सासनी। एक माह रमजान के बाद ईदुल-फितर का त्यौहार बडे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, ठीक 9 बजे आगरा अलीगढ रोड स्थित ईदगाह में नमाज इमाम मुबारकअली ने अदा करवाई, नमाज के बाद इमाम साहब ने मुल्क की तरक्की, अमन-ओ-सुकून की दुआ की, और कोरोना और उस जैसी तमाम बीमारीयो से मुल्क की ओर मुल्क के लोगो की हिफाजत की दुआ की। नमाज के बाद इमाम ने कहा कि अल्लाह का शुक्र है, कि कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से अल्लाह ने हमारे मुल्क की हिफाजत फरमायी जिस वजह से हम सब मिलकर आज नमाज अदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा ईद का त्यौहार रमजान का चांद डूबने और ईद का चांद नजर आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख को मनाया जाता है। इस्लाम में दो ईदों में से यह एक है। इस्लाम मे पहली ईद उल-फितर पैगम्बर मुहम्मद साहब ने सन 624 ईसवी में मनायी थी। ईद उल फित्र से पूर्व रमजान के पूरे महीने अल्लाह के मोमिन बंदे अल्लाह की इबादत करते हैं रोजा रखते हैं और कुआन करीम कुरान की तिलावत करके अपनी आत्मा को पाक करते हैं, जिसका अज्र या मजदूरी मिलने का दिन ही ईद का दिन कहलाता है। जिसे उत्सव के रूप में पूरी दुनिया के मुसलमान बडे हर्षोउल्लास से मनाते हैं। ईद उल-फितर का सबसे अहम मक्सद एक और है कि इसमें गरीबों को एनफितरा देना वाजिब है। जिससे वो लोग जो गरीब हैं मजबूर हैं अपनी ईद मना सकें नये कपडे पहन सकें और समाज में एक दूसरे के साथ खुशियां बांट सकें। ईद भाई चारे व आपसी मेल का तयौहार है ईद के दिन लोग एक दूसरे के दिल में प्यार बढाने और नफरत को मिटाने के लिए एक दूसरे से गले मिलते हैं। ईद की नमाज के लिए दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों से भारी संख्या में लोग पहुंचे और नमाज अदा की। इस दौरान तमाम मुस्लिम भाई मौजूद थे। वहीं एसडीएम राजकुमार सिंह, तथा एसएचओ सतेन्द्र सिंह मयफोर्स के सुरक्षा की कमान संभाले हुए थे।