Wednesday, November 27, 2024
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बच्ची के साथ कुकर्म कर हत्या के एक जघन्य कांड में सुनाई न्यायालय ने सजा-ऐ-मौत

हाथरस। अभियुक्त को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाये जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाये। यह आदेश अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत जघन्य कांड के संबंध में विशेष न्यायाधीश पोस्को अधिनियम प्रथम हाथरस ने सजा-ऐ-मौत के तहत दिया है।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक थाना हाथरस जंक्शन के एक कसबा निवासी पीड़ित की तहरीर दिनांक 23 अगस्त 2021 को संबन्धित थाना हाथरस जंक्शन, हाथरस पर लिखाते हुए कहा गया कि प्रार्थी की पुत्री उम्र 10 वर्ष परिवार के साथ सो रही थी। सुबह पांच बजे करीब जब वह शौच के लिए निकला तो देखा उसकी पुत्री घर में नहीं थी। इधर-उधर देखा तो पता नहीं चला। अचानक एक सूचना मिली कि एक लड़की का शव बहदोई गांव के पास नहर में बहकर जा रहा है। जिसे लोगों ने निकालकर नहर की पटरी पर रख दिया है। पीड़ित ने जाकर देखा तो वह लाश उसकी पुत्री की थी। पीड़ित ने थाने में सूचना देकर कानूनी कार्रवाई किये जाने की प्रार्थना की थी। पीड़ित की सूचना को फौती के रूप में जीडी दर्ज किया गया और पुलिस तत्काल जांच में जुट गई। सूचनाओं नेटवर्क से आरोपी पुलिस हत्थे चड़ा। सभी औपचारिकताओं के बाद पुलिस ने न्यायालय में आरोप-पत्र दाखिल किया। सभी सबूत और गवाहान को प्रस्तुत करने में अपर जिला शासकीय अधिवक्ता राजपाल सिंह दिशवार आरोपों को सिद्ध किया। श्री दिशवार की दलीलों को सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपी चन्द्रपाल को सजा-ऐ-मौत का हुकुमत सुनाया है।

क्या दिया आदेश
न्यायाधीश प्रतिभा सक्सेना, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश पोक्सो अधिनियम) प्रथम ने अभियुक्त चन्द्रपाल को धारा 302 भादसं के तहत मृत्यु दंड व पचास हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड अदा न करने पर अभियुक्त छह माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगेगा। साथ ही धारा 376 एबी (भादसं) सपठित धारा 5 ( ड ) / 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अर्न्तगत मृत्यु दंड एवं पचास हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया है। अर्थदंड अदा न करने पर अभियुक्त छह माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगेगा। धारा 363 (भादसं) के तहत सात वर्ष के सश्रम कारावास एवं दस हजार रुपये के अर्थदंड।अदा न करने पर अभियुक्त दो माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगेगा। धारा 201 (भादंसं) के तहत सात वर्ष के सश्रम कारावास एवं दस हजार रुपये अर्थदंड अदा न करने पर दो माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगेगा। न्यायालय ने यह आदेश भी किया है कि अभियुक्त चन्द्रपाल की उपरोक्त वर्णित सभी सजायें (अर्थदण्ड के अतिरिक्त) साथ-साथ चलेगी। साथ ही यह निर्देश भी दिया है कि अभियुक्त चन्द्रपाल को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाये जब तक उसकी मृत्यु न हो जाये ।
पीड़ित परिवार के विषय में यह कहा न्यायालय ने
अभियुक्त चन्द्रपाल द्वारा अर्थदण्ड अदा करने पर जमा धनराशि में से आधी धनराशि प्रकरण की पीड़िता / मृतका के आश्रित / संरक्षक को नियमानुसार उनकी पहचान सुनिश्चित करके प्रदान की जायेगी। साथ ही विशेष सत्र परीक्षण से संबन्धित समस्त अभिलेख माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद को मृत्यु दंडादेश की पुष्टि हेतु सादर प्रेषित किया जा रहा है। इस पूरी न्यायिक प्रक्रिया में अपर जिला शासकीय अधिवक्ता राजपाल सिंह दिशवार ने पैरवी की है।