कानपुर नगरः जन सामना डेस्क। वन नेशन, वन राशन कार्ड योजनान्तर्गत शताब्दी भवन एच0 बी0 टी0 यू0 बेस्ट कैम्पस में लाभार्थियों के लिये जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मा0 विधान परिषद सदस्य अरुण पाठक, विधायक नीलिमा कटियार, सुरेन्द्र मैथानी, आई0 आर0 टी0 एस0 निर्देशक मूवमेंट भारत सरकार अंबर प्रकाश सिंह, अपर आयुक्त खाद एवं रसद उ0 प्र0 जी0पी0 राय, सयुक्त आयुक्त खाद्य कानपुर मण्डल अखिल सिंह, ए0 डी0 एम0 न्यायिक सूरज यादव, जिला पूर्ति अधिकारी राकेश कुमार सहित सभी सम्बन्धित अधिकारी व लाभार्थीगण उपस्थित रहे। दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
जिला पूर्ति अधिकारी राकेश कुमार ने कार्यक्रम में वन नेशन वन कार्ड के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये बताया कि खाद्य सुरक्षा की समस्या से निपटने के लिये भारत सरकार ने वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना की शुरुआत की है। एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना को 09 अगस्त, 2019 को चार राज्यों में एक प्रायोगिक परियोजना के तौर पर शुरू किया गया था। ओ0 एन0 ओ0 आर0 सी0 प्रौद्योगिकी से संचालित एक योजना है और इसे केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन कार्डों की देशव्यापी पोर्टेबिलिटी के लिए लागू किया गया है।
एम0 एल0 सी0 अरुण पाठक ने अपने सम्बोधन में कहा कि मुझे याद है वह दिन जब राशन लेने के लिए लम्बी-लम्बी लाइन लगा करती थी, राशन लेना एक बहुत बड़ा काम था। राशन लेने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। लेकिन आज आप देश के किसी भी कोने में किसी भी राशन की दुकान से अपना राशन प्राप्त कर सकते हैं।
तुम झूठ को सच लिख दो, अखबार तुम्हारा है….
किशनपुर/फतेहपुर। श्री रामलीला महोत्सव में कवि सम्मेलन इस बार वीर रस के युवा कवि राम भदावर के नाम रहा। कमेटी की ओर से बुलाए गए सभी रचनाकारों को सराहा गया, शानदार मंच,बैठने की व्यवस्था, जगमग रोशनी के बीच कवि सम्मेलन बेहद सफल रहा।विधायक कृष्णा पासवान ने इस वर्ष भी सभी रचनाकारों को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया।
कवि सम्मेलन में वैसे तो सभी रचनाकारों ने शानदार काव्य पाठ किया लेकिन वीर रस के युवा कवि राम भदावर मैन ऑफ द मैच रहे। मेला कमेटी के अध्यक्ष उत्तम सिंह के नेतृत्व में धनंजय सिंह,अखिलेश अग्रवाल, राजा अग्रवाल सहित कमेटी के लोगों ने मंच पर शानदार स्वागत किया। सभी कवियों का भी गुलाब की माला के साथ फाल्गुन गिरी बाबा के चित्र तथा विधायक कृष्णा पासवान की ओर से अशोक स्तंभ भेंट किया गया। परंपरा के अनुसार दीप प्रज्वलन एवं कवियत्री प्रियंका शुक्ला ने सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया।
इस बार के कवि सम्मेलन की रौनक कुछ लग रही जहां अन्य कवियों ने रचनाओं के माध्यम से बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं को प्रभावित किया,वहीं राम भदावर की वीर रस की रचनाओं ने कवि सम्मेलन में चार चांद लगा दिए।रीवा मध्य प्रदेश से आए हास्य कवि अमित शुक्ला ने रचनाओं के साथ-साथ शानदार संचालन किया और श्रोताओं को पूरी रात बांधे रखा-चरण जब भी पड़ेंगे प्रभु के मंदिर में तो यह डर है,शिलाएं पैर से छूकर कहीं नारी न बन जाएं।
मुख्य सचिव ने सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को स्मृति चिन्ह भेंट किया
लखनऊः जन सामना डेस्क। उप्र के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने उ0प्र0 सचिवालय सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले 13 कार्मिकों को उनके सेवानैवृत्तिक लाभों से सम्बन्धित आदेशों का वितरण और स्मृति चिन्ह भेंट किया।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने सेवानिवृत्त होने वाले सचिवालय कर्मियों को स्वस्थ व सुखद भविष्य की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आप लोगों ने जिस तरह 30 से 32 वर्ष तक सचिवालय में सेवा दी, ठीक उसी प्रकार आगे भी देश और समाज के लिए सेवा करना है। सेवानिवृत्त का मतलब आलस्य नहीं, बल्कि आने वाले कल के लिए भी नई ऊर्जा के साथ कार्य करते रहना है। आप सभी लोग नये जीवन की ओर बढ़ रहे हैं। अब आप लोगों को अपने लिए नहीं समाज के लिए कार्य करना होगा।
उन्होंने सनातन धर्म के चारों आश्रमों-ब्रहमचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गृहस्थ आश्रम 50 वर्ष में व्यक्ति के जीवन का वह भाग है, जिसपर उसकी, उसके परिवार की, समाज की और राष्ट्र की उन्नति निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश बदल रहा है, इसमें आप लोगों का योगदान और सहयोग की जरुरत है। व्यक्ति अपनी बौद्धिक क्षमता से आगे बढ़ सकता है और पीछे भी जा सकता है।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में मनायी गयी सरदार बल्ल्भ भाई पटेल की जयन्ती
मथुरा: जन सामना संवाददाता। जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने सभागार में राष्ट्रीय एकीकरण के शिल्पकार लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के पावन अवसर पर अधीनस्थ अधिकारियों को राष्ट्रीय एकता दिवस की शपथ दिलाई और राष्ट्रीय एकता के संबंध में अधिकारियों को संबोधित किया। इसी क्रम में 16 बटालियन सीआरपीएफ ने राँची बांगर स्थित अपने मुख्यालय में दिनांक 31 अक्टूबर 2023 मंगलवार को लौह पुरूष श्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया गया।
इस अवसर पर 16 बटालियन सीआरपीएफ के द्वारा एकता के लिए दौड़ (रन फॉर यूनिटी) का आयोजन किया गया, जिसमें अधिकारियों व अन्य कार्मिकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कमाण्डेन्ट सुरेश कुमार (पी.एम.जी.) द्वारा लौह पुरुष श्री सरदार बल्लभ भाई पटेल द्वारा देश के लिये दिये गये योगदान/त्याग के बारे मे अवगत करवाया तथा राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने के उद्देश्य के बारे में बताया एवं उपस्थित सभी अधिकारियों एंव कार्मिकों को शपथ दिलायी।
14 से 27 नवम्बर तक आयोजित होगा ब्रज रज उत्सव
मथुराः जन सामना संवाददाता। उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा 14 से 27 नवंबर के मध्य रेलवे ग्राउंड धौलीप्याऊ पर आयोजित किए जाने वाले ब्रज रज उत्सव-2023 की तैयारियों की समीक्षा बैठक परिषद के बड़े सभागार में हुई।
बैठक में उत्सव के कार्यक्रमों की रूपरेखा परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नगेंद्र प्रताप ने सांसद हेमा मालिनी, परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र, जनप्रतिनिधियों के समक्ष प्रस्तुत की।
बैठक में सांसद हेमा मालिनी ने सायं 7 से 10 बजे के मध्य होने वाले मंचीय कार्यक्रमों और उनके कलाकारों के नाम फाइनल किए।
उत्सव के प्रथम तीन दिन मीराबाई की 525 वीं जयंती के उपलक्ष्य में प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इनमें मीराबाई पर एक आकर्षक प्रस्तुति भरतनाट्यम की प्रख्यात नृत्यांगना व अभिनेत्री हेमा मालिनी और उनके साथी कलाकार देंगे। बैठक में माननीय सांसद जी ने इस मीरा नृत्य नाटिका के अलावा अन्य मंचीय कार्यक्रमों को अपनी स्वीकृति प्रदान की।
पूर्व के ब्रज रज उत्सवों की तरह इस बार भी बहुत बड़ी संख्या में स्थानीय लोक कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच प्रदान किया जाएगा।
तुष्टिकरण करनेवाले आतंकवादियों के साथ खडे हो गये हैंः मोदी
नयी दिल्ली: कविता पंत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले अपने स्वार्थ की खातिर अब मानवता के दुश्मनों तथा आतंकवादियों के साथ खड़े हो गए हैं और देश की एकता को खतरे में डाल रहे हैं जिनसे हर हाल में सावधान रहना होगा।
कांग्रेस नेता श्रीमती सोनिया गांधी के इज़रायल हमास संघर्ष के बारे में लेख के दो दिन बाद मोदी ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि देश की एकता के रास्ते में, हमारी विकास यात्रा में सबसे बड़ी रुकावट है तुष्टीकरण की राजनीति। भारत के बीते कई दशक साक्षी हैं कि तुष्टीकरण करने वालों को आतंकवाद, उसकी भयानकता और उसकी विकरालता कभी दिखाई नहीं देता।
सोनिया गांधी ने लेख में लिखा है कि डेढ़ दशक से अधिक समय से इजरायल की निरंतर नाकेबंदी ने गाजा को 20 लाख निवासियों के लिए श्खुली हवा वाली जेलश् में बदल दिया है। कांग्रेस, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव पर मतदान के दौरान भारत की अनुपस्थिति का कड़ा विरोध करती हैजिसमें गाजा में इजरायली बलों और हमास के बीच तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम के लिए शत्रुता को समाप्त करने का आह्वान किया गया था।
उल्लेगखनीय है कि इस प्रस्तालव में हमास का जिक्र नहीं किये जाने के कारण भारत ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने पलटवार करते हुये कहा कि तुष्टीकरण करने वालों को मानवता के दुश्मनों के साथ खड़े होने में संकोच नहीं हो रहा है। वे आतंकवादी गतिविधियों की जांच में कोताही करते हैं। वे देशविरोधी तत्वों पर सख्ती करने से बचते हैं। तुष्टीकरण की ये सोच इतनी खतरनाक है कि वे आतंकवादियों को बचाने के लिए अदालत तक पहुंच जाते है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी सोच से किसी समाज का भला नहीं हो सकता। इससे कभी देश का भी भला नहीं हो सकता। एकता को खतरे में डालने वाली ऐसी सोच से हर-पलहर समयदेश के हर कोने मेंहर देशवासी को सावधान रहना है।
मोदी गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के निकट केवड़िया मेंदेश प्रथम गृह मंत्री और लौह पुरूषसरदार वल्लिभभाई पटेल की जयंती पर सरदार पटेल की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित करके श्रद्धांजलि दी।
यू.जी.सी. अध्यक्ष द्वारा मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र का उद्घाटन
नई दिल्ली। देश के उच्च शिक्षा के सभी विषयों के शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप प्रशिक्षित करने के लिए 111 मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्रों में से एक श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय), के केन्द्र का उद्घाटन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार के द्वारा किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. जगदीश ने अपने उद्बोधन में कहा कि इन प्रशिक्षण केन्द्रों से प्रशिक्षित अध्यापक शिक्षा से सम्बद्ध चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम तथा छात्रों में अन्तर्निहित क्षमताओं का विकास कर सकने में समर्थ होंगे। छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु एन.ई.पी. 2020 में अनेक अवसर यथा स्वतन्त्रता, नमनीयता एवं विकल्प आदि के रूप में प्रदान किये गये हैं जिनसे परिवार, समाज एवं राष्ट्र का विकास सुनिश्चित होगा। तत्पश्चात् उन्होंने शिक्षकों की चार भूमिकाएं यथा- मुक्त विचारों वाला, उत्तम अधिगमकर्त्ता, आलोचनात्मक चिन्तन को बढ़ावा देने वाला तथा बहु-कक्षागत क्रियाओं में छात्रों को संलग्न करने पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर केन्द्र की निदेशक प्रो. अमिता पाण्डेय भारद्वाज ने केन्द्र की पृष्ठभूमि एवं उसमें निर्धारित कार्यक्रमों का संक्षिप्त परिचय दिया।
सुहागिनों का सबसे बड़ा त्यौहार है करवा चौथ
करवा चौथ पर्व का हमारे देश में विशेष महत्व है क्योंकि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलती हैं। भारतीय समाज में वैसे तो महिलाएं विभिन्न अवसरों पर अनेक व्रत रखती हैं लेकिन पति को परमेश्वर मानने वाली नारी के लिए इन सभी व्रतों में सबसे अहम स्थान रखता है ‘करवा चौथ’ व्रत, जो इस वर्ष 1 नवम्बर को मनाया जा रहा है। पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य तथा सौभाग्य के साथ-साथ जीवन के हर क्षेत्र में उसकी सफलता की कामना से सुहागिन महिलाओं द्वारा कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला यह व्रत अन्य सभी व्रतों से कठिन माना जाता है, जो सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत एवं त्यौहार है। महिलाएं अन्न-जल ग्रहण किए बिना अपार श्रद्धा के साथ यह व्रत रखती हैं तथा रात्रि को चन्द्रमा के दर्शन करके अर्ध्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं। यही वजह है कि अखण्ड सुहाग का प्रतीक यह व्रत अन्य सभी व्रतों के मुकाबले काफी कठिन माना जाता है।
कहा जाता है कि इस व्रत के समान सौभाग्यदायक अन्य कोई व्रत नहीं है और सुहागिनें यह व्रत 12-16 वर्ष तक हर साल निरन्तर करती हैं, उसके बाद वे चाहें तो इसका उद्यापन कर सकती हैं अन्यथा आजीवन भी यह व्रत कर सकती हैं। आजकल तो कुछ पुरूष भी पूरे दिन का उपवास रखकर पत्नी के इस कठिन तप में उनके सहभागी बनते हैं। दिनभर उपवास करने के बाद शाम को सुहागिनें करवा की कथा सुनती व कहती हैं तथा चन्द्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्ध्य देकर अपने सुहाग की दीर्घायु की कामना कर प्रण करती हैं कि वे जीवन पर्यन्त अपने पति के प्रति तन, मन, वचन एवं कर्म से समर्पित रहेंगी।
सजना है मुझे सजना के लिए …
भारत में सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा त्यौहार है ‘करवा चौथ’, जो दाम्पत्य जीवन में एक-दूसरे के प्रति समर्पण का अनूठा पर्व माना जाता है। इस विशेष त्यौहार का सुहागिन महिलाएं सालभर इंतजार करती हैं। हालांकि यह व्रत अन्य सभी व्रतों से कठिन माना जाता है, फिर भी देशभर में हर जाति, हर सम्प्रदाय की महिलाएं अपने पति की दीर्घायु तथा अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए खुशी-खुशी यह व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलती हैं। हालांकि समय के साथ इस व्रत को मनाए जाने की परम्पराओं में थोड़ा बदलाव आया है और अब बहुत सी अविवाहित युवतियां भी अच्छे वर की प्राप्ति की कामना से यह व्रत करने लगी हैं।
करवा चौथ के शुभ दिन महिलाओं के चेहरे पर एक अलग ही तेज नजर आता है। इस पर्व का नाम सुनते ही मन में सोलह श्रृंगार किए खूबसूरत नारी की छवि उभर आती है। दरअसल मेंहदी लगे हाथों में रंग-बिरंगी खनकती चूड़ियां, माथे पर आकर्षक बिंदिया, मांग में सिंदूर, सुंदर परिधान और तरह-तरह के आकर्षक गहने पहने अर्थात् सोलह श्रृंगार किए सुहागिन महिलाएं इस दिन नववधू से कम नहीं लगती। दुल्हन के लाल जोड़े की भांति इस दिन भी लाल रंग के परिधान पहनने का चलन बहुत ज्यादा है। वास्तव में करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के सजने-संवरने का एक विशेष अवसर है।
एकीकृत भारत के निर्माता थे सरदार पटेल
31 अक्तूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले के नाडियाड में एक किसान परिवार में जन्मे सरदार वल्लभ भाई पटेल को एकता की मिसाल कहा जाता है क्योंकि देश की एकता को सर्वोपरि मानते हुए उन्होंने देश को एकजुट करने में सदैव महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर मजबूत और एकीकृत भारत के निर्माण में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। जिस समय देश आजाद हुआ, तब यह कई छोटी-छोटी रियासतों में बंटा था, जिन्हें एकजुट करना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था। आजाद भारत को एकजुट करने का श्रेय पटेल की राजनीतिक और कूटनीतिक क्षमता को ही दिया जाता है। भारत के राजनीतिक एकीकरण के लिए सरदार पटेल के इसी अविस्मरणीय योगदान को चिरस्थायी बनाए रखने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 31 अक्तूबर 2014 से उनकी जन्मतिथि 31 अक्तूबर को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई। तभी से सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
देश की आजादी के उपरांत 500 से भी ज्यादा देशी रियासतों का एकीकरण किया जाना सबसे बड़ी समस्या थी। दरअसल अंग्रेज भारत से जाते-जाते कुटिल चाल चलते हुए करीब 550 देशी रियासतों को खुद ही अपने भविष्य के निर्णय का अधिकार दे गए थे। उसके पीछे उनका उद्देश्य था कि इतनी बड़ी संख्या में रियासतों के स्वायत्त रहते भारत के लिए स्वयं को एकजुट रख पाना बेहद मुश्किल होगा। सरदार पटेल ने अपने ‘लौहपुरूष’ व्यक्तित्व का परिचय देते हुए इस गंभीर चुनौती को न केवल स्वीकार किया बल्कि बहुत ही कम समय में बड़ी कुशलता से इतनी सारी रियासतों के एकीकरण का कार्य सम्पन्न कराने में सफल भी हुए। उन्होंने आजादी के ठीक पहले पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देशी रियासतों को भारत में मिलाने का कार्य आरंभ कर दिया था। उस समय देशभर में सैंकड़ों ऐसी देशी रियासतें थी, जो स्वयं में सम्प्रभुत्ता प्राप्त थी, जिनका अपना अलग झंडा और अलग शासक था। दोनों ने देशी रियासतों के शासकों को समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना संभव नहीं होगा। इसका असर यह हुआ कि केवल तीन रियासतों को छोड़कर बाकी सभी रियासतों-राजवाडों ने अपनी मर्जी से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।