कानपुरः जन सामना संवाददाता। मेस्टन रोड स्थित बीएनएसडी शिक्षा निकेतन बालिका विद्यालय में शिक्षा विभाग उ0 प्र0 द्वारा आयोजित लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा रचित ”श्रीमद्भागवत्गीता रहस्य जनपद स्तरीय गायन प्रतियोगिता“ का सफल आयोजन अशोक कुमार गुप्ता (मण्डलीय उपनिरीक्षक संस्कृत पाठशालाएँ) के मुख्यातिथ्य में सम्पन्न हुआ। इस सुअवसर पर मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में बताया कि नवीन भारत के निर्माण के लिए हमें मुक्त चिन्तनशील होकर आपसी वैमनस्य समाप्त कर मानव मात्र के हृदय में प्रेम की भावना जगाने का प्रयास करना है। हम भारतीयों को भारतीय संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। गीता हमें प्रत्येक परिस्थिति में समान रहना सिखाती है जब हम अहंकार से दूर होंगें तभी मानव मात्र से प्रेम करेंगें। ईश्वर के प्रति पूर्णासक्ति रखते हुए कर्म ही धर्म है ऐसा मानकर मन को अपना दास बनाकर रखना चाहिएए क्योंकि हम मन के स्वामी हैं। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है फल की आशा त्याग कर कर्म करना चाहिये। जब युद्ध का क्षेत्र हो तो ऐसे समय में बुद्धि विपरीत हो जाती है ऐसे समय में श्रीकृष्ण जी ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। गीता एक पावन ग्रंथ है। गीता बच्चों, युवकों व वृद्धों सभी के लिये एक उपयोगी ग्रंथ है जिसके अध्ययन के उपरान्त हम समग्र रुप से जीवन यापन कर सकते हैं।
निर्णायक डाॅ0 अरूण कुमार त्रिपाठी (प्राचार्य – श्री कल्लूमल संस्कृत महाविद्यालय) जी ने ”योगः कर्मसु कौशलम्“ इस सूक्ति वाक्य के माध्यम से गीता के माहात्त्म्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कर्तव्य करते हुए हमें अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु सतत प्रयत्नरत रहना चाहिए। आगन्तुक अतिथियों का परिचय एवं स्वागत प्रधानाचार्या डाॅ0 गीता मिश्र ने एवं संचालन आर्या शुक्ला ने किया। आभार प्रदर्शन ब0 सोनम पटेल (न्यायाधीश – छात्रा संसद) ने किया। कार्यक्रम में 25 विद्यालयों के 56 छात्र-छात्राओं ने गीता श्लोकों का सस्वर पाठ किया। प्रतियोगिता में राशी सिंह चैहान, विद्या तिवारी एवं अभिव्यंजना सिंह क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहीं। गीता श्लोंको की काव्यात्मक प्रस्तुति कर अंशिका गुप्ता ने विशिष्ट स्थान प्राप्त किया। गीता श्लोकों की सुमधुर प्रस्तुतियों एवं विद्यालय की छात्रा ब0 विद्या तिवारी द्वारा प्रस्तुत गीत ‘‘गीता हृदय भगवान का..’’ ने वातावरण में दिव्यता एवं पवित्रता का संचार किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के पद को मा0 डाॅ0 नमिता सिंह जी ने अलंकृत किया तथा नीर-क्षीर विवेकी निर्णायक मण्डल में मा0 डाॅ0 आदर्श त्रिपाठी, मा0 डाॅ0 शील निगम एवं डाॅ0 शशिकान्त मिश्र जी उपस्थित रहे।