फिरोजाबाद, एस. के. चित्तौड़ी। नगर में दुर्गाष्टमी के अवसर पर मां दुर्गा की शोभायात्रा धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। नगर के विभिन्न मार्गो से होती कैला देवी भवन पहुंची यात्रा का जगह जगह भव्य स्वागत किया गया।
मां दुर्गा सेवा समिति के तत्वावधान में परंपरागत रूप से निकाली जाने वाली दुर्गा जी शोभायात्रा इस बार भी पूरे हर्शोल्लास एवं धूमधाम के साथ निकली। शोभायात्रा का शुभारम्भ शिकोहाबाद विधायक मुकेश वर्मा एवं नगर मजिस्ट्रेट सुरेद्र बहादुर ने किया। इस मौके पर माता की आरती उतारी गई।शोभायात्रा सदर बाजार स्थित राधाकृष्ण मंदिर से प्रारम्भ होकर घंटाघर चैराहा, सदर बाजार, शास्त्री मार्केट, गंज मौहल्ला, सेन्ट्रल चैराहा, बर्फखाना चैराहा, डाकखाने चैराहा, होते हुये रामलीला ग्राउण्ड कैला देवी भवन जाकर सम्पन्न हुई।
JAN SAAMNA DESK
चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली में सुधार की महती आवश्यकता है
किसी भी लोकतान्त्रिक देश में लोकतन्त्र को सफल और सार्थक बनाने का प्रमुख दायित्व उस देश में चुनाव सम्पन्न कराने वाली संस्था का होता है। विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र वाले देश भारत में इस दायित्व का निर्वहन करने वाली संस्था का नाम चुनाव आयोग है। भारत की इस अति महत्वपूर्ण संस्था की कार्यप्रणाली पर यदा-कदा प्रश्नचिन्ह लगते रहते हैं। कभी मतदाता सूची में गड़बड़ी के लिए, कभी ऊटपटांग परिसीमन के लिए, कभी फर्जी मतदान के लिए, कभी मतदान केन्द्रों पर अव्यवस्था के लिए तो कभी ई.वी.एम. में गड़बड़ी के लिए। आधी-अधूरी तैयारी के साथ आनन-फानन चुनावों की घोषणा करने में भारत का चुनाव आयोग अब माहिर हो चुका है। ऐसे में लोकतान्त्रिक प्रक्रिया की दूरगामी सफलता पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है।
चुनाव आयोग कितने भी दावे क्यों न कर ले परन्तु त्रुटिरहित चुनाव संपन्न कराने की स्थिति में फिलहाल तो वह नहीं है। मतदाता सूची में नाम की गलतियाँ वह आज तक नहीं सुधार पाया है। सबसे हास्यास्प्रद स्थिति तो तब उत्पन्न होती है जब चुनाव आयोग स्वयं के ही द्वारा जारी किये गये मतदाता पहचान-पत्र को मतदाता सूची में नाम न होने की स्थिति में अस्वीकार कर देता है। किसी व्यक्ति के पास यदि चुनाव आयोग द्वारा जारी किया गया पहचान-पत्र है तो इसका तात्पर्य यही है कि सम्बंधित व्यक्ति ने आयोग द्वारा बनायी गयी उस प्रक्रिया को विधिवत पूरा किया है जो मतदाता बनने के लिए आवश्यक है। इसके बाद चुनाव के समय मतदाता सूची में नाम सुरक्षित रखने का सम्पूर्ण दायित्व आयोग का ही है न कि उस व्यक्ति का।
नारी के उत्थान के सपने सिर्फ नारी विमर्श से नही संजोये जा सकते
जालौन, जन सामना ब्यूरो। आधुनिक परिवेश में अधिकांश लेखकों द्वारा नारी विमर्श पर सृजन किया जा रहा है जो कि नारी उत्थान का इतिहास स्वर्णिम अक्षरों में रचने में अहम भूमिका निभा सकता है। लेकिन अभी तक के अपने चिर-परिचित अनुभवों को आधार बनाकर यह कहना बिल्कुल भी अनुचित नही होगा कि नारी उत्थान के सपने सिर्फ नारी विमर्श पर लेखन से नही सजोये जा सकते है बल्कि ये लड़ाई ये मुहिम नारी के अधिकारों की है तकदीर एवं तस्वीर बदलने की है तो मुझे लगता है कि इस दिशा में सफलता हासिल करने के लिये सर्वप्रथम नारी को जागरूक होने और अपने अधिकारों को जानने की आवश्यकता है तभी ये लेखन एक सार्थक लेखन सिद्ध हो सकता है हालाँकि इस बात में भी कोई कसर नही है कि लेखन ने समाज को दिशा और दशा दी है इसलिये नारी विमर्श पर हो रहा सृजन भी कंही न कंही महत्वपूर्ण है।
कांग्रेसियों ने मनाई जगजीवन राम की जयन्ती
कानपुर नगर,जन सामना ब्यूरो। कानपुर महानगर कांग्रेस कमेटी के तत्वाधान में कांग्रेस मुख्यालय तिलक हाल में भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व0 जगजीवन राम की जयन्ती के अवसर पर उनके तैलचित्र पर माल्यापर्ण किया गया। इस अवसर पर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर प्रकाश अग्निहोत्री ने कहा कि बाबू जी एक व्यक्ति नही विचार थे। उन्होने अपने राजनैतिक जीवन का शंखनाद कलकत्ता से शुरू किया। जब गांधीजी ने अंग्रेजों भारत छोडो का नारा दिया तो बाबू जी ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। अतं में वह गिरफ्तार कर लिये गये। देश की स्वतंत्रता के बाद वह कई बार भारत सरकार के मंत्री रहे, जिसमें रक्षा, कृषि, संचार व रेल मंत्री आदि पद को पूर्ण निष्ठा से निभाते हुए भारत के उप प्रधानमंत्री होने का गौरव भी प्राप्त किया। वर्तमान समय में नवयुवकों को उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से सीख लेने की बात कही।
जिनकी आँखे खुली नहीं, वो कहते ‘रात’ है……..
मेरा ख्याल है कि ‘कबूतर और बिल्ली’ वाली कहावत तो सब जानते ही होंगे। अगर नहीं भी जानते हैं तो उसका भाव यह है- कि यदि आप किसी भी समस्या को सम्मुख देखकर, उससे किनारा करने का प्रयास करें, तो वह खुद-ब-खुद सामने से नहीं जाएगी, बल्कि उसे हटाने के लिए हमें सतत प्रयास करना पड़ेगा। गीता में भगवान ने भी अर्जुन से यही कहा था कि- हालांकि मैं सब जानने वाला हूँ। फिर भी-ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्। मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः। अर्थात मैं हर व्यक्ति को उसके कार्य के लिए प्रयुक्त तो करता हूँ लेकिन कार्य उसे ही करना पड़ता है। निष्कर्षतः अपना काम स्वयं ही करना पड़ता है। समस्याओं से मुँह चुरा लेने मात्र से समस्या भागती नहीं है, बल्कि वह और बढती है।
इसी संदर्भ में यदि हम देखें तो कई समस्यायें ऐसी हैं, जिनकी तरफ से हम इतने ज्यादा उदासीन हैं कि हमारा ध्यान कभी उधर जाता ही नहीं। जाता भी है तो हम उस पर बात ही नहीं करना चाहते हैं। ऐसा ही एक मुद्दा है ‘श्रीराम मंदिर’। आखिर हम इतने पवित्र मुद्दे में एक-दूजे से इतने मतभेद क्यूँ बनायें हुए हंत ? क्यूँ नहीं साधारण तरीके से बिना किसी जोर-जबरदस्ती के इसे निपटाना चाहते हैं ? क्यूँ हमेशा यह मुद्दा आते ही हमारे मन में एक डर और भय का माहौल क्रीयेट हो जाता है? दरअसल यह डर, लज्जा,संकोच एक दो दिन का नहीं है। यह सालों से प्रायोजित तरीके से हमारे मनोमष्तिष्क में बैठाया गया है, इतिहास की गलत जानकारी देकर। एक बात और, यदि आपको लगता है कि हर लड़ाई में सिर्फ नेताओं द्वारा ही आग भड़काई जाती है। तो ध्यान दीजिये, आप गलत हैं। इस लड़ाई में आग लगाने का काम नेताओं की बजाय चाटुकार इतिहासकारों ने किया है।
वाराणसी में संचालित विकास परियोजनाओं की हुई समीक्षा
लखनऊ, जन सामना ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने जनपद वाराणसी में संचालित विकास परियोजनाओं को तेजी से पूरा कराने के निर्देश दिए हैं। काशी को दुनिया की प्राचीनतम, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक नगरी बताते हुए उन्होंने कहा कि यहां संचालित विकास परियोजनाओं का नगर विकास मंत्री श्री सुरेश खन्ना 15 मार्च, 2017 को मौके पर निरीक्षण करेंगे। आवश्यकतानुसार वे स्वयं मई, 2017 में वाराणसी का भ्रमण करेंगे। उन्होंने कहा कि वाराणसी और इसके आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए भारत सरकार ने जिस पैमाने पर धनराशि उपलब्ध करायी है, उस हिसाब से यहां के कार्य दिखायी नहीं पड़ रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को आगाह किया कि अगले तीन माह में विकास परियोजनाओं का काम जमीन पर दिखायी पड़ना चाहिए।
मुख्यमंत्री शास्त्री भवन में वाराणसी से सम्बन्धित नगर विकास, ऊर्जा, पर्यटन, लोक निर्माण, आवास एवं शहरी नियोजन, सिंचाई विभाग, वाराणसी विकास प्राधिकरण तथा एन0एच0ए0आई0 से सम्बन्धित परियोजनाओं की समीक्षा कर रहे थे।
हरियालीयुक्त वातावरण के लिए ग्रीनबेल्ट के विकास पर जोर
कानपुर नगर,जन सामना ब्यूरो। मनुष्य के जीवन के लिये शुद्ध हवा पानी आवश्यक है। प्रत्येक विद्यालय अपने परिसर में वृक्षारोपण अवश्य करें इसके साथ ही जमीन का समतलीकरण करके घास भी लागाये, इस वर्ष कम से कम 1लाख 50 हजार पेड़ भी मण्डल के प्रत्येक जिले को लगाना है ताकि कंक्रीट के जंगल के स्थान पर हरियाली दिखाई दे।
उक्त निर्देश मण्डलायुक्त मो. इफ्तेखारुद्दीन ने अपने शिवर कार्यालय में आयोजित ग्रीन बेल्ट / डिवाइडर स्पेस का सुन्दरीकरण कराने के सम्बन्ध में दिये। बैठक में मनोरमा पैलेस से रामा डेन्टल, सब्जी मंडी चैराहे से विजय नगर शनैश्वराय मन्दिर- नर्मदेश्वर मन्दिर, राज्य बीमा निगम निदेशालय से मरियमपुर चैराहे तक, 62 स्कूलों की ग्रीन बेल्ट की समीक्षा करते हुए उन्होंने संयुक्त निदेशक शिक्षा को निर्देशित किया कि इन सभी स्कूलों में पानी की व्यवस्था की जा चुकी है तथा कुछ स्कूलों ने वृक्षारोपण,घास, मिट्टी का भराव, ग्रिल आदि लगवाली है और कुछ स्कूलों में आधा कार्य हो चुका है अतः शेष कार्य भी शीघ्र ही पूरा करवाएं।
सुख की खोज में हमारी खुशी कहीं खो गई
खुशी का कोई भौतिक स्वरूप नहीं है, वो एक भाव है जो दिखाई नहीं देता तो वो इन भौतिक चीजों में मिलती भी नहीं है। वह मिलती भी उन्हीं भावों में है जो दिखाई नहीं देते।
हमारी संस्कृति ने हमें शुरु से यह ही सिखाया है कि खुशी त्याग में है,सेवा में है, प्रेम में है मित्रता में है, लेने में नहीं देने में है, किसी रोते हुए को हँसाने में है, किसी भूखे को खाना खिलाने में है।
जो खुशी दोस्तों के साथ गली के नुक्कड़ पर खड़े होकर बातें करने में है वो अकेले माल में फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने में भी नहीं है।
ताजा ग्लोबल हैप्पीनैस इंडैक्स में 155 देशों की सूची में भारत 122 स्थान पर है। भारत जैसा देश जहाँ की आध्यात्मिक शक्ति के वशीभूत विश्व भर के लोग शांति की तलाश में खिंचे चले आते हैं , उस देश के लिए यह रिपोर्ट न सिर्फ चैकाने वाली है बल्कि अनेकों प्रश्नों की जनक भी है।
यह समय हम सभी के लिए आत्ममंथन का है कि सम्पूर्ण विश्व में जिस देश कि पहचान अपनी रंगीन संस्कृति और जिंदादिली के लिए है, जिसके ज्ञान का नूर सारे जहाँ को रोशन करता था आज खुद इस कदर बेनूर कैसे हो गया कि खुश रहना ही भूल गया?
आज हमारा देश विकास के पथ पर अग्रसर है, समाज के हर वर्ग का जीवन समृद्ध हो रहा है, स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हुई हैं, भौतिक सुविधाएं अपनी श्रेष्ठता पर हैं, मानव ने विज्ञान के दम पर अपने शारीरिक श्रम और कम्प्यूटर के दम पर अपने मानसिक श्रम को बहुत कम कर दिया है तो फिर, ऐसा क्यों है कि सुख की खोज में हमारी खुशी खो गई? चैन की तलाश में मुस्कुराहट खो गई? क्यों हम समझ नहीं पाए कि यह आराम हम खरीद रहे हैं अपने सुकून की कीमत पर।
शहर के विकास कार्यो का मण्डलायुक्त ने किया निरीक्षण
कानपुर नगर, जन सामना ब्यूरो। नगर को अतिक्रमण बिहीन और जाम से मुक्ति दिलाने के लिये प्रशासन दृढ़ संकल्पित है। यदि कोई व्यक्ति बार बार अतिक्रमण करने का आदी हैं, तो उसे जिला बदर कर दिया जायेगा। नवीन मार्केट के व्यापारी यदि महसूस करते है कि निर्धारित विकास के अतिरिक्त अन्य विकास कराये जाये तो वह केडीए वीसी से बता कर करा सकते है। नवीन मार्केट में जो बिधुत पोल सड़क पर है उनको किनारे शिफ्ट करा दे।
उक्त निर्देश मण्डलायुक्त मो. इफ्तेकाहरुद्दीन ने नवीन मार्केट, सर्वोदय नगर माडल रोड, सिग्नेचर सिटी, बुटेनिकल गार्डन एवं परनिया नाला से कम्पनी बाग रोड निरीक्षण के समय दिये। उन्होंने वीसी केडीए एवं मुख्य अभियन्ता नगर निगम एवं पी डब्ल्यू डी को निर्देशित किया किउनके द्वारा कृत निर्माण कार्यो की गुणवत्त्ता होनी चाहिये, निर्माण कार्य समयबद्ध होना चाहिये,जहां भी स्थान हो वहां ग्रीन बेल्ट अवश्य विकसित करें। जनपद की सभी सड़के गढ्ढा मुक्त होनी चाहिए। शासन द्वारा विभिन्न विकास कार्यो के सम्बन्ध में जो भी आदेश प्राप्त हो वह सभी कार्य होना चाहिए। उन्होंने ने केडीए को निर्देशित किया कि नवीन मार्केट में दो समरसिबल पम्प भी लगवा दिया जाये।
स्कूल में मधुमेह के साथ बच्चे पढ़ रहे हैं….!
कानपुर, जन सामना ब्यूरो। मधुमेह का प्रभाव बहुत बड़ा है, खासकर जब यह बचपन या किशोरावस्था में होता है। यह बच्चों और किशोरों में सबसे आम पुरानी बीमारीयों में से एक है। टाइप-1 मधुमेह होने पर सभी को शुरू से ही इंसुलिन की आवश्यकता होती है। इसके निदान व उपचार में किसी भी कारण से देरी की वजह से इंसुलिन की गंभीर कमी मधुमेह केटेाऐसिडोसिस के रूप मे बुलाया जाता है। जिसकी वजह से मौत भी हो सकती है।
इस बारे में कानपुर चिलड्रेन सेन्टर के डा0 रिषी शुक्ला, हेड चेंजिंग डायबिटिज ने कहा कि यदि समय पर निदान और ठीक से इलाज मिले तो टाइप-1 मधुमेह के बच्चों व व्यस्को को सामान्य व्यक्तियों की तरह ही जीवन में आगे बढ़ते हैं और सफल होते हैं। यह उचित समय है कि हम विशेष रूप से बच्चों में मधुमेह के प्रबंधन के लिए सामूहिक रूप से काम करते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि साधारण प्रयासों के द्वारा बहुत ही अच्छी तरह से काम कर सकते हैं। दीपक और सूर्य (नाम बदला हुआ) दो बच्चों में टाइप-1 मधुमेह का निदान किया गया जब वे 8-9 साल के थे। इन दो बच्चों के जीवन कहानी स्पष्ट रूप से माता-पिता, शिक्षक, समाज और स्वास्थ्य देखभाल की टीम के सामूहिक प्रयास के द्वारा बच्चो के जीवन के जीवन में एक बड़ा अंतर ला सकता है। बच्चे में टाइप-1 मधुमेह निदान न केवल बच्चे के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए एक बहुत बड़ा झटका है और तनाव लाता है। दीपन में टाइप-1 मधुमेह का निदान किया गया था, स्थिति अलग नहीं थी। माता-पिता को इस हद तक डर था कि वे स्कूल में अकेले दीपक को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे।