शिकोहाबादः जन सामना संवाददाता। शिक्षण संस्थान दयालबाग आगरा में आयोजित 42 वें दीक्षांत समारोह में नगर की बेटी आकांक्षा यादव ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर नगर का नाम रोशन किया। छात्रा की इस उपलब्धि पर उसको बधाई देने वाला का तांता लगा रहा।
आकांक्षा नगर के वंशीपुरम कॉलोनी निवासी दिनेश यादव एवं निर्मला यादव की पुत्रवधू हैं। उसने पीएचडी के दौरान अपना शोध कार्य प्रोफेसर वीके गंगल(डीन फैकल्टी ऑफ कॉमर्स) के निर्देशन में पूरा किया। छात्रा ने विश्वविद्यालय में शोध के दौरान तीन शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किए। उन्होंने लगभग 10 राष्ट्रीय एवं अंतरर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आदि में भी प्रतिभाग किया। पीएचडी के दौरान छात्रा ने इंडियन काउंसिल ऑफ साइंस एड रिसर्च (आईसीएसएसआर) द्वारा फैलोशिप भी प्राप्त की। वहपूर्व में तीन बार नैट की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर चुकी है और दो वर्ष तक राजकीय वाणिज्य महाविद्यालय अलवर में बतौर सहायक आचार्य शिक्षण प्रदान कर चुकी हैं।
महिला जगत
मोनिका ने जेआरएफ नेट पास कर नगर का मान बढ़ाया
शिकोहाबादः जन सामना संवाददाता। नगर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। जिसे सही प्लेटफार्म मिल जाता है, वही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर अपना, परिवार का और नगर का मान बढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ता।
नगर के मोहल्ला आवास विकास कालोनी निवासी रवि यादव राजकीय ठेकेदार विधुत विभाग की बेटी मोनिका यादव ने जेआरएफ नेट राजनीति शास्त्र सामान्य कैटागिरी में उत्तीर्ण कर नगर का नाम रोशन किया है। मोनिका यादव ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ ही गुरुजनों और अपनी मेहनत को दिया है। मोनिका की इस सफलता पर उसको बधाई देने वाले बधाई दे रहे हैं। परिजनों ने बेटी की इस उपलब्धि पर उसको मिष्ठान खिला कर उसका मुंह मीठा कराया।
। हिन्दी दिवस ।
चंदन सी महके और दमके,
तू मलय गंध लेकर हिंदी।
बच्चों की किलकारी में तू,
भारत मां को प्यारी हिंदी।
हम सबकी पहचान है हिंदी,
हिंदुस्तान की aजान है हिंदी।
भारत का अभिमान है हिंदी
सबके लिए आसान है हिंदी
स्वर व्यंजन से बंधी ये हिंदी,
कस्तूरी सी ये महके हिंदी।
रणक्षेत्र में जैसे ढाल ये हिंदी
क्षत्रिय की तलवार यह हिंदी
मां की गोदी का लाल ये हिंदी ,
माझी की पतवार ये हिंदी ।
नववधू की कुमकुम जैसे हिंदी ,
जन-जन के हृदय बसी ये हिंदी ।
हिंदुस्तान की शान ये हिंदी ,
अपनों की पहचान ये हिंदी ।
भक्तों की अरदास ये हिंदी ,
मांओं की उपवास ये हिंदी।
मीरा रसखान कबीर तुलसी ,
है महावीर की वाणी हिंदी ।
गंगा यमुना और सरस्वती ,
संगम की यह रवानी हिंदी ।
साधक की “नाज़” बनी साधना हिंदी,
शंखों से मुखरित होती हिंदी।
महिला शक्ति ने बरेली में आयोजित जायंट्स कन्वेंशन में जीते 14 अवार्ड
फिरोजाबाद, जन सामना संवाददाता। जायंट्स ग्रुप ऑफ फिरोजाबाद महिला शक्ति की पदाधिकारियों ने बरेली में आयोजित जायंट्स कन्वेंशन में सेवा कार्यों के लिए सर्वाधिक 14 पुरस्कार से नवाजा गया।
संस्था की अध्यक्षा पूनम गुप्ता ने बताया कि सभी 84 ग्रुप में से सेवा कार्यो के लिए सर्वाधिक 14 अवार्ड से जीते है। सौम्या चौहान को बेस्ट कॉर्डिनेटर का अवार्ड मिला। प्रशासनिक निर्देशिका प्राची अग्रवाल को आउटस्टेंडिंग प्रसाशनिक निदेशिका और राखी बंसल को एक्सीलेंट वित्त निदेशिका का अवार्ड मिला। महिला शक्ति ग्रुप को बेस्ट ग्रुप, आउटस्टेंडिंग आई कैम्प, आउटस्टेंडिंग मोनुमेंटल, आउट स्टेंडिंग सर्विस प्रोजेक्ट ऑफ द ईयर, एक्सीलेंट पेप्रोसी इरेडिकेशन, एक्सीलेंट दिव्यांग सर्विस, एक्सीलेंट टी वी एररेडिक्शन, बेस्ट जायंट्स ग्रुप, जायंट्स सेवा सप्ताह, बेस्ट ब्लड डोनेशन, 50 ग्रोथ अवार्ड मिले।
कानूनी दायरे में रहकर न्याय दिलाना ही हमारा मुख्य कार्य है : प्रेमलता
सासनी, हाथरस। गांव तेहरा में भारतीय न्याय चक्र फाउण्डेशन के बैनरतले नारी सशक्तिकरण और कानूनी दायरे में पीड़ित महिला शक्ति को न्याय दिलाने पर चर्चा की गई। साथ ही मजलूम और असहाय लोगों के प्रति होने वाले अपराधों से कैसे निबटा जाए जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
गुरूवार को आहूत बैठक का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद भारतीय न्याबय चक्र फाउण्डेचशन की महिला प्रकोष्ठम प्रदेश अध्यदक्ष प्रेमलता तथा राष्ट्री य अध्योक्ष विष्णुअ मिश्रा ने मां भारती के छबिचित्र के सामने दीप जलाकर एवं पुष्पषहार अर्पित कर किया। बैठक में मुख्य अतिथि ने कहा कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य महिला शक्ति को कानूनी दायरे में न्याय दिलाना और ज्यादा से ज्यादा गरीब, बेबस, असहाय व्यक्तियों की पीड़ा को दूर करना है।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं। घर हो या कार्यस्थल महिलाएं आज पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाएं खड़ी हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां महिलाएं अपना योगदान न दे रही हों। घर हो या बाहर महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं, लेकिन ऐसी कई वजहें भी हैं, जिनकी वजह से उन्हें पुरुषों की तुलना ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारत की ही बात करें तो यहां हर मिनट एक महिला अपराध का शिकार होती है।
ऑपरेशन जागृति अभियान के तहत महिला सुरक्षा की दी जानकारी
फिरोजाबादः संवाददाता। ऑपरेशन जागृति अभियान के तहत गुरुवार को जगह-जगह पुलिस अधिकारियों ने कार्यक्रम आयोजित कर महिला सुरक्षा की जानकारी दी। उन्होंने महिलाओं और बालिकाओं को जागरूक करते हुए कहा कि झूठी रिपोर्ट लिखाने में महिलाएं व युवती स्वविवेक का प्रयोग करें।पालीवाल ऑडिटोरियम में एसपी सिटी सर्वेश कुमार मिश्रा ने कहा कि नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बालिकाओं को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एडीजी आगरा जोन के निर्देशन में सात जिलों में यह अभियान चलाया जा रहा है। अपराधों से बचाने को लेकर पुलिस और यूनिसेफ के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है।
अभियान चलाकर लड़कियों को शिक्षा के लिए किया प्रेरित
लखनऊ। एजुकेट गर्ल्स एक गैर-लाभकारी संस्था है जो भारत के ग्रामीण और शैक्षिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियों की शिक्षा के लिए समुदायों को जुटाने पर अपना ध्यान केंद्रित करती है। संस्था लड़कियों की शिक्षा तक पहुंच और गुणवत्ता में सुधार करने के लक्ष्य के साथ उत्तर प्रदेश में कार्य कर रही है। पिछले कुछ महीनों से संस्था ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर नामांकन अभियान के जरिए 37320 लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया है ।
जानकारी दी गई कि नामांकन अभियान के लिए संस्था ने 275238 घरों मे सर्वे किया था। नामांकन अभियान में स्कूल प्रबंधन समिति की कुल 1640 बैठकों के साथ 2420 ग्राम शिक्षा सभा और मोहल्ला मीटिंग्स का आयोजन किया गया। संस्था ने यह अभियान चित्रकूट, कौशांबी, बांदा, फतेहपुर, रायबरेली, उन्नाव, सोनभद्र, प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर, महाराजगंज, कुशीनगर, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर जिलों में प्रशासन की अमूल्य मदद से सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है।
एजुकेट गर्ल्स संस्था के ऑपरेशन्स हेड विक्रम सिंह सोलंकी ने कहा, “संस्था शिक्षा से वंचित बालिकाओं को स्कूल से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार और प्रशासन के साथ एक सहज साझेदारी के माध्यम से, शिक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने और नामांकन बढ़ाने के लिए यह अभियान शुरू किया गया था।
करवा चौथ व्रत, संकष्टी /करक गणेश चतुर्थी व्रत, पूजन एवं विधान
रायबरेली। गोकर्ण ऋषि की तपस्थली पर मां गंगा के पावन गोेकना घाट के वरिष्ठ पुरोहित पंडित जितेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में संकष्टी गणेश चतुर्थी, करवा चौथ का व्रत 01 नवम्बर 2023 दिन, बुद्धवार को है। यह महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण निर्जला व्रत है। इस दिन महिलाओं को निर्जला व्रत रखना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ का व्रत ,अखंड ,सौभाग्य के लिए रखा जाता है ।माना जाता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक रहने से पति की आयु लम्बी होती है। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है, यही कारण है कि करवा चौथ का व्रत अन्य व्रतों की अपेक्षा कठिन होता है ,करवा चौथ व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं ,सोलह श्रृंगार करके व्रत रखती हैं , करवा चौथ व्रत के एक दिन पूर्व सुहागिन महिलाएं मेहंदी आदि लगाकर श्रंगार करती हैं और शाम के समय शिव परिवार अर्थात भगवान शिव जी, माता पार्वती जी, भगवान गणेश जी, भगवान कार्तिकेय जी और नंदीश्वर की प्रतिमा चौकी पर रखकर विधि विधान से पूजा के बाद चंद्रोदय पर चंद्रदेव को अर्घ्य देती हैं, अर्घ्य देने के बाद पति द्वारा लोटा से जल पिलाकर व्रत का परायण होता है।
सुहागिनों का सबसे बड़ा त्यौहार है करवा चौथ
करवा चौथ पर्व का हमारे देश में विशेष महत्व है क्योंकि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलती हैं। भारतीय समाज में वैसे तो महिलाएं विभिन्न अवसरों पर अनेक व्रत रखती हैं लेकिन पति को परमेश्वर मानने वाली नारी के लिए इन सभी व्रतों में सबसे अहम स्थान रखता है ‘करवा चौथ’ व्रत, जो इस वर्ष 1 नवम्बर को मनाया जा रहा है। पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य तथा सौभाग्य के साथ-साथ जीवन के हर क्षेत्र में उसकी सफलता की कामना से सुहागिन महिलाओं द्वारा कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला यह व्रत अन्य सभी व्रतों से कठिन माना जाता है, जो सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत एवं त्यौहार है। महिलाएं अन्न-जल ग्रहण किए बिना अपार श्रद्धा के साथ यह व्रत रखती हैं तथा रात्रि को चन्द्रमा के दर्शन करके अर्ध्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं। यही वजह है कि अखण्ड सुहाग का प्रतीक यह व्रत अन्य सभी व्रतों के मुकाबले काफी कठिन माना जाता है।
कहा जाता है कि इस व्रत के समान सौभाग्यदायक अन्य कोई व्रत नहीं है और सुहागिनें यह व्रत 12-16 वर्ष तक हर साल निरन्तर करती हैं, उसके बाद वे चाहें तो इसका उद्यापन कर सकती हैं अन्यथा आजीवन भी यह व्रत कर सकती हैं। आजकल तो कुछ पुरूष भी पूरे दिन का उपवास रखकर पत्नी के इस कठिन तप में उनके सहभागी बनते हैं। दिनभर उपवास करने के बाद शाम को सुहागिनें करवा की कथा सुनती व कहती हैं तथा चन्द्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्ध्य देकर अपने सुहाग की दीर्घायु की कामना कर प्रण करती हैं कि वे जीवन पर्यन्त अपने पति के प्रति तन, मन, वचन एवं कर्म से समर्पित रहेंगी।
सजना है मुझे सजना के लिए …
भारत में सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा त्यौहार है ‘करवा चौथ’, जो दाम्पत्य जीवन में एक-दूसरे के प्रति समर्पण का अनूठा पर्व माना जाता है। इस विशेष त्यौहार का सुहागिन महिलाएं सालभर इंतजार करती हैं। हालांकि यह व्रत अन्य सभी व्रतों से कठिन माना जाता है, फिर भी देशभर में हर जाति, हर सम्प्रदाय की महिलाएं अपने पति की दीर्घायु तथा अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए खुशी-खुशी यह व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलती हैं। हालांकि समय के साथ इस व्रत को मनाए जाने की परम्पराओं में थोड़ा बदलाव आया है और अब बहुत सी अविवाहित युवतियां भी अच्छे वर की प्राप्ति की कामना से यह व्रत करने लगी हैं।
करवा चौथ के शुभ दिन महिलाओं के चेहरे पर एक अलग ही तेज नजर आता है। इस पर्व का नाम सुनते ही मन में सोलह श्रृंगार किए खूबसूरत नारी की छवि उभर आती है। दरअसल मेंहदी लगे हाथों में रंग-बिरंगी खनकती चूड़ियां, माथे पर आकर्षक बिंदिया, मांग में सिंदूर, सुंदर परिधान और तरह-तरह के आकर्षक गहने पहने अर्थात् सोलह श्रृंगार किए सुहागिन महिलाएं इस दिन नववधू से कम नहीं लगती। दुल्हन के लाल जोड़े की भांति इस दिन भी लाल रंग के परिधान पहनने का चलन बहुत ज्यादा है। वास्तव में करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के सजने-संवरने का एक विशेष अवसर है।