Saturday, April 27, 2024
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यमुना के बीहड़ से गायब हो रही हरियाली

औरैयाः जन सामना संवाददाता। यमुना व चम्बल का बीहड़ किसी जमाने में विशाल बीहड़ हुआ करता था। लेकिन वर्ष 2005 से दस्यु विहीन हो जाने से इस घने जंगलों में लकड़ी माफियाओं की नजर पड़ गई और अवैध तरीके से वन की कटान शुरू कर वेशकीमती लकड़ी जंगल से गायब हो गई। वर्तमान में हालात ये है कि बीहड़ में चारों तरफ बिलायती बबूल झाड़ियां दिखाए देती हैं। हालात ये कि 3600 सौ हेक्टेयर के इलाके में केवल 1800 हेक्टेयर में ही वन संपदा ही बची हैं जिसके चलते बीहड़ अब रेगिस्तान बनता नजर आ रहा है। अवैध कटान होने से आसपास के गांव में कोयले की भट्टियों भी खुली गई जबकि शासनदेश के अनुसार कोयला की भट्टी या लकड़ी आढत वन क्षेत्र से कम से कम 10 किलोमीटर की दूरी पर होनी चाहिए जो कि ठीक उलट है लकड़ी माफियाओं ने अपनी कोयला भाटिया सहयोगियो के साथ खोल रखी जिससे लकड़ी माफियाओं को इस इलाके की कीमती वन सम्पदा नष्ट कर दी हैं और अवैध रूप से मोटी कमाई कर रहे हैं। सामाजिक वानिकी में 1980 से अब तक कोई बनरेन्जर की कोई नई नियुक्ति नही हुई जिससे बन विभाग स्टाप की कमी से जूझ रहा है।
अब तक काटे गये कीमती पेड़: बीहड़ में पाय जाने वाले सागौन शीशम खेर नीम छेकुर आदि के पेड़ बहुत कम बचे हैं जबकि इस जंगल मे सबसे ज्यादा उक्त प्रजाति के पेड़ ही दिखाई देती से लेते थे लेकिन अब इन प्रजाति के पेड़ जंगलों ढूढे नही मिल रहे इन पेड़ों की लकड़ी बाजार में अधिक मांग होने के कारण माफियाओ की रहती है ।
कहा चल रही कोयला की भटिठयाः नियम और कानून को ताक पर रखकर मानसुखपुर भीखेपुर मुरादगंज अयाना आदि गांवों में कोयले की भटिढ्या धड़ल्ले से चल रही हैं। कटान के बाद लकड़ियों सीधे कोयला भठियो में पहुँच जाती हैं। यहाँ से कोयला बनाकर महानगरों में भेज दिया जाता हैं जबकि यह पुलिस और वनविभाग की चैकियों होने के वाबजूद भी यह धंधा जोरो पर चल रहा है।
सुबह तीन बजे से लकड़ी माफिया टैक्टर व लोडर से लकड़ी लाद कर कोहरे का फायदा उठा कर सुबह ही निकल जाते है लेकिन पुलिस तो रात भर गस्त करती फिर इनको पकड़ नहीं पाती। डायल 100 को रास्ते अयाना व अजीतमल की गाड़ियां तो जरूर मिलती होगी लेकिन सबकी मिली भगत से यह लकड़ी का व्यापार बड़ी संख्या में फलफूल रहा है।