शिक्षा का स्तर सुधारने में सरकारें असफल होती रहीं नतीजन लगभग सभी प्राथमिक विद्यालय सिर्फ नाम के विद्यालय रह गए। यह कहने में जरा भी संकोच नहीं रहा कि सरकारी शिक्षालय हमारे बच्चों को मजदूर जरूर बना रहे हैं और जिनसे आशा है कुछ वो हैं निजी शिक्षण संस्थान, जो शिक्षा को खुलेआम बेंच रहे हैं और सरकारें शिक्षा की बिक्री को रोकने में असहाय दिख रहीं हैं। शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने की बात तो मोदी सरकार कर रही है लेकिन कोई ठोस कदम उठाने में लाचार दिख रही है और स्पष्ट नहीं दिख रहा नजरिया इस ओर।
एक तरफ बच्चों को भविष्य का निर्माता कहा जाता है। लेकिन उनके साथ दुराभाव भी सरकार द्वारा ही किया जाता है। एक तरफ सभी सरकारें अच्छी शिक्षा दिलाने की वकालत करती है लेकिन शिक्षा के प्रति किसी भी सरकार का नजरिया स्पष्ट नहीं है।
शिक्षा
आईआईटी जेईई एडवांस में आल इंडिया रैंक प्राप्त कर नाम रोशन किया
आईआईटी जेईई एडवांस 2017 में अभिषेक दत्त आईआईटी गोहाटी में इंजीनियरिंग फिजिक्स शाखा में लिया प्रवेश
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जनपद के सहायक निदेशक सूचना प्रमोद कुमार के भतीजे अभिषेक दत्त कुक्की पुत्र इं. रविदत्त व डा. गायत्री दत्त ने आईआईटी जेईई एडवांस में श्रेष्ठ अंक पाये है। आल इंडिया रैंक 1498 प्राप्त कर नाम रोशन किया है। पिता रविदत्त और उनके सुपुत्र अभिषेक दत्त ने इस परीक्षा में सफलता पाने का श्रेय अपने दादा प्रागदत्त व सांसद प्रत्याशी दादी स्व. गायत्री देवी, चाचा इ. रविदत्त, ताई सीएमएस डा. रेखा रानी व ताई डा. उमा, ताऊ डा. विनोद कुमार, बुआ डा. इन्द्राराजेश व फूफा डा. सुरेश व छोटी बहन लिपाक्षी दत्त, अध्यापकजनों को देने के साथ ही महामानव भगवान गौतम बुद्ध, संविधानशिल्पी डा. भीमराव अम्बेडकर, बुद्धप्रिय अशोक, कबीरदास जी, काशीराम जी, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, अखिलेश यादव, पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम, वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आदि को भी अपना आदर्श माना है।
विश्वविद्यालय का परीक्षा नियंत्रक नहीं मानता हाईकोर्ट का आदेश!
सीएसजेएमयू के परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर यादव को हाईकोर्ट के परमादेश से मतलब नहीं!
स्क्रूटनी विभाग के अनिल अवस्थी के बोल हाईकोर्ट से ही करा लो मूल्यांकन, वहीं से लो मार्कशीट
पंकज कुमार सिंह-
कानपुर। सीएसजेएमयू के नौकरशाहों की हिमाकत तो देखिए कि उच्च न्यायलय के आदेष को मानने से इंकार तक कर बैठते है। यह मामला कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) का है। जहां परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर यादव को हाईकोर्ट का आदेश कोई मायने नहीं रखता। वहीं स्क्रूटनी विभाग के अनिल अवस्थी का कहना है कि हाईकोर्ट का परमादेश है तो हाईकोर्ट से ही कराओ।
मामला कानपुर देहात रनियां के निकट करसा रामपुर निवासी राज कुमार का है। राजकुमार ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2015 में सीएसजेएम विश्वविद्यालय से प्राईवेट तौर पर एमए की परीक्षा दी थी। जिसके परिणाम में नम्बर कम आने की वजह से उन्होंने एक विशय का बैक पेपर परीक्षा दी थी। राजकुमार ने बताया कि जब बैक पेपर का रिजल्ट आया तो उनके नम्बर कम आए थे जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने स्क्रूटनी कराई।
एनएसडीसी के खेल में कौशल विकास योजना बनी मखौल
प्रशिक्षण केन्द्रों को मिल गया एक्रिडिएशन, पर एनएसडीसी ने नहीं दिए टारगेट
एनएसडीसी के खेल में लाखों का खर्चा कर केन्द्र संस्थापकों पर पड़ी आर्थिक मार
पंकज कुमार सिंह
कानपुर। युवाओं में कौशल विकास कर रोजगार की ओर उन्मुख करने की दिशा में केन्द्र सरकार की योजना लचर पड़ती जा रही है। केन्द्र सरकार के नेशनल स्किल डवलेपमेंट काॅर्पोरेशन (एनएसडीसी) द्वारा प्रशिक्षण केन्द्रों को मान्यता तो दे दी गई है परन्तु प्रशिक्षण के लिए टारगेट अलाॅट नहीं किए गए हैं। ऐसे में प्रशिक्षण केन्द्र संस्थापक लाखों रूपए खर्च के साथ केन्द्र स्थापित कर आर्थिक मार झेलने को मजबूर हैं।
शहर के कई इलाकों में सैकड़ा पार कर प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के केन्द्र खुले हैं। इन केन्द्रों की स्थापना करने वाली संस्थाओं ने एनएसडीसी को 13018 रूपए पंजीकरण फीस व मोनीटरिंग व एफीलेशन फीस 14092 रूपए इसके अतिरिक्त कोर्स आदि के लिए अतिरिक्त फीस देकर एनएसडीसी द्वारा एक्रिडिएशन (मान्यता) प्राप्त किया है। एनएसडीसी को हजारों रूपए फीस के रूप में दिए गए लेकिन एक्रिडिएशन प्रमाण पत्र मिल जाने के महीनों बीत जाने के बाद भी कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण हेतु एनएसडीसी टारगेट एलाॅट नहीं कर रहा है। एनएसडीसी के खेल में फंसे केन्द्रों को टारगेट न मिल पाने से केन्द्र संस्थापक हजारों रूपए महीना खर्चा झेलने को मजबूर हैं।
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग
हाथरस, नीरज चक्रपाणि। सीबीएसई बोर्ड से संचालित प्राइवेट स्कूलों द्वारा प्रति वर्ष फीस वृद्धि के नाम पर मनमानी व अभिभावकों का उत्पीडन किये जाने के खिलाफ आज अभिभावकों द्वारा एसडीएम को ज्ञापन सौंप कर कार्यवाही की मांग की।
अभिभावकों ने ज्ञापन में कहा है कि प्राइवेट स्कूलों में बिल्ंडग फीस, ट्यूशन फीस, मासिक फीस के अलावा एक मुश्त एडमीशन फीस आदि के नाम पर मोटी रकम वसूल की जा रही है साथ ही अभिभावकों को इनके द्वारा नियुक्त दुकानदारों से ही कापी-किताबें खरीदने को बाध्य करते हैं तथा प्रति वर्ष पुस्तकों में मामूली फेरबदल कर नई किताबें खरीदने को मजबूर करते हैं जिससे अभिभावकों पर भारी बोझ पड रहा है।
शिक्षा के लिए चलाया जागरूकता अभियान
सरकारी अध्यापकों पर लगाये गए आरोप
बताया गया सरकारी सुविधाएं नही मिल रहीं
कानपुर, जन सामना संवाददाता। छावनी में मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण आर्गनाईजशन के पदाधिकारियों द्वारा (गोलाघाट) गोलाघाट नई बस्ती (संजय नगर खलवा) संजय नगर खलवा रेलवे लाईन 72 न० बंगला एवं समस्त छावनी निवासियों को शिक्षा के लिए जागरूक करने हेतु अभियान चलाया गया। संस्था के राष्ट्रीय महामंत्री तपन अग्निहोत्री के नेत्रत्व में छावनी मीडिया प्रभारी जितेन्द्र बाल्मीक द्वारा गरीब, निर्धन बच्चों की शिक्षा के लिए बस्तियों में एक-एक घर जाकर निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान जानकारी मिली कि वहाँ पर जो बच्चे स्कूल पढ़ने जाते हैं। भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे सर्व शिक्षा अभियान के तहत जो सुविधा मिलनी चाहिए। वहाँ पर वह सुविधा पढ़ने वाले बच्चों को नहीं मिल पा रही है। जैसे स्कूली ड्रेस, कापी, किताबें, मिड डे मील के नाम पर खानापूर्ति जरुर हो रही है। बच्चों को खाना आदि सुचारू रुप से नहीं मिल पा रहा है। बच्चों द्वारा यह भी जानकारी मिली कि बच्चें अपने घर से ही टिफिन बांधकर स्वयं लेकर आते हैं। छावनी निवासियों ने संस्था के पदाधिकारियों को जानकारी दी कि बच्चे पढ़ना चाहते हैं, और सरकार से मिलने वाली सुविधा से उच्च शिक्षा ग्रहण करना भी चाहते है। परन्तु इन सुविधाओं का लाभ न मिलने के कारण शिक्षा से वंचित रह जाते है। जानकारी मिलने से रोशनी गुप्ता व अन्य लड़कियां जो 12वीं की छात्रा है। उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई निर्धनता के कारण न कर पाने की भी जानकारी दी। जिस पर मानवाधिकार के पदाधिकारी राष्ट्रीय महामंत्री तपन अग्निहोत्री, कानपुर प्रभारी विनोद वर्मा ने आश्वासन दिया कि इन छात्रों को 12वीं पास हो जाने के बाद आगे की पढ़ाई का खर्च संस्था उठायेगी।
राज्यपाल के हांथों पदक पाकर चहक उठे छात्र-छात्राएं
कानपुर, जन सामना ब्यूरो। जो बैठ जाता है उसका भाग्य भी बैठ जाता है, जो खड़ा होगा उसका भाग्य भी खड़ा हो जाता है जो सो जाता है उसका भाग्य भी सो जाता है इसलिए, मानव तुम चलते रहो- चलते रहो जीवन में सिद्धान्त के साथ ही साथ उद्देश्य भी होना चाहिए। जो काम करते हो उसे और अच्छा करने के लिए सोचना चाहिए, किसी की अवमाननाध्आलोचना नही करनी चाहिये। यह बात आज माननीय राज्य पाल उत्तर प्रदेश श्री राम नाइक ने चन्द्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौधोगिक विश्व विद्यालय कानपुर के 18 वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित छात्र छात्राओं के सम्बोधन में दीप प्रज्जलित कर उद्घाटन करते हुए कही, उन्होंने कहा कि इस विश्व विद्यालय की स्थापना 1975 में हुई थी इससे पूर्व दीक्षान्त समारोह समय-समय पर नही हुये है। यह मेरा इस विश्व विद्यालय का तीसरा दीक्षान्त समारोह है। उन्होंने कहा कि 42 वर्ष बाद 18 वां दीक्षान्त समारोह मनाया जा रहा है इससे स्पष्ट होता है कि पूर्व में समय पर दीक्षान्त समारोह नही किये गये है। उत्तर प्रदेश में कुल 29 विश्व विद्यालय है जिसमें 4 नये बने है तथा 25 विश्व विद्यालयों में 23 दीक्षान्त समारोह अब तक हो चुके है शेष माह अप्रैल तक पूर्ण हो जाएगे, इससे शिक्षा, प्रवेश, परिणाम एवं नकल विहीन परीक्षा में सुधार होगा। इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश की गाड़ी अब पटरी पर आयी है।
Read More »लखनऊ मेट्रो डिपो में टेक्नो ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूटशन के छात्रों ने किया भ्रमण
जन सामना ब्यूरो, लखनऊ। लखनऊ मेट्रो डिपो में टेक्नो ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूटशन के छात्रों ने भ्रमण किया। इस मौके पर इंस्टिट्यूट के मुख्य संचालक के रूप में असिस्टेंट प्रयग्या प्रशांत गुप्ता, आशीष शर्मा भी मौजूद रहे।
इस दौरान मेट्रो डिपो के इंचार्ज व अन्य मेट्रो अधिकरी ने प्रशिक्षण केंद्र व डीसीसी यडिपो कण्ट्रोल सेंटर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी। मेट्रो डिपो के उच्चाधिकारियों ने इस मौके पर छात्रों के दल को मेट्रो रेल प्रोजेक्ट से जुड़े सभी कार्यो के विषय में विधिवत जानकारी प्रदान की।
आज टेक्नोग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट के छात्रांे के दल और संचालक ने इस मौके पर एक बात और भी कही कि इंजीनियरिंग के छात्रों को यहाँ पर एक बार जरुर आकर यहां के कार्यो को देखना चाहिए कि किस तरह से एलएमआरसी के अधिकारियों ने एक तय सीमा की अवधि में पहले चरण में ट्रांसपोर्टनगर से चारबाग तक की सुविधा शहरवासियों को दी हैं और आगे के मेट्रो कार्य प्रगति के साथ किया जा रहा है।
छात्र/छात्राओं ने बनाये विज्ञान के अदभुत माॅडल
जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने किया विज्ञान प्रदर्शनी का शुभारम्भ।
हाथरस, नीरज चक्रपाणी। श्यामकुंज स्थित एम0 एल0 डी0 वी0 पब्लिक इण्टर कालेज में विज्ञान प्रदर्शनी का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें एम0एल0डी0वी0 के प्राथमिक स्तर, जूनियर स्तर एवं इण्टरमीडिएट स्तर तक लगभग 300 से अधिक बाल वैज्ञानिकों ने अदभुत एवं वैज्ञानिक तकनीकी से पूर्ण माॅडल बनाकर जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक जितेन्द्र कुमार मलिक एवं अभिभावकों को चकित कर दिया। इस अवसर पर छात्र/छात्राओं को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी ने शिक्षकों तथा अभिभावकों के निदेशन में बालक/बालिकाओं द्वारा बनाये गये उत्कृष्ट माॅडलों की सराहना करते हुए कहा कि इसी प्रकार से दृढ़ इच्छा शक्ति एवं अनवरत प्रयत्न के द्वारा ये बाल वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा, ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम, सी0वी0 रमन एवं कल्पना चावला जैसे वैज्ञानिकों के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए एक दिन विश्व में भारत की एक पहचान बनायेंगे।
यूजीसी का अधिकांश भारतीय जर्नल्स के साथ एक अव्यावहारिक निर्णय-राजीव मिश्रा
कानपुर,जन सामना ब्यूरो। उच्च शिक्षा में सुधार की तमाम बातें करने के साथ एपीआई जैसे कई तुगलगी फरमान पारित करने के बाद यूजीसी ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था और भारतीय जर्नल्स के साथ एक और मजाक किया है। वह है रिसर्च जर्नल्स की हालिया सूची का जारी करना। 10 जनवरी को आम हुई सूची में यदि आप एक नजर डालेंगे तो पायेंगे कि लगभग 38653 जर्नल्स (http://www.ugc.ac.in/ugc_notices.aspx?id=1604) में देश के तमाम प्रतिष्ठित जर्नल्स नदारद हैं और इससे भी हास्यास्पद बात यह है कि जारी की गई पाँच सूचियों में हर सूची में केवल तीन इन्डेक्सिंग एजेन्सीज क्रमशः WOS (New Yark), SCOPUS (USA) और Index Copernicus International (ICI) (Poland) द्वारा इन्डेक्स्ड जर्नल्स को छोड़कर चैथी किसी एजेन्सी द्वारा सूचीबद्ध जर्नल्स या किसी भी स्वतंत्र जर्नल्स को स्थान ही नहीं दिया गया है। यहाँ यह भी बताना समीचीन होगा कि उपरोक्त तीनों एजेन्सीज में से SCOPUS (USA) सूचीबद्धता के साथ ही साथ अपने स्वयं के प्रकाशन भी निकालती है। (Source : encyclopedia)
यह बड़े दुःख का विषय है कि यूजीसी ने जर्नल्स की लिस्ट शिक्षा की गुणवत्ता को कायम रखने के लिये जारी की है परन्तु उसने यह काम उपरोक्त तीनों एजेन्सीज के सूचीबद्ध जर्नलों के बल पर किया तो प्रश्न उठता है कि क्या यूजीसी के पास अपना कोई पैनल या विवेक अथवा भारतीय जर्नल्स की गुणवत्ता परखने का तरीका नहीं है। यदि नहीं तो निश्चित रूप से उपरोक्त एजेन्सियों को लाभ पहुँचना स्वाभाविक ही है।