Saturday, May 4, 2024
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स्व का तत्व गांधी-विनोबा के विचार तथा सनातन परंपरा में हैः डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

वर्धा। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत तुलसी भवन, गालिब सभागार में ‘स्वबोध-सुशासन-स्वराज’ विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने संबोधित करते हुए कहा कि हमारा स्व का तत्व शिक्षा और पैसे में नहीं अपितु गांधी और विनोबा के विचार तथा सनातन परंपरा में ही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने की। सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उधृत करते हुए आगे कहा कि स्वतंत्रता के इस अमृत वर्ष में विकास के लिए समवेत प्रयास करें, विरासत पर गर्व करें, कर्तव्य का पालन करें। हमें दुनिया का मार्गदर्शक बनकर कल्याणकारी विश्व को साकार करने में भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने पूरे विश्व को नया ज्ञान, कला-सौंदर्य और सुख-बोध दिया। हमारी जीवन पद्धति में प्रकृति का समावेश है। हम गाय, गंगा, पीपल, हल्दी, तुलसी आदि की महत्ता को प्राचीन काल से ही मानते आ रहे है और आज विज्ञान भी इसे प्रमाणित कर रहा है। अध्यक्षीय वक्तव्य में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि वस्तुतः भारत में स्वराज की धर्मराज्य है। लोकमत, साधुमत स्वराज का आधार है और यही भारत का वास्तविक स्वराज है। इस अवसर पर ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. चक्रधर त्रिपाठी ने ऑनलाइन संबोधित किया। जनसंचार विभाग के अध्घ्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने प्रास्तविकी वक्तव्य में कहा कि भारतेंदु ने कविवचनसुधा में स्वबोध का जागरण किया। स्वागत वक्तव्य छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. शिरीष पाल सिंह ने दिया। संचालन डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय ने तथा ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की नोडल अधिकारी डॉ. प्रियंका मिश्र ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान सावित्रीबाई फुले महिला छात्रावास की छात्राओं द्वारा संपादित ‘सावित्री दर्पण’ ई-पत्रिका का लोकार्पण मंचस्थ अतिथियों ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वालन, भारत वंदना एवं कुलगीत से किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, प्रो. चंद्रकांत रागीट, अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, अध्यापक, शहर के गणमान्य नागरिक तथा विद्यार्थी बडी संख्या में उपस्थित थे।