Tuesday, April 22, 2025
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शिक्षा

बाल वैज्ञानिक अपने स्थानीय स्तर की समस्या को चिन्हित कर प्रस्तुत करेंगे लघुशोध पत्र

प्रयागराज। राष्ट्रीय विज्ञान एवम प्रौद्योगिकी संचार परिषद भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्र व्यापी गतिविधि राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का तीसवाँ राज्य स्तरीय आयोजन पतंजलि ऋषिकुल स्कूल में 24 दिसम्बर से 26 दिसम्बर तक आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में कक्षा 6 से 12 तक के 10 वर्ष से 17 वर्ष तक के बच्चे मुख्य विषय अपने परितंत्र को समझें पर आधारित 5 उप विषयों में से किसी एक से सम्बंधित अपनी स्थानीय समस्या को चिन्हित कर दो बच्चों का एक समूह बनाकर किसी सक्षम मार्गदर्शक के मार्ग दर्शन में तीन चार महीने प्रयोग एवम सर्वे के माध्यम से अपने लघु शोध पत्र तैयार कर विभिन स्तर स्कूल स्तर, नोडल स्तर, जिला स्तर से होते हुए राज्य स्तर, रास्ट्रीय स्तर पर अपने लघु शोध प्रस्तुत करते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के राज्य समन्यवक डॉ0 एस0 के0 सिंह ने बताया कि इस वर्ष पूर्वी उत्तर प्रदेश के 37 जिलों में जिला स्तर पर लगभग 4670 प्रोजेक्ट प्रस्तुत किये गए। जिनमें से प्रत्येक जनपद से चार प्रोजेक्ट अर्थात कुल 148 प्रोजेक्ट राज्य स्तर के लिए चयनित किये गए। 16 मूल्यांकन कर्ताओं के माध्यम से 148 प्रोजेक्ट्स फाइलों की राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग कराई गई जिनमें से 82 प्रोजेक्ट्स के ग्रुप लीडर्स को राज्य स्तर पर मौखिक प्रस्तुतीकरण के लिए आमन्त्रित किया गया है।

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बाल वैज्ञानिकों को किया गया पुरस्कृत

जन सामना संवाददाता: बिनौली/बागपत। जिवाना के गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल में बुधवार को राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के राज्य स्तरीय आयोजन के लिए चयनित बाल विज्ञानियों को पुरस्कृत किया गया।
जिवाना के गुरुकुल स्कूल में 26 नवंबर को राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का जिला स्तरीय आयोजन हुआ था। जिसमें गुरुवार से मेरठ में शुरू हो रहे राज्य स्तर के आयोजन के लिए बेहतर प्रोजेक्ट प्रस्तुत करने वाले बाल विज्ञानियों का चयन किया गया। चयनित बाल विज्ञानियों गुरुकुल स्कूल के आर्यन व वंशिका, सनबीम पब्लिक स्कूल के वीशू तोमर, ग्रोवेल स्कूल के यश तोमर, देवास पब्लिक स्कूल की दिशा देशवाल व वेदांतिक स्कूल की अनुराधा को स्कूल में हुए कार्यक्रम में जिला समन्वयक डॉ0 राजीव खोखर ने स्मृति चिन्ह देकर पुरस्कृत किया।

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‘‘माँ ही पहली शिक्षिका, पहला स्कूल”

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे के लिए ये सबसे अच्छी उम्र होती है, क्योंकि वह इस उम्र में सबसे ज़्यादा सीखता है। एक बच्चा पांच साल से कम उम्र के घर पर ज़्यादातर समय बिताता है और इसलिए वह घर पर जो देखता है, उससे बहुत कुछ सीखता है। छत्रपति शिवाजी को उनकी माँ ने बचपन में नायकों की कई कहानियां सुनाईं और वो बड़े होकर कई लोगों के लिए नायक बने।

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बच्चों की शिक्षा के प्रति लापरवाही अब अभिभावकों को पड़ सकती है भारी

बच्चों को पढ़ाई से जोड़ने के लिए शिक्षकों के साथ अब अभिभावकों को भी अपना पूर्ण योगदान देने की आवश्यता है
“स्कूल अब शुरू हुए, शुरू हुई फिर पढ़ाई
दो साल बाद नन्ही बिटिया, स्कूल देख पाई
अब बच्चों के संग सब, स्कूल पढ़ने जायेंगे
नई गुरूजी की नई सीख, खूब सीखकर आयेंगे”
अप्रैल माह आते ही स्कूलों की घंटी एक बार फिर से बजने के लिए तैयार है । एक लम्बे समय के बाद पूर्व प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की किलकारी स्कूल के कमरों से सुनाई देने को तैयार है । देश में लॉकडाउन के दौर ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है तो वह है शिक्षा; और शिक्षा में पूर्व-प्राथमिक एवं प्राथमिक शिक्षा की दशा बिगाड कर रख दिया है । सरकारी विद्यालयों में जहाँ बच्चा 5 से 6 वर्ष की उम्र में स्कूल जाकर अपनी शिक्षा ग्रहण करने को तैयार हो जाता है वही निजी विद्यालयों में 4 वर्ष से प्री-प्राइमेरी कक्षाओं में दाखिला के साथ पढाई की शुरुआत हो जाती है । अभी तक पूरे 2 वर्षों का समय गुजर गया है कुछ बच्चे जो शुरूआती कक्षा में दाखिले के लायक थे उन्होंने तो स्कूल का मुख तक नहीं देख पाया है; और यदि किसी तरह इन उम्र के बच्चों का दाखिला विद्यालय में हो भी गया तो कोरोना महामारी के दर से बंद स्कूलों के दर्शन नहीं हो पाए है । इनके लिए स्कूल की पढ़ाई और वहाँ का मजा एवं सीख परियों की कहानी जैसा है । नए सत्र के प्रारंभ होते ही बच्चों की शुरूआती शिक्षा के लिए शिक्षक के पास एक नई चुनौती होगी, क्योकि 2 वर्षों के लर्निंग गेप को समझते हुए, आगामी कार्ययोजना तय करके सत्र के लिए तैयारी करनी होगी ।

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नेत्रदान-महादान का अलख जगाने वाले छात्र देवज्ञ ‘हार्वर्ड वर्ल्ड रिकार्ड’ से सम्मानित

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, महानगर कैम्पस के कक्षा-4 के छात्र देवज्ञ दीक्षित को मात्र 8 वर्ष की अल्प आयु में ही नेत्रदान जैसे सामाजिक सरोकार के पुनीत कार्य हेतु जनमानस को प्रेरित करने एवं सामाजिक जागरूकता प्रवाहित करने के उपलक्ष्य में ‘हार्वर्ड वर्ल्ड रिकार्ड’ से सम्मानित किया गया है। देवज्ञ का यह रिकार्ड उसके दो वर्षाे के अथक परिश्रम का परिणाम है। देवज्ञ अनेकों म्यूजिक वर्कशाप के माध्यम से सर्वाधिक संख्या में नेत्रदान हेतु लोगों को प्रेरित करने के साथ ही झुग्गी-झोपड़ी व पुर्नवास केन्द्रों के बच्चों को शिक्षित कर अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को निभा रहे हैं। इन्ही पुनीत प्रयासों हेतु देवज्ञ को ‘यंगेस्ट चाइल्ड टु हैव मोटीवेटेड मोस्ट नम्बर ऑफ पीपल फॉर आइ डोनेशन’ खिताब से नवाजा गया है एवं मेडल व ‘हार्वर्ड वर्ल्ड रिकार्ड’ सार्टिफिकेट प्रदान कर उनकी बहुमुखी प्रतिभा व सामाजिक उत्थान के उनके लगाव को सम्मानित किया गया है।

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अंशिका ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर काँस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया

लखनऊ। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित वर्ल्ड मैथमेटिक्स टीम चैम्पियनशिप में सिटी मोन्टेसरी स्कूल, अलीगंज (प्रथम कैम्पस) की कक्षा-9 की मेधावी छात्रा अंशिका रानी ने कांस्य पदक अर्जित कर लखनऊ का नाम विश्व पटल पर गौरवान्वित किया है। उक्त जानकारी सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने दी है। श्री शर्मा ने बताया कि वर्ल्ड मैथमेटिक्स टीम चैम्पियनशिप के अन्तर्गत विश्व के विभिन्न देशों के चुनिन्दा प्रतिभागी छात्रों के बीच चार दौर की कड़ी प्रतिस्पर्धा सम्पन्न हुई, जिसमें प्रथम राउण्ड में बहुविकल्पीय प्रश्न, द्वितीय राउण्ड में लिखित प्रश्न, तीसरे दौर में रिले राउण्ड, चौथे दौर में टीम राउण्ड की प्रतियोगिता सम्पन्न हुई। इससे पहले, राष्ट्रीय स्तर पर तीन दौर की कड़ी प्रतियोगिता के उपरान्त भारत से मात्र 12 छात्रों को वर्ल्ड मैथमेटिक्स टीम चैम्पियनशिप हेतु चयनित किया गया था, जिसमें सी.एम.एस. की अंशिका रानी भी शामिल थीं। सी.एम.एस. की इस मेधावी छात्रा ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित वर्ल्ड मैथमेटिक्स टीम चैम्पियनशिप में चारों दौर की प्रतियोगिताओं में अंशिका ने अपने गणित ज्ञान व मेधात्व का जोरदार परचम लहराते हुए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक अर्जित किया। इस उपलब्धि हेतु अंशिका को प्रशस्ति पत्र एवं मेडल प्रदान कर सम्मानित किया गया।

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आओ मिलकर पेड़ लगाएं- गुलशन कुमार

प्रयागराज। पेड़ हमें छाया, फल, फूल प्रदान करते हैं। लेकिन पेड़ लगाने के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में ताजा हवा (ऑक्सीजन) और खाद्य श्रृंखला में उनकी भूमिका शामिल है। पेड़ प्राकृतिक वेंटिलेटर हैं। इसके अलावा, कई मूल्यवान दवाएं पौधों के विभिन्न हिस्सों से निकाली जाती हैं। पेड़ हमारे सबसे अच्छे दोस्त हैं। पेड़ लगाने के सभी लाभों को सूचीबद्ध करने के लिए शब्दों की कोई मात्रा पर्याप्त नहीं होगी।
गुलशन कुमार पर्यावरण सलाहकार ने बताया हमारे वातावरण को स्वच्छ बनाये रखने के साथ-साथ ही हमारे सेहत को बुरे प्रभावों पेड़-पौधे (धूल, गंदगी, प्रदूषण) से बचाते है इसके लिये सबसे पहले वृक्षारोपण के फायदों के बारे में लोगों को जागरूक करना अति आवश्यक है। लाभदायी वृक्षों जैसे साल, सागौन, पीपल, नीम, बरगद, साजा आदि का वृक्षारोपण किया जाये।

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एक शिक्षक की संपत्ति उसके आदर्श एवं बुद्धिमान शिष्य ही होते हैं

इंसान का जन्म तो सहज है परंतु एक अच्छे इंसान के निर्माण का कार्य एक उत्तम शिक्षक के द्वारा ही होता है। एक आदर्श शिक्षक ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करता है। दुनिया में जितने भी महान् व्यक्ति हुए उन्हें महानता दिलाने का महान् कार्य भी उच्च आदर्श शिक्षकों के द्वारा ही हुआ है। एक शिक्षक की असली संपत्ति उसके आदर्श एवं बुद्धिमान शिष्य ही होते हैं। एक उत्कृष्ट शिक्षक समय का सदुपयोग, ज्ञान, ध्यान, धैर्य, शौर्य, वीरता, पराक्रम, सकारात्मक सोच – समझ, उत्तम चरित्र, अनुशासन, व्यक्तित्व का निर्माण जैसे गुणों के साथ इंसानियत का पाठ पढ़ाता है। इंसान को जीवन जीने का सलीका यदि कोई सिखाता है तो वह शिक्षक ही होता है।

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अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र/छात्राओं हेतु नेशनल स्कालरशिप पोर्टल (NCP) पर

कानपुर नगर। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पी0एन0 सिंह ने बताया है कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित प्री-मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक एवं मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत अल्पसंख्यक वर्ग (मुस्लिम, सिक्ख, बौद्ध, जैन, पारसी एव क्रिस्चन) के छात्र/छात्राओं हेतु नेशनल स्कालरशिप पोर्टल (एन0एस0पी0) पर आनलाईन आवेदन करने की समय सारिणी जारी कर दी गयी है जो निम्न प्रकार है।

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प्रदेश में व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर युवा, हो रहे है आत्मनिर्भर

आज विश्व में वही देश प्रगति कर रहा है, जिस देश में तकनीकी शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। आज के वैज्ञानिक एवं तकनीकी युग में दैनिक उपयोग में कई घरेलू व निर्माण के उपकरण प्रयोग किये जाते है। उन उपकरणों के उत्पादन, मरम्मत आदि की आवश्यकता होती है। जिस देश के युवा तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करते है, ऐसी तकनीकी व कुशल श्रम शक्ति से देश की तरक्की होती है। चीन, जापान, कोरिया, सिंगापुर, पश्चिमीदेश इसके उदाहरण है। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश में तकनीकी शिक्षा पर विशेष बल देते हुए ‘‘मेक इन इण्डिया‘‘ योजना की शुरूआत की थी, जिसका उद्देश्य है कि देश के नागरिकों को रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं का निर्माण भारत में हो इससे देश प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा और देश का आर्थिक विकास होगा। तकनीकी व्यावसायिक प्रशिक्षण शिक्षा प्राप्त युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेगें। अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने, औद्योगीकरण और उद्यमिता को बढ़ाने से वस्तुओं का आयात कम होगा, और देश का धन बचेगा साथ ही देश में निर्मित वस्तुओं के निर्यात से देश की समृद्धि बढ़ेगी।

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