Tuesday, April 22, 2025
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लेख/विचार

चुनाव 2022 बनाम ओमीक्रान वेरिएंट

ओमीक्रान वेरिएंट और चुनाव 2022 – क्या चुनावी जनसभाओं को डिजिटल मीडिया तक सीमित किया जाए ?
सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर चुनाव आयोग से मिलकर चुनाव प्रचार के विकल्पों पर चर्चा करना ज़रूरी – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूप से ब्रिटेन, अमेरिका सहित अनेक देशों में ओमीक्रान वेरिएंट का कहर और भारत में बढ़ते केसों को ध्यान में रखते हुए आगामी पांच राज्यों में कुछ महीनों में होने वाले विधान सभाओं का चुनाव और वर्तमान यूपी में हो रही रथ यात्राओं, रैलियों जनसभाओं में बिना उपयुक्त कोविड व्यवहार पालन के उपस्थित नागरिकों को देखते हुए बुद्धिजीवियों, प्रबुद्ध नागरिकों, जानकारों, टीवी चैनलों पर डिबेट और गली मोहल्लों में इस चर्चा को बल मिल रहा है कि क्या चुनावी सभाओं को डिजिटल मीडिया तक सीमित करने संबंधी किसी विकल्प पर विचार किया जाना उचित रहेगा ?

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कौवों की जमात

एक वीडियो देखा था, एक ताकतवर मुर्गा एक कौए पर चढ़ बैठा था और उसको अपनी चोंच से जोर जोर से वार कर उसे घायल कर दिया था और कौवों का झुंड उसके ऊपर और आसपास उड़ कर कांव कांव कर रहे थे। कोई भी कौवा उसे बचाने के लिए कुछ ठोस कदम नहीं उठा रहे थे। सिर्फ उड़ा उड़ करके शोर मचाते हुए उस कौए को मरते हुए देख रहे थे। अगर सभी कौवे एक साथ उस अकेले हमलावर पर घात करते तो शायद उस कौवे को बचा पाते। अगर नहीं भी बचा पाते तो अपनी ताकत का संदेश तो उस हमलावर मुर्गे को दे ही सकते थे। कांव कांव करके उड़ने से सिर्फ शोर हो सकता हैं बचाव नहीं।

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डिजिटल भारत में अनुपालन बोझ को कम करने सुधारों की ज़रूरत

वैधानिक मापनविधा को गैर-अपराधी बनाने की ज़रूरत – स्वसत्यापन, स्वप्रमाणन, स्वनियमन को बढ़ावा देने की ज़रूरत
डिजिटल भारत में सरकारी विभागों के मामलों में नियमों, प्रक्रियात्मक पहलुओं, को गैर-अपराधिक करने और आवेदक़ के शिकायतों का निवारण संवेदनशील तरीके से करने की ज़रूरत – एड किशन भावनानी
भारत बड़ी तेज़ी के साथ डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ते हुए डिजिटलाइजेशन की आंधी में, संकरी गलियों रूपी मानव हस्तकार्य याने हैंडवर्क को विशाल चौड़े रास्तों याने डिजिटलाइजेशन की ओर लाया जा सके ताकि सब काम तेजी से हो अर्थात एकसंकरी गली विशाल रोडरस्ते का स्थान लेकर हजारों लाखों काम एक साथ हो, यह है हमारे नए भारत का रणनीतिक रोड मैप का एक हिस्सा!!!

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UP में BSP का चुनावी सफर और 2022 क्या होगी चुनावी डगर

बहुजन समाज पार्टी का गठन 14 अप्रैल 1984 को मान्यवर कांशीराम के द्वारा किया गया था उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी ने शानदार और ऐतिहासिक चुनावी प्रदर्शन के कारण 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी।
1989 से लेकर 2017 के विधानसभा चुनाव परिणामों की एक रिपोर्ट कार्ड आपके समक्ष रख रहे हैं 1989 में उत्तर प्रदेश की 10 वी विधानसभा के चुनाव संपन्न हुये इन चुनावों में बसपा 13 विधानसभा सीटें जीत पाई 9. 33% वोट प्राप्त हुए।

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हम ऐसे हैं और वो वैसे हैं!!!

हमें गर्व है हम भारतीय हैं – भारतीय सोच, सहिष्णुता, संकल्प जांबाज़ी, ज़ज्बे का विश्व में डंका!!!
आज का भारत 2047 के नेतृत्व के लिए मौजूदा युवा पीढ़ी को रणनीतिक रोडमैप से बागडोर और कर्तव्यपरायणता के बीजारोपण में जुटा – एड किशन भावनानी
भारतीय सोच, संस्कृति, बौद्धिक क्षमता, दूरदृष्टि फ़र्ज अदायगी, कर्तव्यपरायणता में वैश्विक स्तर पर बहुत आगे है। और हो भी क्यों ना? क्योंकि भारतीय मिट्टी में जन्मे हमारे हर भारतीय नागरिक और प्रवासी भारतीय के रग-रग में भारत माता के गुणों का संचार हो रहा है!! याने हमारा भारतवर्ष एक ऐसे सुगंध का समूह है जो अपनी व्याख्या करें, या ना करें लेकिन हवाएं उस सुगंध की ख़ुशबू को सात समंदर पार तक भी पहुंचा देती है!!! यही स्थिति भारतीय कलाओं, सोच, सहिष्णुता,संकल्प जांबाज़ी और ज़ज्बे की भी है!!!

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व्यंग दावत

जबसे सरकार ने सामूहिक प्रसंगों पर कौड़ा चलाया हैं, निमंत्रको की संख्या घटादी हैं मुझे कही से भी निमंत्रण पत्र नहीं आ रहे हैं।पड़ोसी की बेटी की शादी में दो सो लोगों को ही बुलाने की इजाजत थी, सबसे पहले दोस्तों की सूची बनी,एक के बाद एक सभी के दोस्तों के नाम कटते गए क्योंकि रिश्तेदार को बुलाना ज्यादा जरूरी हैं। फिर भी देखो हजार बंदे हो रहे थे तो पड़ोसियों की सूची को कम करते गए और मेरा नाम भी कमी हो गया फिर भी थोड़े कम तो हुए किंतु नियंत्रित संख्या से काफी ज्यादा थे।और उन्हें भी एक घर से सिर्फ दो लोगों को ही निमंत्रित किया गया,यही आसान उपाय था।

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बनें जागरूक उपभोक्ता – योगेश कुमार गोयल

अनिल ने अपना बिजली का बिल सही समय पर जमा करा दिया लेकिन फिर भी विभाग ने उसका बिजली कनैक्शन काट दिया। रोमा ने रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए आवेदन भेजने की अंतिम तिथि से 4 दिन पहले ही स्पीड पोस्ट द्वारा आवेदन भेज दिया था लेकिन आवेदन सही समय पर नहीं पहुंचने के कारण वह परीक्षा में नहीं बैठ सकी और डाक विभाग इसके लिए अपनी गलती मानने को तैयार नहीं। सीमा का लैंडलाइन फोन कई महीनों से खराब पड़ा है पर विभाग फोन ठीक कराने के बजाय बिल लगातार भेज रहा है और बिलों के भुगतान के लिए बाध्य करता है।

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भारत की पहचान कभी विश्व गुरु के रूप में थी

भारत का नवाचार, शिक्षण, नवोन्मेष, बौद्धिक नेतृत्व फिर एक बार विश्व गुरु बनने का मार्ग प्रशस्त करेगा
135 करोड़ जनसंख्या पारिस्थितिकी की अप्रयुक्त क्षमता का इस्तेमाल, कौशलता विकास और अच्छी शिक्षा को सुदूर क्षेत्रों तक ले जाकर कर सकते हैं – एड किशन भावनानी
भारत हजारों वर्षों से पारंपरिक, शिक्षण, संस्कृति, परंपराओं, प्रथाओं, वेदों कतेबों, साहित्यिक खजाने का अभूतपूर्व भंडार रहा है। जिसके बल पर भारत माता को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त था, परंतु अंग्रेजों की बुरी नज़र लगी और भारत जैसे सोने की चिड़िया के अणखुट खजाने और प्राकृतिक सौंदर्यता से छेड़छाड़ कर अंग्रेजों ने न सिर्फ भारतीय क्षमता, सौंदर्यता और खजाने को अभूतपूर्व नुकसान पहुंचाया बल्कि इसके दो टुकड़े भी कर दिए।

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प्रत्यक्षे किम् प्रमाणम् – जो प्रत्यक्ष है, जो सामने है, उसे कोई प्रमाण की ज़रूरत नहीं

प्रौद्योगिक और डिजिटल क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ते भारत में कार्यक्रमों के संबोधनों में नेताओं द्वारा बड़े बुजुर्गों की कहावतों, संस्कृति, महाकाव्य, पौराणिक ग्रंथों के वचनों का उदाहरण देना सराहनीय – एड किशन भावनानी
भारत आज तेजी से प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्षेत्र में अपेक्षा से अधिक लक्ष्यों को हासिल कर रहा है जो हर भारतीय के लिए फक्र की बात है कि हम शीघ्र ही एक वैश्विक रीडर की स्थिति में होंगे!!! साथियों इस प्रौद्योगिकी युग में भी हम अभी बीते कुछ दिनों, महीनों से एक बात बारीकी से महसूस कर रहे हैं कि हमारे राजनीतिक नेताओं, बुद्धिजीवियों विशेष रूप से वैश्विक लीडर सूची में प्रथम क्रमांक पर आए व्यक्तित्व द्वारा अपने करीब क़रीब हर संबोधन में चाहे वह राजनीति हो या गैर राजनीतिक, धार्मिक हो या सामाजिक उसमें बड़े बुजुर्गों की कहावतों, संस्कृति, साहित्य, पौराणिक ग्रंथों के वचनों,महाकाव्य के वचनों का उल्लेख कर उसका मतलब समझाया जाता है

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जन्मदिवस पर मोमबत्ती नहीं बुझाना

आज रुद्र का जन्मदिन था और रुद्र अपने बचपन की यादों में खो गया। माता-पिता ने उसे जन्मदिवस कुछ अलग तरीके से मनाना सिखाया था। पुरानी फोटो देखकर वह मन-ही-मन प्रफुल्लित हो रहा था। रुद्र को याद आ रहा था की नाना ने सिखाया था की जन्मदिवस पर मोमबत्ती नहीं बुझाना बल्कि जन्मदिवस के अनुरूप दीप प्रज्वलित करना, क्योंकि हम बोलते है “तमसो माँ ज्योतिर्गमय” अर्थात हम अंधकार से प्रकाश की तरफ जाए। मेरे जन्मदिवस पर मेरी आयु के अनुरूप ही दीप प्रज्वलित किए जाते थे।

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