कानपुर नगर, अर्पण कश्यप। शहर जहाॅ लोग दूर दराज से रोजी रोटी कमाने आये थे पर जरूरतों ने वापस न जाने दिया। जिन्होने तह जिन्दगी अपने परिवार से दूर एक अलग दुुनिया बसा ली और शहर में छोटे स्तर पर काम काज को अपनी दिनचर्या बना ली और अपनी एक अलग दुनिया बनाई जिसे आम शहरी जन कच्ची बस्ती मढैया व मलिन बस्ती के नाम से जानते हैं। जो कि छोटे मोटे धंधे कर लोगों तक जरूरत की चीजे बेच कर अपनी जीविका चलाते हैं। पर क्या क्षेत्रीय नेता या अधिकारी इन्हे मुंह लगाते हैं। नहीं बल्कि ये इनका शोषण करते अवैध रूप से रहने के कारण ये लोग मूलभूत सुविधाओं से इनका दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं होता हैं। फिर भी ये जिन्दगी बसर करते हैं। कानपुर के बर्रा क्षेत्र में ऐसे अनगिनत परिवार रहते हैं। जो सरकार के वोटर तो हैं। केवल वोट देने के लिये सरकार से मिलने वाली सुविधा तो इन तक पहुंच ही नहीं पाती बिजली पानी पक्की गलिया केवल ये कह कर टाल दी जाती हैं कि आप अवैध रूप से रह रहे है। बर्रा के नाले किनारे बसी बस्ती रेलवे की जमीन पर हैं। जहाॅ लगभग सौ से दो सौ परिवार रहता हैं जो की 30 से 40 साल पुरानी बस्ती हैं। जहाॅ कुछ लोग चट्टा संचालक तो कुछ लोग रिक्शा चालक तो कुछ गेस्ट हाउस में वेटर व सफाई का काम करते हैं। कुछ समय पहले की बात करे तो यहाॅ पर सुविधा के नाम पर कुछ नहीं था। पर 2020 में सरकार द्वारा केसा से प्री पेड मीटर अस्थाई तौर पर लगाये गये है।
पानी के लिये लोग अभी भी तरस रहे हैं। पीने के लिये लोग दर दर भटकते हैं। कभी कही तो कभी कही पानी माॅगते हुये नजर आते है। वही क्षेत्रीय नेता की बात करे तो न तो उसके द्वारा किये गये काम दिखते हैं और न नेता जी भले ही अवैध रूप से रह रहे हैं लोग पर मूलभूत सुविधाओं पर इनका भी हक है।