कोरे गांव में बिगत दिनों घटित बवण्डर को लेकर पूरे देश की मीडिया ने इस घटना को जिस तरह से पेश करने की कोशिश की है उसमें राजनीति ‘बू’ पैदा होने की अपार सम्भावनाएं पनप गईं। जबकि उस पर वर्तमान में विचार करने की जरूरत है कि तत्कालीन ऐसा वातावरण क्यों पनप गया कि महार जाति के योद्धाओं को विदेशियों का साथ देना पड़ा? ऐसे लोगों को न्यूज रूम में स्थान दे दिया गया जिन्हें शायद कोरेगांव का इतिहास ही ना मालूम हो। हां इतना तो जरूर है कि वो मीडिया के माध्यम में समाज में जहर उगलने का कार्य कर सकते हैं। जबकि एक कटु सच्चाई 1818 का घटनाक्रम बयां करता है कि कोरेगांव का वह युद्ध देश विरोधी कृत्यों को नहीं बल्कि एक अस्मिता की लड़ाई को बयां करता है। विचारणीय तथ्य यह है कि ऐसे हालात क्यों पनपने दिए गए थे कि अपनो को अपनों के विरुद्ध युद्ध लड़ना पड़ा था। अतीत पर नजर डालेे तो कोरेगांव का युद्ध उन पाॅच सौ महार दलित योद्धाओं की बहादुरी को व्यक्त करता है जिन्होंने बाजी राव पेशवा के अट्ठाईस हजार सैेनिकों को युद्ध में छक्के छुड़ा दिये थे। उस घटनाक्रम को इस नजरिये से देखा जाना उचित है कि आज हीं बल्कि उस समय भी अस्मिता के लिए संघर्ष करने वाले बहादुरों की कमी नहीं थी।
गौरतलब हो कि 19वीं सदी में भारत की दलित जातियों में शुमार महारों पर कानून लागू किया था जिसमें महारों को कमर पर झाड़ू बाँध कर चलना होता था ताकि उनके दूषित और अपवित्र पैरों के निशान उनके पीछे घिसटने इस झाड़ू से मिटते चले जाएँ. उन्हें अपने गले में एक मटका भी लटकाना होता था ताकि वो उसमें थूक सकें और उनके थूक से कोई उच्चवर्णीय प्रदूषित और अपवित्र न हो जाए। असहनीय यातनाओं व तत्कालीन नियमावली से महार उकता गए थे। और ऐसा उकताना किसी के लिए आज भी संभव है जिसका जीना बद से बदतर कर दिया जाये चाहे फिर वह महार हो या अन्य कोई भी वर्ग या सम्प्रदाय। इसीलिए तत्कालीन व्यवस्था में अपनी अस्मिता को बचाने के लिए अंग्रेजों के साथ हो गए थे। एक तरफ ब्रिटिश अधिकारियों की नजर महारों पर टिकी थी जो कद काठी में अच्छे खासे थे।
बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करता परीक्षा बोर्ड
इस बार यू.पी. बोर्ड की लिखित परीक्षाएं 6 फरवरी से शुरू होने जा रही हैं। जबकि प्रायोगिक परीक्षाएं जनवरी माह में ही सम्पन्न हो जाएँगी। जिसके कारण कड़ाके की ठण्ड में भी हाईस्कूल तथा इण्टर के छात्र-छात्राओं को विद्यालय बुलाया जा रहा है। ऐसी भीषण सर्दी में बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करके परीक्षा बोर्ड घनघोर संवेदनहीनता का ही परिचय दे रहा है। जुलाई की जगह एक अप्रैल से नया सत्र चालू करने की प्रक्रिया को दुरुस्त करने के चक्कर में ही यह सारी कवायद की जा रही है। इसी कारण वर्ष 2016 में 18 फरवरी से 21 मार्च के बीच परीक्षाओं को सम्पन्न कराया गया था। जबकि वर्ष 2017 में विधान सभा चुनाव के कारण 16 मार्च से 18 अप्रैल के बीच परीक्षाएं करायी गयी थीं। इस वर्ष 2018 में 6 फरवरी से 10 मार्च के बीच परीक्षाएं सम्पन्न कराके बोर्ड एक अप्रैल तक परीक्षा परिणाम देना चाहता है। ताकि नया सत्र अप्रैल माह से सुचारू रूप से चलाया जा सके।
आजादी के बाद सबसे अधिक खिलवाड़ अगर किसी के साथ हुआ है तो वह शिक्षा ही है। उत्कृष्ट शिक्षा के नाम पर हो रहे नित नये प्रयोगों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था को अन्ततोगत्वा चैपट ही किया है। शिक्षा का नया सत्र कभी जुलाई से शुरू किया गया था। जो बीते कुछ वर्षों पूर्व तक बना रहा। प्रश्न उठता है कि शिक्षा के नये सत्र की शुरुआत के लिए तब जुलाई माह को ही क्यों चुना गया था? निश्चित रूप से ऐसा मौसम की अनुकूलता के कारण ही किया गया होगा। एक जुलाई से नया सत्र शुरू होता था। उस समय प्रायः बरसात का मौसम होता है। बच्चे नयी कक्षाओं में प्रवेश लेते थे। जुलाई माह में प्रवेश प्रक्रिया सम्पन्न होती थी और अगस्त आते-आते पढ़ाई शुरू हो जाती थी। दिसम्बर माह में छमाही परीक्षाएं होती थीं। उसके बाद शीतकालीन अवकाश हो जाता था। जनवरी माह में सर्दी की न्यूनता और अधिकता के हिसाब से विद्यालय खुलते थे। जबकि फरवरी भर जम कर पढ़ाई होती थी और मार्च के प्रथम सप्ताह में प्रायोगिक परीक्षायें शुरू हो जाती थीं। 15 मार्च के आसपास वार्षिक परीक्षाएं होने लगती थीं। जो कि अप्रैल माह तक चलती थीं। उसके बाद गर्मियों की छुट्टियाँ हो जाती थीं।
सरकारी मशीनरी की नकारा कार्यशैली के कारण नहीं सुधर रही यातायात व्यवस्था
⇒करोड़ों की लागत से लगायी गईं सिग्नल लाईटें खा रहीं धूल।
⇒लाखों की लागत से रस्सी भी हो चुकी धड़ाम।
⇒यातायात जागरूकता अभियान भी असरकारक साबित नहीं हो पा रहे।
अर्पण कश्यप:कानपुर। महानगर की यातायात व्यवस्था को नियमानुसार चलाने व शहरियों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए कई बार प्रयास किए जा चुके हैं। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद यातायात व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। एक दो चैराहों को अगर छोड़ दिया जाये तो लगभग सभी चैराहों पर सिग्नल लाईटें मात्र एक सिम्बल के अलावा कुछ नहीं साबित हो रहीं हैं। कई बार चैराहों पर लाइटें लगाई गईं लेकिन उनका उपयोग होने से पहले वो कबाड़ में तब्दील हो गई। शहर की यातायात व्यवस्था भले ही ना बदले लेकिन उन लोगों के दिन जरूर बदल गए जो लोग इन लाइटों को लगवाने का ठेका लेते है। यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए लगी लाइटों का नजारा देखकर वो हास्यास्पद नजारे याद आते हैं जब यातायात माह में लाउडस्पीकरों ने बकवासी प्रचार की ओर किसी का ना तो धन जाता है और ना ही उसका असर शहरियों पर होता दिखता है। हां इतना तो जरूर है कि प्रचार प्रसार में लाखों का वारान्यारा जरूर कर दिया जाता है। वहीं खास तथ्य यह भी है कि यातायात के नियम को कोई माने या ना माने लेकिन ट्रैफिक सिपाही हो या टी एस आई सभी चैराहों पर बाज की तरह सिर्फ शिकार खोजते रहते हैं और उनका मकसद सिर्फ वसूली करना ही दिखता है। हर बार महकमें में नये अधिकारी आते हैं और उपदेश देते हैं कि यातायात व्यवस्था में सुधार करना पहली प्राथमिकता है लेकिन उनका उपदेश सार्थक नहीं हो पाता है। इतना ही नहीं नये नये नियम कानून बना कर तब तक काम करते है जब विभाग से काम के लिये पैसा न पास हो जाये।
शहर के साउथ क्षेत्र में है चोरों का रैन बसेरा!
चोरों के आतंक से दक्षिणी ईलाके मे लोगो में है दहशत
क्षेत्रीय पुलिस की कार्य शैली पर उठते सवाल
क्षेत्र के दहशत गर्द मुखबिर और पुलिस खासकार लोगों का लगा रहता है थाने में जमावाडा
कानपुरः अर्पण कश्यप। शहर के दक्षिणी इलाके में चोरों ने खूब धमाचैकड़ी मचा रखी है। लोग अपने घरों में ताला लगाकर बाहर जाने में डर रहे हैं। वही पुलिस की मुस्तैदी तो इसी बात से पता लग रही कि चैकी से चंद कदम दूरी पर ही एटीएम काटा जा रहा था और पुलिस को भनक तक नही। नौबस्ता, बर्रा, बाबूपुरवा गोविन्द नगर क्षेत्र में रोज चोरी व चैन लूट की घटनायें हो रही। वही पुलिस की माने तो रोज अपराधी पकड़ कर प्रेस कान्फ्रेंस कर अपनी पीठ थपथपा रही है। शुक्रवार रात भी बर्रा के एक घर में घुसे चोरों ने पैंट में रखी पर्स ही पर हाथ साफ कर पाये थे तभी आहट होने से परिवार जाग गया जिससे शोर मचाने पर चोर भाग निकले नौबस्ता मे हाईवे रोड पर एटीएम काटा गया। वही दिन बीत भी न पाया था कि बाबूपुरवा कॉलोनी निवासी एयरफोर्स कर्मी आशीष त्रिपाठी की पत्नी अंकिता शनिवार शाम किदवई नगर एम ब्लॉक अपने मायके में बेटे अक्षत को छोड़कर खरीदारी करने मां किरन बाजपेई के साथ बाजार गई थीं। खरीदारी करने के बाद दोनों लौट ही रही थीं।
ठण्ड के चलते एमपी बिरला ग्रुप ने वितरित किये कम्बल
रायबरेलीः जन सामना ब्यूरो। रिलायन्स सीमेंट कम्पनी प्रा0लि0 (एम0पी0 बिरला ग्रुप) द्वारा ठन्ड को ध्यान में रखते हुये कम्बल वितरण कार्यक्रम किया गया, जिसमें परियोजना के आसपास के गांवों के गरीब और जरूरत मंद लोगों एवं परियोजना में काम करने वाले लेबरों को कम्बल वितरण किये गये। रिलायन्स सीमेन्ट सी0एस0आर0 के अन्तर्गत गरीबों के हित में काम करती रही है। परियोजना प्रमुख हरीभानु सिंह परिहार के मार्ग दर्शन में कार्यक्रम की शुरुआत सी0एस0आर0 विभाग के प्रमुख नवीन काकड़े ने की। कार्यक्रम मंे मुख्य रूप से जयंत कंडपाल, संजीव मिश्र, हरवंश मिश्र, अनुराग सिंह, के0के0 बरनवाल, सुनील गुप्ता, विवके सक्सेना आदि लोग उपस्थित रहे।
Read More »पालिका बोर्ड की बैठक से मीडिया को बाहर निकाला
हाथरसः जन सामना संवाददाता। पहली ही पालिका बोर्ड की बैठक में पालिकाध्यक्ष आशीष शर्मा ने अपने तेवर दिखा ही दिये, चल रही पालिका बोर्ड की बैठक में अचानक पालिकाध्यक्ष ने मीडिया को बाहर का रास्ता दिखा दिया और कह दिया कि यह बोर्ड की बैठक गोपनीय है, जबकि पूर्व में भी हुई पालिका बोर्ड एवं जिला पंचायत बोर्ड की कार्यवाही मीडिया के सामने ही होती थी। मगर अब पालिकाध्यक्ष ऐसा क्या करने वाले थे जिससे पालिका बोर्ड की कार्यवाही से मीडिया को दूर रखा। पालिकाध्यक्ष की कार्यशैली को लेकर मीडिया में तरह-तरह की चर्चाये होने लगीं।
उल्लेखनीय है कि प्रथम पालिका बोर्ड की बैठक आयोजित हो रही थी तभी कार्यवाही के बीच उठकर पालिकाध्यक्ष आशीष शर्मा द्वारा मीडिया से यह कह दिया गया कि मीडिया बाहर जा सकती है अब पालिका बोर्ड की कार्यवाही शुरू हो रही है और यह कार्यवाही गोपनीय है।
मण्डलीय ताइक्वाण्डो प्रतियोगिता के लिए टीम रवाना
लालगंज रायबरेलीः जन सामना ब्यूरो। इलाहाबाद मे 6 से 7 जनवरी तक आयोजित होने वाली मण्डलीय ताइक्वाण्डो प्रतियोगिता के लिए रायबरेली जिले की 40 सदस्सीय टीम आज लालगंज से प्रयाग इण्टर सिटी से रवाना की गई। इस मौके पर ताइक्वाण्डो एसोसिएशन के जिला सचिव डा0 अताउर रहमान ने बताया इलाहाबाद में यह प्रतियोगिता सब जूनियर, केडिट, जूनियर और सीनियर के सभी भार वर्गो मे आयोजित हो रही है जिसमे हमे रायबरेली जिले की टीम से काफी उम्मीदें हैं। इस टीम में रेलकोच, बछरावंा, महराजगंज, लालगंज और रायबरेली के खिलाडी शमिल है। इस मौके पर आर0के0 मीना, के0के0 क्षटवाल, अमजद खान, मुन्ना सिंह, मो0 इमरान सौरभ कुमार, अखण्ड दीप सोनकर, मो0 इरफान, चन्द्र प्रकाश तिवारी, सन्तलाल आदि लोगों ने शुभकामनाएं देते हुए टीम को रवाना किया।
Read More »सर्दी लगने से दो की मौत
खीरोंःरायबरेलीः जन सामना ब्यूरो। थाना क्षेत्र के गाँव जमकोरियापुर मजरे अकोहरिया में ठण्ड लगने से दो दिनों में एक वृद्ध और एक प्रौढ़ महिला सहित दो लोगों की मौत हो गयी। मृतकों के परिजनों ने बिना कोई कानूनी कार्यवाही किये शवों का अन्तिम संस्कार कर दिया।
मृतकों के परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार जमकोरियापुर निवासी श्रीपाल (72) पुत्र स्व० बुद्धूलाल शुक्रवार की शाम शौंच के लिए गए थे। तभी उन्हें तेज ठण्ड लग गयी। वह काँपते हुए घर पहुँचे। हालत बिगडने पर जब तक परिजन उन्हें सीएचसी खीरों पहुंचाते तबतक उनकी मौत हो चुकी थी। परिवार में एकलौती बची उनकी वृद्ध पत्नी शकुन्तला की परवरिश का संकट खडा हो गया है।
फस्ट इंटर ओपन स्टेट कर्राटे चैम्पियनशिप खेल प्रतियोगिता शुरू
कानपुर देहातः जन सामना ब्यूरो। जिला स्टेडियम माती में फस्ट इंटर ओपन स्टेट कर्राटे चैम्पियनशिप का आयोजन सुपर मार्शल आर्ट संस्था द्वारा दो दिवसीय जूडो जिलास्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन का शुभारंभ एडीएम वित्त एवं राजस्व विद्या शंकर सिंह द्वारा जूडो करार्टे टीम का शुभारंभ कर्राटे व तकाईवन्डो प्रतिभागियों द्वारा हाथ मिलवाकर व अपना हाथ खीच कर किया गया। एडीएम ने युवा जूडो खिलाड़ियों का हाथ मिलाकर परिचय भी प्राप्त किया। उन्होंने युवा जूडो खिलाडियों से कहा कि जूडो व तकाईवान्डों आदि खेल खिलाड़ी खेल की भावना से खेले, खेल में सब बराबर होते है। तकाईवान्डो व जूडो कर्राटे खेल विधा खेल के अच्छा प्रदर्शन और उसके निरंतर अभ्यास से हम राष्ट्रीय और अन्र्तराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचकर सर्वांगीण विकास कर सकते है। जूडो खेल से आत्मरक्षा भी आसानी की जा सकती है। उन्होंने खेल खेलने आये दिव्यांग बच्चों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन बच्चों में प्रतिभा कूट कूट कर भरी है यदि थोडा सा सहयोग मिले तो यह अधिक अच्छा प्रदर्शन कर देश व प्रदेश का नाम रोशन कर सकते है। उन्होंने युवा खिलाडियों को प्रोत्साहित किया। इस मौके पर जिला स्पोर्टस स्टेडियम समिति के सदस्य ब्लेक बेल्ट रेफरी, शीतल पाल, शाजिद, शकील खां, राजन कुमार आदि उपस्थित थे। वहीं 41, 42, 43, 44, पी 30, 31 आदि केटागिरी के बच्चों ने अच्छा प्रदर्शन किया। इस मौके पर एडी सूचना प्रमोद कुमार, जिला क्रीडा अधिकारी सुनील भारती, समाजसेवी कंचन मिश्रा, रजत गुप्ता, नीतू सचान आदि भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन रजत गुप्ता द्वारा किया गया। फस्ट इंटर ओपर स्टेट कर्राटे चैम्पियनशिप के दूसरे दिन जनपद के मुख्य विकास अधिकारी केदारनाथ सिंह, एडीएम विद्या शंकर सिंह, सहायक निदेशक प्रमोद कुमार आदि अधिकारियों सहित समाजसेवी व किसान महिला नेता अन्नपूर्णा देवी, समाजसेवी कंचन मिश्रा, प्रिया गुप्ता, सुमन गुप्ता, सुमन चैरसिया, दीपा खरे, अनीता खरे, मनीष खरे, राहुल सिंह आदि सहित कई जनप्रतिनिधि व व्यापारी प्रतिष्ठान के जन भी उपस्थित रहेंगे तथा बाहर से आये औरैया, बिहार, इटावा, हमीरपुर, कानपुर, कानपुर देहात, फतेहपुर, आजमगढ़ आदि जनपदों से तकाईवान्डों जूडों के प्रतिभागी आयेंगे जिनका उत्साहवर्धन भी किया जायेगा। तकाईवान्डों जूडो खिलाड़ियों से परस्पर हाथ मिलवाकर एडीएम ने किया दो दिवसीय फस्ट इंटर ओपन स्टेट कर्राटे चैम्पियनशिप खेल प्रतियोगिता का शुभारंभ जहां हुआ वहीं दिव्यांग तकाईवान्डों खिलाड़ियों ने सिर पर रखे फूलों की टोकरियों पर सिर को बचाते हुए छलांग मारकर पैरों से फूलों को चैतरफा बिखेरकर किया अच्छा प्रदर्शन कर अपना जलवा भी बिखेरा।
Read More »गरीब बच्चों को दिए ऊनी वस्त्र
कानपुरः जन सामना संवाददाता। कड़ाके की सर्दी में आज भी ऐसे लोग है जिनके पास तन ढकने तक के कपड़े नहीं हैं। ऐसे ही लोगों को ठण्ड में राहत पहुंचाने के उद्देश्य से ईबिज डाॅट काॅम द्वारा जय प्रकाश नगर मलिन बस्ती काकादेव में गरीब और असहाय 150 से अधिक बच्चों को ऊनी वस्त्रों का वितरण किया। इस अवसर पर संस्थान के स्टूडेंट मौजूद रहे।
कार्यक्रम के दौरान आशीष त्रिपाठी ने कहा कि आज हम आधुनिकता की ओर बढ़ रहे है लेकिन अपनी जमीन को छोड़ते जा रहें है। हमें अपने ही समाज के बीच की कमियां नहीं दिखाई दे रही है। ऐसी सर्दी में नगर में हजारों लोग ऐसे भी हैं जिनके पास घर नहीं कपड़े नहीं। ऐसे लोगों को सर्दी में राहत पहुंचाने के उद्देश्य से संस्थान के युवक-युवतियों ने मलिन बस्ती में जाकर गरीब बच्चों के बीच ऊनी वस्त्रों का वितरण किया। बच्चों ने तत्काल वस्त्र पहने। आशीष ने कहा कि समाज के बीच उनके द्वारा इस प्रकार का कार्य जारी रहेगा।