Tuesday, November 19, 2024
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ग्राम पंचायतें सक्रियता के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड -19 के प्रसार को रोकने के उपाय कर रही हैं

जिला और गाँव स्तर पर किये जाने वाले विभिन्न उपायों में शामिल हैं, सार्वजनिक स्थानों की दैनिक स्वच्छता; निराश्रित व्यक्तियों और प्रवासी लोगों के लिए आश्रय और क्वारंटाइन केंद्र स्थापित करना; जरूरतमंदों को सुरक्षा गियर, वित्तीय सहायता और भोजन/राशन प्रदान करना और बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना
देश भर में जिला प्रशासन और ग्राम पंचायतें ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड -19 महामारी के प्रसार की रोकथाम के लिए विभिन्न उपाय कर रही हैं। पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार राज्य सरकारों, जिला अधिकारियों और ग्राम पंचायतों के साथ निरंतर संपर्क में है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लॉकडाउन की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है और सामाजिक दूरी बनाये रखने के नियमों का निष्ठापूर्वक पालन किया जा रहा है।
पंचायत स्तर पर विभिन्न पहल की जा रही हैं, जिन्हें अन्य, सर्वोत्तम प्रथाओं के उदाहरण के रूप में अपना सकते हैं। इनमें से कुछ निम्न हैं –
उत्तर प्रदेश:

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घर से बुलाकर प्रत्येक व्यक्ति को राशन वितरित कर रहे बाबा कोटेदार

प्रयागराज, पत्रकार मिथलेश वर्मा। आज दिन गुरुवार ग्राम पंचायत सेख सरवां बमरौली में सरकार के आदेश का पालन करते हुए कोटेदार सोहन लाल (बाबा कोटेदार) क्षेत्रीय जनता को सभी कार्ड धारकों को फ्री में राशन बांट रहे हैं। आज पूरे देश में कोरोना महामारी प्रकोप के कारण लोगों के सामने खाने-पीने के लिए घोर मुसीबत उत्पन्न हो गई है। जिससे भारत सरकार ने देश के सभी कोटेदारों को आदेश दिया है कि आप लोग सभी कार्ड धारकों को चाहे वह जिस समुदाय या चाहे जिस श्रेणी का हो उन सभी लोगों को फ्री में राशन वितरण कीजिए। सरकार के आदेश को अनुसरण करते हुए बाबा कोटेदार ने सभी लोगों को घर से बुलाकर प्रत्येक व्यक्ति को राशन वितरित कर रहे हैं। जिससे क्षेत्र की जनता को भूखे ना रहना पड़े सरकार का मानना है कि जब तक समूचे देश में कोरोना महामारी के कारण लाॅक डाउन लगा हुआ है और लोगों का काम धंधा ठप पड़ा है। तब तक सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि प्रत्येक व्यक्ति की हर संभव मदद होनी चाहिए। जिससे वह भूखा ना रह सके। सरकार इसके लिए संकल्प बध्य है।

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एसएससी ने परीक्षा कार्यक्रम की घोषणा की

एसएससी के सभी अधिकारी और स्टाफ सदस्य पीएम केयर्स फंड में एक दिन के वेतन का योगदान देंगे
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा के लिए कर्मचारी चयन आयोग की एक विशेष बैठक आयोजित की गई।
सोशल डिस्टैंसिंग सहित विद्यमान लाकडाउन को देखते हुए, फैसला किया गया कि सभी परीक्षाओं, जिसके लिए उम्मीदवारों को देश के सभी भागों की यात्रा करने की आवश्यकता पड़ती थी, की तिथि की समय समय पर समीक्षा की जाएगी। कंबाइंड हायर सेकेंडरी (10प्लस2) लेवल परीक्षा (टियर-1) 2019, जूनियर इंजीनियर (पेपर-1) परीक्षा 2019, स्टेनोग्राफर ग्रेड ‘सी‘ एवं ‘डी‘ परीक्षा, 2019 एवं कंबाइंड हायर सेकेंडरी लेवल परीक्षा 2018 के लिए कौशल परीक्षा लाकडाउन के दूसरे चरण की पूर्णता का अनुसरण करते हुए 3 मई, 2020 के बाद ली जाएंगी।

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वायुसेना के चीता हेलिकाप्टर की आपातकालीन लैंडिंग

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। एक चीता हेलिकाप्टर लेह के टेस्ट सैपलों को ले जाने के कोविड-19 कार्य के लिए हिंडन से चंडीगढ़ जा रहा था। हिंडन से लगभग 3 एनएम आगे वायुयान में एक तकनीकी बाधा आ गई और उसे आउटर रिंग रोड राजमार्ग पर सुरक्षित लैंडिंग करनी पड़ी। पायलटों द्वारा की गई कार्रवाई त्वरित और सटीक थी। किसी भी संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। तत्काल हिंडन से रिकवरी वायुयान भेजा गया। वायुयान को दुरुस्त कर लिया गया और वह तत्काल तथा सुरक्षित तरीके से हिंडन वापस आ गया।

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स्वास्थ्य विभाग में प्रशिक्षित अमले की कमी, 10 हजार लोगों पर मात्र एक डॉक्टर

भारत एक ओर कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी का सामना भी कर रहा है। भारत में अनुमानित तौर पर 6 लाख डॉक्टरों, 20 लाख नर्सों और 7 लाख फार्मासिस्टों की कमी है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि भारत में एंटीबायोटिक व अन्य दवाइयां देने के लिए उचित तरीके से प्रशिक्षित स्टाफ की कमी है, जिससे जीवन बचाने वाली दवाइयां मानक के अनुरूप मरीजों को नहीं मिल पाती हैं।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज डाइनामिक्स, इकॉनॉमिक्स एंड पॉलिसी (सीडीडीईपी) की रिपोर्ट के मुताबिक एंटीबायोटिक उपलब्ध होने पर भी भारत में लोगों को बीमारी पर 65 फीसदी खर्च खुद उठाना पड़ता है। यह हर साल 5.7 करोड़ लोगों को गरीबी के गर्त में धकेलता है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में हर साल 57 लाख ऐसे लोगों की मौत होती है, जिन्हें एंटीबायोटिक दवाइयों से बचाया जा सकता था। ये मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। ये मौतें एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमणों से हर साल होने वाली अनुमानित 7 लाख मौतों की तुलना में अधिक है।

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कोरोना कहर में भी फार्मासिस्ट को नहीं पहचान पा रही है सरकार

विकसित देशों में जो रोल डॉक्टर का होता है उसके समकक्ष फार्मासिस्ट को भी माना जाता है। वहाँ डॉक्टर सिर्फ डाइग्नोस्ट करता है और बीमारी की मेडिसिन फार्मासिस्ट लिखता है। वहाँ पर डॉक्टर व फार्मासिस्ट को गाड़ी के दो पहियों की तरह माना जाता है किंतु विडंबना देखिये कि हमारा देश उन देशों की अपेक्षा मेडिकल क्षेत्र में बहुत पीछे है फिर भी यहां फार्मासिस्ट को कोई महत्व ही नहीं दिया जाता है। मुझे तो ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ के लोग यह जानते ही नहीं हैं कि फार्मासिस्ट होता क्या है और उसका काम क्या है? शायद वो सिर्फ यह समझते हैं कि फार्मासिस्ट सिर्फ दवा वितरण का कार्य करता है।
अभी हाल ही में माननीय प्रधामंत्री जी ने सभी फार्मा कंपनीज को कड़े शब्दों में चेतावनी दी थी कि सुधर जाओ नहीं तो स्ट्रिक्ट कानून बना देंगे। मैं इस फैसले का स्वागत करता हूँ किन्तु एक बात मैं अपने प्रधानमंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि यह कानून सिर्फ ज्यूरिस्प्रूडेंस की किताब में पढ़ने के लिए बनेगा या फिर इसका पालन भी सुनिश्चित किया जायेगा। ये सवाल इसलिए पूछ रहा हूँ क्योंकि फार्मा सेक्टर में कानूनों की कोई कमी नहीं है लेकिन सिर्फ और सिर्फ दवा संबंधी कानूनों का इस देश में कड़ाई से पालन ही नहीं हो रहा है। आप नया कानून ला रहे हैं अच्छी बात है लेकिन जब मैं आत्मचिंतन करता हूँ तो मन में एक ही शंका बार-बार घर कर जाती है कि क्या ये कानून बनने के बाद कड़ाई से लागू होगा?

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बिना संसाधनों के ऑनलाइन कैसे पढ़े ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे

ऑनलाइन पढ़ाई में अधूरी तैयारी और संसाधनों का अभाव बेसिक शिक्षा परिषद व माध्यमिक शिक्षा परिषद के लिए कड़ी चुनौती बना हुआ है। किसी गांव में नेटवर्क की दिक्कत है, तो किसी के सामने स्मार्ट फोन न होना परेशानी बढ़ा रहा है। जिस गांव में नेटवर्क है भी, वहां स्पीड बहुत कम आना भी छात्रों को बाधा उत्पन्न कर रहा है। शिक्षक हो या छात्र या फिर अभिभावक सभी के सामने यह समस्या गंभीर बनी हुई है।
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन में स्कूल और कॉलेज बंद है। शिक्षा विभाग क‌र्फ्यू के बीच ऑनलाइन पढ़ाई करवाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन इसमें अभी भी कई दिक्कतें हैं। कई विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं। ऐसे में छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड के दर्जनों स्कूलों ने लॉकडाउन के समय ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करा दी है। किसी ने क्लास स्तर से वाट्सएप ग्रुप तैयार कराकर छात्रों की पढ़ाई शुरू की तो किसी ने यू-ट्यूब चैनल बनाकर उस पर पढ़ाई कराई जा रही है। कुछ स्कूलों ने ऐसा भी कर रखा है कि वे छात्रों को एक साथ वीडियो कॉलिग के माध्यम से पढ़ाई करा रहे हैं। किन्तु ऑनलाइन पढ़ाई से बेसिक शिक्षा परिषद व माध्यमिक शिक्षा परिषद पिछड़ा हुआ है। कक्षा 6 से 9 और कक्षा 11 के छात्रों की पहले ही पढ़ाई यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान प्रभावित रही थी। उसके बाद कोरोना के आये भूचाल ने इन छात्रों की पढ़ाई पूरी तरह ही प्रभावित कर दी है। अब सरकार ने अधूरी तैयारी और संसाधनों के सहारे ऑनलाइन पढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी है। यह विधि ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा परेशानी पैदा कर रही है। क्योंकि यहां पर अधिकांश लोगो के पास मल्टीमीडिया मोबाइल का न होना व जिनके पास है भी उनके मोबाईल में नेटवर्क की धीमी रफ्तार और नेटवर्क न आना सबसे बड़ी बाधा का कारण बना हुआ है। यह समस्या भी विभाग को कड़ी चुनौती दे रही है। ऐसे छात्रों की पढाई शासन-प्रशासन व शिक्षा विभाग कैसे पूरी करायेगा यह बड़ा सवाल है।

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गुटखा, तम्बाकू बेचने वालों के खिलाफ होगी सख्त कार्यवाही: डीएम

खाने की शिकायत मिलने पर शीघ्र किया जाये निस्तारण: डीएम
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में कोरोना वायरस के चलते सम्बन्धित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में जिलाधिकारी ने बताया कि केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा दिये गये निर्देशों के तहत अब 3 मई तक जनपद लाकडाउन रहेगा। उन्होंने 14 अप्रैल तक लाॅकडाउन के दौरान अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा अच्छे कार्य के लिए प्रशांसा की तथा सभी को बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि पहले की भांति आगे भी प्रातः 7 बजे से 11 बजे तक फल, सब्जी, दूध, किराना आदि की दुकाने खुलेगी। जिलाधिकारी ने सभी एसडीएम को निर्देशित किया कि पान मसाला, गुटखा आदि पर रोक लगायी गयी है फिर भी चोरी छिपे बिक रहा है इस पर कडाई से रोक लगायी जाये तथा जो दुकानदार बेच रहा है उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाये। उन्होंने कहा कि अब लाकडाउन पार्ट 2 प्रारंभ हो गया है इसके चलते लोग बाहर से आने की भी संभावना हो सकती है जिसके तहत सभी लोग पूरी नजर रखेगे तथा किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही नही होनी चाहिए।

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लाॅक डाउन के दौरान पीड़ित महिलाओं एवं बच्चों की कानूनी मदद करेगा प्राधिकरण: सचिव

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष मा0 जनपद न्यायाधीश यशवंत कुमार मिश्र के मार्ग दर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरोना महामारी (कोविड-19) के दौरान लाॅक डाउन के समय पीडित महिलाओं एवं बच्चों को निःशुल्क कानूनी मदद उपलब्ध कराएगा। प्राधिकरण की सचिव साक्षी गर्ग द्वारा बताया गया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली (नाल्सा) एवं उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ (उ०प्र० साल्सा) के निर्देश पर जनपद स्तर पर कार्यरत वन स्टाप सेंटर व महिला हेल्प लाइन पर आने वाले उक्त पीडितों को विधिक सहायता उपलब्ध कराएगा। विदित हो कि कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए भारत सरकार ने देश में लाॅक डाउन लागू किया है, इस कष्ट के समय बहुत से व्यक्ति कानूनी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इनमें महिलाएँ एवं बच्चे, जो समाज का समसे कमजोर वर्ग है, के लिए भारत सरकार ने वन स्टाप सेंटर व महिला हेल्प लाइन का पूर्व में गठन किया है।

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पुलिस ने गाना गाकर लोगों से की घर में रहने की अपील

इटावा, राहुल तिवारी। मौत से आंख मिलाने की जरूरत क्या है इटावा पुलिस ने गाना गाकर लोगों को घर पर रहने का दिया संदेश इटावा पुलिस अब ग्रामीण क्षेत्रों में गाना गाकर लोगों से घर पर रहने की अपील कर रही है। चौकी प्रभारी सब इंसपेक्टर ने गाने द्वारा लोगों को कोरोना वायरस के बारे में बताया और लोगों को घर पर ही रहने की सलाह दी।
इटावा जनपद के बकेवर थाना पुलिस आज ग्रामीण क्षेत्रों में गाना गाकर लोगों से घर पर रहने की अपील की, चौकी प्रभारी सब इंसपेक्टर मोहम्मद कामिल ने मौत से आंख मिलाने की जरूरत क्या है गाने गाकर लोगों को कोरोना वायरस के बारे में बताया और लोगों को घर पर ही रहने की सलाह दी। पूरे गांव में अपने हमराही सिपाहियों को ग्रामीणों को समझाने का तरीका समझाया देश एक संकट से जूझ रहा है। इसमें हर किसी का सहयोग चाहिए सोशल डिस्टेंस के बारे में भी लोगों को जानकारी दी इन दरोगा साहव ने एक गांव में नहीं कई गांवों को गाना सुनाकर ग्रामीणों का दिल जीत लिया ग्रामीण दरोगा साहब के बताए बातों पर अमल करने के लिए मजबूर दिखाई दिए।

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