Tuesday, November 19, 2024
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नहीं रहें वरिष्ठ साहित्यकार शान्ति स्वरूप बौद्ध

देश के बड़े शीर्ष प्रकाशन सम्यक प्रकाशन के संस्थापक थे शान्ति स्वरूप बौद्ध
देश के नेताओं, शासन प्रशासन के लोगों न जताया शोक दी श्रद्धान्जलि
पंकज कुमार सिंह-
नई दिल्ली/कानपुर। देश विदेश के नामचीन साहित्यकार, चित्रकार, प्रकाशक और वक्ताओं में शुमार बौद्धाचार्य शान्ति स्वरूप बौद्ध ने शनिवार को सुबह तकरीबन सात बजे दिल्ली के एक अस्पताल में अन्तिम सांस ली। बेटे कपिल स्वरूप बौद्ध ने जन सामना को बताया कि उन्हें कुछ दिन पहले निमोनियां और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी। कोविड-19 के एहतियातन उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह अपने पीछे परिवार में एक बेटी और चार बेटों, बहुओं व पत्नी सहित भरापूरा परिवार छोङ गए हैं। 2 अक्टूबर 1949 को जन्में वह तकरीबन सत्तर वर्ष की उम्र के थे।
शान्ति स्वरूप बौद्ध के निधन की खबर सुनकर लोग अवाक रह गए। देश विदेश से लोगों ने उन्हें श्रद्धान्जलि दी। तमाम राजनेताओं शासन प्रशासन के लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है उनका अन्तिम संस्कार शनिवार को सांय पांच बजे दिल्ली के निगम घाट पर किया गया।

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कोरोना पॉजीटिव रिपोर्ट आने से मचा हड़कंप, गांव किया गया सील

शिवली/कानपुर देहात, जितेन्द्र कुमार। मैथा तहसील क्षेत्र की ग्राम सभा मदारपुर स्थित अपने घर पहुंचे व्यक्ति की देर रात कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर जिम्मेदार लोगों के हाथ पैर फूल गए। कोरोना पॉजिटिव मिलने की खबर मिलते ही शनिवार सुबह से ही एसडीएम मैथा समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने गांव में डेरा जमा लिया। मदारपुर गांव ने कोरोना पॉजिटिव पहुंचने पर पूरे गांव को हॉटस्पॉट घोषित कर सील कर दिया गया है। वही पूरे गांव को सेनीटाइज करवाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति को उपचार के लिए गजनेर सीएचसी अस्पताल भेज दिया गया है जबकि उसके परिजनों को भी क्वॉरेंटाइन करने के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजा गया है। मदारपुर गांव में कोरोना पॉजिटिव के मिलने से ग्रामीणों के बीच जबरदस्त भय व्याप्त हो गया है। ग्रामीण अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।

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जिलाधिकारी ने निराश्रित बेसहारा गोवंश संरक्षण के सम्बंध में समीक्षा बैठक की

कानपुर नगर, जन सामना ब्यूरो। जिलाधिकारी डॉ0 राम तिवारी ने कलेक्ट्रेट सभागार में एस0पी0सी0ए0 तथा निराश्रित बेसहारा गोवंश संरक्षण के सम्बंध में समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि समस्त अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों को स्वावलंबी बनाया जाए और उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत की जाए, जिसके लिए गौशाला सोसाइटी कानपुर की तर्ज पर सभी का डेवलपमेंट किया जाए ताकि गोवंश संरक्षण स्थल भी स्वावलंबी बन सके। बैठक में उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि समस्त न्याय पंचायतों में गोवंश संरक्षण स्थल बनाए जाने हैं, जिसके लिए समस्त उप जिला अधिकारी भूमि का चिन्हाकन कराते हुए उनमें अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल बनाए और उन्हें चारों तरफ गहरी खाई खोदे तथा उसके चारों तरफ वृहद वृक्षारोपण कराते हुए इनमें पाकड़, पीपल, बरगद आदि के वृक्ष भी लगाए ताकि वहां छांव बनी रहे।

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कुम्हारी कला के अंतर्गत कारीगर एवं शिल्पियों को निःशुल्क टूल किट्स दिया जायेगा

इच्छुक उद्यमी अपना आवेदन पत्र 18 जून तक करें जमा- जिला ग्रामोद्योग अधिकारी
प्रयागराज, जन सामना ब्यूरो। राम औतार यादव, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी प्रयागराज द्वारा अवगत कराया गया है कि उ0प्र0 माटी कला बोर्ड, लखनऊ द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में जनपद प्रयागराज को कुम्हारी कला के अन्र्तगत मिटटी कला से सम्बन्धित कार्य करने वाले प्रजापति समाज के कारीगर एवं शिल्पियों को निःशुल्क टूल किटस वितरण एवं प्रशिक्षण दिलाये जाने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। इच्छुक उद्यमी अपना आवेदन पत्र संलग्नको (आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, ग्राम प्रधान द्वारा मिटटी का कार्य करने से सम्बन्धित प्रमाण पत्र, शैक्षिक योग्यता) के साथ आवेदन पत्र भरकर कार्यालय जिला ग्रामोद्योग अधिकारी, 59 नया कटरा प्रयागराज में किसी भी कार्य दिवस में दिनाॅक-18 जून, 2020 तक जमा कर सकते हैं।

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राजकीय यूनानी मेडिकल कालेज ने आयुष जोशांदा का किया निःशुल्क वितरण

प्रयागराज, जन सामना ब्यूरो। राजकीय यूनानी मेडिकल कालेज एवं चिकित्सालय के प्रोफेसर डा0 मो0 आसिफ हुसैन उस्मानी ने अवगत कराया कि प्रधानाचार्य प्रोफेसर अनवार अहमद ने आयुष मन्त्रालय एवं निदेशक यूनानी डा0 मो0 सिकन्दर हयात् सिद्दीकी और उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार यूनानी औषधियां का नुस्खा को 27 मई से जनमानस में निःशुल्क वितरण हेतु संस्था में कार्यरत् एक समिति का गठन करते हुये प्रोफेसर नजीब हन्जला अम्मार को यह जिम्मेदारी सौपी है। प्रधानाचार्य के अनुसार 27 मई से 6 जून तक प्रयागराज की जनता को 6193 उक्त यूनानी औषधियों के पैकेट जिसमें उन्नाब, बेही दाना, सपिस्ताॅ है निःशुल्क उपलब्ध कराये जा चुका है और यह क्रम निरन्तर जारी रहेगा।

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मत्स्य पालक तालाब पट्टा हेतु करें संपर्क

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। नया वित्तीय वर्ष 2020 – 21 अप्रैल से प्रारंभ हो चुका है जनपद में केसीसी का लक्ष्य 64 निर्धारित किया जा चुका है जिसकी पूर्ति हेतु मस्त पालक को तालाब पट्टा की आवश्यकता होगी।
उपरोक्त जानकारी देते हुए मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य पालक विकास अभिकरण अधिकारी डॉ रणजीत सिंह ने बताया कि तालाबों की खतौनी सहित समाचार प्रकाशन के 1 सप्ताह के अंतर्गत विकास भवन स्थित मत्स्य विभाग के कार्यालय कक्ष संख्या 303 व 306 में संपर्क करें ताकि पट्टा कराने हेतु प्राप्त आवेदन पत्रों को जनपद की संबंधित तहसीलों को भेजी जा सके।

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खाद्य सुरक्षा अब और भी ज्यादा जरूरी -प्रियंका सौरभ

रोटी, कपड़ा और मकान को मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएं कहा जाता है। इन मूलभूत आवश्यकताओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इंसान बहुत मेहनत करता है। भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां आम जनता को सुरक्षित भोजन के महत्व के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने अपनी दो एजेंसियों, खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के प्रयासों का नेतृत्व करने के लिए सौंपा है। दूसरा विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस (डब्ल्यूएफएसडी) 7 जून 2020 को मनाया जाएगा, ताकि खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि, कृषि, बाजार पहुंच, पर्यटन में योगदान को रोकने, पता लगाने और प्रबंधन करने में मदद करने के लिए ध्यान आकर्षित किया जा सके।

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क्या वर्तमान हालातों से जीत पाएंगे ट्रम्प ? डॉo सत्यवान सौरभ

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन संयुक्त राज्य अमेरिका सहित विश्व भर के कई अन्य देशों में भी देखने को मिले हैं। दुनिया में लोकतांत्रिक मूल्यों का डंका पीटने वाला संयुक्त राज्य अमेरिका अपने ही आंगन में गोरे पुलिसकर्मी के घुटने तले दम घुटने से अफ्रीकी अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद समता, सामाजिक न्याय एवं मानवाधिकारों की रक्षा में नाकामी के कारण कठघरे में है।
क्षेत्रफल के हिसाब से महादेश कहलाने वाले तमाम जनसंस्कृतियों से युक्त इस देश के आधे से ज्यादा राज्य आजकल नस्लीय नफरत के विरोध की आग में जल रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन को अलग-थलग करने के लिये अमेरिकी सरकार ने भीड़ के ऊपर आँसू गैस के गोले, रबड़ की गोलियों का इस्तेमाल किया और अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रदर्शनकारियों को ‘ठग’ कहा एवं उन्हें गोली मारने और उनके खिलाफ सेना के इस्तेमाल करने की धमकी दी।

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लोक कला के संवाहकों के जीवन की अनिश्चतता

लोक कला ही जिनके जीवन का आधार एवं रोजगार है, कोविड-19 के चलते उनका जीवन आज अनिश्चतताओं से भर गया है| आधुनिक परिवेश में सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने का यदि कोई कार्य कर रहा है तो वह लोक कलाकार ही हैं| भौतिक प्रगति की अन्धी दौड़ में भागते समाज के वर्तमान स्वरुप को ध्यान में रखते हुए यदि लोक कलाओं को समाज से हटाकर विचार किया जाये तो हम देखेंगे कि समाज में ऐसा कुछ भी नहीं बचता है, जिसे हम अपना कह सकें| कहते हैं कि शिक्षा संस्कार देती है, पर क्या आधुनिक शिक्षा, जिसमें सांस्कृतिक मूल्यों का कहीं कोई स्थान ही नहीं है? वर्तमान शिक्षा व्यक्ति को यन्त्र तो बना सकती है| परन्तु मनुष्य कभी नहीं बना सकती है| ऐसे में मनुष्य को मनुष्यता का पाठ पढ़ाने वाली शिक्षा, जिसमें त्याग, बलिदान और अनुशासन के आदर्श निहित हैं, यदि कहीं संरक्षित है तो वह मात्र लोक कलाओं में ही है| इस तरह से वर्तमान परिवेश में लोक कलाएं ही भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता की सच्ची संवाहक हैं और लोक कलाकार उन लोक कलाओं के| समाज का सामान्य परन्तु एक बड़ा वर्ग इन कलाओं का सम्मान करते हुए, लोक कलाकारों को प्रस्तुति के अवसर देकर सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण करने का प्रयास करता है| क्योंकि समाज का सामान्य वर्ग जहाँ एक ओर न चाहते हुए भी भौतिक प्रगति की दौड़ में भाग रहा है वहीँ स्वयं को नैतिक मूल्यों से जोड़े भी रखना चाहता है|

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अनलॉक फेस -1 कितना सुरक्षित..?

लॉकडाउन खुलने के बाद जो आवागमन कम था अब रफ्तार पकड़ने लगा है। कोरोना वायरस आपदा के चलते व्यापार, मजदूर वर्ग और जनजीवन बहुत प्रभावित हो रहा था इन सबके बीच इस वायरस से लड़ते हुए लाकडाउन का खुलना ठप्प पड़े व्यापारी वर्ग और आम जनजीवन को राहत दे सकता है। व्यापार या आर्थिक मंदी को फिर से रफ्तार में लाने के लिए लाकडाउन का  खुलना जरूरी था क्योंकि पापी पेट के लिए कब तक बंद रह कर जिया जा सकता है। हालांकि पूरे विश्व के मुकाबले हमारे देश में इस वायरस से संक्रमित आंकड़े कम है और महामारी को देखते हुए लॉकडाउन का फैसला लिया गया लेकिन लंबे समय तक ये फैसला नहीं लागू किया जा सकता।

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