Thursday, April 25, 2024
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मिसाइल क्षेत्र में ताकतवर होता भारत

– डाॅ0 लक्ष्मी शंकर यादव
भारत की प्रथम स्वदेश निर्मित परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल निर्भय का 7 नवम्बर को सफल परीक्षण किया गया। यह परीक्षण सुबह 11.20 बजे ओडिशा के चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आइटीआर) के लांच पैड-3 से विशेष रूप से डिजाइन किए गए एक मोबाइल लांचर के द्वारा किया गया जो कि सफल रहा। भारत के पास अभी तक 300 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस है। इसे भारत और रूस ने संयुक्त रूप से मिलकर बनाया है। अब इस नए परीक्षण के बाद भारत के पास लम्बी दूरी तक मार करने में सक्षम निर्भय मिसाइल हो गई है। इसकी मारक क्षमता 1000 किलोमीटर से भी ज्यादा है। निर्भय मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पूर्णतया अपने दम पर बनाया है। इसके परीक्षण के मौके पर डीआरडीओ एवं आइटीआर से जुड़े अनेक वरिष्ठ अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों का दल मौजूद था। मिसाइल परीक्षण के तुरन्त बाद डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने जानकारी दी कि परीक्षण की सभी शुरूआती प्रक्रिया सफल रही और विस्तृत आॅकलन के लिए ट्रैकिंग प्रणाली से डेटा हासिल किया जा रहा है। इसके कुल तीन परीक्षण किए जाने थे जिन्हें नौ नवम्बर तक पूरा कर लिया गया है।
निर्भय मिसाइल का यह पांचवां परीक्षण था। लम्बी दूरी तक मार करने वाली इस मिसाइल का प्रथम परीक्षण 12 मार्च 3013 को हुआ था। यह परीक्षण उड़ान के बीस मिनट बाद ही विफल हो गया था। उस समय मिसाइल के एक हिस्से में खराबी आ जाने के कारण उसने बीच रास्ते में ही काम करना बन्द कर दिया था। इसके बाद दूसरा परीक्षण 17 अक्टूबर 2014 को किया गया जो कि सफल रहा था। तीसरा परीक्षण 16 अक्टूबर 2015 को किया गया था। इस परीक्षण में यह मिसाइल 128 किलोमीटर की उड़ान तय करके अपने अगले हिस्से के बल पर बंगाल की खाड़ी में गिर गई थी। गत वर्ष दिसम्बर में इस मिसाइल का चैथा परीक्षण किया गया था जो कि असफल रहा था। इस परीक्षण के दौरान निर्भय को दागने के बाद दूसरे चरण में इसके विंग्स में दिक्कत आ गई थी। इन खामियों की वजह से 21 दिसम्बर 2016 का परीक्षण विफल हुआ था और उन्हें दूर करके यह परीक्षण किया गया।
यह एक अलग प्रकार की मिसाइल है। निर्भय मिसाइल में धीमी गति से आगे बढ़ने, बेहतरीन नियंत्रण एवं दिशा निर्देशन सटीक परिणाम देने तथा राडारों से बच निकलने की क्षमता है। यह सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल एडवांस्ड सिस्टम लैबोरेटरी (एएसएल) द्वारा विकसित की गई है। यह मिसाइल ठोस राॅकेट मोटर बूस्टर से सुसज्जित है। इसमें टर्बो-फैन इंजन लगा है जो इसे आगे बढ़ाता है। मिसाइल के निश्चित उंचाई और गति तक पहुंचने के बाद बूस्टर मोटर अलग हो जाता है। इसके बाद टर्बो-फैन इंजन आगे के प्रक्षेपण के लिए स्वयं ही कार्य करने लगता है। ठोस राॅकेट मोटर बूस्टर से संचालित इस मिसाइल की परिचालनगत मारक क्षमता 750-1000 किलोमीटर तक है। द्विस्तरीय यह मिसाइल छह मीटर लम्बी और 0.52 मीटर चैड़ी है। इसके पंख 2.7 मीटर तक तक फैले हैं। यह मिसाइल 200 से 300 किलोग्राम तक के आयुध ले जा सकती है।
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह मिसाइल राॅकेट से विमान और उसके पश्चात मिसाइल में तब्दील हो जाती है। लाॅन्च करने के बाद निर्भय मिसाइल का राॅकेट मोटर बन्द हो जाता है और पंख बाहर निकल आते हैं। उड़ान के रास्ते को स्थिर करने के लिए निर्भय मिसाइल में अति आधुनिक कम्प्यूटर लगाए गए हैं। धरती से दिए गए आॅन बोर्ड कम्प्यूटर के कमाण्ड पर मिसाइल के पंख खुलते हैं। निर्भय की विशेषता यह है कि कम उंचाई पर भी यह उड़ान भर सकती है। अपनी खूबियों के कारण यह शत्रु के राडार में दिखाई नहीं देती है। निर्भय मिसाइल लक्ष्य के नजदीक पहुंचने के बाद सटीक अवसर आने पर लक्ष्य को तबाह करती है।
ब्रह्मोस मिसाइल से तीन गुना से भी ज्यादा दूरी तक मार करने वाली क्रूज मिसाइल निर्भय का विकास एवं प्रणोदन प्रणाली का डिजाइन डीआरडीओ ने तैयार किया है। इस चरण तक पहुंचने के बाद इसका प्रदर्शन किया गया। निर्भय का डिजाइन डीआरडीओेे के बैंगलुरू स्थित एरोनाॅटिकल डेवलपमेंट एस्टाब्लिशमेंट ने तैयार किया हैै। यह दो चरणों वाली मिसाइल है। बूस्टर इंजन के द्वारा इसके पहले चरण को जमीन से छोड़ा जाता है। अमेरिका की टाॅमहाक मिसाइल का जवाब मानी जाने वाली निर्भय मिसाइल आवाज से कम गति पर चलने वाली एक सब सोनिक क्रूज मिसाइल है। धरती से सटकर चलने वाली यह मिसाइल दुश्मन की निगाह से बचकर हमला करती है। इस मिसाइल का प्रहार एकदम सटीक होता है। यह काफी लम्बे समय तक हवा में रह सकती है। लक्ष्य तक बढ़ने के लिए इसके भीतर ही एक विशेष सिस्टम लगा है। यह अनेक तरह के वारहेड्स ले जा सकती है। यह बहु उपयोगी क्रूज मिसाइल होगी जिसे जल, थल और आकाश में सभी तरह के प्लेटफार्म से हर मौसम में दागा जा सकेगा। इसे तीनों सशस्त्र सेनाओं की जरूरतों के मद्देनजर तैयार किया गया है। यह मिसाइल एक साथ कई लक्ष्यों से निपट सकती है और कई लक्ष्यों के बीच में किसी खास लक्ष्य के चारो तरफ घूमकर उस पर हमला करने में सक्षम है।
भारत अपने मिसाइल तरकश में एक और नई मिसाइल को जोड़ने की तैयारी कर रहा है। आने वाले दिनों में पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली लम्बी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल सागरिका के परीक्षण की तैयारी है। सागरिका नामक मिसाइल समुद्र के अन्दर से प्रहार करने में सक्षम लम्बी दूरी की बैलस्टिक मिसाइल है। 28 फरवरी 2008 को इसका सफल परीक्षण किया गया था। इस मिसाइल की लम्बाई 8.5 किलोमीटर तथा व्यास एक मीटर है। इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर की लम्बी दूरी तक है। यह ऐसी क्रूज मिसाइल है जो किसी भी जमीनी लक्ष्य का जमीन से समानान्तर उड़ते हुए सैकड़ों किलोमीटर तक पीछा करके हमला कर सकती है। योजना के मुताबिक स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी अरिहन्त को सागरिका से लैस करके नौसैनिक बेड़े में शामिल किया जाना है। भारत के पास अभी तक पनडुब्बी से दागी जाने वाली लम्बी दूरी की मिसाइल नहीं है। इस तरह की मिसाइल अभी तक केवल अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन व फ्रान्स के पास है। सागरिका की सफलता के बाद भारत इस श्रेणी का छठा देश बन जाएगा। इस तरह भारत मिसाइल क्षेत्र में काफी ताकतवर हो रहा है। (लेखक सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक है)