सासनीः हाथरस, ब्यूरो। जब हम संतों-महापुरुषों का जीवन देखते हैं तो पाते हैं कि वे सबके अंदर अच्छाइयां देखते हैं। चाहे कोई इंसान अच्छा न हो, ठीक न हो, परंतु वे उसे गले लगाते हैं। वे बाहरी रूप देखने के बजाय उसके आत्मिक रूप की ओर ही ध्यान देते हैं तथा बार-बार हमें भी यही समझाते हैं कि हम औरों की गलतियों की ओर न देखें और अपने आप को बेहतर करने की कोशिश करें।
यह विचार रूदायन जसराना मार्ग स्थित भट्टा वाले श्री हनुमान जी श्री शनिदेव मंदि परिसर में हुए सत्संग प्रवचन के दौरान महंत श्री राजनारायण दास ने प्रकट किए। उन्होंनंे बताया कि दुनिया में जीते हुए लोग हमारी मर्जी के मुताबिक चलेंगे तो यह नामुमकिन है। हमें अपनी जिंदगी ऐसे जीनी है जिसमें हम सबके अंदर भलाई देखें, सबके अंदर की अच्छाई को देखें। वह तब होगा जब हम स्वयं को अपने सच्चे रूप में जानेंगे। सब कुछ इंसान के अंदर है, पर बाहर खोज रहे हैं। प्रभु हमें अवश्य मिल सकते हैं। ऐसा नहीं कि प्रभु सिर्फ संतों-महापुरुषों को मिलते हैं, हम सब प्रभु को पा सकते हैं। जिसने भी अंदर ध्यान किया, उसने प्रभु को पा लिया। मानव तन में आत्मा और परमात्मा दोनों बसते हैं। हमें केवल अपनी रूह को अंदर की दुनिया में उड़ान देनी है। प्रभु से करीब तो और कुछ हो ही नहीं सकता। हमें उन्हें सच्चे दिल से पुकारना है। उन्होंनें बताया कि अपनी जिंदगी को सद्गुणों से भरो, एक पवित्र जिंदगी जियो, किसी के मददगार बनो। जब हम ये सद्गुण अपने अंदर ढालते हैं तो प्रभु को पाने के रास्ते पर कदम उठाने के लायक बन जाते हैं। हमारे भीतर सद्गुण होंगे तभी हमें दिव्य ज्योति के दर्शन होंगे और हम प्रभु की दिव्य ध्वनि को सुन सकेंगे।