सासनी, जन सामना संवाददाता। रबीउल-अव्वल इस्लामी महीनों में तीसरा महीना है। इस मुबारक महीने में हजरत मोहम्मद जमीं पर आए। उस समय खुदा का नाम लेने वाला कोई नहीं था। लोग आपस में लड़ते झगड़ते थे। जुल्म भी बढ़ रहे थे, वक्त को दुनिया में ऐसे शख्स की जरूरत थी जो इंसानियत का पैगाम पूरी दुनिया में फैलाए। लेागों में भाईचारा एकता पैदा कर उनमें मोहब्बत का पैगाम दे। जिससे एक दूसरे का सहारा बनते हुए बेसहाराओं का सहारा बन सके। आखिर खुदा ने लोगों की मदद को हजरत मोहम्मद को दुनिया में भेजा। उन्होंने इंसानियत का रास्ता दिखाया। यह बातें नूरी मस्जिद के इमाम मौलाना मुहम्मद मजाहिर रजा ने कस्बा के निकाले गये मिलाद-उल-नवी जलूस के दौरान बताईं। उन्होंने बताया कि मोहम्मद साहब की पैदाइश के दिन हर जगह रोशनी हो गई। हालांकि मोहम्मद साहब को दुनिया को खुदा के रास्ते में लाने हेतु काफी विरोध का सामना करना पड़ा। मगर इरादों की जीत हुई।
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