प्रतिवर्ष 10 जुलाई जनसंख्या नियंत्रण दिवस पर सबको याद आता है कि देश में बढ़ रही जन संख्या की वजह से दिन ब दिन महंगाई और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। उसी तरह इस साल भी आजकल जन संख्या नियंत्रण कानून का मुद्दा देश में गर्माया हुआ है। क्यूँकि जनसंख्या के मामले में भारत 1.35 अरब की आबादी के साथ विश्व में दूसरे पायदान पर है। अगर जल्दी कोई फैसला नहीं लिया गया तो कुछ समय में भारत इस मामले में पहले पायदान पर होगा।सरकार को इस मामले में दखल देने की जरूरत ही न पड़ती, अगर हर दंपत्ति देशहित में और सुखी परिवार की ख़ातिर स्वैच्छिक रुप से हम दो हमारे दो स्लोगन को अपनाते। बड़े परिवार देश की आबादी बढ़ाने के साथ परिवार के कमाने वाले मुखिया पर भी बोझ ड़ालते है। परिवार छोटा होगा तो जरूरतें कम हो जाएगी जो चीज़ें चार बच्चों को मुश्किल से मिलती है वो दो बच्चों को आसानी से हासिल होगी।
Read More »लेख/विचार
आम इंसान की परेशानियां
आज आम इंसान के हालातों पर रोटी कपड़ा और मकान फ़िल्म के गानें की चंद पंक्तियाँ याद आ रही है,
“ग़रीब को तो बच्चे की पढ़ाई मार गई
बेटी की शादी और सगाई मार गई
किसी को तो रोटी की कमाई मार गई
कपडे की किसी को सिलाई मार गई
किसी को मकान की बनवाई मार गई
बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई”
आज देश बहुत सारे हालातों से जूझ रहा है उसमें सबसे अहम मुद्दा आज महंगाई और बेरोजगारी है। उपर से पिछले दो सालों से कोरोना ने कहर बरपाया, जिसमें लाॅक डाउन के दौरान कई लोगों की नौकरियां छूट गई, कई कंपनियां बंद हो गई। मोल मौलात वाले झेल गए पर छोटे व्यापारियों की हालत खस्ता हो गई। वैश्विक मंदी ने सबकी आर्थिक व्यवस्था डावाँडोल कर दी है। पर आम इंसान को अपनी परेशानियों ने ऐसे मारा कि न कह सकते है, न सह सकते है। थोड़ा सरकार ध्यान दें और थोड़ जनता योगदान दें तभी देश वापस उपर उठ पाएगा।
Read More »इंदौर के नगरीय प्रशासन चुनाव में वोट प्रतिशत कम होने का एक कारण निमाडीजन की नाराजगी भी
इंदौर में नगरीय प्रशासन के चुनाव में मतदान का प्रतिशत सत्तर से पिछ्त्तर फीसदी तक हासिल करने के लिए तमाम दावे- वादे और जतन किए गये लेकिन इस मामले में सत्तारुढ राजनीतिक दल और इंदौर प्रशासन को मुंह की खानी पड़ी।
शहर का महापौर और पार्षद चुनने वाले इस चुनाव में वोट का प्रतिशत बढ़ाने के काफी प्रायस किए गये थे लेकिन इन सबके के बावजूद शहर में 60 फीसदी से कम ही मतदान हो पाया।
आपको ये जानकर बडी हैरानी होगी कि इस चुनाव में मतदान कम होने के पीछे इंदौर शहर में बसी निमाड़ अंचल की आबादी का नाराज होना भी एक बड़ा कारण है।
काबिलेगौर हो कि इंदौर शहर में निमाड़ अंचल के खरगोन, खंडवा, बड़वानी, बुरहानपुर और धार जिले से पलायन करके आने वाले सभी जाति और धर्म के लोग यहां बसते है। इन जिलों से सरोकार रखने वाले करीब 6 लाख निमाड़ी शहर में निवासरत है। हालाकि ये लोग ज्यादातर तंग बस्तियों के साथ ही शहर की पाश व बड़ी-बड़ी कालोनियों में निवासरत है।
काबिलेगौर हो कि शासन- प्रशासन की मंशा के अनुरुप इस चुनाव में भारी मतदान हो इसके लिए ‘निमाड़ महासंघ’ ने निमाड़ अंचल के लोगों के बीच जाकर ज्यादा से ज्यादा मतदान हो इसके लिए समझाईश दी और मतदान करने के लिए प्रेरित किया।
निमाड़ महासंघ के प्रमुख संजय रोकड़े और उनके सहयोगियों ने जब शहर की निमाड़ बाहुल्य बस्तियों व कालोनियों में लोगों के बीच जाकर संपर्क कर ‘मतदान जरुर’ अभियान के तहत वोट जरुर दे, और वोट की महत्ता को समझाया तो तमाम निमाड़ी बाशिंदों में मुख्यधारा के राजनीतिक दलों खासकर सत्तारूढ़ दल के प्रति खासी नाराजगी देखी गयी।
इस शहर के इन्द्रपूरी, खंडवा रोड की सभी कालोनियों, मुसाखेडी, मयूर नगर, शांति नगर, चंदन नगर, द्वारकापुरी, अहिरखेडी, वेलोसिटी टाकीज के पीछे की कालोनियों, तीन इमली काकड बस्ती, भावना नगर, राहुल गांधी नगर, कुशवाह नगर, बाणगंगा इलाके के अलावा दूसरी तमाम कालोनियों में बसे लोगों के बीच में से एक सुर में यही बात उभर कर सामने आयी कि इस शहर के बड़े राजनीतिक दलों और उनके नेताओं ने हमारी भारी उपेक्षा की।
आज कल इंसाफ
परी और मौर्य मोटर साइकिल पर जा रहे थे।परी और मौर्य की नई नई शादी हुई थी तो कुछ गहने भी पहन रखे थे।दोनों मस्ती से चलचित्र देख घर की ओर जा रहे थे।नई शादी और दोनों का साथ में मोटर साइकिल पर बतियाते हुए जाना दोनों के लिए काफी रोमांचक था।हल्की बारिश भी ही रही थी दोनों प्यार भरी बात करते हुए सड़क के एक तरफ आराम से चलाएं जा रहे थे।थोड़ी देर आगे गए तो एक बदमाश ने शरारत की और उनके सामने आ खड़ा हो गया,दोनों गिरने से तो बच गए लेकिन मोटर साईकिल तो गिर ही गई और वह बदमाश ने परी के गले पर चाकू रख दिया और उसे गहने उतरने को कहा तो मौर्य ने उसे दे देने के लिए बोला और वह गहने उतारने लगी और अब वह बदमाश उसके शरीर को हाथ लगा उसे मदद करने का नाटक कर यहां वहां छूने की कोशिश करने लगा तो मौर्य को गुस्सा आ गया और उसे धक्का मार दिया और मिनटों में उसने जो चाकू परी के और निशाना लगा के रखा था उसी से मौर्य पर वार कर दिया जो उसको छाती में लगा और वह गिर गया।काफी खून बह रहा था तो वह गभरा गया और कुछ चिल्लाया तो एक मोटर साइकिल पर दो बदमाश आएं जो कहीं आसपास ही छुपे हुए थे।वह लपक कर उनके साथ बैठ भाग गया और परी ने कुछ आते जाते लोगों से मदद ले एंबुलेंस बुलाई और मौर्य को पास के अस्पताल में ले गए जहां उसका इलाज होने से जान का खतरा टल गया।पुलिस केस किया गया और पुलिस ने पूरा बयान सुना और कैस दर्ज कर दिया ।जो मामला दर्ज हुआ वह था ,परी और मौर्य को बाइक से गिराना और तीन सवारी में बाइक चलाना जो कि गैरकानूनी हैं।
जयश्री बिरमी{अहमदाबाद}
बोलो क्या क्या बचाओगे
जब से महाराष्ट्र में तीन पहिए वाली सरकार बनी हैं कुछ न कुछ तिकड़म चलता ही रहता हैं। वैसे भी ’तीन तिगड़े काम बिगड़े’ आम तौर पर कहा जाता जाता हैं और यही हो रहा है महाराष्ट्र में। पहले पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या के मामलों में सरकार का जो अभिगमन देखने को मिला वह उनको बदनाम करने के लिए काफी थी। उसके बाद सुशांत की हत्या या आत्महत्या प्रकरण में भी उद्धव सरकार ने काफी कुछ साख खो दी थी। और जब सुशांत के केस में बात बिगड़ती नजर आई तो रिपब्लिक TV के मालिक और एंकर के साथ हुए केस और अमानवीय व्यवहार से पता लग रहा था कि सरकार में से किसका तो संबंध था इन मामलों में।
Read More »उदयपुर: शोचनीय मुद्दा
उदयपुर में हुई कन्हैयालाल की हत्या एक-एक नागरिक के लिए चिंतनीय और शोचनीय है। यहाँ कोई सुरक्षित नहीं, कुछ भी बोलने से पहले, स्टेटस डालने से पहले या डीपी लगाने से पहले सौ बार सोचिए। कब किसकी मति खराब होगी कुछ नहीं कह सकते। आख़िर क्यूँ इंसान पशु की भाँति व्यवहार करने लगा है? किसीको जान से मार देना आजकल चींटी मसलने बराबर हो गया है। किसीकी जान लेने से पहले इतना जरूर सोचिए की आप सिर्फ़ एक इंसान का कत्ल नहीं करते, पीछे बचे परिवार को भी जीते जी मार देते हो। परिवार में एक ही कमाने वाला होता है किसीका बेटा, किसीका पति, किसीका पिता होता है। एक को मार देने से कितने लोग अनाथ हो जाते है।
Read More »अबॉर्शन महिलाओं के निजी फैसला होना चाहिए
आज की महिलाओं को हर कोई आज़ाद और स्वच्छंद विचरण करने वाली बता रहा है, पर क्या किसी ने सोचा है की जो फैसला महिलाओं का निजी होना चाहिए वही लेने के लिए आज़ाद नहीं। जी हाँ अपनी ही कोख में ठहरे गर्भ के साथ क्या करना है वो फैसला कुछ महिलाएं खुद नहीं ले सकती पति और परिवार वालों के दबाव में आकर अवांछित बच्चें पैदा करने पड़ते है। अगर दो बेटी है तो बेटे और पोते की चाह में पति और ससुराल वालों की मर्ज़ी को मानते तीसरा बच्चा हर हाल में पैदा करना पड़ता है।
Read More »भारत का विश्व को दिशा दिखाने का हौंसला
आओ हौंसला सूरज से सीखें, रोज़ ढलके भी हर दिन नई उम्मीद से निकलता है
भारतीयों का हौंसला सबसे बड़ी ताकत बनकर उभर रहा है – होता है, चलता है, के दिन लद गए!! अब करना है, करते ही रहेंगे, का संकल्प है – एड किशन भावनानी
वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ते प्रौद्योगिकी के विकास के साए में मानव प्रजाति में भागमभाग लगी हुई है!! हर देश अपने अपने स्तर पर नए अविष्कारों को प्रोत्साहन दे रहा है और विश्व पर राज करने की होड़ में शामिल होना चाहता है!नवोन्मेष, नवाचार, स्टार्टअप्स, नईनई प्रौद्योगिकियों को उत्साहित मन से और बुलंद हौसलों के साथ हर देश हर व्यक्ति निरंतरता बनाए हुए हैं हम आज इस बढ़ते प्रौद्योगिकी युग में, ऊपर विचारों में शामिल बुलंद हौसलों, शब्द को रेखांकित करेंगे औरइस आर्टिकल के माध्यम से हौसला शब्द को विशाल उपलब्धि की सकारात्मकता पर चर्चा करेंगे।
लोखंड़ी महिला द्रौपदी मुर्मू का स्वागत है
ज़िंदगी की चुनौतियों पर बार-बार बिखरी एक नारी देखो हर ज़ख़्म के साथ कुंदन सी निखरी, थकी नहीं न हारी हर कसौटी पर फ़तेह पाकर ज़िंदगी जीने की उसने कला सीख ली
जहाँ एक तरफ़ आज भी महिलाओं के लिए कहा जाता है कि स्त्री की बुद्धि पैरों की पानी में होती है, वहाँ आज हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी बुद्धिमत्ता और आत्मविश्वास के साथ अपना लोहा मनवा रही है। देश के लिए सचमुच गर्व की बात है एक महिला जो पिछड़े समाज का हिस्सा रही वह अपने आत्मविश्वास और अपने दम पर आज खुद को राष्ट्रपति के पद के लिए प्रस्थापित करने जा रही है। अपनी ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव से गुज़री द्रौपदी मुर्मू जी एक उम्र तक घर के बाहर शौच जाने के लिए अभिशप्त थी। अब वो भारत के सर्वाेच्च संवैधानिक पद की हकदार बन चुकी है। इसके अलावा झारखंड राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब इन्हीं के नाम है। अगर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बनी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार जीत जाती है तो पहली बार ऐसा होगा कि कोई आदिवासी महिला भारत देश की पहली राष्ट्रपति बनेगी और भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू बनेंगी।
आओ नशीली दवाओं के दुरुपयोग, अवैध तस्करी रोकनें में सक्रिय भागीदारी बढ़ाएं
नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय दिवस 26 जून 2022 पर विशेष
नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने सामुदायिक सहायता की ज़रूरत हैं
मादक पदार्थों के प्रयोग से दुष्प्रभाव- परिवार से विच्छेदन, अपराध प्रवृति में वृद्धि, शारीरिक व मानसिक कमजोरी के रूप में सामने आती है – एड किशन भावनानी
अंतरराष्ट्रीय स्तरपर मादक पदार्थों के सेवन और नशीली दवाओं के दुरुपयोग तथा उसकी अवैध तस्करी के मामलों से करीब-करीब हर देश पीड़ित है और यह समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। खासकर मानवीय युवा पीढ़ी जिन्हें भविष्य की बागडोर संभालनीं है, यानें हमारी अगली पीढ़ी बनने वाले युवा और बच्चों की रुचि मादक पदार्थों में बढ़ती ही जा रही है हम अपने आसपास भी देखते होंगे कि बच्चे भी सिगरेट, बीड़ी, बीयर पीने की ओर आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं जो वैश्विक समस्या बनती जा रही है इसीलिए ही नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस 26 जून के उपलक्ष में हम इस आर्टिकल के माध्यम से, आओ नशीली दवाओं के दुरुपयोग, अवैध तस्करी को रोकने सक्रिय भूमिका बढ़ाएं पर परिचर्चा करें।