Wednesday, November 27, 2024
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भाजपा के 42 साल

भारतीय जनता पार्टी ने बीते 6 अप्रैल को अपना 42वां स्थापना दिवस मनाया| 11 करोड़ सदस्य संख्या के आधार पर विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुकी भाजपा ने अपनी आयु के 42 वर्ष पूरे कर लिए हैं| न केवल सदस्य संख्या बल्कि राजनीति के अन्य कई प्रतिमानों के आधार पर भी भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी होने का गौरव प्राप्त है| देश की विभिन्न विधानसभाओं, लोकसभा तथा राज्यसभा में भी सदस्य संख्या के आधार पर बीजेपी अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफल हुई है| राज्यसभा में 101 सदस्य संख्या हासिल करके भाजपा 1988 के बाद पहली बड़ी पार्टी बन गयी है| वहीँ लोकसभा में इसके 303 सांसद हैं| जो कि पार्टी गठन के बाद अब तक की सबसे बड़ी संख्या है| उत्तर प्रदेश सहित देश के 12 राज्यों में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है| जबकि बिहार सहित चार राज्यों की सरकार भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से चल रही है|गौरतलब है कि 6 अप्रैल 1980 को जनता पार्टी से अलग होकर अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की गयी थी| भाजपा को अखिल भारतीय जनसंघ का नया अवतार माना जाता है| जिसकी स्थापना सन 1951 में डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफेसर बलराज मधोक तथा पं.दीन दयाल उपाध्याय द्वारा की गयी थी| 1952 के लोकसभा चुनाव में अखिल भारतीय जनसंघ को तीन सीटें प्राप्त हुई थीं| उसके बाद 1957 में चार, 1962 में चौदह, 1967 में पैंतीस तथा 1971 में बाईस सीटों पर जनसंघ के उम्मीदवारों ने लोकसभा का चुनाव जीतकर पार्टी का मजबूत आधार बनाया था| आपातकाल (1975-76) के बाद कांग्रेस को पराजित करने के लिए जनसंघ सहित भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों का विलय करके एक नये दल जनता पार्टी का गठन किया गया था| 1977 में जनता पार्टी ने लोकसभा का चुनाव जीतकर मुरार जी देसाई के नेतृत्व में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की थी| लेकिन यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पायी| 1980 में जतना पार्टी के विघटन के बाद जनसंघ के एक गुट ने समाजवादी और गाँधीवादी विचारधारा के नेताओं को साथ लेकर अटल बिहारी बाजपेयी एवं लाल कृष्ण अडवाणी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी| ये दोनों नेता उस समय जनसंघ के कद्दावर नेता माने जाते थे| सन 1969 से 1972 तक अटल बिहारी बाजपेयी तथा 1973 से 1977 तक लाल कृष्ण आडवाणी अखिल भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे चुके थे| गाँधीवादी समाजवाद के नाम पर स्थापित हुई भारतीय जनता पार्टी को अखिल भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य प्रोफ़ेसर बलराज मधोक ने स्वीकार नही किया और उन्होंने अखिल भारतीय जनसंघ का चुनाव आयोग में पंजीकरण करवाकर पार्टी की कमान स्वयं सम्भाल ली| प्रोफेसर मधोक 2016 तक जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे| उनकी मृत्यु के बाद से डॉ.आचार्य भारत भूषण पाण्डेय अखिल भारतीय जन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पदभार सम्भाल रहे हैं| ‘एकात्म मानववाद’ अखिल भारतीय जनसंघ की प्रमुख विचारधारा है| जिसका प्रतिपादन सन 1965 में पं.दीन दयाल उपाध्याय द्वारा किया गया था| हिन्दुत्व के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करने वाले जनसंघ की नीतियाँ हिन्दू राष्ट्रवाद की पोषक हैं| जबकि उसकी विदेश नीति राष्ट्रवादी सिद्धान्तों पर केन्द्रित है| जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष संवैधानिक दर्जा खत्म करना, अयोध्या में राम मन्दिर का निर्माण तथा समान नागरिकता कानून अखिल भारतीय जनसंघ के प्रमुख मुद्दे हैं|भारतीय जनता पार्टी का गठन अखिल भारतीय जनसंघ की विचारधारा से पृथक ‘गाँधीवादी समाजवाद’ के नाम पर हुआ था| परन्तु 1984 में भाजपा को मिली अप्रत्याशित हार ने इसे जनसंघ के प्रमुख मुद्दों हिन्दुत्व, राम मन्दिर, समान नागरिक संहिता तथा जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष संवैधानिक दर्जा खत्म करने की ओर मोड़ दिया| कदाचित इसी कारण भाजपा को जनसंघ का नया अवतार माना जाता है| बदली रणनीति से भाजपा का चुनावी ग्राफ बढ़ा और 1989 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 85 सीटें प्राप्त हुईं| उसके बाद लाल कृष्ण आडवाणी कट्टर हिन्दुत्व का चेहरा बनकर उभरे| उनकी रथ यात्रा ने देश के अन्दर हिन्दुत्व का ऐसा बिगुल फूंका कि भाजपा धीरे-धीरे हिन्दुओं की पार्टी बन गयी| वह हिन्दू शब्द जिसका भारत की प्राचीन संस्कृति से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है, जो कभी मुस्लिम शासकों द्वारा भारतीय समाज पर पहचान के नाम पर थोपा गया था, जिसे बाद में अंग्रेजों और फिर संविधान निर्माताओं ने मूल भारतीयों की पहचान के लिए जीवित रखा| वही हिन्दू शब्द भारतीय जनता पार्टी की राजीनीति का प्रमुख आधार बनकर उभरा| जिसके सहारे भाजपा राजीनीति के सोपान दर सोपान चढ़ती चली गयी और इस विचारधारा की मुख्य पोषक अखिल भारतीय जनसंघ को गुमनामी के अँधेरे में धकेल कर स्वयं विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गयी| 1989 में 85 सीटों के माध्यम से पार्टी का वोट प्रतिशत 11.4 था| जो 1991 के मध्यावधि चुनाव में 120 सीटों पर जीत के माध्यम से बढ़कर 20.1 प्रतिशत हो गया| भाजपा के निरन्तर बढ़ते ग्राफ ने 1996 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को 161 सीटों पर जीत दिलाकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में प्रतिष्ठा दिलाई| अतः भारतीय जनता पार्टी ने अटलबिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया| जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति पं.शंकर दयाल शर्मा द्वारा स्वीकार करके अटल बिहारी बाजपेयी को भारत का प्रधानमन्त्री नियुक्त कर दिया गया और देश में पहली बार भाजपा की सरकार बनी| लेकिन बहुमत के अभाव में यह सरकार मात्र 13 दिन ही चल सकी| भाजपा को उम्मीद थी कि गैर कांग्रेसी एवं गैर वामपन्थी दल उसका समर्थन करेंगे| परन्तु ऐसा हुआ नहीं| अतः अटल बिहारी बाजपेयी ने विश्वास मत का सामना करने की बजाय इस्तीफा देना अधिक उपयुक्त समझा| उसके बाद सन 1998 में लोकसभा के लिए हुए मध्यावधि चुनाव में भाजपा को 182 सीटें प्राप्त हुईं| तब राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (एनडीए) नामक संगठन के माध्यम से गठबन्धन सरकार ने अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में देश की सत्ता सम्भाली| यह सरकार मात्र 13 महीने चल पायी| उस समय अविश्वास प्रस्ताव में सरकार मात्र एक वोट से हारी थी| 1999 में पुनः मध्यावधि चुनाव हुए और भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जन तान्त्रिक गठबन्धन ने 306 सीटों पर जीत का परचम लहराया| जिसमें से भाजपा को 182 सीटों पर जीत हासिल हुई और अटल बिहारी बाजपेयी तीसरी बार भारत के प्रधानमन्त्री बने तथा पूरे पांच वर्ष सत्ता का सञ्चालन किया| इस बीच लाल कृष्ण आडवाणी का पार्टी में जबरदस्त कद बढ़ा और उन्हें देश का उप प्रधानमन्त्री बनाया गया| 2004 के आम चुनाव में पार्टी ने शाइनिंग इण्डिया का नारा दिया लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन को केन्द्र की सत्ता प्राप्त हुई| अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में भाजपा राम मन्दिर सहित उन सभी मुद्दों पर कोई बड़ा काम नहीं कर पाई जिनके दम पर वह फर्श से अर्श तक पहुँची थी| पोखरण परमाणु विस्फोट, अग्नि मिसाइल का सफल परीक्षण, कारगिल विजय और राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण जैसी उपलब्धियाँ भी राजग की सत्ता में वापसी नहीं करवा पायीं| 2009 का आम चुनाव भाजपा ने लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में लड़ा और बुरी तरह पराजित हुई| अब पार्टी के अन्दर नेतृत्व परिवर्तन की मांग मुखर होने लगी थी| अतः भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह की पहल पर 2014 का चुनाव एंग्री यंगमैन की छवि वाले गुजरात के निवर्तमान मुख्यमन्त्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया और पार्टी को जबरदस्त सफलता प्राप्त हुई| 282 सीटें जीतकर भाजपा ने पहली बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनायी| 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत का आंकड़ा 282 से बढ़कर 303 पर पहुँच गया है| सामने कोई मजबूत विकल्प न होने तथा देश के अन्दर चल रही साम्प्रदायिक उथल-पुथल को देखते हुए 2024 में भी केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के प्रबल योग बन रहे हैं| इस बीच भाजपा सरकार के नाम जो उपलब्धियां रहीं, उनमें मुख्य रूप से अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण, तीन तलाक पर रोक, हज सब्सिडी का खात्मा, तथा कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति है| 2014 के बाद भाजपा का संगठनात्मक ढांचा बहुत अधिक मजबूत हुआ है| जिसे फिलहाल कमजोर कर पाना सम्भव नहीं है| हालाकि बेरोजगारी और महंगाई जैसे बड़े और अत्यन्त गम्भीर मुद्दे पार्टी की गति पर ब्रेक लगा सकते हैं| परन्तु पार्टी की वर्तमान राजनीतिक शैली के आगे वह भी बेअसर जैसे दिखाई दे रहे हैं|

डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)