Tuesday, November 19, 2024
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राष्ट्रपति महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात का दौरा करेंगे

नई दिल्ली। राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद 9 से 13 अक्टूबर, 2019 तक महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात का दौरा करेंगे। राष्ट्रपति आज शाम (9 अक्टूबर, 2019) को महाराष्ट्र के लिए रवाना होंगे और कल (10 अक्टूबर, 2019) नासिक में आर्मी एवियेशन कोर को ध्वज प्रदान करेंगे। वे इसी दिन नासिक के देवलाली में स्कूल ऑफ आर्टीलेरी का भी दौरा करेंगे। राष्ट्रपति 10 अक्टूबर, 2019 को कर्नाटक पहुंचेंगे और मैसूर में महाराजा श्री जयचामराज वाडियार के जन्मशती समारोह में हिस्सा लेंगे। 11 अक्टूबर, 2019 को राष्ट्रपति मैसूर के वरुणा गांव में जेएसएस अकादमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च के परिसर की आधारशिला रखेंगे। 12 अक्टूबर, 2019 को राष्ट्रपति बेंगलुरू में स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान का दौरा करेंगे। 13 अक्टूबर, 2019 को राष्ट्रपति गुजरात के कोबा में श्री महावीर जैन आराधना केंद्र का दौरा करेंगे।

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‘’मैं तुमसे हीं बोल रही हूँ ‘’

भीड़ भरी सूनी नगरी में,
निपट अकेली डोल रही हूँ
पास नहीं तुम मेरे फिर भी,
मैं तुमसे हीं बोल रही हूँ।
रिश्तों की पहचान नजर को
और अभी तड़पाएगा,
पतझड़ का बेमानी मौसम
कैसे फूल खिलाएगा,
क्या कहें अब जिन्दगी में
क्या बचा रह जाएगा,
धज्जियों में ख्वाहिशों का
सिलसिला रह जाएगा,
पत्थर वाली चारदरी में
भीगा ह्रदय टटोल रही हूँ।
पास नहीं तुम मेरे फिर भी,
मैं तुमसे हीं बोल रही हूँ।
यहाँ बहुत परहेज है सबको,
रूदन पर ये कान न देते
बस पीड़ा हीं देते हैं सब,
एक अदद मुस्कान न देते
जो इनका बस चल पाए तो
चैन सुकून भी छीन हीं लेंगे,
सब्र की माला को मरोड़कर
एक-एक मोती बीन हीं लेंगे,
नदी हूँ जाने कब से
खारे जल में मीठा घोल रही हूँ.
पास नहीं तुम मेरे फिर भी,
मैं तुमसे हीं बोल रही हूँ।

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जिला स्तरीय कराटे प्रतियोगिता का आयोजन किया

कानपुरः लक्ष्मी तिवारी। आर.के. एक्टिविटीज अकादमी की संचालिका नैना जी ने बताया कि कानपुर के बुशु हॉल ग्रीन पार्क स्टेडियम में कराटे खेल के प्रमोशन को लेकर जिला स्तरीय कराटे प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें 150 खिलाड़ियों ने भाग लिया। कराटे एसोसिएशन ऑफ इंडिया तथा कराटे एसोसिएशन ऑफ यूपी से प्रमाणित हुए हमारी आर.के. एक्टिविटीज एकेडमी के बच्चों ने जो प्रदर्शन किया है उससे हमारी एकेडमी का नाम और रोशन हो गया। यह हम सबके लिए बहुत गौरव की बात है जिसमे गोल्ड मेडल- निखिल बाघमार, ऋषि कुमार, उत्कर्ष गौतम, अंकिता जायसवाल, अमिशी वर्मा, अमी सक्सेना, रितविक सिंह, श्रेया कनोजिया, कृष बाघमार, हृदयान गुप्ता, अर्नव जैन, अथर्व गुप्ता, जयंत श्रीवास्तव, ललित गिरी तथा सिल्वर मेडल- प्रांजल बंसल, अर्नव, दीक्षित, अनिशा अग्रवाल, मेहुल गुप्ता व ब्रॉन्ज मेडल- शगुन साहू, प्रांजल बंसल 16 गोल्ड मेडल, 5 सिल्वर मेडल, 2 ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त हुए इसी तरीके से आगे भी हमारी अकादमी के बच्चें अपनी प्रतिभा को निखारती रहेगी।

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प्रतिभा सिंटेक्स ने लीन मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस को लागू करने के लिए सीआईआईके साथ हाथ मिलाया

इंदौर। प्रतिभा सिंटेक्स ने एक्सीलेंस की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए लीन मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस के लिए सीआईआई (कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज) के साथ जुड़ने की घोषणा की है। इस सहयोग के माध्यम से सीआईआई अपनी प्रक्रियाओं में लीन मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस को लागू करने के लिए प्रतिभा सिंटेक्स का समर्थन करेगा। शनिवार को एक किक-ऑफ मीटिंग आयोजित की गई जहां सीआईआई ने भी इस परियोजना में अपनी भागीदारी की पेशकश की।
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग वेस्ट को कम करना और वृद्धि व उत्पादकता को बढ़ाना है। इस परियोजना के मॉड्यूल को एक वर्ष की समय सीमा के अनुसार तैयार किया गया है।
प्रबंधन टीम को धन्यवाद देते हुए, सीआईआई के अधिकारी, राजेंद्र इंगले ने कहा, “मुझे इस संगठन के साथ जुड़ने पर गर्व है। हमारे लिए उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। इस प्रतिस्पर्धी दौर में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए, ग्राहकों और कर्मचारियों दोनों को संतुष्ट होना आवश्यक है।

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15 अक्टूबर तक मनाया जाएगा राष्ट्रीय डाक सप्ताह

लखनऊ। 50वें विश्व डाक दिवस के अवसर पर डाक सेवाओं के बारे में जन-जागरूकता लाने और व्यापक प्रचार-प्रसार के क्रम में डाक विभाग द्वारा 9 अक्टूबर को राजधानी लखनऊ में एक विशाल रैली का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश के चीफ पोस्टमास्टर जनरल श्री कौशलेन्द्र कुमार सिन्हा ने निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव और राजीव उमराव की उपस्थिति में परिमण्डल कार्यालय से हरी झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया।
इस संबंध में जानकारी देते हुए लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, रैली के दौरान डाक विभाग की तमाम योजनाओं को पोस्टर एवं बैनर के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। रैली के दौरान डाककर्मियों द्वारा डाकघरों में दी जा रही तमाम सेवाओं- स्पीड पोस्ट, बिजनेस पार्सल, बचत बैंक, डाक जीवन बीमा, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक, सुकन्या समृद्धि योजना, फिलेटली, आधार नामांकन और अपडेशन, पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना,इत्यादि से संबंधित जानकारी देकर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया गया। डाक निदेशक श्री यादव ने बताया कि, रैली का उद्देश्य डाक सेवाओं के साथ-साथ भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही अन्य योजनाओं- स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, डिजिटल इंडिया, वित्तीय समावेशन, सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति के बारे में भी जागरूक करना था।
हजरतगंज स्थित चीफ पोस्टमास्टर जनरल कार्यालय से निकलकर हजरतगंज मेट्रो स्टेशन, अटल चैक, जीपीओ, विधान भवन, भाजपा कार्यालय, नॉवेल्टी, लालबाग होते हुए रैली चीफ पोस्टमास्टर जनरल कैम्पस में समाप्त हुई। इस अवसर पर चीफ पोस्टमास्टर आर एन यादव, प्रवर डाक अधीक्षक आलोक ओझा, सतर्कता अधिकारी शशि कुमार उत्तम, सहायक निदेशक भोला शाह, एपी अस्थाना, आरके वर्मा, विजेंद्र सहित तमाम अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

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बैठक कर जिलाधिकारी ने कृषि विभाग से सम्बन्धित दिये निर्देश

चन्दौली। जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल कलेक्ट्रेट सभागार में कृषि विभाग से सम्बधित ’’नेशनल मिशन आॅन एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन एण्ड टेक्नालाॅजी’’ (आत्मा), सब मिशन आॅन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन’’ एवं सब मिशन आॅन एग्रीकल्चरल मैकेनाॅईजेशन’’ तथा ’’राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन’’ की गवर्निंग बोर्ड की बैठक की। बैठक के दौरान कृषि विभाग से सम्बन्धित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के प्रस्तावो पर चर्चा एवं अनुमोदन किया गया। इस दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि किसानों के कल्याण से सम्बन्धित कार्यक्रमों को पूरी पारदर्शिता के साथ व समयसीमा के अन्तर्गत पूरा किया जाय। बैठक के दौरान मुख्य विकास अधिकारी डा0 एके श्रीवास्तव, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, उप निदेशक कृषि, जिला कृषि अधिकारी, सहायक निदेशक मत्स्य सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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मंत्रिमंडल ने जुलाई 2019 से 5 प्रतिशत अतिरिक्त महंगाई भत्ता / महंगाई राहत को मंजूरी दी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज मूल्य-वृद्धि की क्षति-पूर्ति के लिए, मूल वेतन / पेंशन के 12 प्रतिशत की मौजूदा दर में 5 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 1 जुलाई, 2019 से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (डीए) और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत के लिए अतिरिक्त धनराशि जारी करने हेतु अपनी मंजूरी दे दी है। यह वृद्धि स्वीकृत फार्मूले के अनुसार की गई है, जो सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित है।
वित्त वर्ष 2019-20 (जुलाई 2019 से फरवरी 2020 तक 8 महीने की अवधि के लिए) में महंगाई भत्ते और महंगाई राहत के कारण सरकारी खजाने पर क्रमशः 15909.35 करोड़ रूपये और 10606.20 करोड़ रूपये का बोझ होगा। इससे केंद्र सरकार के लगभग 49.93 लाख कर्मचारी और 65.26 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे।
महंगाई भत्ते में इस वृद्धि के कारण प्रतिवर्ष 8590.20 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष और मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 (जुलाई 2019 से फरवरी 2020 तक 8 माह के लिए) में 5726.80 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने का अनुमान है।
पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत के कारण प्रतिवर्ष 7319.15 करोड़ रूपये और मौजूदा वित्त में 4870 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने का अनुमान है।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों / पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ते / महंगाई राहत का भुगतान किया जाता है, ताकि वे वास्तविक मूल्य में ह्रास के कारण अपने रहन-सहन की लागत को पूरा कर सकें और अपने मूल वेतन / पेंशन को संरक्षित कर सकें। 1 जनवरी और 1 जुलाई से एक वर्ष में दो बार महंगाई भत्ते / महंगाई राहत को संशोधित किया जाता है।

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फैबइंडिया ने इंदौर में अपना पहला एक्सपीरियंस सेंटर किया लॉन्च

इंदौर। फैबइंडिया, भारत के सबसे बड़े लाइफस्टाइल रिटेलर ने अपने नए रिटेल फार्मेट, का पहला एक्सपीरियंस सेंटर इंदौर के विजय नगर चैराहा में लॉन्च किया है। लगभग 8415 स्क्वेअर फुट में पूरी भव्यता के साथ लॉन्च किया गया ये स्टोर फैबइंडिया की मल्टी-डायमेंशियल उत्पाद रेंज को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। सेंटर में कई श्रेणियों और सेवाओं में हर आयु वर्ग और उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई अलग अलग तरह के उत्पादों को प्रस्तुत किया है।
फैबइंडिया के एक्सपीरियंस सेन्टर ग्राहकों को उत्पादों के टच-एंड-फील एक्सपीरियंस देते हुए ट्रांजेक्शनल एक्सचेंज से हट कर अधिक एक्सपेरिएंशियल और इंटरैक्टिव अनुभव देने वाले अल्टरनेटिव खरीदारी का अवसर प्रदान करते हैं।
आकर्षक रिटेल एक्सपीरियंस प्रस्तुत करते हुए, फैबइंडिया का उद्देश्य विजिटर्स को अपनी संस्कृति का अनुभव कराना है। इसे न कि केवल उनके द्वारा खरीदे जाने वाले उत्पादों के माध्यम से, बल्कि एक चुस्त-दुरूस्त और संपूर्ण अनुभव के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा।
फैबइंडिया एक्सपीरिएंस सेन्टर में फैबकैफे और एक इंटीरियर डिजाइन स्टूडियो भी है, जिसमें इनकी सिग्नेचर ऑफरिंग के अलावा संपूर्ण परिवार के दैनिक इस्तेमाल के वाले कपड़े, एसेसरीज, घरेलू और लाइफस्टाइल प्रॉडक्ट्स, एल्टरेशन स्टूडियो, पर्सनल केयर और ऑर्गेनिक फूड्स, और एक किड्स जोन भी शामिल हैं। नए फार्मेट का उद्देश्य अनोखे अनुभव तैयार करके ग्राहकों को खुश करना है।
फैबकैफे में एक पौष्टिक और समसामयिक मैन्यू को पेश किया गया है, जिसमें क्षेत्रीय विविधता के साथ इंडिया के विविध व्यंजनों को दिखाया गया है।
फैबइंडिया के इंदौर एक्सपीरियंस सेंटर में ऑर्गेनिक इंडिया के पहले वेलनेस स्टोर के लिए एक तय स्थान भी शामिल है। ऑर्गेनिक इंडिया भारत का प्रमुख ऑर्गेनिक फूड्स और वेलनेस ब्रांड है। वेलनेस सेंटर स्वस्थ को लेकर जागरूक रहने को प्रोत्साहित करता है और ग्राहकों को स्वास्थ्य, जीवन शैली विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित सलाहकारों के साथ बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
एक्सपीरियंस सेंटर में इंटीरियर डिजाइन स्टूडियो (आई.डी.एस.) की भी पेशकश की गई है जो कि एक वन स्टॉप डिजाइन सॉल्यूशन हैं जिसमें यादगार स्थानों को बनाने में मदद करने में सहायक है। आईडीएस में कई तरह की सर्विसेज प्रदान की गई हैं जिनमें लेआउट को लेकर कंसल्टेंसी, मैपिंग स्पेसेज, प्रोडक्ट कस्टमाइजेशन और कलर स्कीम कोऑर्डिनेशन आदि शामिल हैं।

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मानव का ‘मन’ सबसे अच्छा तीर्थस्थान है!

मनुष्य का जन्म तो सहज होता है लेकिन मनुष्यता उसे कठिन परिश्रम से प्राप्त करनी पड़ती है। सब कुछ हमारे अंदर स्थित मन रूपी तीर्थस्थान में ही है। स्वर्ग-नरक कहीं बाहर या आसमान में नहीं वरन् हमारे मन में ही है। यदि मन में हमने ईश्वरीय विचारों को बसा रखा है तो हमारे अंदर ही स्वर्ग है। यदि हमने अपने मन में स्वार्थ से भरे विचार भर रखे हैं तो जीवन नरक के समान है। हम संसार के किसी भी तीरथ में चले जाये यदि हमारे मन में अशांति है तो किसी भी तीरथ में शांति नहीं मिल पायेगी। क्योंकि हम अशांति की अपनी पूंजी साथ-साथ लेकर जायंेगे। अन्त में हम इस निष्कर्ष में पहंुचते है कि मानव का मन सबसे अच्छा तीर्थस्थान है।  मानव प्राणी अपने प्रभु से पूछे किस विधि पाऊँ तोहे, प्रभु कहे तू मन को पा ले, पा जायेगा मोहे। आइये, मन के महत्व को एक सुन्दर भजन की इन पंक्तियों द्वारा समझते हैं – तोरा मन दर्पण कहलाये भले बुरे सारे कर्मों को, देखे और दिखाये। मन ही देवता, मन ही ईश्वर, मन से बड़ा न कोय। मन उजियारा जब जब फैले, जग उजियारा होय। इस उजले दर्पण पे प्राणी, धूल न जमने पाये। सुख की कलियाँ, दुख के कांटे, मन सबका आधार। मन से कोई बात छुपे ना, मन के नैन हजार। जग से चाहे भाग ले कोई, मन से भाग न पाये। तन की दौलत ढलती छाया मन का धन अनमोल। तन के कारण मन के धन को मत माटी मंे रौंद। मन की कदर भुलाने वाला हीरा जनम गवाये।  मानव शरीर भगवान् की सबसे बड़ी सौगात है। मनुष्य का जन्म भगवान का हमारे लिए सबसे बड़ा उपहार है। जीवन को छोटे उद्देश्यों के लिए जीना तो जीवन का अपमान है। अपनी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक शक्तियों को भुलाकर उसे समाज विरोधी कामांे, भोग एवं वासनाओं में लगाना बेहोशी में जीवन बर्बाद करने के समान है। जीवन अनन्त है हमारी शक्तियाँ भी अनन्त हंैं, हमारी प्रतिभाएँ भी अनन्त हैं। ऐसा मानना है कि हम अपनी मानसिक शक्तियों का मात्र 1 प्रतिशत से अधिकतम 8 प्रतिशत तक ही उपयोग कर पाते हैं। अभी तक संसार का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति 8 प्रतिशत तक ही अपनी बुद्धि का उपयोग कर पाया है। यह मानव जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी है कि मनुष्य की 92 प्रतिशत बुद्धि सुप्त अवस्था में ही है। कैरियर, नौकरी या व्यवसाय के द्वारा हम अपने अंदर के संगीत को बिना खुलकर तथा खिलकर अभिव्यक्त किये अपनी कब्र में साथ लेकर चले जाते हंै। सिकुड़कर जीना प्रभु प्रदत्त अनमोल हीरे जैसे जीवन को कोयले के मूल्य में आंकना के समान है।  मेरा शरीर मैं नहीं हूँ, शरीर मेरा मित्र है। मेरा मन मैं नहीं हूँ, मन मेरा औजार है। हवेली में जब मालिक आता है तो सारे नौकर आलस्य छोड़कर अपने काम में लग जाते हैं। अर्थात जब हमारे शरीर रूपी मंदिर से होने वाले प्रत्येक कार्य-व्यवसाय आत्मा की इच्छा तथा आज्ञा के अनुसार होते हैं तो पांचों इन्द्रियां (आंख, कान, नाक, जीभ तथा स्पर्श) तथा छठीं इंद्रिय मन रूपी नौकर अपने-अपने कार्यों को अखण्ड आज्ञाकारी सेवक की तरह करते हुए महान उद्देश्य की प्राप्ति कराते हैं। इसलिए जरूरी है कि हमें शरीर रूपी मंदिर में आत्मा के रूप में ईश्वर की स्थापना करनी चाहिए। सारे कार्य ईश्वर की इच्छा तथा आज्ञा के अनुकूल होने चाहिए।  संसार में मिट्टी, पत्थर, लोहे तथा गारे से बने जिन मंदिरों, मस्जिदों, गिरजों तथा गुरूद्वारों में हम श्रद्धा के साथ जाते हैं। ये मनुष्य ने सामूहिक रूप से किसी पवित्र स्थान में बैठकर पूजा, पाठ, इबादत, नमाज, प्रेयर, सबत आदि करने के लिए बनाये हैं। ये मंदिर, मस्जिद, गिरजा तथा गुरूद्वारा मनुष्य द्वारा निर्मित हंै तथा मानव शरीर रूपी मंदिर, मस्जिद, गिरजा तथा गुरूद्वारा ईश्वर निर्मित हैं। इस ईश्वर निर्मित मानव शरीर को सर्वोच्च महत्व देना चाहिए क्योंकि शरीर के द्वारा ही जीवन के महान उद्देश्य अपनी आत्मा का विकास किया जा सकता है।   शरीर के ऊपर इन्द्रियाँ, इन्द्रियों के ऊपर मन, मन के ऊपर बुद्धि, बुद्धि के ऊपर आत्मा का स्थान होना चाहिए। इसके क्रम के बिगड़ने से जीवन असंतुलित हो जाता है। शरीर से लेकर आत्मा तक के सही क्रम को कायम रखने के लिए हमें स्वयं के सत्य अर्थात मैं कौन हूं? इस संसार में किस महान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आया हूं?, पांच इन्द्रियों (आंख, कान, नाक, जीभ तथा स्पर्श) के सत्य तथा मनोशरीर यंत्र के सत्य का ज्ञान होना चाहिए। हमारा जीवन संसार में इन्हीं सत्यों की वास्तविकताओं के चारों तरफ घूमता है। असहज मन जब हमारे जीवन को अपनी मर्जी के अनुसार चलाने लगता है तब जीवन अनेक कठिनाइयों तथा दुखों से घिर जाता है। इसलिए हमें मन को अपना बनाने के लिए कार्य करना चाहिए। मन हमारा अकंप हो, मन हमारा प्रेम से भरा हो, मन हमारा निर्मल हो तथा मन हमारा अखण्ड आज्ञाकारी हो। आत्मा ईश्वरीय गुणों के प्रकाश से प्रकाशवान होती है। प्रकाशित आत्मा संसार से ‘और अधिक की चाह’ को समाप्त कर ‘सब कुछ अंदर है’ के विश्वास को जगाती है। हमें प्रभु की इच्छा को अपनी इच्छा बनाना चाहिए ना कि अपनी इच्छा को प्रभु की इच्छा बनाने की कोशिश करनी चाहिए। गीता हमें सीख देती है कि अब कर्म करते हुए फल की इच्छा नहीं करना चाहिए वरन् अब यज्ञ करना चाहिए। अर्थात सीधे अपने स्रोत से महाफल की चाह के साथ महाकर्म करना चाहिए।  एक व्यक्ति एक संत के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचा। उस व्यक्ति ने संत से दुःखी होकर निवेदन किया कि उसकी प्रबल इच्छा है कि वह अपने जीवन काल में एक सुन्दर तथा भव्य मंदिर बनाये। लेकिन उस भव्य मंदिर को बनाने के लिए उसके पास पैसा नहीं है। संत ने मुस्कराकर उससे कहा कि तुम्हें दुःखी होने के कोई आवश्यकता नहीं है। बस तुम एक काम करो अपने मन को ही भगवान का मंदिर बनाने का निर्माण कार्य इसी क्षण से शुरू कर दो। यदि उसके बाद भी तुम्हारे अंदर और मंदिरों का निर्माण करने की इच्छा जाग्रत हो तो अपने आसपास के लोगों के जीवन को भी इसी प्रकार अच्छा बनाने के लिए निरन्तर मनोयोगपूर्वक लगे रहना। संत के सुझाव से उस दुःखी व्यक्ति की समस्या का समाधान सहजता से हो गया।  मन रूपी मंदिर को बनाने में कोई खर्चा नहीं आता केवल हृदय को पवित्र बनाने की आवश्यकता होती है। इसके लिए मस्तिष्क से हृदय तक 13 इंची सुंरग खोदकर हृदय से मस्तिष्क तक आध्यात्मिक मार्ग बनाना चाहिए। सबसे पहले कोई विचार हृदय से उठता है, फिर वह मस्तिष्क में जाता है, जहां उस विचार की मस्तिष्क के द्वारा मालिश-पालिश होती है।

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राम ने बुराई के प्रतीक रावण का किया अंत

⇒रामलीला मैदान में रावण का पुतला हुआ दहन, हुई आतिशबाजी
फिरोजाबाद। श्री सनातन धर्म रामलीला महोत्सव समिति के तत्वावधान में मंगलवार को रामलीला मैदान में अहिरावण वध, रावण वध, सीता जी की अग्नि परीक्षा, विभीषण का राज्याभिषेक की लीला का मंचन किया गया।
मंगलवार को जैसे ही रामलीला मैदान में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण का डोला पहुंचता है। वैसे ही रामलीला का मंचन शुरू कर दिया जाता है। लक्ष्मण के द्वारा मेघनाथ के मारे जाने के बाद रावण क्रोधित हो उठता है और अहिरावण के पास जाता है। अहिरावण से राम और लक्ष्मण को हरण करने के लिए भेजता है। विभीषण का वेश धारण कर अहिरावण राम-लक्ष्मण का हरण कर पाताल लोक ले जाता है। अहिरावण राम और लक्ष्मण की बलि देने के लिए देवी को प्रसन्न करने लगता है। वहीं राम और लक्ष्मण के हरण की खबर हनुमान को पता चलती है तो वह उनकी खोज में निकल जाते है। हनुमान जी पालाल लोक पहुंचते है उनकी भेंट मकरध्वज से होती है। मकरध्वज हनुमानजी को बताता है मै आपका ही पुत्र हूॅ। वह हनुमान जी को पाताल लोक में प्रवेश करने से रोकता है। और मकरध्वज और हनुमान में युद्व होता है। हनुमान जी मकरध्वज को रस्सी बांध देते है। इसके बाद हनुमान जी अहिरावण का वध कर प्रभु राम और लक्ष्मण को वापस लाते हैं। जैसे ही रावण को अहिरावण के वध की खबर मिलती है, वह स्वयं युद्धभूमि में जाता है। राम-रावण के बीच भयंकर युद्ध होता है। रावण का सिर बार-बार कटने पर फिर लग जाता है। इससे वानरी सेना ही नहीं, राम की सेना भी चिंतित हो जाती है। विभीषण राम को रावण का रहस्य बताते है और कहते है रावण की नाभि में अमृत है जब तक रावण की नाभि से अमृत को नहीं सूखा देंगे। तब तक रावण का अंत नही होगा। विभीषण के बताने पर श्रीराम रावण की नाभि में बाण चलाते हैं। और रावण का वध हो जाता है। रावण के वध होते ही आकाश से देवता पुष्प् वर्षा करते और राम के जयकारें लगने लगते है। भगवान राम ने लक्ष्मण व अन्य से कहा कि वे विभिषण को लंका का विधिवत रूप से महाराजा बना दें। और विभीषण का भगवान श्रीराम राज्याभिषेक करते है। विभीषण माता सीता को सम्मान पूर्वक वापस करते है। और रामचंद्र के चरण स्पर्श करती है तो भगवान राम कहते है कि, वह पहले अग्नि परीक्षा दें, उसके बाद ही वह उन्हें स्वीकार करेंगे। लक्ष्मण सीता के लिए चिता तैयार करते है। सीता अग्नि परीक्षा देती हैं, तत्पश्चात रामचंद्र उन्हें पुनः स्वीकार करते है।

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