Friday, April 19, 2024
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महिला जगत

बच्चों की प्रस्तुति ने मोहा शिक्षकों व अभिभावकों का मन

⇒जनपद में धूम-धाम से मनाया गया आजादी का जश्न, बच्चों ने प्रस्तुत किए मनमोहक कार्यक्रम
कानपुर देहात। प्राथमिक विद्यालय उसरी रसूलाबाद में मंगलवार को धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। ध्वजारोहण के बाद आजादी के जश्न में डूबे स्कूली बच्चों ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुति दी। हर कोई देशभक्ति के रंग में रंगा नजर आया। इस अवसर पर बच्चों के साथ साथ स्कूल के शिक्षकों ने भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शिरकत की। 15 अगस्त के अवसर पर बच्चों ने स्कूल के प्रांगण में सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। इसमें सबसे पहले छोटे बच्चों ने मां तुझे सलाम गाने पर परफॉर्म कर वहां मौजूद सभी लोगों का मन मोह लिया। इसके बाद ए वतन आबाद रहे तू, जय हो… और वंदे मातरम जैसे कई देश भक्ति गीतों पर बच्चों ने डांस किया। बच्चों के आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम के मंचन में मौजूद सभी लोगों को उत्साहित कर दिया। मौजूद अभिभावकों ने भी तालियां बजाकर बच्चों का उत्साह बढ़ाया।

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प्यासी प्यासी भोर

एक नयनजल नभ पर अटका
एक नयन के कोर
रात गई न बरसा सावन
प्यासी प्यासी भोर
फूलों की रतजागी आँखें
टेर सुनाए बेकल
प्रीत तुम्हीं मनमीत तुम्हीं
तुम हीं सावन मैं मोर ।।
छुपा मेघ में चाँद दीवाना
रजनी रोई रोई
ये सब बादल सूखे सूखे
बरसे कोई कोई
जादूगर से उस बादल का
निरा अनूठा तौर।
रात गई न बरसा सावन
प्यासी प्यासी भोर ।।

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“महिलाओं को नई दिशा और बेटियों को सही समझ दे रहा है पिंकीश फ़ाउंडेशन”

कभी-कभी कुछ लोगों का काम उनकी शालिन शख़्सियत के पीछे छुप जाता है, क्योंकि वो लोग वाहवाही लूटने हेतु काम नहीं करते; बल्कि सच में समाज को आगे ले जाने के लिए और लोगों को उपयोगी होने के लिए काम करते है। किसी भी अपेक्षा के बिना unconditional and औरों को appreciate करने वाला काम अगर कोई करता है तो वो है “पिंकीश फ़ाउंडेशन”
फेसबुक पर “पिंकीश फ़ाउंडेशन” द्वारा फेसबुक ग्रुप और पेज पर चल रहे लाजवाब काम को देखकर आज मन की गहराई से कुछ भावनाएँ फूट रही है। ये लेख कोई किसीको मक्खन लगाने के लिए नहीं लिख रही हूँ, बल्कि आँखों देखी घटना का विवरण है। पिंकीश से जुड़े मुझे शायद पाँच साल तो हो ही गए। जब से जुड़ी हूँ तब से पिंकीश को उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर होते देखा है।
सोशल मीडिया का सही उपयोग ऐसे भी होता है यह में समाज को समझाना चाहती हूँ। आजकल लोगों ने सोशल मीडिया को ज़हर उगलने का ज़रिया बना रखा है; ऐसे में पिंकीश फ़ाउंडेशन अपने नेक कामों का ढ़िंढोरा पिटे बिना चुपचाप अपना बेनमून काम करते आगे बढ़ रहा है। जिसके लिए आदरणीय अरुण गुप्ता सर और गोर्जियस और pure heart शालिनी जी की जितनी तारीफ़ की जाए कम है।
महज़ फेसबुक पेज द्वारा संचालन करते देश के कोने-कोने में अपनी चेइन बनाकर लोगों को नेक काम के लिए जोड़ कर प्रोत्साहित करना और अपनी गरिमामयी पहचान खड़ी करना कोई छोटी बात नहीं। पिंकीश के साथ एक से बढ़कर एक प्रबुद्ध, पढ़े-लिखे और इंटेलिजेंट लोग स्वैच्छिक तौर पर जुड़े है, जो अपना कीमती समय देते नेक काम के लिए कड़ी से कड़ी की तरह जुड़कर चेइन को आगे बढ़ा रहे है।
गाँव-गाँव, शहर-शहर बेटियों को माहवारी और स्वच्छता का सही ज्ञान देते सेनेटरी पेड़ को नि:शुल्क बाँटने का काम इतनी बखूबी निभा रहे है कि कहना पड़ेगा hats off pinkish team साथ ही पिंकीश के फेसबुक ग्रुप में लगातार कोई न कोई प्रतियोगिता और डिबेट जैसी गतिविधियों से महिलाओं को प्रोत्साहित करते रहते है।

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महिला सशक्तिकरण और भारत का विकास

स्वामी विवेकानन्द ने कहा था, ‘जब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं होगा तब तक देश आगे नहीं बढ़ सकता क्योंकि पक्षी अपने एक पंख से आकाश में नहीं उड़ सकता।’
महिलाएं हमारे देश की आबादी का आधा हिस्सा हैं। इसलिए राष्ट्र के विकास में महिलाओं की भूमिका और योगदान को पूरी तरह से सही परिप्रेक्ष्य में रखकर ही राष्ट्र निर्माण को समझा जा सकता है।
प्रागैतिहासिक युग से नवजागरण युग तक महिलाओं की प्रगति यात्रा अनेक सफलताओं और विफलताओं से भरी है। निःसंदेह, घर से बाहर आने और कामकाजी बनने से महिलाओं को एक नई पहचान मिली है जिससे उनका हौसला भी बड़ा है। विशेष उपलब्धियों, क्षमताओं, विशिष्ट कार्यशैली और प्रतिभा के बल पर महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में अपनी स्वतंत्र पहचान बना चुकी हैं।
महिला साक्षरता की दर बढ़ी है। उन्हें गृहलक्ष्मी के साथ-साथ कार्यलक्ष्मी बनने के भी अवसर मिले हैं। घर की रानी अब हुक्मरानी बन चुकी है। 73वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायती राज्य संस्थाओं में एक तिहाई स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित करने का कदम भी बहुत कारगर सिद्ध हुआ है।
तुलसीदास ने जिस पराधीनता को नारी के सबसे बड़े दुःख के रूप में देखा उसे आज की नारी ने गांव, कस्बे, नगर और महानगर सब जगह उतार फेंका है। आजकल की युवतियां किसी की परिणीता बनने के सपने नहीं देख रही है। उच्च शिक्षा प्राप्त युवतियां शादी के मुकाबले कैरियर को चुन रही हैं। हालांकि छोटे शहरों में युवतियों को आत्मनिर्भरता के अवसर बहुत कम हैं लेकिन ये युवतियां जहां भी हैं, अपने हस्ताक्षर बना रही हैं।

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जस्टिस फॉर चिल्ड्रन एंड वूमेन सोसाइटी ने किया कामकाजी महिलाओं का सम्मान

⇒जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैः सतीश
मथुरा। जस्टिस फॉर चिल्ड्रन एंड वूमेन सोसाइटी ने 11 कामकाजी महिलाओं को सम्मानित किया। सामाजिक कार्यकर्ता सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण के लिए संचालित संस्था जस्टिस फॉर चिल्ड्रन एंड वूमेन सोसाइटी द्वारा कामकाजी महिलाओं को उनके कार्य स्थल पर जाकर सम्मानित किया गया। इस तरह के कार्यक्रम संस्था कामकाजी महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए करती है। जिससे समाज में उनकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो सके। संस्था अध्यक्ष सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है श्यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता अर्थात् जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।

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स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने लगाये स्टॉल

कानपुर देहात। शासन द्वारा संचालित उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन योजनान्तर्गत विकास भवन परिसर माती में मुख्य सौम्या पांडे के निर्देशन में विकास भवन में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा होली पर्व पर स्वयं के द्वारा तैयार किये गये सामग्री के स्टाल का मुख्य विकास अधिकारी ने शुभारम्भ किया।
इस मौके पर विकासखंड अकबरपुर के वन्दना व लक्ष्मी समूह, दुर्गा महिला स्वयं सहायता समूह ब्लॉक अमरौधा, तुलसी महिला स्वयं सहायता समूह सरवन खेड़ा, ग्राम सखी समूह मलासा, नारायण हरि, कमल महिला एवं वैष्णवी महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा स्टॉल लगाए गए। इस अवसर पर जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी द्वारा प्रत्येक स्टॉल का अवलोकन किया गया, अवलोकन के दौरान समूह की सदस्यों द्वारा लगाई गई स्टॉल की महिलाओं से उनके उत्पादों के बारे में जानकारी ली व मुख्य विकास अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों ने गुलाल, बेसन, पापड आदि को भी खरीदा तथा उनका उत्साहवर्धन किया।

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वाकई लड़कियों ने क्या तरक्की की है ??

जैसे ऊब चुका संसार एक समय की लाज शर्म के गहनों से लदी और दहलीज़ के भीतर सलीके से रहती लड़कियों के रहन सहन से, वैसे वापस कब नफ़रत करेगा संसार दिन ब दिन कपड़े कम करके वसुधा पर सरे-आम नग्नता का नंगा नाच दिखा रही लड़कियों से।
एक ज़माना था कि हाथ और चेहरे के सिवाय औरतों का कोई और अंग पर पुरुष देख ले तो औरत शर्म से पानी-पानी हो जाती थी। दूसरी बार भूले से उस पुरुष के सामने आने से कतराती थी। पर आजकल की लड़कियाँ दावत देती है मर्दों को कि आओ मेरे तन की भूगोल का कोना-कोना पढ़ लो, फिर पढ़ कर अपनी वासना को जगाओ और वासनापूर्ति के लिए जहाँ भी किसी लड़की को अकेला पाओ मसल ड़ालो।
उर्फ़ी जावेद से लेकर वेब सीरिज़ों में काम करने वाली लड़कियों ने समाज का बेड़ा गर्द करके रख दिया है।
कहने का मतलब ये हरगिज़ नहीं की लड़कियाँ बुर्के में रहो, सर से पाँव तक कपड़ों से ढकी रहो। कहने का मतलब इतना ही है कि खुद ही अपनी इज्जत सरेआम अपने ही हाथों से उतारा न करो, तुम्हारी ऐसी हरकतों का खामियाजा मासूम बच्चियों को चुकाना पड़ता है। कभी ये सोचा है? सड़क पर नाम मात्र के कपड़े पहनकर तस्वीरें खिंचवा तुम रही हो, पर तुम्हारे तन से लालायित होकर दरिंदे भूखे भेड़िये बनकर बलात्कारी बन जाते है। इस बात में बिलकुल भी अतिशयोक्ति नहीं कि 50 प्रतिशत बलात्कार ऐसी घटिया लड़कियों की बदौलत ही होते हैं।

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क्या यही प्यार है ???

आजकल राखी सावंत और आदिल का रिश्ता सोशल मीडिया पर जमकर सुर्खियां बटोर रहा है। उनके रिश्ते को साल भर भी पूरा नहीं हुआ और दोनों कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे है। अभी कुछ महीनों पहले एक दूसरे को जान से ज्यादा अज़ीज मानने वाले राखी और आदिल, आज एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन बैठे है। कहाँ गया वो प्यार, वो शिद्दत, वो चाहत? क्या सच्चा प्यार इतनी जल्दी दम तोड़ देता है? स्वार्थ की नींव पर बँधे रिश्तों का अंजाम यही होता है। ऐसे छिछोरे लोगों ने आजकल रिश्तों की गरिमा का कत्ले-आम कर दिया है और शादी जैसे पवित्र बंधन को मजाक बना कर रख दिया है।
कोई मेल नहीं था दोनों का, फिर क्यूँ जुड़े एक दूसरे के साथ। हो सकता है शायद राखी की पोप्युलारिटी को ज़रिया बनाकर आदिल आगे बढ़ना चाहता हो, और अपने से छोटे हेंडशम दिखने वाले आदिल से राखी आकर्षित हुई हो। कारण जो भी हो पर सस्ती पब्लिसिटी के चक्कर में लड़कियाँ खुद को बर्बाद कर लेती है, राखी उस बात का जीता जागता उदाहरण है।
राखी सावंत जो इन दिनों अपने निजी रिश्तों की वजह से खबरों में छाई हुई है, उन्होंने बीते दिनों अपने ही पति आदिल को जेल भिजवा दिया और उनके खिलाफ़ कोर्ट में केस भी लड़ रही है। हर दिन राखी सावंत मीडिया में आकर केस का अपडेट सुनाती है। राखी को लोग ड्रामा क्वीन के नाम से भी जानते है। माना कि वो भी दूध की धुली नहीं, हर कुछ दिन बाद पब्लिसिटी स्टंट करती रहती है। आज उसे अपनी ही बेवकूफ़ी भारी पड़ रही है। किसीको बिना जाने पहचाने अपनी सारी प्रॉपर्टी दे देना अक्कलमंदी हरगिज़ नहीं।

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मिस्टर, मिस, मिसेज एंड किड्स पार्टी में बॉलीवुड अदाकारा का किया सम्मान

कानपुर: स्वप्निल तिवारी। गैंजेस क्लब में मिस्टर, मिस, मिसेज एंड किड्स पार्टी का आयोजन किया गया जिसमें मॉडलिंग क्षेत्र में करियर बना रहे युवक-युवतियों ने हिस्सा लिया। चीफ गेस्ट के रूप में बॉलीवुड सेलिब्रिटी मुग्धा गोडसे रही। वही चीफ गेस्ट विजय कपूर रहे ने बॉलीवुड अदाकारा का सम्मान किया। इस दौरान एंकर एव मॉडल एकता सिंह चैहान मॉडलिंग क्षेत्र में कैरियर बना रही अपनी पसंदीदा अदाकारा से मिलकर काफी खुश हुई। उन्होंने मीडिया से बातचीत भी की। इवेंट में आयुषी सविता ने जीत की खुशी जाहिर करते हुए बताया कि यह मेरा पहला मॉडलिंग इवेंट है। मम्मी पापा और बहन सभी का पूरा सहयोग मिला। वही कार्यक्रम का हिस्सा बने नकुल भारद्वाज की पत्नी वर्षा सोनी ने बताया कि मिस यूपी विनर रही हैं।

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बालिकाओं के सुदृढ़ीकरण से परिवार, समाज और राष्ट्र बनेंगे मजबूत: पोस्टमास्टर जनरल

वाराणसी। हमारे देश में बालिकाओं का स्थान महत्वपूर्ण है। बालिकाएं आने वाले कल का भविष्य हैं। ऐसे में बालिकाओं के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें आर्थिक व सामाजिक रूप से सुदृढ़ करने की जरूरत है। इसमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत आरंभ ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि वाराणसी परिक्षेत्र के डाकघरों में अब तक 2.72 लाख बालिकाओं के सुकन्या समृद्धि खाते खोले जा चुके हैं। यही नहीं, वहीं 804 गाँवों को सम्पूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम बनाया जा चुका है। इन गाँवों में 10 साल तक की सभी योग्य बालिकाओं के सुकन्या खाते खोले जा चुके हैं। आज भी इन गाँवों में किसी के घर बेटियों के जन्म की किलकारी गूंजती है तो डाकिया बाबू बधाई के साथ नवजात बालिका का सुकन्या खाता खुलवाना नहीं भूलते।

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