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Daily Archives: 7th January 2018

सरकारी मशीनरी की नकारा कार्यशैली के कारण नहीं सुधर रही यातायात व्यवस्था

⇒करोड़ों की लागत से लगायी गईं सिग्नल लाईटें खा रहीं धूल।
⇒लाखों की लागत से रस्सी भी हो चुकी धड़ाम।
⇒यातायात जागरूकता अभियान भी असरकारक साबित नहीं हो पा रहे।
अर्पण कश्यप:कानपुर। महानगर की यातायात व्यवस्था को नियमानुसार चलाने व शहरियों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए कई बार प्रयास किए जा चुके हैं। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद यातायात व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। एक दो चैराहों को अगर छोड़ दिया जाये तो लगभग सभी चैराहों पर सिग्नल लाईटें मात्र एक सिम्बल के अलावा कुछ नहीं साबित हो रहीं हैं। कई बार चैराहों पर लाइटें लगाई गईं लेकिन उनका उपयोग होने से पहले वो कबाड़ में तब्दील हो गई। शहर की यातायात व्यवस्था भले ही ना बदले लेकिन उन लोगों के दिन जरूर बदल गए जो लोग इन लाइटों को लगवाने का ठेका लेते है। यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए लगी लाइटों का नजारा देखकर वो हास्यास्पद नजारे याद आते हैं जब यातायात माह में लाउडस्पीकरों ने बकवासी प्रचार की ओर किसी का ना तो धन जाता है और ना ही उसका असर शहरियों पर होता दिखता है। हां इतना तो जरूर है कि प्रचार प्रसार में लाखों का वारान्यारा जरूर कर दिया जाता है। वहीं खास तथ्य यह भी है कि यातायात के नियम को कोई माने या ना माने लेकिन ट्रैफिक सिपाही हो या टी एस आई सभी चैराहों पर बाज की तरह सिर्फ शिकार खोजते रहते हैं और उनका मकसद सिर्फ वसूली करना ही दिखता है। हर बार महकमें में नये अधिकारी आते हैं और उपदेश देते हैं कि यातायात व्यवस्था में सुधार करना पहली प्राथमिकता है लेकिन उनका उपदेश सार्थक नहीं हो पाता है। इतना ही नहीं नये नये नियम कानून बना कर तब तक काम करते है जब विभाग से काम के लिये पैसा न पास हो जाये।

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