लखनऊ,जनसामना। कोविड.19 के प्रसार को रोकने के लिए सरकारी कार्यालयों को खोले जाने के सम्बन्ध में मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं, कि प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती हुई संख्या के दृष्टिगत कार्यालयों में सोशल डिस्टेन्सिंग की स्थिति का आंकलन सम्बंधित अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव तथा विभागाध्यक्षों द्वारा स्वयं कर लिया जाए। कार्यालय व अनुभाग में स्वीकृत पदों के सापेक्ष समूह ग एवं समूह घ के 50 प्रतिशत कार्मिकों की उपस्थिति अनिवार्य होगी, शेष कर्मचारियों को रोस्टर के आधार पर वर्क फ्राॅम होम की अनुमति के सम्बंध में अपने विभागीय मंत्री से अनुमोदन प्राप्त कर लिया जाये। समूह क एवं ख के सभी अधिकारी कार्यालय में उपस्थित रहेंगे। यदि किसी आकस्मिता के कारण कोई कर्मी जिसको कार्य पर आना संभव न हो, या वह अवकाश हेतु आवेदन पत्र देता है तो उक्त अवकाश को स्वीकृत करते समय प्रतिस्थानी वर्क फ्राम होम अनुमन्य किसी समकक्ष कर्मी को कार्य हेतु निर्देशित किया जायेगा जिससे स्वीकृत पदों के सापेक्ष 50 प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित हो।
Read More »आश्रम ने किया ढोंगी बाबाओं का पर्दाफाश
जातिवादी ताकतों के खिलाफ आवाज़ उठाकर न्याय की लड़ाई लड़ने और ढोंगी बाबाओं के आश्रम में चल रहे गलत कामों को उजगार कर उनका असली चेहरा दुनिया के सामने पेश करती है बॉबी देओल की आश्रम सीरीज -डॉo सत्यवान सौरभ
प्रकाश झा की नई वेब सीरीज आश्रम 28 अगस्त को रिलीज हो चुकी है, इस सीरीज के जरिए प्रकाश झा आधुनिक जमाने के बाबाओं और संत-महात्माओं की कहानी लोगों के सामने पेश करने में कामयाब हुए है . इस सीरीज के जरिए बॉबी देओल भी डिजिटल डेब्यू कर गए हैं. वेब सीरीज में असली सच को दिखया गया है कि किस तरह एक बाबा आम लोगों से लेकर राजनीति के गलियारों तक अपना रसूख रखता है.
बाबाओं को किस तरह हमारे देश में भगवान का दर्जा दिया जाता है, इस सीरीज में दिखाया गया है,ढोंगी बाबाओं के द्वारा कैसे लड़कियों और औरतों के साथ होने वाले अत्याचार से लेकर उनकी रहस्यमयी दुनिया को भी उजागर किया जाएगा.
सैफ अली खान एक बार फिर जबरदस्त खलनायक के रूप में नज़र आएंगे
सैफ अली खान ने ओम राउत के निर्देशन में तान्हा जी: द अनसंग वॉरियर में अपने वीभत्स खलनायक प्रदर्शन से ऑडियंस को चौंका दिया था. अब, वह आदिपुरुष में भारत के सबसे बड़े खलनायक के रूप में सामने आने के लिए एक दम तैयार हैं, इस महाकाव्य में तान्हा जी के बाद तीन तिकड़ी – सैफ अली खान, ओम राउत और भूषण कुमार का दूसरा सहयोग एक बार फिर देखने को मिलेगा. सैफ को इस शानदार कहानी में मुख्य विलन की भूमिका निभाने के लिए साइन किया गया है – जो इसमें खतरनाक, घातक और क्रूर नज़र आ रहे हैं.
अभिनेताओं की उम्र के इस पढ़ाव के बारे में बात करे तो, सैफ ने फिल्मों में अपने शक्तिशाली विकल्पों की बदौलत अपने लिए पूरी तरह से एक अलग जगह बना ली है. इस समय में जहां कांसेप्ट और कंटेंट पर कई फिल्में नए स्टैंडर्ड स्थापित कर रही हैं, ऐसे में नवाब नए-नए प्रयोग करने के लिए तैयार रहते हैं. साथ ही, एक कलाकार के रूप में उनका अभिनय और स्क्रीन पर उनकी उपस्थिति ने उन्हें सभी प्रकार की भूमिकाओं के लिए एक आदर्श बना दिया है.
भाजपा सरकार द्वारा बिजली मूल्यवृद्धि के प्रयास के विरुद्ध समाजवादियों का सत्याग्रह
कानपुर नगर, जन सामना ब्यूरो। गुपचुप ढंग से बिजली दर स्लैब में बदलाव करके बिजली की कीमतें बढ़ाने का सरकार पर आरोप लगाते हुए आज समाजवादियों ने शास्त्री नगर में हाथों में बिजली के तार, बल्ब व बिजली बिल की प्रतियां, पोस्टर आदि लेकर सत्याग्रह करते हुए बिजली की कीमतें कम करने की मांग की। सपा व्यापार सभा व उत्तर प्रदेश प्रान्तीय व्यापार मण्डल के सदस्यों ने सपा व्यापार सभा के निवर्तमान प्रदेश उपाध्यक्ष व उत्तर प्रदेश प्रान्तीय व्यापार मण्डल के प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु गुप्ता व कानपुर नगर अध्यक्ष जितेंद्र जायसवाल के नेतृत्व में सत्याग्रह करते हुए कहा की यदि बिजली दरों के स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव मंजूर हुआ तो अकेले कानपुर के 4 लाख कनेक्शन धारियों की बिजली महंगी होगी जिसको की बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
Read More »हंसता बचपन : हाथों में किताबो की जगह बेरोजगारी का कटोरा
रसूलाबाद/कानपुर देहात, संतोष गुप्ता। कोरोना महामारी के चलते गरीबो के सामने रोजी रोटी की विकराल समस्याएं खड़ी हो गयी है अब आलम यह देखा जा रहा कि छोटे-छोटे बच्चों को भी बाहर सड़को पर निकल कर भीख मांगने को मजबूर होते देखा जा है।
पेट की भूख और परिवार की आहें जो न कराएं कम है। बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से हर कोई परेशान है। इस चित्र में देखा जा रहा प्यारा सा बालक हाथ में सर्प की पिटारी लिए अपने पेट की भूख को शांत करने के लिए घर-घर घूम-घूम कर सर्प को दिखा कर लोगो से पैसे मांग रहा है जिसमे भी कुछ लोग देते कुछ ताने मारकर उसकी गरीबी का मख़ौल उड़ाते हैं।
7 दिनों से फुंका पड़ा ट्रांसफार्मर विभाग ने नहीं ली सुध
रसूलाबाद/कानपुर देहात, ओम सिंह। 7 दिनों से फुंके पड़े ट्रांसफार्मर की किसी ने सुध नहीं ली। इसके चलते ग्रामीणों में त्राहि-त्राहि मची हुई है।
विगत 7 दिन से खराब पड़े ट्रांसफार्मर को अभी तक दुरुस्त नहीं किया गया। जिससे के चलते ब्राह्मण गांव के ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। रसूलाबाद क्षेत्र के अजनपुर इंदौती का मजरा ब्राह्मण गांव में 10 केवीए का ट्रांसफार्मर बीते 7 दिन से फुंका पड़ा है। कई बार उसकी शिकायत की गई लेकिन अभी तक ट्रांसफार्मर नहीं बदला गया। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ निर्देश दिए हैं कि फुके ट्रांसफार्मर की जगह नया ट्रांसफार्मर 24 घंटे में लगाया जाए लेकिन गांव में अभी तक ट्रांसफार्मर नहीं बदला गया। इसके चलते यहां के रहने वाले ग्राम पंचायत समिति प्रिया शुक्ला, अशोक तिवारी, आशुतोष चतुर्वेदी, कमल चौबे सहित सैकड़ों ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। जूनियर इंजीनियर सुभाष चंद्र ने बताया कि ट्रांसफार्मर की सूचना मिली है बदलवाकर जल्द विद्युत आपूर्ति सुचारु रुप से शुरू होगी।
घायल उपनिरीक्षक को अस्पताल पहुंचाने वाले नव युवकों को एसपी ने सम्मानित किया
रसूलाबाद/कानपुर देहात, ओम सिंह। दुर्घटना में घायल उपनिरीक्षक को उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाने वाले नव युवकों को पुलिस अधीक्षक ने सम्मानित किया साथ ही उनके हौसलों की भी सराहना की।
जनपद के पुलिस अधीक्षक अनुराग वत्स द्वारा पुलिस कार्यालय पर मिनी पुत्र रौनक हुसैन निवासी तुलसी नगर थाना रसूलाबाद द्वारा गत 30 अगस्त को थाना रसूलाबाद पर नियुक्त उ0नि0 प्रशिक्षु अनूप पाण्डेय कार्य सरकार से क्षेत्र में रवाना थे। विषधर बिल्हौर रोड पर उनकी मोटर साइकिल में एक अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर मार देने के कारण घायल अवस्था में पडे थे। तब मो फैजान उर्फ मिनी व उनके मित्र शीलू चौबे पुत्र कौशल किशोर निवासी तुलसी नगर थाना रसूलाबाद के साथ वहां से गुजर रहे थे और उक्त उ0नि0 को घायल अवस्था में देखकर अविलम्ब अपने निजी वाहन से सम्बंधित थाने को सूचित करते हुये सीएचसी रसूलाबाद पहुंचाया गया।
मौत में अपना अस्तित्व तलाशता मीडिया
आजकल जब टीवी ऑन करते ही देश का लगभग हर चैनल “सुशांत केस में नया खुलासा” या फिर “सबसे बडी कवरेज” नाम के कार्यक्रम दिन भर चलाता है तो किसी शायर के ये शब्द याद आ जाते हैं, “लहू को ही खाकर जिए जा रहे हैं, है खून या कि पानी, पिए जा रहे हैं।”
ऐसा लगता है कि एक फिल्मी कलाकार मरते मरते इन चैनलों को जैसे जीवन दान दे गया। क्योंकि कोई इस कवरेज से देश का नंबर एक चैनल बन जाता है तो कोई नम्बर एक बनने की दौड़ में थोड़ा और आगे बढ़ जाता है। लेकिन क्या खुद को चौथा स्तंभ कहने वाले मीडिया की जिम्मेदारी टीआरपी पर आकर खत्म हो जाती है? देश दुनिया में और भी बहुत कुछ हो रहा है क्या उसे देश के सामने लाना उनकी जिम्मेदारी नहीं है? खास तौर पर तब जब वर्तमान समय पूरी दुनिया के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। एक ओर लगभग आठ महीनों से कोरोना नामक महामारी ने सम्पूर्ण विश्व में अपने पैर पसार रखे हैं तो दूसरी ओर वैज्ञानिकों के तमाम प्रयासों के बावजूद अभी तक इसके इलाज की खोज अभी जारी है।
सुन्दर काण्ड का आयोजन किया
कानपुर। हमीरपुर कानपुर रोड हाईवे में स्थित ग्राम हरबसपुर में सुंदरकांड एवं भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारे में श्रद्धालुओं ने सैकड़ों की तादात में प्रसाद को गृहण किया। कोविड-19 महामारी के करण इस बार हिंदू सनातन धर्म के लोगों ने इस पर्व पर कोरोना से बचाव और कानून का पालन करते हुए घरों में ही पूजा पाठ कर इस भयावह बीमारी से निजात दिलाने के लिए भगवान श्री हनुमान जी महाराज से प्रार्थना की। कार्यक्रम में, गोपाल मिश्रा, राकेश कुमार मिश्रा, शैलेंद्र कुमार मिश्रा, अतुल, राजू तिवारी, बबलू दीक्षित, पंकज शुक्ला आदि लोग शामिल थे।
Read More »जानिए कौन कहलाते हैं पितृ, महाभारत में छुपा है श्राद्ध का पौराणिक रहस्य
इस साल पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से से शुरू हो गया है और आश्विन के कृष्ण अमावस्या तक रहेगा। 17 सितंबर 2020 को पितृ विसर्जन यानी सर्वपितृ अमावस्या होगा। हिन्दू रीति- रिवाजों में पितृपक्ष का बड़ा महत्त्व है। इन दिनों लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध करते हैं। श्राद्ध करने से पितृ तृप्त होते हैं। जब पितर तृप्त होते हैं, तो वे अपने जनों को आशीर्वाद देते हैं।
कौन कहलाते हैं पितृ?
जिस किसी के परिजन चाहे वो विवाहित हों या अविवाहित, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है, उन्हें पितृ कहा जाता है। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। पितरों के प्रसन्न होने पर घर में सुख- शांति आती है।
जब याद ना हो श्राद्ध की तिथि
पितृपक्ष में पूर्वजों का स्मरण और उनकी पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। जिस तिथि पर हमारे परिजनों की मृत्यु होती है, उसे श्राद्ध की तिथि कहते हैं। बहुत से लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि याद नहीं रहती, ऐसी स्थिति में शास्त्रों के अनुसार, आश्विन अमावस्या को तर्पण किया जा सकता है। इसलिए इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है।