राजीव रंजन नागः नई दिल्ली। मशहूर बिजनेसमैन और इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्य सभा के लिए मनोनीत किया है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुधा मूर्ति को बधाई देते हुए कहा कि ये नारी शक्ति का एक शक्तिशाली प्रमाण है। सुधा मूर्ति की बेटी अक्षरा मूर्ति ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी हैं।
समाजसेवी और लेखिका सुधा मूर्ति को शुक्रवार को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विविध क्षेत्रों में उनके योगदान की सराहना की। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उच्च सदन में उनकी मनोनयन ‘नारी शक्ति’ का एक सशक्त प्रमाण है, जो राष्ट्र की नियति को आकार देने में महिलाओं की ताकत और क्षमता का उदाहरण भी है।
उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी है कि भारत की राष्ट्रपति ने सुधा मूर्ति जी को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। सामाजिक कार्य, परोपकार और शिक्षा सहित विविध क्षेत्रों में सुधा जी का योगदान असीम और प्रेरणादायक रहा है।’
पिछले साल सुधा मूर्ति ने पहली बार संसद भवन का दौरा किया था। सुधा मूर्ति पुराने और नये संसद भवन को देखने के बाद मीडिया से बातचीत की थी। एएनआई से बातचीत के दौरान उन्होंने संसद की खूबसूरती की जमकर सराहना की थी। उन्होंने कहा था, ‘यह बहुत सुंदर है… वर्णन करने के लिए शब्द नहीं हैं। मैं इसे लंबे समय से देखना चाहती थी । आज मेरा एक सपना सच होने जैसा था। यह सुंदर है… यह कला है। संस्कृति, भारतीय इतिहास – सब कुछ सुंदर है…।
महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर शिवालयों में किया जलाभिषेक
पवन कुमार गुप्ताः ऊंचाहार, रायबरेली। शुक्रवार को महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर महर्षि गोकर्ण ऋषि की तपोस्थली गोकना घाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाई और शिवालयों में जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की और जन कल्याण की कामना की। मां गंगा गोकर्ण जनकल्याण सेवा समिति के सचिव व पुरोहित पं. जितेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि भोर से ही गंगा तट पर हर हर गंगे, हर हर महादेव के जयकारों व घन्टा घड़ियाल की ध्वनि से घाट गुंजायमान रहे।
हजारों लोगों ने गंगा स्नान कर मंदिरों में जलाभिषेक किया।
क्यों महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आज भी संघर्ष कर रही हैं?
जिस दिन किसी भी क्षेत्र में आवेदक अथवा कर्मचारी को उसकी योग्यता के दम पर आंका जाएगा ना कि उसके महिला या पुरुष होने के आधार पर, तभी सही मायनों में हम महिला दिवस जैसे आयोजनों के प्रयोजन को सिद्ध कर पाएंगे।
ईश्वर की बनाई इस सृष्टि में मानव के रूप में जन्म लेना एक दुर्लभ सौभाग्य की बात होती है। और जब वो जन्म एक स्त्री के रूप में मिलता है तो वो परमसौभाग्य का विषय होता है। क्योंकि स्त्री ईश्वर की सबसे खूबसूरत वो कलाकृति है जिसे उसने सृजन करने की पात्रता दी है।
सनातन संस्कृति के अनुसार संसार के हर जीव की भांति स्त्री और पुरुष दोनों में ही ईश्वर का अंश होता है लेकिन स्त्री को उसने कुछ विशेष गुणों से नवाजा है। यह गुण उसमें नैसर्गिक रूप से पाए जाते हैं जैसे सहनशीलता, कोमलता, प्रेम,त्याग, बलिदान ममता। यह स्त्री में पाए जाने वाले गुणों की ही महिमा होती है कि अगर किसी पुरुष में स्त्री के गुण प्रवेश करते हैं तो वो देवत्व को प्राप्त होता है लेकिन अगर किसी स्त्री में पुरुषों के गुण प्रवेश करते हैं तो वो दुर्गा का अवतार चंडी का रूप धर लेती है जो विध्वंसकारी होता है। किंतु वही स्त्री अपने स्त्रियोचित नैसर्गिक गुणों के साथ एक गृहलक्ष्मी के रूप में आनपूर्णा और एक माँ के रूप में ईश्वर स्वरूपा बन जाती है।
देखा जाए तो इस सृष्टि के क्रम को आगे बढाने की प्रक्रिया में जो जिम्मेदारियां ईश्वर ने एक स्त्री को सौंपी हैं उनके लिए एक नारी में इन गुणों का होना आवश्यक भी है। लेकिन इसके साथ ही हमारी सनातन संस्कृति में शिव का अर्धनारीश्वर रूप हमें यह भी बताता है कि स्त्री और पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं प्रतिद्वंद्वी नहीं और स्त्री के ये गुण उसकी शक्ति हैं कमजोरी नहीं।
भारतीय नारी के उत्पीड़न का समाधान
हर साल वूमेन डे पर स्त्री विमर्श लिखते हुए सोचती हूॅं अगले साल स्त्री स्वतंत्रता पर लिखूॅंगी। लेकिन विमर्श का समाधान होता ही नहीं और अगले साल भी वही प्रताड़ना का मंज़र पन्नों पर उकेरना पड़ता है। जानें कब करवट लेगी ज़िंदगी कमज़ोर शब्द से उलझते थकी महिलाओं की, सदियों से चले आ रहे स्त्री विमर्श पर अब तो पटापेक्ष हो।
‘उत्पीड़न की आदी मत बन पहचान अपनी शख़्सियत को, ए नारी तू संपूर्ण अधिकारी है खुलवा सारी वसीयत को’
भले ही आज हम खुद को खुले विचारों वाले आधुनिक समाज का हिस्सा समझे पर साहित्य के पन्नों को ‘स्त्री विमर्श’ विषय शायद बहुत पसंद है, तभी तो सदियों से चली आ रही पितृसत्तात्मक मानसिकता के चलते आज भी कहीं न कहीं महिलाएँ उत्पीड़न का शिकार होती रहती है। क्यूँ कोई इस विषय वस्तु के समापन और समाधान की दिशा में कदम नहीं बढ़ाता।
आने वाली आधुनिक पीढ़ी की लड़कियाँ याद रखो। महिलाओं के त्याग, हुनर, सहनशीलता और समझदारी को याद रखना परिवार, समाज और इतिहास ने कभी न जरूरी समझा है, न कभी समझेगा। ‘निगरानी, दमन, बंदिशें या असमानता की चक्की में पीसते सदियों से स्त्री कमज़ोर ही कहलाई है।’
लड़कियाँ अपना कर्तव्य निभाते परिवार के लिए ज़िंदगी खर्च करते लड़की से औरत बन जाती है।
विकास की बदलती तस्वीर में महिलाओं की भागीदारी
भारत एक सम्पन्न परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों से समृद्ध देश है, जहां महिलाओं का समाज में प्रमुख स्थान रहा है। ग्रामीण परिदृश्य में महिलाओं की बड़ी आबादी है। आजादी के बाद महिलाओं का समाज में सम्मान बढ़ा, लेकिन उनके सशक्तिकरण की गति दशकों तक धीमी रही। गरीबी व निरक्षरता महिलाओं की प्रगति में गंभीर बाधा रही हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल के माध्यम से महिलाओं को व्यवसाय की ओर प्रोत्साहित कर इन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ किया जा सकता है। विशेषकर कृषि प्रसंस्करण उद्योगों, बैंकिंग सेवाओं और डिजिटलीकरण की सहायता से महिलाओं के सामाजिक और वित्तीय सशक्तिकरण की शुरुआत की जा सकती है।
भारतीय महिलाएं ऊर्जा से लबरेज, दूरदर्शिता, जीवन्त उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है। रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों में “हमारे लिए महिलाएं न केवल घर की रोशनी हैं, बल्कि इस रौशनी की लौ भी हैं”। अनादि काल से ही महिलाएं मानवता की प्रेरणा का स्रोत रही हैं। मदर टेरेसा से लेकर भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले तक, महिलाओं ने बड़े पैमाने पर समाज में बदलाव के बडे़ उदाहरण स्थापित किए है।
एक समय था जब महिलाएँ चार दिवारी तक सिमित थी, घर परिवारों के दायित्वों के इर्दगिर्द सारा जीवन निर्वाह हो जाता था। समय एवं परिस्थिति के अनुसार आज यह परिवेश में काफी बदलाव आया है। आजादी के बाद महिलाओं की शिक्षा के साथ-साथ रोजगार, राजनीति, आदि में सहभागिता ने देश विकास को एक धुरी प्रदान की है।
महिलाओं में जन्मजात नेतृत्व गुण समाज के लिए संपत्ति हैं। “जब एक आदमी को शिक्षित होता हैं, तो वह एक आदमी शिक्षित होता है हैं परन्तु जब एक महिला को शिक्षित होती है तो मान लीजिये एक पीढ़ी शिक्षित होती हैं”। भारतीय इतिहास महिलाओं की उपलब्धि से भरा पड़ा है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिलाओं को किया सम्मानित
फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। फिरोजाबाद सेवा समिति द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति महिला सम्मान समारोह का आयोजन नगर के पालीवाल आयोजन हॉल में किया गया। इस अवसर समिति द्वारा महिला शक्ति को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ इंदु अग्रवाल पूजा सोप ने फीता काटकर किया। वहीं दीप प्रज्जवलन जेएस विश्वविद्यालय की डॉक्टर गीता यादव, मेजर रामवीर सिंह कॉलेज से सुनीता यादव ने किया। इस अवसर पर डॉक्टर पूनम अग्रवाल एवं डॉक्टर गीता यादव ने कहा कि आज महिलाएं किसी से पीछे नहीं है, हर क्षेत्र में महिलाएं देश व प्रदेश का नाम रोशन कर रही है। डॉक्टर रेनू गुप्ता ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर समिति द्वारा जो महिलाओं का सम्मान किया जा रहा है, वह सराहनीर्य है।
समस्याओं के निराकरण हेतु अधिवक्ता संघर्ष समिति का होगा गठन
फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। सदर तहसील में व्याप्त अनियमित तथा भ्रष्टाचार व अन्य अनेकों अनेक समस्याओं को लेकर अधिवक्ताओं की एक बैठक वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्म स्वरुप शर्मा एडवोकेट की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सदर तहसील स्थित कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनियमितताओं तथा अन्य अनेकों समस्याओं को लेकर शीघ्र ही इन समस्याओं के समाधान के निराकरण हेतु अधिवक्ता संघर्ष समिति का गठन किया जाएगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता उमाकांत पचौरी एडवोकेट ने बताया कि सदर तहसील में स्थित कार्यालयों में भ्रष्टाचार, अधिकारियों तथा कर्मचारियों की मनमानी के चलते अधिवक्ताओं व वादकारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, यही नहीं तहसील परिसर में साइकिल स्टैंड तथा शौचालयों की भी कोई उचित स्थाई व्यवस्था नहीं है। ऐसी ही अन्य अनेकों अनेक समस्याओं के उचित निराकरण व समाधान के लिए सदर तहसील में एक अधिवक्ता संघर्ष समिति का गठन किया जाना प्रस्तावित है।
महिला शक्ति ने मोतियाबिंद के मरीजों का कराया निःशुल्क ऑपरेशन
फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। जायंट्रस ग्रुप ऑफ फिरोजाबाद महिला शक्ति द्वारा नेत्र शिविर में चयनित मोतियाबिंद के मरीजों का प्रथम चरण में जिला अस्पताल में निःशुल्क ऑपरेशन कराया गया। गुरूवार को डॉ प्रेरणा ने जिला अस्पताल में मोतियाबिंद के मरीजों के सफल ऑपरेशन किये।
महिला शक्ति की अध्यक्ष मधु गर्ग ने बताया कि जिला अस्पताल में आज मोतिया बिंद के सभी ऑपरेशन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुए है। हमारा प्रयास सेवा ही संकल्प के साथ लोगो की आंखो की रोशनी लौटने में सार्थक हुआ। मोनिका रानीवाला एवं रीना गर्ग ने बताया ऑपरेशन के बाद सभी मरीज आंखो की रोशनी पाकर खुश नजर आए।
अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ प्रधान संगठन 11 मार्च को भरेगा हुंकार
फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। प्रधानों के सम्मान व उनके हक की लड़ाई के लिए प्रधान संगठन 11 मार्च को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगा। साथ ही अधिकारियों की मनमानी, शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाएंगा।
गुरूवार को प्रधान संगठन के जिला कार्यालय पर आयोजित बैठक में जिलाध्यक्ष रामनिवास यादव ने प्रधानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानों के सम्मान एवं पंचायत की समस्याओं की अनदेखी करके अधिकारी प्रधानों को बंधुआ मजदूर समझकर उनसे दवाव में काम कराना चाहते हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सम्मान के साथ कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा, चाहे इसके लिए कितना ही संघर्ष करना पड़े। मंडल अध्यक्ष राहुल यादव एड. ने कहा कि अधिकारी प्रधानों पर तानाशाही दिखाकर सचिवों की लापरवाही और गलतियों की सजा प्रधानों को देकर उनके अधिकार तक सीज कर रहे हैं, जो लोकतंत्र को कलंकित करने वाला है। प्रधान अपने कर्तव्य और दायित्व को ठीक से समझते हैं और उनका भलीभांति निर्वहन भी कर रहे हैं, उसके बाद भी उनका शोषण और उत्पीड़न किया जा रहा है।
आरटीओ कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनियमिताओं की जांच कराने की मांग
फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। गुरूवार को उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल का एक प्रतिनिधि मंडल महानगर अध्यक्ष अम्बेश शर्मा के नेतृत्व में नगला भाऊ स्थित सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंचा। जहॉ प्रतिनिधि मंडल ने एआरटीओ कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनियमिताएं एवं व्यापारियों के उत्पीड़न के विरोध में आठ सूत्री मांग पत्र सिटी मजिस्ट्रेट राजेंद्र सिंह को सौंपा है। जिसमें एआरटीओ कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनियमिताएं को गोपनीय जांच कराने की मांग की है।
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