Tuesday, November 26, 2024
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गाँव-गाँव तक पहुँचा चुनावी दंगल, चुनावी दाव पेंच में उलझते लोग

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का आगाज होते ही गाँव में एक चुनाव दाव की कसक शुरू हो जाती है l सभी के मन में एक ऐसा जन प्रतिनिधि की आस होती है जो उनके साथ-साथ सम्पूर्ण गाँव को विकास की धारा में बहा सके l एक आम वोटर इससे ज्यादा चाहेगा भी क्या ? बेचारा बस इस उम्मीद में अपना वोट दे देता है कि कभी न कभी तो इन जनप्रतिनिधियों हमारी सुध आएगी , कभी तो उनके कदम हमारी झोपडी की ओर होगा lसमाज में बदलाब के लिए आगे आने वाले लोग – समाज में तीन तरह के लोग होते है, पहले गरीब, मजदूर, दिहाड़ी करने वाले यूँ कहे तो समाज का सबसे निचले पायदान में जीवन यापन करने वाले लोग, इन लोगो को जन प्रतिनिधियों से बड़ी आस होती है कि ये इनका जीवन बदले में मदद करेंगे l देश में सबसे बड़ी संख्या भी इस तबके का ही है; इनके वोट के दम पर ही लगभग सभी जन प्रतिनिधियों की साख होती है l बड़े-बड़े लालच, प्रलोभन वादे एवं आश्वाशन में यही तबका सबसे ज्यादा ठगा भी जाता है l यदि बात करे तो यह समाज का ऐसा हिस्सा है जो अपने काम करवाने के लिए बड़े नेता एवं जिला स्तर के जन प्रतिनिधि तक पहुँच ही नहीं पाता है l इनका काम भी कभी इतना बड़ा नहीं होता कि ये जिला के जन प्रतिनिधियों के पास जाये l पहुँच बस गाँव और ग्राम पंचायत तक; इतने में ही संतुष्ट हो जाता है l दूसरा तबका माध्यम वर्गीय परिवारों की; ये तबका में वे सभी लोग आ जाते है जो आर्थिक एवं सामाजिक रूप से कुछ सक्षम होते है l गाँव की सही राजनीति में इनका बड़ा दखल होता है l अपना काम बनाने के लिए इनका संपर्क सभी से होता है l किसी भी चुनाव में इनका सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व इनका ही होता है l किसी भी निर्णायक दौर तक जाने के लिए इनकी भूमिका अभूतपूर्व होती है l यही व्यक्ति सही राजनीति का आनंद भी लेता है l तीसरा तबका आर्थिक रूप से पूर्ण सक्षम परिकार का आता है l ये अपने काम, रोजगार, बिजनेस आदि में इतने उलझे होते है कि इनको ग्राम स्तरीय राजनीती से ज्यादा लेना-देना नहीं होता है l ये किसी भी चुनाव में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करते है और करते भी है तो इनका पक्ष निर्णायक होता है lआपसी मतभेद से हो रहे संवंध खराब – गाँव में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चलते पंचायत स्तर पर पंच, सरपंच, उपसरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायद सदस्य, जनपद पंचायत अध्यक्ष एवं जिला पंचायत अध्यक्ष जैसे गरिमामयी पदों के लिए जैसे होड़ लग जाती है l आरक्षण की घोषणा होते ही सब अपनी-अपनी रणनीति बनाना प्रारंभ कर देते है l जिसकी जैसी पहुँच उसका वैसा वर्चस्व; सब अपने-अपने समीकरण तैयार करने लगते है l कोई जीतने के लिए चुनाव में उतरता है तो कोई, किसी को हराने के लिए चुनावी मैदान में खड़ा किया जाता है l सब अपने-अपने हिसाब से गाँव का विकास का सपना देखते है; गाँव चुनावी प्रतिनिधियों से समर्थको में बट जाता है l एक गाँव जहाँ सब अपने सुख दुःख की बाते साँझा करते थे; एक दूसरे का हालचल पूछते थे अब वह अपने विपक्ष प्रतिनिधियों के गुट में होने से आपसी वैमनसता पाल लेते है l चुनाव में कोई एक की जीत होती परन्तु गाँव में कुछ दिन तक आपसी सम्बन्ध में दरार बनी रहती है l कभी-कभी ये सम्बन्ध इतने ख़राब हो जाते है की कोई बड़ी घटना भी घटित हो जाती है l

युवा कर सकते है बड़ा बदलाब – आज नई-नई तकनिकी से युवाओं का हाथ भरा हुआ है l मोबाइल एवं कम्पुटर ने सारा देश का ज्ञान एक जगह समेट कर रख दिया है l क्या अच्छा है और क्या ख़राब है के बारे में अब ज्यादा समझाने की जरुरत नहीं बची l तकनीक ने सभी को इतना करीब ला दिया है कि किसी सन्देश को पहुँचाने ने मिनट भी नहीं लगते और हजारों की संख्या में लोगो को जानकारी पता हो जाती है l अब युवाओं को हम अधूरे ज्ञान से संबोधित नहीं कर सकते; अब उनके हाथ कई प्रकार की जानकारी एवं कौशल बरा पड़ा है; युवाओं को ग्राम विकास में अपना योगदान निःस्वार्थ भावना से देना चाहिए l युवाओं में असीम शक्ति है, साहस है; युवा उर्जावान है l ये बड़ा से बड़ा बदलाब लेन में सक्षम है l आज के दौर में विकास रुपी बदलाब के लिए भी युवा अपनी जन भागीदारी निभा सकते है lइस समय हम सब मिलकर एक बड़े बदलाब की ओर देश को ले जाने में हर प्रकार से सक्षम हो रहे है l इसमें समाज का सबसे पायदान में बैठा व्यक्ति से लेकर उच्च तक अपना निःस्वार्थ यिग्दान देता है तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा देश पुनः सोने की चिड़िया बनकर चहकेगा l

लेखक-श्याम कुमार कोलारे{सामाजिक कार्यकर्त्ता} छिन्दवाड़ा