इन दोनों सीटों पर हुए चुनाव को गंभीरता से ले रही हैं। योगी ने इन 10 में से अपने हिस्से की पांच सीटों पर कब्जा बरकरार रखने के साथ ही शेष पांच सीटों को भी जीतने की रणनीति बनाई है। उप चुनाव की कमान खुद मुख्यमंत्री ने अपने हाथों में लिया है। उनके द्वारा सभी 10 सीटों पर 16 मंत्रियों की टीम तैनात कर उन्हें जीत पक्की करने की जिम्मेदारी दी गई है। इन सीटों के नतीजों से ही इन मंत्रियों की हैसियत भी घटे या बढ़ेगी।

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