Saturday, November 30, 2024
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स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर साफ सफाई पर दिया जाये विशेष ध्यानः डीएम

कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए मिष्ठान आदि के वितरण के जगह पैकेट तथा शुद्धता पर दिया जाये विशेष ध्यानः डीएम
कानपुर देहात। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में स्वतंत्रता दिवस के तैयारी के संबंध में बैठक लेेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए स्वतंत्रता दिवस को गौरवशाली, ऐतिहासिक परंपरागत तरीके से मनाया जाये। सभी विभागीय अधिकारी ध्वजारोण के बाद अपने अपने क्षेत्रध्कार्यालयों में 5 से 10 पौधों को लगाकर वृक्षारोपण करेंगे तथा उनके सुरक्षा का भी प्रबन्ध किया जाये। 14 व 15 अगस्त को सभी अधिकारी अपने-अपने कार्यालयों में प्रकाश की व्यवस्था दुरस्त रखेंगे। सभी विद्यालयों में ध्वजारोहण अच्छी जगह पर किया जाये विद्युत के तार न हो तथा झण्डा उल्टा नही होना चाहिए तथा साफ सुथरा हो पहले से ही देख ले कही किसी भी प्रकार की लापरवाही न की जाये तथा मिष्ठान आदि के वितरण के जगह कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए पैकेट का ही प्रयोग किया जाये तथा शुद्धता पर विशेष ध्यान रहे।
जिलाधिकारी ने कहा कि कोविड-19 के चलते सभी सोशल डिस्टेसिंग व मास्क लगाकर 15 अगस्त को कलेक्ट्रेट सहित सभी सरकारी, गैर सरकार इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जायेगा। स्वतन्त्रता दिवस 15 अगस्त को परम्परागत ढंग से सादगी के साथ मनाया जाये तथा निर्धारित समय के अनुसार झण्डा अभिवादन के साथ ही राष्ट्रगान का भावपूर्ण गायन किया जाये। 15 अगस्त को हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने की संबंधित अधिकारी पूरी तरह से तैयारी कर ले। 15 अगस्त को प्रातः 7.00 बजे कलेक्ट्रेट परिसर एवं जनपद के सभी समस्त सरकारीध्गैर सरकारी संस्थानो में देश भक्ति गीतो की रिकार्डिग,समस्त ग्राम पंचायतो नगर पंचायत, नगर पा0प तथा कोरोना महामारी के चलते ब्लाक स्तर पर विद्यालयों के बच्चों द्वारा प्रभातफेरी नही निकाली जायेगी तथा 8 बजे कलेक्ट्रेट परिसर में ध्वजारोहण, राष्ट्रगान, तथा प्रातः 8:30 बजे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो सम्मान भी किया जायेगा। स्वतन्त्रता दिवस पर जिला क्रीड़ा अधिकारी द्वारा क्रासकन्ट्री दौड माती स्टेडियम में सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए करायी जाये।

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गौ संरक्षण केन्द्रों में भूसे, पानी आदि की सभी व्यवस्थायें रहे दुरस्त: डीएम

कानपुर देहात। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में कोविड-19 कोरोना वायरस, गौसंरक्षण के सम्बन्ध में सभी एसडीएम, ईओ के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में उन्होंने निर्देशित किया कि कोरोना महामारी के चलते अपने अपने क्षेत्रों में सोशल डिस्टेसिंग का कडाई से पालन कराया जाये तथा लोगों को मास्क लगाने के लिए प्रेरित करे तथा साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाये।
जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि कोविड-19 कोरोना महामारी के चलते जो कंटेनमंेट जोन में सख्ती के साथ पालन कराया जाये तथा वहां के लोगों को खाद्य सामग्री लेने में कोई समस्या नही होनी चाहिए। वहां पर सैनेटाइजेशन का कार्य लगातार कराया जाये तथा साफ सफाई पर ध्यान दिया जाये। उन्होंने कहा कि हर नगरीय निकाय में फागिंग मशीन होनी चाहिए तथा जहां कही खराब हो तो उसे ठीक कराये तथा सही प्रकार से फागिंग करायी जाये। वहीं जिलाधिकारी ने नगर पंचायत अकबरपुर द्वारा रोस्टर के हिसाब से फागिंग न कराये जाने पर वरिष्ठ लिपिक को कडी नाराजगी जाहिर करते हुए निर्देशित किया कि रोस्टर के हिसाब से फागिंग कराये अन्यथा कार्यवाही की जायेगी। वहीं जिलाधिकारी ने जनपद में गौ संरक्षण केन्द्र संचालित है उसमें भूसे, पानी आदि की समस्या नही होनी चाहिए।

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कोरोना के कारण अग्रिम आदेश तक बन्द रहेंगे समस्त धर्मस्थल

कानपुर नगर। जिलाधिकारी डॉ0 ब्रह्म देव राम तिवारी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में कई धर्मो के धर्म गुरु तथा उनके प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में जनपद में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार को देखते हुए सर्व सहमति से अग्रिम आदेशों तक समस्त धर्म स्थल बन्द रखने का निर्णय लिया।
बैठक में डीआईजी/एसएसपी प्रीतिन्दर सिंह, जिलाधिकारी डॉ0 ब्रह्मदेव राम तिवारी, अपर जिलाधिकारी नगर विवेक कुमार श्रीवास्तव, समस्त एसपी तथा अवध बिहारी, कृष्ण दास, अरुण पूरी, शहर काजी हाजी कुद्दुस, शहर काजी आलम रजा नूरी, ईसाई धर्म गुरु, सिख धर्म के धर्मगुरु उपस्थित रहे।

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बच्चों की पूरी सुरक्षा के बाद ही स्कूल खोले जाने चाहिए

चीन से पैदा हुई महामारी ने पूरी दुनिया की नींद उड़ा कर मानवजीवन के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। भारत भी इससे बचा नहीं है। देश में कोरोना के मामले इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि सुन कर डर लगने लगा है। 20 लाख से अधिक मामले देश में हो गए हैं। 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। देश में लगभग सभी राज्यों की स्थिति एक जैसी है। इनमें महानगरों की स्थिति कुछ ज्यादा ही खराब है।
कोविड-19 महामारी हमारे स्वास्थ्य पर सीधा हमला करती है। ‘सोशल डिस्टेसिंग और मास्क’ महामारी से बचने के एकमात्र रामबाण इलाज हैं। फिर भी लोगों की लापरवाही ने पूरे देश को चिंता में डाल दिया है। मानवजीवन के अनेक क्षेत्रें पर महामारी का सीधा असर दिखाई दे रहा है। अर्थव्यवस्था और रोजी-रोजगार सब चैपट हो गया है। गरीबों और मेहनत-मजदूरी करने वाले लोगों का जीना मुहाल हो गया है। मध्यमवर्ग भी अनेक समस्याओं से जूझ रहा है।
महामारी से सबसे अधिक प्रभावित शिक्षा का क्षेत्र हुआ है। साढ़े चार, पांच महीने से देश में पढ़ाई-लिखाई पूरी तरह बंद है। स्कूल-कालेज खोलना केंद्र और राज्य सरकार के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है। छात्र और उनके माता-पिता भी चिंतित हैं। ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था थोड़ा राहत जरूर दे रही है, पर जहां मोबाइल, इंटरनेट की व्यवस्था नहीं है, उस तरह के ग्रामीण इलाकों में गरीब मां-बाप के बच्चे पढ़ाई-लिखाई से पूरी तरह वंचित हैं। यह भी एक तरह की समस्या ही तो है।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि 16 साल से कम उम्र के बच्चे अगर दो घंटे से अधिक फोन का उपोग करते हैं तो उनकी स्मरण शक्ति पर गंभीर असर पड़ता है। ऑनलाइन पढ़ाई से कुछ बच्चों को सिरदर्द की शिकायत होने लगी है। ऐसे बच्चों को डाक्टर ऑनलाइन पढ़ाई और टीवी देखने से मना कर देते हैं। क्योंकि घर में रहने से बच्चे टीवी भी लगातार देख रहे हैं। अब ऐसे बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा?
ऑनलाइन पढ़ाई परंपरागत पढ़ाई का स्थान नहीं ले सकती। स्कूल-कालेज की व्यवस्था छात्रें को केवल पढ़ने के लिए ही नहीें है, सर्वांगीण विकास और उत्तम जीवन को गढ़ने के अति आवश्यक है। पाठ्य पुस्तकों के अलावा जो ज्ञान स्कूल-कालेजों में मिलता है, वह घर में कदापि नहीं मिल सकता। अध्यापकों का स्नेहिल व्यवहार, प्रेम-लगाव, प्रोत्साहन छात्रें को पढ़ने के लिए प्ररित कर रुचि उत्पन्न करता है। बच्चे अध्यापकों की छत्रछाया में भयमुक्त हो कर हंसी-खुशी से पढ़ते हैं। छात्र और शिक्षक के बीच अध्ययन प्रक्रिया अधिक फलदायी और परिणाम देने वाली बनती है। कोरोना महामारी को आए साढ़े चार महीने से अधिक हो गए हैं। तब से स्कूल-कालेज लगातार बंद हैं। इससे साफ है कि सब से अधिक प्रभावित शिक्षा का ही क्षेत्र है। सबसे ज्यादा युवा वाले अपने देश में लंबे समय तक शिक्षा की अवहेला नहीं की जा सकती। कोरोना महामारी कब खत्म होगी, यह भी अभी अनिश्चित है। ऐसे माहौल में स्कूल-कालेज खोलने के बारे यक्ष प्रश्न राज्य सरकार और भारत सरकार के लिए चिंता का विषय है। चिंता और परेशानी का विषय बना हुआ है। चारों तरफ गहरी खाई है। इधर जाएं या उधर, समझ में नहीं आ रहा। कोरोना का विषचक्र लगातार चल रहा है।

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“विद सदगुरु इन चैलेंजिग टाइम्स” का सीधा प्रसारण डिश टीवी इंडिया डी2एच और डिश टीवी के प्लेटफॉर्म पर

भारत की प्रमुख डीटीएच कंपनी डिश टीवी इंडिया लिमिटेड ने आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यक्रमों को पसंद करने वाले दर्शकों की जरूरत को पूरा करने के लिए ईशा फाउंडेशन के साथ साझेदारी की है। साझेदारी के तहत डिश टीवी इंडिया लिमिटेड ईशा फाउंडेशन के साथ मिलकर आध्यात्मिक गुरु सदगुरु जग्गी वासुदेव जी के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण करेगा। हर रविवार को डिश टीवी और डी2एच प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध भक्ति सर्विस चैनल पर “विद सदगुरु इन चैलेंजिग टाइम्स” का सीधा प्रसारण किया जाएगा।
आजकल जिंदगी में बढ़ते तनाव और दबाव के कारण आध्यात्मिकता की जरूरत और महत्व बढ़ा है। ईशा फाउंडेशन को सामाजिक और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने की प्रेरणा रहस्यवादी और दूरदर्शी सदगुरु से मिली। सदगुरु जग्गी वासुदेव जी की प्रेरक शक्ति से ही फाउंडेशन ने यह पहल की। इस कार्यक्रम से दर्शकों को घर बैठे मानसिक तनाव और दबाव को दूर करने के उपायों का मुफ्त में पता चलेगा। सदगुरु के साथ हर रविवार को लाइव सेशन से दर्शक साधना के उन तरीकों को सीख सकेंगे, जिससे वह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ा सकेंगे। इससे सहनशीलता और आत्मसंतुलन को बरकरार रखने के तरीकों की जानकारी भी होगी। आत्मचिंतन और आत्मबल के गहन अहसास से जीवन के उतार-चढ़ाव में संतुलन बरकरार रखने की कला में सदगुरु जग्गी वासुदेव नेमहारत हासिल की है। उनकी यह आत्मशक्ति जीवन के सूक्ष्म लक्ष्यों की ओर ले जाने में दर्शकों का मार्गदर्शन करेगी।
डिश टीवी इंडिया लिमिटेड में डी2एच मार्केटिंग में कॉरपोरेट मार्केटिंग हेड श्री सुगतो बनर्जी ने इस नए ऑफर पर कहा,“इस समय जिस महामारी का सामना हम कर रहे हैं, उसमें मानसिक रूप से मजबूत और सकारात्मक रहना बहुत जरूरी है। इसी संदर्भ में अपने सभी प्लेटफॉर्मों से सद्गुरु के आध्यात्मिक कार्यक्रम का लाइव प्रसारण देखने का ऑफर देते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है।देश भर में हमारे दर्शक घरों में सुरक्षित रहते हुए कार्यक्रम के लाइव प्रसारण से मानसिक ताकत, आत्मबल और आत्मशक्ति को बढ़ावा देने के उपायों को जानने में सक्षम होंगे।“
2016 में लॉन्च की गई भक्ति एक्टिव एक प्रीमियम धार्मिक ऐड फ्री सब्सक्रिप्शन बेस्ड सर्विस है। यह सर्विस भगवान शिव, साईंबाबा और गणेश भगवान पर आधारित धार्मिक शोज देखने के साथ आरती और भजन के लाइव प्रसारण का आनंद लेने का ऑफर देती है। इस सर्विस को हासिल कर दर्शक अमरनाथ, शिवखोरी, गौरीशंकर और चारधाम यात्रा से जुड़े कार्यक्रम देख सकते हैं। इसके अलावा चैनल पहली बार सदगुरु के उपदेशों से जुड़ा कार्यक्रम “सदगुरु की वाणी” हिंदी डबिंग के साथ प्रसारित कर रहा है। सदगुरु के उपदेशों में जीवन को सार्थक और उपयोगी बनाने की मूल शिक्षाएं शामिल हैं।

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भीमराव ने स्वच्छ पेयजल तक सबकी पहुंच को लेकर हो रहे भेदभाव के खिलाफ उठाई आवाज!

एण्ड टीवी के एक लोकप्रिय शो ‘एक महानायक डॉ बी. आर आम्बेडकर‘ बाबासाहेब के बचपन के शुरूआती दौर से लेकर उनके भारतीय संविधान के प्रमुख रचयिता बनने तक की कहानी पर प्रकाश डालता रहा है। आगामी ट्रैक एक और महत्वपूर्ण घटना को प्रदर्शित करेगा जहां भीमराव स्वच्छ पेयजल सब तक न पहुंचने के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएंगे। इस एपिसोड की शुरुआत भीमराव के दूसरी जाति के कुएं से पानी लाने से होती है क्योंकि वो जिस पानी का उपयोग करते हैं वो दूषित हो जाता है। हालांकि, उन्हें इसके लिए अपमानित किया जाता है और उसे कुएं की पहुंच से वंचित कर दिया जाता है। इस स्थिति में, भीमराव पीने का पानी लाने के लिए क्या करेगा? किस तरह की बाधाएं उसकी प्रतीक्षा कर रही है, और वह सामाजिक असमानता से कैसे लड़ेगा और उन सबसे कैसे जीत हासिल करेगा?
आगामी एपिसोड के बारे में बात करते हुए नेहा जोशी जो बाबासाहेब की मां भीमाबाई की भूमिका निभा रही है, कहा, इस विशेष एपिसोड में बाबासाहेब की असमानता के खिलाफ लड़ाई और जरूरतमंदो के लिए पीने के स्वच्छ पानी की आवश्यकता के मूल अधिकार पर प्रकाश डाला गया है। यह इस बात पर रौशनी डालता है कि आसपास के कुएं का पानी कैसे दूसरे कुएं से पानी लाने के कारण दूषित हुआ है और यह दूसरी जाति के विरोध करने का परिणाम होता है। कैसे भीमराव एक बार फिर से सामाजिक वर्जना को चुनौती देने और इसे खत्म करने की लड़ाई के लिए आगे आएगा।

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पंचायत चुनाव की तैयारी में लगें कार्यकर्ताः अनुप्रिया पटेल

कानपुर। आज अपना दल (एस) की मासिक बैठक वर्चुअल माध्यम से आयोजित की गई। बैठक में मुख्य अतिथि पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल रहीं। इस मौके पर अनुप्रिया पटेल ने मीटिंग को संबोधित करते हुए कार्यकर्ताओं को पंचायत चुनाव व विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग जाने को कहा।
उन्होंने यह भी कहा सभी कार्यकर्ता पंचायत और विधानसभा चुनाव की तैयारी में मन लगाकर जुट जाएं इसके लिए बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करें। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष विधायक डॉ0 जमुना प्रसाद सरोज ने की। कानपुर से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अजय प्रताप सिंह, सहकारिता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम के सचान, प्रदेश महासचिव जे एन कटियार, जिलाध्यक्ष कानपुर महानगर नवीन श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष कानपुर ग्रामीण प्रदीप कटियार के अलावा सभी जिलों के जिला प्रभारी व जिलाध्यक्ष सम्मिलित हुए।

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यूपीएससी-2019 के परीक्षा परिणाम में हुआ बड़ा षड़यंत्र!

संघ लोक सेवा आयोग के 927 पदों की भर्ती परीक्षा परिणाम में 829 अभ्यर्थियों का ही परिणाम हुआ घोषित शेष 98 नियुक्तियों को लेकर खड़े हुए सवाल
(पंकज कुमार सिंह)
कानपुर। देश को चलाने वाले ब्यूरोक्रेट्स के चयन के लिए सम्पन्न हुई यूपीएससी-2019 की परीक्षा परिणाम में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की 2019 की वैकेंसी के लिए आईएएस के लिए 180 पद, आईएफएस के 24, आईपीएस के 150 पद सहित सेन्ट्रल सर्विस ग्रुप ए के 438 पद व ग्रुप बी के 135 पद सहित कुंल 927 पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ था। देशभर में यूपीएससी ने इन पदों की भर्ती के लिए चरणबद्ध परीक्षा का अयोजन किया था। जिसका परिणाम गत 4 अगस्त को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सेन्ट्रल सिविल सर्विस के 927 पदों के लिए चयन परीक्षा परिणाम में 829 अभ्यर्थियों का ही परिणाम घोषित किया गया। इन 829 चयनितों में 304 समान्य वर्ग से, 78 ईडब्ल्यूएस, 251 ओबीसी, 129 एससी, 67 एसटी वर्ग के अभ्यर्थी है। शेष 98 पदों के लिए क्या हुआ ? यह बड़ा प्रश्न बनकर उभरा है। इस भर्ती में पदों के एक बड़े घोटाले के रूप में देखा जा है।
सरकार ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया है कि सिविल सेवा परीक्षा नियम 16(4)-5 के तहत एक लिस्ट रिजर्व रखी गई हैं।
सूत्रों के मुताबिक जिसमें सामन्य वर्ग के 91, ईडब्ल्यूएस के 9, ओबीसी के 71, एससी के 8 व एसटी के 3 पद सहित 182 की सूची रिजर्व की गई है। इस सूची को सार्वजनिक नहीं किया गया है। वरिष्ठ शिक्षाविद् व पत्रकार दिलीप मंडल ने सोशल मीडिया पर अपना वीडियो जारी किया है। उन्होंने यह बताया है कि दरसल सरकार की मंशा है कि जो लोग एससी – एसटी – ओबीसी कैटेगरी के हैं तो वह अपनी ही कैटेगरी में रहें। दरअसल ओबीसी के 71, एससी के 8 व एसटी के 3 अभ्यर्थी जनरल यानि ओपन कैटेगरी में आ गए हैं। यदि यह सब जनरल मैरिट में आ जाते हैं तो जनरल मैरिट से सिर्फ 304 अफसर चुने जाएंगे। सरकार चाहती है कि एस सी-ओ बी सी-एस टी अपनी ही कैटेगरी में चले जाएं और जनरल में न जाए। लालच यह रखा जा रहा है कि अपनी कैटेगरी में क्लेम करोगे तो आईएएस आईपीएस आईएफएस में नियुक्ति मिल सकती है जबकि जनरल मैरिट मे आईएएस, आई पी एस, आई एफ एस न मिले साथ ही अन्य सर्विस हेतु चयन मिले। जनरल में लगभग 50 प्रतिशत सीट को रिजर्व रखने की मंशा सरकार ने बनाई है। ऐसे में 82 अभ्यिर्थियों को आईएएस बनने से रोका जा रहा है। ब्यूरोक्रेट के 82 सीटों में आईएएस जैसे पदों पर असीन होने से रोकना बड़े षड़यंत्र के रूप में देखा जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने एक ट्वीट करके कहा है कि यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है। हर विचारधारा के लोग समर्थन करें। युवाओं के भविष्य का सवाल है। मासूम सी माँग है। जितने कैंडिडेट लेने हैं, सबके नाम की लिस्ट पब्लिक करो। छिपकर नियुक्तियाँ मत करो।

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क्यों सबको प्रिय हैं राम !

जिस राममंदिर का हिंदुओं को सदियों से इंतजार था, आखिर 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों उसका शिलान्यास हो ही गया यानी मेंदिर की नींव पड़ गई। 5 अगस्त, 2020 का दिन भारतीय इतिहास में अयोध्या में राममंदिर का शिलान्यास होने के दिन के रूप में जाना जाएगा। देश में करोड़ो लोगों के हृदय में इष्टदेव के रूप में राम विराजमान हैं। परंतु देश की सबसे बड़ी विडंबना यह थी कि राम जन्मभूमि पर राममंदिर तोड़ दिया गया था। सैकड़ो वर्षों से दिल में यह कसक ले कर देश के करोड़ो लोग रामजी का जन्मदिन रामनवमी मनाते थे। परंतु सभी के हृदय में यह बात खटकती थी कि हमारे भगवान की जन्मभूमि पर मंदिर क्यों नहीं बन रहा। 5सौ सालों से यह कसक देश के करोड़ो हिंदुओं में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही थी।
इतिहासकार कनिंगम ने लखनऊ गजट में लिखा है कि 1लाख 74हजार हिंदुओं का कत्लेआम करने के बाद बाबर का सेनापति मीरबाकी अयोध्या का राममंदिर तोपों से उड़ाने में सफल हुआ था। उसके बाद उस मंदिर पर बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ और तब से मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए बलिदानों का सिलसिला शुरू हुआ। इतिहास कहता है कि श्रीराम जन्मभूमि पर फिर से मंदिर बनाने के लिए बाबर के ही समय में करीब छह युद्ध हुए। हुमायूं के समय में लगभग 12 युद्ध हुए। अकबर के समय में 24 और औरंगजेब के शासनकाल में करीब 36 छोटी-बड़ी लड़ाईयां राम जन्मभूमि को वापस पाने के लिए लड़ी गईं। देश का आत्मसम्मान वापस दिलाने के लिए हुए युद्धों में लाखों लोग खप गए। अंग्रेजों के समय में भी यह सिलसिला चलता रहा। सत्ताधारी अंग्रेज डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी में विश्वास करते थे। 1857 में हिंदू-मुस्लिमों ने एक हो कर अंग्रेजो को भगाने के लिए गदर किया था। तब मुस्लिम नेता अमीरअली ने मुसलमानों से अपील की थी कि अंग्रेजों से यु( में हिंदू भाइयों ने कंधे से कंधा मिला कर साथ दिया है, इसलिए अपना फर्ज बनता है कि हमें खुद हिंदुओं को रामचंद्रजी की जन्मभ्रूमि सौंप देनी चाहिए। अंग्रेज अमीरअली की इस बात से चैंके। अंग्रेज हिंदू-मुस्लिम एकता सहन नहीं कर सकते थे। परिणामस्वरूप अंग्रेजों ने राम जन्मभूमि का विवाद खत्म करने की आवाज उठाने वाले मुस्लिम नेता मौलाना अमीरअली और हनुमान गढ़ी के महंत रामचंद्रदास को 18 मार्च, 1858 को अयेध्या में हजारों हिंदुओं और मुसलमानों के सामने कुबेर टेकरा पर फांसी पर लटका दिया था। इस घटना के बारे में अेंग्रेज इतिहासकार मार्टिन ने लिखा है। इस तरह खुलेआम फांसी देने से फैजाबाद और आसपास के गदर में शामिल लोगोें की कमर टूट गई और अंग्रेजों का खौफ उस क्षेत्र में फैल गया।
अंग्रेजों के समय भी इस विवाद का हल नहीं हो सका। आजादी के बाद सभी को उम्मीद थी कि यह विवाद हल हो जाएगा। क्योंकि जब देश आजाद होता है और नए राष्ट्र का निर्माण होता है तो राष्ट्र से जुड़ी गुलामी और अन्याय की यादों को हटा दिया जाता है। भगवान सोमनाथ के मंदिर के बारे में आजादी के बाद यह संभव हो सका। सन 1024 में मुहम्मद गजनी ने सोमनाथ मंदिर को तोड़ा, उसके बाद फिर मंदिर बना, फिर टूटा, ऐसा 7 बार हुआ। आखिर आजादी के बाद 13 नवंबर, 1047 को भारत के उप प्रधानमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की प्रतिज्ञा ली और आखिर 11 मई, 1951 को सोमनाथ की प्राणप्रतिष्ठा भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा0 राजेन्द्र प्रसाद के हाथों हुई। आजादी के बाद गुलरात के सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण संभव हो सका। पर अयोध्या के रामजन्म भूमि मंदिर के साथ ऐसा नहीं हो सका।

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अलगाववाद का खत्मा पूरी तरह जरूरी है

देश की आजादी के बाद से ही जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा था और वहां के निवासियों के लिये कई कानून अलग थे। सरकारें आई और चली गईं लेकिन जम्मू-कश्मीर के मामलों पर हस्तक्षेप करने से कतराती गईं लेकिन भाजपा ने सत्ता में आते ही इस ओर अपना ध्यान आकृष्ट किया था और अन्याय व अलगाववाद के पोषक अनुच्छेद यानि कि 370 के साथ ही 35-ए को यहां से हटा दिया। इसकी अवधि भी एक वर्ष हो गई। अब ऐसे में आवश्यक यह है कि इसका अवलोकन किया जाना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर से क्या खोया, क्या पाया ? यह भी देखा जाना चाहिए कि क्या इस क्षेत्र में और कदम उठाए जाने की आवश्यकता है?
यह सिर्फ जम्मू-कश्मीर पर ही लागू नहीं हो रहा है बल्कि इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए राज्य लद्दाख पर लागू हो रहा है। इससे कदापि इन्कार नहीं कर सकते कि बीते एक वर्ष में इन दोनों केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में बहुत कुछ बदला है, लेकिन वहां के हालातों में अभी वो सुधार नहीं आ पाया जिसकी कल्पना की गई थी और वहां से अनुच्छेद 370 के साथ ही 35-ए जिसके लिये हटाई गई थी।
यह क्षेत्र आतंकी हमलों से आज भी अछूता नहीं है और कई नेताओं की नजरबंदी कायम रहने से यह जाहिर होता है कि अब इन्तजार करना पड़ेगा!

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