Tuesday, April 22, 2025
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लेख/विचार

स्वच्छ मन से स्वच्छता की ओर

स्वच्छ भारत अभियान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने शुरू किया, जिसके तहत सफाई को अत्यधिक महत्व दिया जा रहा है। यह अभियान 2 अक्टूबर 2014 को नई दिल्ली से राष्ट्रीय पिता महात्मा गांधी की जयंती के उपलक्ष में शुरू हुआ था। स्वच्छ भारत का सपना गांधी जी का था। स्वच्छ भारत अभियान में भारत सरकार की सराहनीय कोशिश है।
स्वच्छ मन से निर्मित होता है स्वच्छ एवं सुरक्षित समाज जो सफल एवं सशक्त राष्ट्र की नींव होती है।
मन स्वच्छ होगा तो ही हम अपना वातावरण, पर्यावरण, समाज स्वच्छ एवं सुरक्षित रख पाएंगे नहीं तो सिर्फ दिखावा और झूठ होगा।
अब समय है मन की स्वच्छता पर ध्यान देने की। हमारे देश में जिस तरह से अपराध बढ़ रहे हैं। उज्जैन में हाल ही में 12 साल की मासूम बच्ची क बच्ची के साथ बलात्कार हुआ यह दर्शाता है कि स्वच्छ भारत अभी भी गंदा और सुरक्षित है इसीलिए मानसिक तौर से स्वच्छ है बेहद जरूरी है । नेशनल क्राईम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की नई रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में भारत में हर दिन औसतन 86 रेप के मामले दर्ज हुए इसका मतलब है कि हर मिनट में तीन रेप की घटनाएं हो रही है जिसमें से राजस्थान में सबसे ज्यादा रेप पाए गए । हाल ही में एनसीआरबी के अनुसार 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 428,278 मामले दर्ज किए गए जिसमें अपराध की दर 64.5 प्रतिशत थी । ऐसे अपराधों में 77.1 प्रतिशत मामलों में आरोप पत्र दाखिल किए गए। वहीं भारत में अन्य अपराध जैसे चोरी, डकैती, साइबर क्राइम, फिरौती, मर्डर, घरेलू हिंसा, यातायात नियमों का उल्लंघन, वित्तीय मामले, जमीनी मामले, नशा आदि पाए जाते हैं।
मन शरीर और पर्यावरण के बीच गहरा संबंध होता है। हमारे मानसिक स्वास्थ्य का पर्यावरण और समाज पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

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अंदरुनी गुणों की अभिव्यक्ति है सुंदरता

संसार में कोई मानव सामान्य अथवा अनाकर्षक नहीं है। प्रत्येक मनुष्य अपने आप में एक चमत्कार है। ऐसे में अपने आपको कुरुप या अनाकर्षक समझकर हीन भावना से पीड़ित रहना भारी भूल है। सौंदर्य मात्र गोरे रंग या तीखे नैन-नक्श में नहीं होती, अपितु आकर्षक व्यक्तित्व का मूल मोती की तरह सीप में छिपा है, उसके अक्षुण्ण सुंदरता की आभा अंदर से ही फूटती है। सचमुच व्यक्ति के अंदर ही सुंदरता का बीज निहित होता है। किसी भी व्यक्तित्व में आकर्षण उसके अंदर से आता है। अपने आप क्या अनुभव कर रहे हैं। आपका रंग इस बात पर बहुत कुछ निर्भर करता है। कहा जाता है कि चेहरा मन की बात बता देता है। इसलिए व्यवहार तथा विचारों की झलक चेहरे पर स्पष्ट हो जाती है। किसी मुस्कान में भी अंदर के भावों तथा विचारों को पढ़ा जा सकता है। इन भावों और विचारों से न केवल आपके नेत्रों की चमक अपितु त्वचा का रंग भी प्रभावित होता है, किसी भव्य व्यक्तित्व में जितना अंश शारीरिक सुंदरता का होता है, उतना ही मानसिक सुंदरता का होता है।

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ग़ज़ल

बात इसमें भला बड़ी क्या थी।
काम बिगड़ा तो रहबरी क्या थी।
खुदकुशी देखती रही दुनिया,
क्या पता उसकी बेबसी क्या थी।
खूब सबको दिखा मियाँ मैज़िक,
गेंदबाज़ी मे ताज़गी क्या थी।
बेसबब क्यूँ झगड़ पड़े आखिर,
कुछ बताओ तनातनी क्या थी।
आसमानी दिमाग़ था उसका,
उससे मेरी बराबरी क्या थी।

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“देश की आबो-हवा”  

कवि की सृजनात्मकता हो,
या कुंभकार की अद्भुत कला।
शिल्पकार की कल्पना हो,
चित्रकार की चित्रकारिता।
जब ये अपने पर आ जाते हैं,
तो देश क्रांति में हो जाता है।
सत्य की ओर उन्मुख हो जाते,
तो उभर के आती छुपी भावना।
कोई हाथों से रेखा खींचकर,
बनाता अनेक अनेक तस्वीरें।
कोई गढ़-गढ़ उन्हें सजाता है,
अपने पूर्वजों की दुर्लभ धरोहर।
कोई रेखा खींच यहां पर,
रचता है प्रेरणा के सुंदर गीत।
किसी की हस्त रेखाओं ने,
दिखाया है उसको गगनचुंबी।

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एक साथ चुनाव भारत के लोकतंत्र के लिए हानिकारक क्यों?

“एक साथ चुनावों से देश की संघवाद को चुनौती मिलने की भी आशंका है। एक साथ चुनाव होने से लोकतंत्र के इन विशिष्ट मंचों और क्षेत्रों के धुंधला होने का खतरा है, साथ ही यह जोखिम भी है कि राज्य-स्तरीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों में समाहित हो जाएंगे। अगर लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाए गए तो ज्यादा संभावना है कि राष्ट्रीय मुद्दों के सामने क्षेत्रीय मुद्दे गौण हो जाएँ या इसके विपरीत क्षेत्रीय मुद्दों के सामने राष्ट्रीय मुद्दे अपना अस्तित्व खो दें।”

एक साथ चुनाव का तात्पर्य है कि पूरे भारत में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे, जिसमें संभवतः एक ही समय के आसपास मतदान होगा। एक साथ चुनाव, या “एक राष्ट्र, एक चुनाव” का विचार पहली बार औपचारिक रूप से भारत के चुनाव आयोग द्वारा 1983 की रिपोर्ट में प्रस्तावित किया गया था। एक साथ चुनाव कराने के कुछ संभावित लाभों के साथ-साथ कुछ कमियां भी हैं, जो सवाल उठाती हैं: क्या एक साथ चुनाव कराना भारत के लोकतंत्र के लिए हानिकारक है?
एक देश एक चुनाव के विरोध में विश्लेषकों का मानना है कि संविधान ने हमें संसदीय मॉडल प्रदान किया है जिसके तहत लोकसभा और विधानसभाएँ पाँच वर्षों के लिये चुनी जाती हैं, लेकिन एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर हमारा संविधान मौन है। संविधान में कई ऐसे प्रावधान हैं जो इस विचार के बिल्कुल विपरीत दिखाई देते हैं। मसलन अनुच्छेद 2 के तहत संसद द्वारा किसी नये राज्य को भारतीय संघ में शामिल किया जा सकता है और अनुच्छेद 3 के तहत संसद कोई नया राज्य राज्य बना सकती है, जहाँ अलग से चुनाव कराने पड़ सकते हैं।

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पत्रकारिता में विश्वास बहाल करना, पत्रकारों की नैतिक जिम्मेदारी!

पत्रकारिता, जिसे अक्सर चौथी सम्पत्ति के रूप में जाना जाता है, सूचना प्रसारित करने, सच्चाई को उजागर करने और सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह बनाकर दुनिया भर के लोकतंत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालाँकि, इस महान पेशे की प्रतिष्ठा हाल के दिनों में कुछ बिकाऊ पत्रकारों के कार्यों के कारण धूमिल हुई है, जो ईमानदारी पर सनसनीज को प्राथमिकता देते हैं। इस चुनौती से पार पाने और जनता का विश्वास बहाल करने के लिए, नैतिक पत्रकारों को पत्रकारिता के सार को कमजोर करने वालों के खिलाफ खड़े होने की पहल करनी चाहिए। नैतिक प्रथाओं को सक्रिय रूप से बढ़ावा देकर, वे पूरे पेशे की विश्वसनीयता की रक्षा कर सकते हैं।
सनसनीखेज और अनैतिक पत्रकारिता
डिजिटल मीडिया और 24×7 समाचार चक्र के युग में, सनसनीखेज और क्लिकबेट रणनीति प्रचलित हो गई है। कुछ पत्रकार तथ्य-जाँच और गहन रिपोर्टिंग के बजाय आकर्षक सुर्खियाँ बनाने और दर्शकों को आकर्षित करने को प्राथमिकता देते हैं। यह दृष्टिकोण न केवल जनता को गुमराह करता है बल्कि समग्र रूप से पत्रकारिता में विश्वास को भी ख़त्म करता है।
अनैतिक प्रथाएँ, जैसे मनगढ़ंत कहानियाँ, पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और भुगतान की गई सामग्री, समस्या को और बढ़ा देती हैं।

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ओजोन परत के बिना समाप्त हो जाएगा पृथ्वी पर जीवन

विश्व ओजोन दिवस (16 सितम्बर) पर विशेष
16 सितम्बर 1987 को मॉन्ट्रियल में ओजोन परत के क्षय को रोकने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता हुआ था, जिसमें उन रसायनों के प्रयोग को रोकने से संबंधित एक बेहद महत्वपूर्ण समझौता किया गया था, जो ओजोन परत में छिद्र के लिए उत्तरदायी माने जाते हैं। ओजोन परत कैसे बनती है, यह कितनी तेजी से कम हो रही है और इस कमी को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं, इसी संबंध में जागरूकता पैदा करने के लिए 1994 से प्रतिवर्ष ‘विश्व ओजोन दिवस’ मनाया जा रहा है किन्तु चिन्ता की बात यह है कि पिछले कई वर्षों से ओजोन दिवस मनाए जाते रहने के बावजूद ओजोन परत की मोटाई कम हो रही है। प्रतिवर्ष एक विशेष थीम के साथ यह महत्वपूर्ण दिवस मनाया जाता है और इस वर्ष विश्व ओजोन दिवस थीम है ‘मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉलरू फिक्सिंग द ओजोन लेयर एंड रिड्यूसिंग क्लाइमेट चेंज’ अर्थात् ‘मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉलरू ओजोन परत को ठीक करना और जलवायु परिवर्तन को कम करना’।
आईपीसीसी की एक रिपोर्ट में तापमान में डेढ़ तथा दो डिग्री वृद्धि की स्थितियों का आकलन किए जाने के बाद से इसे डेढ़ डिग्री तक सीमित रखने की आवश्यकता महसूस की जा रही है और इसके लिए दुनियाभर के देशों से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती के नए लक्ष्य निर्धारित करने की अपेक्षा की जा रही है। जहां तक भारत की बात है तो भारत ने 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की तीव्रता में 35 फीसदी तक कमी लाने का लक्ष्य रखा है किन्तु जी-20 देशों पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों की समीक्षा पर आधारित एक रिपोर्ट में पिछले साल कहा गया था कि भारत सहित जी-20 देशों ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती के जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, वे तापमान वृद्धि को डेढ़ डिग्री तक सीमित करने के दृष्टिगत पर्याप्त नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अपेक्षित परिणाम हासिल करने के लिए इन देशों को अपने उत्सर्जन को आधा करना होगा। रिपोर्ट में इस बात पर भी चिंता व्यक्त की गई थी कि जी-20 देशों की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम नहीं हो रही है, जहां अभी भी करीब 82 फीसदी जीवाश्म ईंधन ही इस्तेमाल हो रहा है और चिंताजनक बात यह मानी गई थी कि कुछ देशों में जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी भी दी जा रही है। भारत ने हरित ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य 2027 तक 47 फीसदी रखा है और 2030 तक सौ फीसदी इलैक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन का भी लक्ष्य है। हालांकि नवीन ऊर्जा के इन लक्ष्यों के लिए रिपोर्ट में भारत की सराहना भी की गई थी।

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छिन्दवाड़ा : एक विद्यालय की सफलता की कहानी

“जो कभी सुविधाहीन था अब बुनियादी सुविधाएँ व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आसपास के क्षेत्र में चर्चित है ।”
छिन्दवाड़ा। विद्यार्थी अपने जीवन के अमूल्य ज्ञान, शिक्षा एवं जीवन में उन्नत शिखर तक पहुचने के लिए विद्यालय से ही अंकुरित होता है जो आगे एक सुसज्जित रूप में अपने आप को ढ़ालता है यानि संक्षेप में कहें तो विद्यार्थिओं को जिस प्रकार का स्कूली माहौल एवं शिक्षा दी जाए उनके जीवन को सुद्रण करने में वह वैसा की सफलता के आयाम हासिल करेगा।
आइये आज हम आपको एक ऐसी वास्तवित एक विद्यालय की सफलता है की कहानी से परिचित कराते है जो जिसे पढ़कर या सुनकर अन्य विद्यालयों एवं विद्यार्थिओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी।
मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिला जो कि सतपुड़ा अंचल में बसा जिला है जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए जाना जाता है । जिला मुख्यालय से महज 13 किमी की दूरी पर एक विद्यालय है जिसकी स्थापना करीब 1965 के दशक में हुई होगी । गाँव के बड़े बुजुर्गों के अनुसार सबसे पहले यहाँ स्कूल गाँव में किसी घर में शुरू हुआ, गाँव वाले एक बहुत पुराने स्कूल शिक्षक का नाम लेते थे जिन्होंने स्कूल की स्थापना करी उनका नाम था श्री अवस्थी गुरूजी, उन्होंने यहा बच्चों के लिए शिक्षा का पदार्पण किया । इसके बाद अनेक शिक्षकों ने इस गाँव में अनेक सेवा दी गाँव की शिक्षा को सफल बनाने का कार्य किया ।

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श्रीकृष्ण की अलौकिक लीलाएं और उनका जीवन दर्शन

प्रतिवर्ष भाद्रपक्ष कृष्णाष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। दरअसल मान्यता है कि इसी दिन मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी ने कृष्ण को जन्म दिया था। इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण की 5250वीं जन्माष्टमी मनाई जा रही है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस बार जन्माष्टमी का त्योहार 6 सितम्बर को मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल अष्टमी तिथि बुधवार 6 सितंबर को दोपहर 3.37 बजे शुरू होगी, जिसका समापन 7 सितंबर की शाम 4 बजकर 14 मिनट पर होगा। वैसे जन्माष्टमी का त्योहार आमतौर पर दो दिन मनाया जाता है, पहले दिन (स्मार्त) गृहस्थियों द्वारा तथा दूसरे दिन वैष्णव सम्प्रदाय द्वारा। गृहस्थ लोग इस बार 6 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे जबकि वैष्णव सम्प्रदाय में 7 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव मनाया जाएगा।
भारतीय संस्कृति में जन्माष्टमी का इतना महत्व क्यों है, यह जानने के लिए श्रीकृष्ण के जीवन दर्शन और उनकी अलौकिक लीलाओं को समझना जरूरी है। द्वापर युग के अंत में मथुरा में अग्रसेन नामक राजा का शासन था। उनका पुत्र था कंस, जिसने बलपूर्वक अपने पिता से सिंहासन छीन लिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया। कंस की बहन देवकी का विवाह यदुवंशी वसुदेव के साथ हुआ। एक दिन जब कंस देवकी को उसकी ससुराल छोड़ने जा रहा था, तभी आकाशवाणी हुई कि हे कंस! जिस देवकी को तू इतने प्रेम से उसकी ससुराल छोड़ने जा रहा है, उसी का आठवां बालक तेरा संहारक होगा।

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बदलेंगे अंग्रेजों के ज़माने के कानून

आपराधिक न्याय प्रणाली ब्रिटिश औपनिवेशिक न्यायशास्त्र की प्रतिकृति है, जिसे राष्ट्र पर शासन करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया था, न कि नागरिकों की सेवा करने के लिए। आपराधिक न्याय प्रणाली का उद्देश्य निर्दोषों के अधिकारों की रक्षा करना और दोषियों को दंडित करना था, लेकिन आजकल यह प्रणाली आम लोगों के उत्पीड़न का एक साधन बन गई है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, न्यायिक प्रणाली में, विशेषकर जिला और अधीनस्थ अदालतों में लगभग 3.5 करोड़ मामले लंबित हैं, जो इस कहावत को चरितार्थ करता है कि “न्याय में देरी, न्याय न मिलने के समान है।” भारत में दुनिया के सबसे अधिक संख्या में विचाराधीन कैदी हैं। भ्रष्टाचार, भारी काम का बोझ और पुलिस की जवाबदेही त्वरित और पारदर्शी न्याय देने में बड़ी बाधा है।

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