मामला 10 ग्राम ₹ 20 में तो 150 ग्राम ₹ 92 में क्यों?
उपभोक्ताओं को जागरूक होने की जरूरत है- उपभोक्ता फोरम कोर्ट और उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग उपभोक्ताओं के लिए कारगर मंच – एड किशन भावनानी
भारत में सभी प्रकार के उपभोक्ताओं के हित व समर्थन में अनेक नियम, विनियम, व अनेक न्यायिक मंच हैं। उसमें भी जिला स्तर पर उपभोक्ता फोरम कोर्ट, और राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग बने हैं, जो उपभोक्ताओं के हित में पूरी तरह से खड़े हैं और, केवल और केवल न्याय दिलाने में पूरी तरह से सक्षम और संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं। बस जरूरत है उपभोक्ताओं को जाग्रत होने की और इन मंचों, न्यायालयों की सहायता लेने की। विशेष बात यह है कि इस प्रकार के फोरम या आयोग में जाने के लिए किसी वैधानिक विशेषज्ञ की सहायता की भी अनिवार्यता नहीं होती। एक सामान्य आदमी भी अपनी शिकायत दाखिल करवा सकता है।
लेख/विचार
जो बाइडेन की चुनौतियां…….
जो बाइडेन अब अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति बन चुके हैं। इसी के साथ अब अमेरिका में बाइडेन युग की शुरुआत हो गई है। अमेरिका के लोगों को बाइडेन से बहुत सी उम्मीदें हैं। जिनको पूरा करने की चुनौतियों का सामना अब अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति को करना है। पहली चुनौती को स्वीकार करते हुए जो बाइडेन को कोरोना वायरस से निपटने के लिए अब बहुत बड़े और कड़े कदम उठाने होंगे क्योंकि अमेरिका अभी तक कोरोना वायरस जैसी महामारी से निपटने में बहुत असफल रहा है। बाइडेन के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की और उसे पटरी पर लाने की है। अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाने के कारण अमेरिका का मध्यमवर्गीय समाज प्रभावित हुआ है और इस कारण समाज में बंटवारे और आय की असमानता को दूर करना बाइडेन के लिए तीसरी बड़ी चुनौती बन गया है। अमेरिका की चौथी बड़ी समस्या रंगभेद का मुद्दा है जिसने अमेरिकी समाज को दो वर्गों में बांट दिया है। जिससे वहां सामाजिक सौहार्द बिगड़ चुका है। इस समस्या को दूर करना और अमेरिका में सामाजिक सौहार्द स्थापित करना जो बाइडेन के लिए चौथी बड़ी चुनौती होगा। अभी हाल ही में अमेरिकी संसद में हुई हिंसा के कारण दुनिया के अन्य देशों में अमेरिका की छवि बहुत धूमिल हुई है और अमेरिका की छवि सुधारने की पांचवी चुनौती जो बाइडेन के लिए सबसे कठिन होगी। अब जो बाइडेन को पुनः पूरी दुनिया के सामने अमेरिकी लोकतंत्र का सही स्वरूप पेश करना होगा तभी पिछले दिनों हुई अमेरिका की बदनामी को कुछ हद तक मिटाया जा सकता है। कोरोनाकाल में अमेरिका में बड़े पैमाने पर लोग बेरोजगार हुए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2020 में करीब 66 लाख लोगों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन किया था। बेरोजगार हुए और नौकरी गंवा चुके लोगों को रोजगार देना बाइडेन के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में कोरोना संकटकाल में अमेरिका की जनता की नाराजगी देखने को मिली है। इसका फायदा डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन को मिला और अब अमेरिकी नागरिकों के विश्वास पर खरा उतरना भी जो बाइडेन के लिए एक बड़ी चुनौती है।
Read More »दिशाविहीन हुए किसान आन्दोलन की उग्रता ने खड़े किये सवाल पर सवाल
ट्रेक्टर की ट्राली पर प्रायः लिखा होता है ‘कृषि कार्य हेतु’| परन्तु 26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर ट्रेक्टर का एक और हेतु भी देखने को मिला| ट्रेक्टर सिर्फ खेत की जुताई और अनाज की ढुलायी के ही काम नहीं आता, बल्कि उससे कानून की दीवारें ढहाकर, कानून के रखवालों को रौंदा भी जा सकता है| गणतन्त्र दिवस की परेड में, जिस समय दिल्ली के आसमान पर राफेल और जगुआर जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके, दुश्मन देशों को हद में रहने की चेतावनी दे रहे थे| राजपथ पर दौड़ती पिनाक मिसाइल देशवासियों का आत्मविश्वास बढ़ा रही थी| ठीक उसी समय, दिल्ली की सड़कों पर अन्नदाता के ट्रेक्टर वैरियर तोड़कर पुलिस के जवानों को कुचलने के लिए सरपट दौड़ रहे थे|
देश का मेहनतकश, सच्चा किसान कभी जयचंद नहीं हो सकता
किसान आंदोलन और लाल किले पर ऐसे खालिस्तानी झंडा फहराना भारत की प्रभुसत्ता को ललकारना है. यह बात तो सच है कि आज इन प्रोटेस्टर्स की काली करतूत देश के सामने आ गई. आज ये आंदोलन पूरी तरह से नंगा हो गया. इनके प्रति इतने दिनों से देश की जो सहानुभूति थी वह सब खत्म हो गई. सारा देश अब इन पर थु-थू कर रहा है. जब हम सब सारे भारतवासी राष्ट्रीय पर्व मनाने में व्यस्त थे तब ये घटिया मानसिकता के लोग, देश की राजधानी में हिंसा और अराजकता फैला रहे थे.
किसान आंदोलन की आड़ में 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जो कुछ भी हुआ है उसे जायज नहीं करार दिया जा सकता है. कृषि कानूनों के विरोध में गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों का ट्रैक्टर मार्च हिंसक हो गया. कई जगहों पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई. पिछले करीब दो महीने से दिल्ली-हरियाणा सीमा पर स्थित सिंघू बॉर्डर पर जमे किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली, इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच जमकर हिंसक झड़प हुई. प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर बैरेकेडिंग तोड़ते हुए दिल्ली के अंदर घुस गए और जबरन तोड़फोड़ की.
आत्मसम्मान की रक्षा करें
गणित में बहुत कमजोर विद्यार्थी गणेश को एक दिन अध्यापक ने फिसड्डी कह दिया। बस, फिर क्या था? विद्यार्थी गणेश का अभिमान आहत हो गया। इस अपमान से, इस लज्जा से हमेशा के लिए बचने का एक उपाय ढूंढने लगा और पूरी लगन से गणित के अध्ययन में जुट गया। बहुत जल्द ही गणेश ने अपनी कमजोरी को दूर कर डाला और फिसड्डी कहलाने वाला वह विद्यार्थी एक दिन विश्वविख्यात गणितज्ञ बन गया। ऐसे कई महापुरुषों के जीवनवृत्त इतिहास के पृष्ठों पर हमें पढ़ने को मिल जाएंगे जो आत्मसम्मान के आहत होने पर ही अपने को प्रतिष्ठित करने के लिए प्रयत्नशील हुए थे।
जीवन में ऐसे बहुत से अवसर आते हैं जब हमारे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है, हमारा मानस आहत होता है, हम ग्लानि से भर जाते हैं और अपमान महसूस करते हैं। अगर हम अपने आत्मसम्मान की रक्षा नहीं कर पाते तो इसकी परिणति बहुत बुरी होती है। कई तो आत्मघाती कदम उठा बैठते हैं, आत्महत्या तक कर लेते हैं।
बाइडेन, हैरिस की शपथ के साथ भारतीय मूल के अमेरिकियों का रहेगा दबदबा
नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की ह्यूस्टन में हुई रैली मैं 50000 हिंदुस्तानियों का सैलाब मौजूद था उसे देख कर लग रहा था मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती इस बार चुनाव में रंग लाएगी और ऐसा लगने लगा था की भारतीय मूल के अमेरिका निवासी हिंदुस्तानियों का झुकाव डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से हटकर रिपब्लिकन पार्टी की तरफ हो गया पर कमला हैरिस की जीत के साथ ही भारतीय मूल के 20 अमेरिकी सदस्यों घोषणा कर या तो उन्हें नियुक्त किया गया यह उनकी उन को चयनित किया गया पर यह बात तो तय है कि अमेरिका में रह रहे प्रवासी हिंदुस्तानियों ने मूल रूप से डेमोक्रेटिक दल को अपना स्पष्ट अभिमत तथा बहुमत देकर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो वार्डन को अपना समर्थन दिया और कमला हैरिस के उपराष्ट्रपति बनते ही अमेरिकी भारत नीतियों में ज्यादा बदलाव होने के संकेत स्पष्ट रूप से दिए गए इस बार चुनाव में भारतीय मूल के अमेरिकी निवासी तथा वोटरों ने डेमोक्रेटिक पार्टी का साथ पूरी तरह निभा कर अपनी प्रतिबद्धता उनकी तरफ समर्पित की है, इसका बड़ा कारण कमला हैरिस का उप राष्ट्रपति बनना भी है कमला हैरिस मूलतः हिंदुस्तान में तमिलनाडु की माता तथा जमैका के निवासी पिता की संतान है|
व्हाट्सएप की नई शर्ते—-
इस नए साल में व्हाट्सएप ने अपना एक नया नोटिफिकेशन जारी किया है। जिसमें उपयोगकर्ताओं से व्हाट्सएप की न्यू टर्म्स एंड प्राइवेसी पॉलिसी में बदलावों को स्वीकार करने के लिए कहा गया है। 8 फरवरी 2021 तक ऐसा न करने पर उपयोगकर्ता के व्हाट्सएप अकाउंट को हटा दिया जाएगा। इस नोटिफिकेशन के मुताबिक अब व्हाट्सएप लोगों के डेटा को फेसबुक के साथ शेयर करेगा। व्हाट्सएप और फेसबुक एक ही कंपनी के हैं और यहां डेटा का मतलब है। लोगों के फोन नंबर, लोगों के कांटेक्ट और व्हाट्सएप स्टेटस जैसी तमाम जानकारियां। ये डेटा व्हाट्सएप अब फेसबुक के साथ शेयर करेगा और यदि किसी को ये शर्त स्वीकार ना हो तो वह अपने व्हाट्सएप अकाउंट को डिलीट कर सकता है। वर्ष 2021 की शुरुआत में ही व्हाट्सएप ने ये नई शर्तें लागू कर दी हैं किंतु 2009 में जब व्हाट्सएप लांच हुआ था तो उसने अपनी सारी सेवाएं फ्री में देने का लालच दिया था और लोगों के मैसेजेज और डेटा को प्राइवेट रखने का वादा किया था। अब दुनिया का हर तीसरा व्यक्ति व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर रहा है और व्हाट्सएप पर करोड़ों लोगों के इस डेटा भंडार से फेसबुक का बिजनेस और बढ़ेगा तथा फेसबुक का और अधिक विस्तार होगा।
भारत में करीब 40 करोड़ लोग अपने पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन में व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं। अब तो अदालतों और पुलिस के नोटिस तक व्हाट्सएप में भेजे जा रहे हैं और कानून ने इसे स्वीकार भी कर लिया है।
कंटेनमेंट जोन के बाहर आंगनवाड़ी केंद्रों को फिर से खोलने का SC ने दिया आदेश
महामारी के प्रभाव को रोकने कार्यपालिका, न्यायपालिका व कोरोना वॉरियर्स का महत्वपूर्ण योगदान:भावनानी
गोंदिया, महाराष्ट्र| वैश्विक महामारी कोविड.19 को नियंत्रण में लाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास जारी हैं। भारत में दो वैक्सीन आ गई है। 16 जनवरी 2021 से पूरे देश में प्रथम चरण में 3 लाख कोरोना वॉरियर्स को वैक्सीन लगाने का लगाने काम शुरू हो चुका है। पहले दिन ही करीब 2 लाख के क़रीब लोगों को वैक्सीन सफलतापूर्वक लगाया गया है। जो कि पहले चरण का कार्य अभी जारी है। परंतु फिर भी अत्यंत सावधानी बरतने व सुरक्षात्मक प्रक्रिया को जारी रखना जरूरी है। खास करके छोटे बच्चों के लिए क्योंकि उनको वैक्सीन लगाने की फिलहाल कोई जानकारी या प्रक्रिया की घोषणा नहीं हुई है। अतः केंद्र, राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में कार्यनीति बनाना, तथा बच्चों को सुरक्षा, खाद्यपान इत्यादि उपलब्ध कराना उनतक पहुंचाना अनिवार्य है। जिनका उल्लेख राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षाअधिनियम 2013 में भी किया गया है। खासकर वर्तमान स्थिति में तो बहुत ही जरूरी हो गया है। इसी विषय से संबंधित माननीय सुप्रीम कोर्ट में बुधवार दिनांक 13 जनवरी 2021 को माननीय 3 सदस्यों की एक बेंच जिसमें माननीय न्यायमूर्ति अशोक भूषण, माननीय न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी व माननीय न्यायमूर्ति एम आर शाह की बेंच के सम्मुख रिट पिटिशन क्रमांक सिविल 1039/ 2020 याचिकाकर्ता बनाम भारत सरकार व अन्य के रूप में आया। माननीय बेंच ने अपने 31 पृष्ठोंऔर 35 पॉइंटों में अपने आदेश में कहा भारत सरकार के मंत्रालय महिला व बाल कल्याण विभाग द्वारा बुधवार दिनांक 11 नवंबर 2020 को जारी गाइड्स नोट के अनुसार सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में जहां पर अभी आंगनवाड़ी शुरू नहीं की है।
Read More »चुनाव और रैलियां हो रही है तो सरकारी भर्तियां क्यों नहीं.?
जारी आंकड़ों में देश भर में हरियाणा बेरोज़गारी में नम्बर एक पर है. यहाँ कि सरकार ने सभी भर्तियों को पंचवर्षीय योजना बनाकर रख दिया है. हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग कोर्ट की आड़ लेकर कोई भी भर्ती पूरी नहीं करना चाहता. नई भर्तियां तो दूर जिन नौकरियों के परीक्षा परिणाम आ चुके, उनके डॉक्युमेंट्स वेरिफिकेशन भी बहाना बनाकर लटकाये हुए है. आई.टी.आई. अनुदेशकों की लगभग ३००० पदों के लिए भर्ती पिछले दस सालों से लटकी हुई है. आखिर सरकार क्यों इन बेरोजगार आवेदकों के साथ भद्दा मजाक कर रही है. जे.बी.टी. की भर्ती किये आठ साल होने को आये. शिक्षा विभाग में लगभग ४०००० पद खाली पड़े है फिर भी सरकार कह रही कि हमने नौकरियां दी.
हरियाणा सरकार ने पिछले एक साल से नई भर्तियों पर रोक लगा रखी है, बहाना है कोरोना. जबकि इस दौरान चुनाव, रैलियां और आंदोलन खुलेआम जारी है. यही नहीं बेरोजगार युवाओं को लूटने के लिए प्रदेश की सबसे महंगी परीक्षा एचटेट सरकार ने मात्र पंद्रह दिनों में करवाकर अरबों रूपये एकत्रित कर लिए. जब बात इन एचटेट पास युवाओं के लिए शिक्षक भर्ती परीक्षा की आती है तो सरकार का सीधा-सा जवाब होता है कि हमारे पास शिक्षक पहले से ही सरप्लस है. अगर ऐसा है तो सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में हरियाणा शिक्षा विभाग में चालीस हज़ार अलग-अलग शिक्षकों के पद खाली क्यों है?
पहले कोरोना अब बर्ड फ्लू, करेला ऊपर से नीम चढ़ा
वर्ष 2020, 21 में भारत जैसे विकाशसील देश की अर्थ व्यवस्था को पहले कोरोना ने अरबो रुपयों नुकसान में धकेला है| अब बर्ड फ्लू जैसी संक्रामक बीमारी पोल्ट्री फॉर्म के व्यवसायियों को करोडो के नुकसान की चोट देने वाली है| इससे पूर्व भी बर्ड फ्लू ने भारत में कहर बरपा था, मुर्गियों को जमीं में दफनाना पड़ा था, और इसके व्यापारी करोड़ों का नुकसान झेल कर सड़क पर आ गये थे| इसी तरह कोरोना ने देश की अर्थ व्यवस्था को तहस नहस कर दिया था| अर्थ व्यवस्था को दुबले पर दो आषाड जसी स्थिति बन गयी है, बर्ड फ्लू स्वास्थ विभाग के हिसाब से कोरोना 2 से ज्यादा संक्रामक और खतरनाक भि है और तेजी से फ़ैलाने वाली भी, इससे देश को दुगुना सतर्क रहने की आवश्यकता होगी|