Tuesday, May 7, 2024
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लेख/विचार

“समाज शिक्षित होगा तभी देश विकसित होगा”

संत कबीर जी का एक दोहा है,
“पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ पंडित भया न कोई, ढ़ाई आखर प्रेम का पढ़ सो पंडित होइ”
इस छोटे से दोहे को ध्यान से पढ़े तो आज के ज़माने की सच्चाई नज़र आएगी। किताबें पढ़कर कोई पंडित नहीं बनता, प्रेम शब्द में छुपे ढ़ाई अक्षर जिसने महसूस कर लिए वह महान है। आजकल के बच्चें वही कर रहे है, किताबों से दूर होते जा रहे है और प्रेम प्यार के चक्कर में पड़ कर ज़िंदगी खराब कर लेते है। पर आज के दौर में बच्चों को किताबों से प्रेम करने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। बेशक प्रेम करो पर पढ़ाई से, तभी दुन्यवी हर चीज़ को प्रेम से देख पाओगे अपनी सोच और समझ को विकसित कर पाओगे।
आजकल की पीढ़ी पढ़ाई से परे होती जा रही है, एक उम्र पंद्रह से इक्कीस तक की बच्चों को विचलित करने वाली होती है। विपरित सेक्स के प्रति आकर्षण को प्यार, इश्क, मोहब्बत समझकर अपने लक्ष्य से भटक जाते है, और गलत दिशा में मूड़ जाते है। दरअसल आज दोनों चीज़ की सख्त जरूरत है पढ़ाई और प्रेम पढ़ाई से प्रेम करेंगे तभी अपनी सोच को परिपक्व बना पाएंगे।

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आज मौसम बड़ा बेईमान है….

आज मौसम बड़ा बेईमान है, बड़ा बेईमान है आने वाला कोई तूफ़ान है, आज मौसम बड़ा बेईमान है!.. यह गीत सुनकर मन हर्ष उल्लास से भर जाता है खासकर जब मौसम गर्मी का हो एक अजीब सी शांति मिलती है। यूं तो गर्मियां मई- जून से प्रारंभ होती है जो जुलाई-अगस्त में उमस के कारण अपनी चरम पर हो जाती है और कम से कम नवंबर तक रहती हैं। परंतु इस वर्ष ना जाने गर्मियां एकदम से दस्तक दे गई है जो कि काफी आश्चर्यजनक है क्योंकि इसी प्रकार बीते वर्ष 2021 में सर्दियों का प्रारंभ भी अचानक हुआ था। बीच का हल्की हल्की सर्दी गर्म हवा जिसमें आधी बाजू वाला स्वेटर जैकेट पहनने वाला मौसम आया ही नहीं। कोविड-19 की वजह से पता ही नहीं चला 2 साल कब कैसे कट गए, जब महामारी का प्रभाव हल्का हुआ तो भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा, बीच का वह आनंदित फागुन का मौसम कही अदृश्य हो गया हो।
तापमान में नियमित बढ़त देखी जा रही है। भारत के कई हिस्सों में तापमान निरंतर 38सी-40सी रिकॉर्ड हो रहा है। भारत के उत्तर के प्रदेश जम्मू कश्मीर के जम्मू में 75 साल का रिकॉर्ड टूटा है यहां 28 मार्च को 38सी डिग्री तापमान मापा गया है। वहीं भारत की राजधानी दिल्ली भी पीछे नहीं है यहां पारा 40सी पार कर गया है। अब आलम यह है कि जहां कोविड-19 की पाबंदियां के कारण घर से बाहर निकलना एक मजबूरी थी वही अब घर से बाहर निकालना एक सज़ा से कम नहीं है।
गीत की पंक्तियां कहती है आने वाला कोई तूफ़ान है, तूफ़ान तो आ रहा है परंतु धूल मिट्टी, सूखे पत्ते वह गंदगी भरा जो जगह-जगह ,घर, अगर आप बाहर हैं तो आपके मुंह पर चिपक जाएगा। सबसे ज़्यादा आंखें फेफड़े व त्वचा खराब हो जाती हैं। इस मौसम के साथ रूखेपन की वजह से आंखों की पलकें भी ज़्यादा उपयुक्त होती हैं उनके बाल गिरने लगते हैं। हमारी त्वचा की ऊपरी परत खत्म हो जाती है वहीं इतनी धूप और गर्मी के चलते पिगमेंटेशन व स्किन अल्सर हो जाते है जो कि स्किन कैंसर का रूप ले लेती है।

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उत्तर प्रदेश सरकार की निःशुल्क राशन वितरण योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हुआ

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने व कैबिनेट गठन के तत्काल बाद कैबिनेट की बैठक कर 3 माह के लिए प्रदेश के 15 करोड़ गरीबों को निःशुल्क राशन वितरण की सीमा बढ़ाते हुए 30 जून, 2022 तक कर दिया है। मुख्यमंत्री जी का यह निर्णय बेहद मानवीय है, क्योंकि कोरोना के कारण अभी भी गरीबों की स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। सरकार की यह योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हुई है। प्रदेश के 15 करोड़ पात्र लोगों को डबल राशन का उपहार दिया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा सभी अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थ कार्ड धारकों को प्रति यूनिट प्रतिमाह 05 किलोग्राम गेहूं तथा उ0प्र0 सरकार द्वारा सभी पात्र गृहस्थ कार्ड धारकों को मुफ्त 05 किलोग्राम गेहूं/चावल प्रति यूनिट प्रतिमाह तथा अन्त्योदय कार्ड धारकों को मुफ्त 35 किलो गेहूं/चावल के साथ 01 किलोग्राम चीनी भी प्रतिमाह दी जा रही है, साथ ही सभी कार्ड धारकों को मुफ्त 01 किलोग्राम दाल, 01 ली0 खाद्य तेल एवं 01 किलोग्राम नमक का वितरण किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार के एन0एफ0एस0ए0 के नियमित निःशुल्क खाद्यान्न के अतिरिक्त भारत सरकार के निर्देशानुपालन में समस्त अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत प्रति व्यक्ति 05 किग्रा0 खाद्यान्न (03 किग्रा0 गेहू व 02 किग्रा0 चावल) का भी प्रति माह निःशुल्क वितरण माह मार्च, 2022 तक कराया गया था। मई, 2021 से फरवरी, 2022 तक 47.91 लाख मी0टन गेहूं तथा 22.56 लाख मी0टन चावल, इस प्रकार कुल 70.47 लाख मी0टन खाद्यान्न का वितरण किया गया। मार्च 2022 में खाद्यान्न वितरित हुआ है। प्रदेश सरकार अप्रैल, 2022 में तीन चरणों में निःशुल्क राशन वितरण करा रही है। पहले चरण में 02 अप्रैल से 10 अप्रैल तक, दूसरे चरण में 12 से 20 अप्रैल तक एवं तीसरे चरण में 22 अप्रैल से राशन वितरण किया जा रहा है।

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अलविदा इमरान

आजकल समाचारों की दुनियां में सबसे अधिक पाकिस्तान का, इमरान खान का ही नाम गूंज रहा हैं।कोई भी न्यूज चैनल या सोशल मीडिया को देखो तो एक ही बात सुनाई पड़ती हैं ,नियाजी की बिदाई,इतने हथकंडे अपनाएं,सुप्रीम कोर्ट को भी इन्वॉल्व किया,जर्नल बाजवा को भी बिनती हुई,सोशल मीडिया पर भी बेबाक बातें की,भारत और भारतीयों और यहां तक कि अपने प्रधानमंत्री जी की रीति नीति का भी भर पेट बखान काम नहीं आया और अलविदा हो ही गएं नियाजी।दिन रात पाक संसद चली,बीच में सस्पेंड भी हुई रात 12 बजे के बाद संसद ने काम किया तो नियाजी समर्थक गायब और जो थे वो सिर्फ नियाजी के कसीदे पढ़ने के लिए।वे खुद भी तो संसद आने की हिम्मत नहीं कर पाएं घर बैठ टीवी लाइव देख रहे थे और अपनी ही बेइज्जती होती देख रहे थे। वैसे तो वे तीन शर्तों के साथ इस्तीफा देने के लिए तैयार थे ,एक तो इस्तीफे के बाद उनकी गिरफ्तारी न हो,शाहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री न बनाया जाएं उनके बदले किसी ओर को प्रधानमंत्री बनाया जाएं।

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पेंशन ज़र्रज़रित बुढ़ापे की चद्दर होती है’

“खाली जेब मुफ़लिसी का प्रमाण है पास नहीं पैसे तो आप ठन-ठन गोपाल हो, दुनिया पूजती है बस पैसों की खन-खन को”
ये कहने में ज़रा भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इंसान के पास अगर पैसा हो तब आधी से ज़्यादा परेशानी ख़त्म हो जाती है। खासकर बुढ़ापे में इंसान किसीका मोहताज नहीं होना चाहिए।कभी किसीने सोचा है बुढ़ापे में जब कमाई का और कोई ज़रिया नहीं होता तब पेंशन मीठे झरने का काम करती है। पेंशन पाने वालें बुज़ुर्ग खुशकिस्मत होते है। पास पैसे होंगे तब सेवा करने वाले मिल जाएंगे, या तो घर वाले भी पैसों की लालच में ही सही ढंग से देखभाल कर लेते है।60 सालों तक लगातार काम करते इंसान का शरीर थकान महसूस करता है।

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प्रदेश में तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर युवा हो रहे हैं आत्मनिर्भर

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की नीति है कि युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराया जाएं। सरकार द्वारा युवाओं को प्रदेश में स्थापित विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों से उनमें अभूतपूर्व गुणात्मक सुधार लाकर उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा हैं। प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में स्थापित विभिन्न प्रकृति के उद्योगों, औद्योगिक इकाईयों तथा क्षेत्र से सम्बंधित प्रतिष्ठानों के संचालन हेतु कुशल कर्मकार तैयार करने और उन्हें व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान कराकर रोजगार/स्वरोजगार से जोड़कर उच्च गुणवत्ता के जीवनयापन को सुनिश्चित कराने का कार्य सफलता पूर्वक कराया जा रहा हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास मिशन के अर्न्तगत प्रदेश में सेवा क्षेत्र में बढ़ते हुऐ दायरे को दृष्टिगत रखते हुए दीर्घकालीन एवं अल्पकालीन कौशल प्रशिक्षण प्रदान कराये जा रहे है। दीर्घकालीन प्रशिक्षण एक व दो वर्षीय अवधि के अभियान्त्रिकी तथा गैर-अभियान्त्रिकी विषयों, पाठ्यक्रमों का औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण देते हुए रोजगार से लगाया जाता है। युवाओं/युवतियों को कौशल विकास मिशन के अर्न्तगत अल्पकालीन विभिन्न ट्रेड्स में निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता हैं।

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उप्रः सरकार व सरकारी तन्त्र को पत्रकारों से इतनी नाराज़गी क्यों ?

उप्र में सरकार अथवा सरकारी तन्त्र के खिलाफ खबरें चलाने के चलते पिछले दो-तीन वर्षो में अनेक पत्रकारों के खिलाफ मुक़दमे दर्ज कराए गए हैं। शासन-प्रशासन की आलोचना करने के जुर्म में जिन पत्रकारों के खिलाफ़ एफ आई आर दर्ज करवाई गई थीं। उन मुक़दमों के बाद कई पत्रकारों की गिरफ़्तारियाँ भी हुई थीं, जिन्हें कुछ समय हिरासत में रहने के बाद ज़मानत भी मिल गई थी, कुछ मामलों की सुनवाई भी जारी है। बिगत कुछेक वर्षो पर नजर डालें तो अनेक पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज करवाकर पत्रकारों के बीच भय व्याप्त करने का माहौल तैयार किया गया। ऐसा नहीं कि ऐसा माहौल पिछली सरकारों में नहीं रहा, रहा लेकिन तुलनात्मक आकड़ों के अनुसार वर्तमान में कुछ ज्यादा ही है। पत्रकारों के खिलाफ दर्ज करवाये गये मामलों पर अगर नजर डालें तो जो मामले प्रकाश में आ चुके हैं उन्हें प्रस्तुत कर रहा हूं।
अगस्त 2019 में मिर्ज़ापुर में सरकारी स्कूल में व्याप्त अनियमितता और मिड डे मील में बच्चों को नमक रोटी खिलाए जाने से संबंधित ख़बर चलाने पर पवन जायसवाल के खिलाफ मामला दर्ज कर प्रताड़ित किया गया। पीसीआई द्वारा मामला संज्ञान लेने पर पवन जायसवाल का नाम एफ़आईआर से हटाया गया। मिर्ज़ापुर में मिड डे मील में कथित धांधली की ख़बर दिखाने वाले पत्रकार पर दर्ज हुई एफ़आईआर के बाद सरकार की काफ़ी किरकिरी हुई थी। इस घटना का दिलचस्प पहलू ज़िले के कलेक्टर का वह बयान था जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘प्रिंट मीडिया का पत्रकार वीडियो कैसे बना सकता है? इस मामले में प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया को हस्तक्षेप करना पड़ा था।

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नई पीढ़ी के विचारों के साथ सामंजस्य बैठाना समय की मांग

बदलते आधुनिक परिपेक्ष में नई सकारात्मक वैचारिकता का धारण करना समय की मांग – जो समय को छोड़ देते हैं समय उनको छोड़ देता है!!! – एड किशन भावनानी

गोंदिया – भारतीय संस्कृति, सभ्यता और हमारे पूर्वजों, बड़े बुजुर्गों की वैचारिकता, सोच, कहावतें, प्रेरणा, मार्गदर्शन, हमारे लिए अनमोल धरोहर ही नहीं एक अणखुट ख़जाना भी है!!! अगर हम अपनी संस्कृति, सभ्यता और पूर्वजों, बड़े बुजुर्गों की वैचारिक को ग्रहण कर उनकी बताई राहों, उनके द्वारा कही कहावतों पर गहराई से सोचें तो हमें एक-एक शब्द या लाइन में बहुत बड़ी सीख, प्रेरणा, मार्गदर्शन मिल सकता है जो उम्र का तकाज़ा, समय का तकाज़ा, समय बड़ा बलवान रे भैया समय बड़ा बलवान, मुख में राम बगल में छुरी, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, इत्यादि ऐसे अनेक सुने अनसुने शब्द कहावतें हैं जिनकी गहराई में जाकर उनका सकारात्मक मतलब निकाल कर हम बुराई से बच सकते हैं और मूल्यवान शब्दों को अपनाकर अपना जीवन संवार सकते हैं।

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बच्चों की शिक्षा के प्रति लापरवाही अब अभिभावकों को पड़ सकती है भारी

बच्चों को पढ़ाई से जोड़ने के लिए शिक्षकों के साथ अब अभिभावकों को भी अपना पूर्ण योगदान देने की आवश्यता है
“स्कूल अब शुरू हुए, शुरू हुई फिर पढ़ाई
दो साल बाद नन्ही बिटिया, स्कूल देख पाई
अब बच्चों के संग सब, स्कूल पढ़ने जायेंगे
नई गुरूजी की नई सीख, खूब सीखकर आयेंगे”
अप्रैल माह आते ही स्कूलों की घंटी एक बार फिर से बजने के लिए तैयार है । एक लम्बे समय के बाद पूर्व प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की किलकारी स्कूल के कमरों से सुनाई देने को तैयार है । देश में लॉकडाउन के दौर ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है तो वह है शिक्षा; और शिक्षा में पूर्व-प्राथमिक एवं प्राथमिक शिक्षा की दशा बिगाड कर रख दिया है । सरकारी विद्यालयों में जहाँ बच्चा 5 से 6 वर्ष की उम्र में स्कूल जाकर अपनी शिक्षा ग्रहण करने को तैयार हो जाता है वही निजी विद्यालयों में 4 वर्ष से प्री-प्राइमेरी कक्षाओं में दाखिला के साथ पढाई की शुरुआत हो जाती है । अभी तक पूरे 2 वर्षों का समय गुजर गया है कुछ बच्चे जो शुरूआती कक्षा में दाखिले के लायक थे उन्होंने तो स्कूल का मुख तक नहीं देख पाया है; और यदि किसी तरह इन उम्र के बच्चों का दाखिला विद्यालय में हो भी गया तो कोरोना महामारी के दर से बंद स्कूलों के दर्शन नहीं हो पाए है । इनके लिए स्कूल की पढ़ाई और वहाँ का मजा एवं सीख परियों की कहानी जैसा है । नए सत्र के प्रारंभ होते ही बच्चों की शुरूआती शिक्षा के लिए शिक्षक के पास एक नई चुनौती होगी, क्योकि 2 वर्षों के लर्निंग गेप को समझते हुए, आगामी कार्ययोजना तय करके सत्र के लिए तैयारी करनी होगी ।

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चस्का मुफ्तखोरी का

एक कहानी पढ़ी थी कि बहेलिये ने दाना डालकर जाल बिछाया हुआ था और फिर कबूतर दाना चुगने आए और जाल में फस गए। हमें इस कहानी से यह सबक सिखाया जाता था की लालच बुरी बला है। कुछ ऐसा ही आजकल का माहौल है करोना काल में शुरू की गई गरीबों के लिए मुफ्त राशन योजना को केंद्र सरकार ने तीन महीने के लिए आगे बढ़ा दिया है हालांकि यह स्पष्ट है कि यह घोषणा 2024 में लोकसभा चुनाव को मद्देनजर रखकर किया गया है। इस योजना की घोषणा मुख्यमंत्री की शपथ के अगले ही दिन कर दी गई और दावा किया गया है कि पंद्रह करोड़ लोगों को इस योजना का लाभ मिलेगा।

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