Saturday, November 23, 2024
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Jan Saamna Office

ब्लैक फंगस अनेक राज्यों ने महामारी घोषित किया- बच्चों, बुजुर्गों को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर की तैयारी जरूरी

देश के भविष्य बच्चों और मार्गदर्शक बुजुर्गों की सुरक्षा, जीवनरक्षा के लिए तात्कालिक राष्ट्रीय रणनीतिक रोडमैप बनाना जरूरी – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूप से महामारीओं, तूफान, ज्वालामुखी फूटना, जंगलों में आग इत्यादि अनेक प्राकृतिक विपत्तियों का पहाड़ सभी देशों पर टूट पड़ा है। जिसमें कोरोना महामारी से क़रीब क़रीब सभी देश ग्रस्त हुए हैं और बाकी तूफ़ान और ज्वालामुखी फटने की घटनाएं कुछ देशों में चालू है। हालांकि इनका सुरक्षित मुकाबला करने वैक्सीन का इज़ाद भी कुछ देशों ने किया है और टीकाकरण अभियान अनेक स्तर पर शुरू है तथा अमेरिका, ब्रिटेन, रूस सहित कुछ देशोंमें अधिकांश टीकाकरण पात्र लोगों को वैक्सीन लगा दी गई है। परंतु फिर भी वहां पूर्ण रूप से महामारी समाप्त नहीं हुई है।…

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चौकी पांडुनगर में उपद्रव पर FIR की मांग शिकायत

कानपुर। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर तथा एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने 17 मई 2021 को पुलिस चौकी पांडुनगर, थाना काकादेव, कानपुर नगर में पुलिस चौकी पर किये गए उपद्रव, मारपीट, गालीगलौज आदि की एफआईआर दर्ज किये जाने की मांग की है।
पुलिस कमिश्नर कानपुर नगर को भेजे अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक सुरेन्द्र मैथानी के आवास पर कथित हमले के बाद कतिपय बदमाश पकडे गए तथा बदमाशों को पुलिस चौकी पांडुनगर लाया गया। वहां इन पकडे गये लोगों पर पुलिस के तमाम अफसरों के सामने तथा उनकी मौजूदगी में उनके साथ जम कर मारपीट, गाली गलौज तथा उपद्रव किया गया।

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ईश्वर पर हमेशा भरोसा रखें

एक अमीर व्यक्ति था। उसने समुद्र में अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई और छुट्टी के दिन वह नाव लेकर अकेले समुद्र की सैर करने निकल पड़ा। वह समुद्र में थोङा आगे पहुंचा ही था कि अचानक एक जोरदार तूफान आ गया। उसकी नांव पुरी तरह से तहस-नहस हो गइ लेकिन वह लाइफ जैकेट के साथ समुद्र में कूद गया। जब तूफान शान्त हुआ तब वह तैरता-तैरता एक टापु पर जा पहुंचा। मगर वहां भी कोई नहीं था। टापु के चारों ओर समुद्र के अलावा क़ुछ भी नजर नहीं आ रहा था।
उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने पूरी जिंदगी में किसी का कभी बुरा नहीं किया तो मेरे साथ बुरा नहीं होगा। उसको लगा कि ईश्वर ने मौत से बचाया है तो आगे का रास्ता भी वही दिखाएगा। धीरे-धीरे वह वहां पर उगे झाङ-फल-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा।

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महामारी में कहाँ दुबक गए एनसीसी, एनएसएस और सारे एनजीओ?

(कोरोनावायरस महामारी के दौरान केन्द्र, राज्य सरकारें तथा प्रशासन अपने स्तर पर मुस्तैदी से काम कर रहा है। सरकार के इन प्रयासों के साथ-साथ देश भर की कई धर्मार्थ संस्थाएं और गैर सरकारी संगठन सफल बनाने में जुटे हैं ताकि देश में इस महामारी से ज्यादा से ज्यादा लोगों की जिंदगी बचायी जा सके। एनसीसी, एनएसएस के स्काउट्स कहाँ है ? जिन पर अरबों रुपये सालाना खर्च होते है और जो सरकारी नौकरी में एक्स्ट्रा मार्क्स लेते है. आज जब उनकी सेवाओं की देश को जरूरत है तो वो घर बैठे है )
कोरोनावायरस महामारी के दौरान केन्द्र, राज्य सरकारें तथा प्रशासन अपने स्तर पर मुस्तैदी से काम कर रहा है। सरकार के इन प्रयासों के साथ-साथ देश भर की कई धर्मार्थ संस्थाएं और गैर सरकारी संगठन सफल बनाने में जुटे हैं ताकि देश में इस महामारी से ज्यादा से ज्यादा लोगों की जिंदगी बचायी जा सके। एनसीसी, एनएसएस के स्काउट्स कहाँ है ? जिन पर अरबों रुपये सालाना खर्च होते है और जो सरकारी नौकरी में एक्स्ट्रा मार्क्स लेते है. आज जब उनकी सेवाओं की देश को जरूरत है तो वो घर बैठे है. मगर आपने देखा होगा की सामान्य दिनों में अरबों की सरकारी सहायता प्राप्त कर मीडिया जगत में छाये रहने वाले और जगह-जगह अपनी ब्रांच का प्रचार करने वाले पंजीकृत गैर सरकारी संगठन यानी एनजीओ इस दौरान न जाने कहाँ दुबके रहे ?

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विधायक को ग्रामीणों ने सुनाई खरी-खरी, कहा वोट मांगने गांव आए तो घुसने नहीं देंगे

झबरेड़ा/हरिद्वार। झबरेड़ा विधानसभा के बीजेपी विधायक देशराज करणवाल को गांव वालों ने खुले आम दी चेतावनी अगर अगली बार यहां वोट मांगने आये तो गैलरी में लठ रखे हैं वो तो आपके पद की गरिमा है काम आपने कुछ करा नहीं सोशल मीडिया पर वीडियो हुई जमकर वायरल।
आपको बताते चले झबरेड़ा गांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर बुधवार को पहुंचे क्षेत्रीय विधायक देशराज कर्णवाल को ग्रामीणों ने गांव की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए गुस्साए ग्रामीणों ने विधायक से आने वाले विधानसभा चुनाव में गांव में घुसने नहीं देने तक की बात कही। वहीं, इस घटना का वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है।

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“जीवन साथी”

जीवनसाथी का मतलब क्या होता है, एक लड़की या स्त्री को क्या चाहिए? अच्छा घर, अच्छा पति, अच्छे सास- ससुर, दो बच्चे और दो वक्त का खाना और कपड़े। क्या सारी जरूरतें खत्म हो गई? यही है क्या स्त्री की जरूरतें।
नहीं ये बातें उस ज़माने की है जब लड़कीयाँ ज़्यादा पढ़ी लिखी नहीं होती थी, नौकरी और घर दोनों संभालने की ज़िम्मेदारी नहीं थी सिर्फ़ पति के उपर निर्भर रहती थी। दबी-दबी सहमी सी चुटकी सिंदूर के बदले खुद को गिरवी रख देती थी। टोटली टिपिकल बहू बनकर पति की हर बात पर कठपुतली सी नाचती थी। वैसे आज 21वीं सदी में भी कुछ स्त्रियों की हालत वही की वही है कुछ नहीं बदला।
कुछ पतियों के लिए चुटकी सिंदूर का मतलब स्त्री पर आधिपत्य जताने का लाइसेंस मात्र होता है। प्यार, परवाह और कदम-कदम पर पत्नी का हाथ थामकर चलने में कई मर्दो के अहं को ठेस पहुंचती है। पत्नी का साथ देने के चक्कर में कहीं लोग जोरू का गुलाम ना समझ बैठे ये सोचकर कतराते है पत्नी का साथ देने में और सम्मान करने में।

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जीवन में कुछ बनने के लिए विनम्र होना जरूरी – बीज को भी पेड़ बनने जमीन के नीचे दबना पड़ता है

वैश्विक मानवीय गुणों में से एक विनम्रता – यह मानव जीवन का बहुमूल्य श्रंगार, श्रेष्ठ गुणवत्ता अस्त्र – एड किशन भावनानी
वैश्विक मानवीय जीवन शैली को अगर हम देखें तो आधुनिकता का भाव कूट-कूट कर भरा है। वर्तमान डिजिटलाइजेशन और वैज्ञानिक युग में वैश्विक स्तरपर पुरानी परंपराओं, पौराणिक मान्यताओं, रीति-रिवाजों की सोच, आज वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक सोच ने इनका स्थान ग्रहण लिया है स्थिति आज ऐसी हो गई है कि यदि कोई इन रीति-रिवाजों, मान्यताओं, पौराणिक धार्मिकता, पर अपनी बात करेगा तो उसे पुरानी सोच, दकियानूसी बातें, हो गया पुराना जमाना, कह कर हंसी का पात्र बना दिया जाता है।…. बात अगर हम भारत की करें तो कुछ स्तर पर यहां भी ऐसी सोच पाश्चात्य देशों की तर्ज पर स्थापित होती जा रही है। परंतु यह भारतीय मिट्टी इसे सिरे से खारिज करने में अदृश्य अनमोल रोल अदा कर रहीं है।…बात अगर मानवीय गुणों की करें तो भारतीय मानवीय गुण विश्व में सर्वाधिक प्रसिद्ध है। मानवीय गुणों की श्रेष्ठता में भारत प्रथम रैंक में आएगा ऐसा मेरा मानना है।

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स्काउटस एवं गाइडस का नव किरण प्रोजेक्ट प्रारंभ

जोधपुर। हिन्दुस्तान स्काउट्स एवं गाइड्स जिला मुख्यालय जोधपुर द्वारा राज्य मुख्यालय के दिशा निर्देशों की अनुपालना में सम्पूर्ण जिले में रेंजर्स एवं रोवर्स के लिए कोविड काल में गतिविधियों के संचालन के लिए आॅनलाइन नव किरण प्रोजेक्ट का आरम्भ किया गया है। जिला आयुक्त मनीष चैधरी ने जिले में संचालित सभी ईकाइयों को प्रोजेक्ट पर कार्य करने के आदेश जारी किए हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ. जनक सिंह मीणा को जिला प्रभारी बनाया गया है। डाॅ. मीणा ने बताया कि जोधपुर की रेंजर्स पूरे प्रदेश में बेहतर कार्य कर रही हैं। इस प्रोजेक्ट में रेंजर्स एवं रोवर्स द्वारा अनुपयोगी सामान से उपयोगी सामान तैयार करने का लक्ष्य दिया गया है तथा घर में मास्क बनाना, पक्षियों के लिए परिंडे तैयार करना, प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग कर सजाबटी सामान का निर्माण करना एवं पौधारोपण करना। इस प्रोजेक्ट में प्रमुख रूप से रेंजर तनिष्का अरोडा, दर्शना, दीपिका जोशी, राखी बोराणा, सानवी, सिमरन, सोनिया, अल्का डगला, गीतांजली, पिंकू, हर्षिता, निकिता, हिमानी, चारू जोधा, आशा आदि ने भाग लिया।

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तीसरे विश्वयुद्ध का हूंकार: 35 एकड़ का भूमि का टुकड़ा

क्या हम तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं? जब से कोविड-19 ने दस्तक दी है चारों ओर त्राहि-त्राहि का मंजर रहा है। परंतु पिछले वर्ष से हमें काफी सारे जियो पोलिटिकल बदलाव दिखे हैं। इस आधुनिक युग में युद्ध की परिस्थितियां निरंतर पनप रही है। वैश्विक महामारी कई वैज्ञानिकों के अनुसार चीन के निजी फायदे के लिए थी जो एक बायोलॉजिकल वारफेयर की तरह विश्व में फैलाई गई वहीं चीन अपनी आदतों से बाज ना आते हुए हमारे पड़ोसी होने का गलत फायदा उठा रहा था जो गलवान घाटी घटना के रूप में नज़र आई। अज़रबाईजान वा आर्मीनिया के बीच भी सैनिक युद्ध छिड़ा एक धरती के टुकड़े को लेकर दोनों में भारी जानमाल का नुकसान हुआ। तथा 2021 में कुछ अलग आलम होगा जहां विश्व विजेता इजराइल पहला कोविड-19 मुक्त विश्व विजेता बना वहां आज फिर वारज़ोन बन गया है।

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पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों की सामने आई संकुचित सोंच!

ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति जितना अधिक शिक्षित हो जाता है यानीकि उच्च शिक्षा प्राप्त कर लेता है, उस व्यक्ति की सोंच उतनी ही विस्तृत और उच्च श्रेणी की हो जाती है और लोग उसके विचारों व कृत्यों के मुरीद हो जाते हैं, लेकिन कानपुर महानगर में बिल्कुल इसके विपरीत नजारे देखने को मिल रहे हैं, विशेषकर व्हाट्सएप से अलग होने के मामले में!
जी हाँ, कानपुर महानगर में पुलिस कमिश्नरी की व्यवस्था लागू हो चुकी है। अस्तु, यहां पुलिस विभाग की व्यवस्था में बदलाव किया गया तो इस व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से अनेक आई. पी. एस., पी. पी. एस. अधिकारियों की तैनाती कर दी गई। चर्चायें आम हो गई कि जब शहर में इतने अधिक उच्च स्तर के अधिकारियों की तैनाती हो गई है तो अब बड़े स्तर का सुधार हो जायेगा क्योंकि उच्च स्तर के अधिकारियों की सोंच भी अलग तरह की यानीकि उच्च स्तर की होगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं बल्कि उन्होंने एक ऐसा उदाहरण पेश कर दिया जिससे यह प्रतीत होने लगा है कि जो अधिकारी इन दिनों तैनात हैं उनकी सोंच उच्च स्तर की नहीं अपिुत संकुचित स्तर है।

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