विश्व में सुपरपावर बनने की चाह रखने वाले चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हकीकत में एक डरपोक व्यक्तित्व वाले लोग हैं। चीन की सीमा लगभग 20 अलग-अलग देशों से लगी है। इन तमाम देशों से चीन का सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। चीन की सरकार अपनी जनता से भी हमेशा डरी रहती है। अपने लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए चीन की सरकार ने अपने देश में सीसीटीवी कैमरे का एक विशाल नेटवर्क स्थापित कर रखा है। चीन की विशाल जनसंख्या के हर आदमी के एक-एक मिनट की जानकारी ये कैमरे लेते रहते हैं। चीन की जनता आनी सरकार से नाराज है। चीन अपने देश के अल्पसंख्यकों उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार कर रही है और उन्हें परेशान करने के लिए कैंपों में धकेल रही है। चीन ऐसा ही व्यवहार तिब्बत की जनता के साथ भी कर रही है। तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन की सरकार ने उनके धर्म और संस्कृति की रक्षा करने की बात कही थी। पर अब तिब्बत की धर्म-संस्कृति को नष्ट करने के लिए चीन की सरकार उन पर जोर-जुल्म कर रही है।
इन सभी घटनाओं में चीन का डरपोक स्वभाव साफ दिखाई दे रहा है। चीन पड़ोसियों से डर रहा है। चीन अपनी जनता से डर रहा है। हद तो तब हो गई, जब चीन हांगकांग के 73 साल के बूढ़े व्यक्ति जिमी लाइ से भी डर रहा है। जिमी लाइ एक अखबार के मालिक हैं और चीन की सरकार के अत्याचारी कारनामों के खिलाफ निर्भीकता से आवाज उठाते हैं। परिणामस्वरूप चीन की सरकार समय-समय पर उन्हें गिरफ्रतार करती रही है। परंतु जिमी लाइ चीन सरकार के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं। हकीकत यह है कि चीन की सरकार अपने सामने आंख उठाने वाले हर किसी से डर रही है और अपनी ताकत दिखा कर उसे डराने की कोशिश कर रही है। जबकि जिमी लाइ अकेले चीन की सरकार से दो-दो हाथ कर रहे हैं।
अखबार के मालिक जिमी लाइ की कहानी भी जानने लायक है। हांगकांग के उत्तर-पश्चिम मेें मेनलैंड चीन का एक शहर है ग्वानचो। इसी शहर में सन 1948 में जिमी लाइ का जन्म हुआ था। जिमी लाइ का परिवार काफी अमीर था, पर 1949 में जब चीन में कम्युनिस्टों ने सत्ता संभाली तो जिमी के परिवार की तमाम संपत्ति जब्त कर ली गई। 1960 में चीन की सरकार से त्रस्त होकर जिमी का परिवार एक नाव में सवार होकर हांगकांग भाग गया। उस समय जिमी की उम्र 12 साल थी। हांगकांग में परिवार की मदद के लिए जिमी को जहां काम मिला, वहीं मजदूरी की। कुछ दिनों बाद उन्हें एक कपड़े की फैक्ट्री में काम मिल गया।
कैंसर पीड़ित व्यक्ति को 5 लाख मुआवजा दिलाने की मांग
हाथरस। गत 10 जून को मानवाधिकार आयोग के स्तर पर कार्यवाही व कैंसर पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु पर 5 लाख का मुआवजा दिलाया जाए।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक ह्यूमन राइट्स के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीन वाष्र्णेय द्वारा अध्यक्ष राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को रिमाइंडर भेजकर आयोग से कार्यवाही के लिए लिखते हुए कहा है कि मेरे द्वारा एक शिकायत आयोग में 21 मई को कैंसर पीड़ित व्यक्ति के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग द्वारा गलत एफ आई आर दर्ज करने पर स्वास्थ्य विभाग हाथरस व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बृजेश राठौर के खिलाफ की गई थी।
उक्त शिकायत के सापेक्ष में आयोग द्वारा केस 10 जून को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तर प्रदेश सरकार को कार्यवाही के लिए निर्देश दिया था जिसमें आज तक कोई भी कार्यवाही प्रमुख सचिव द्वारा व अन्य स्तर से नहीं की गई है। इस बीच जिस कैंसर पीड़ित व्यक्ति के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी वह कैंसर पीड़ित व्यक्ति स्वास्थ्य विभाग द्वारा दर्ज रिपोर्ट की दहशत से कोरोना नेगेटिव होने के बाद भी अपना कैंसर का इलाज कराने के लिए अन्य कहीं पर नहीं गया और उस कैंसर पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु 30 जुलाई को कैंसर का इलाज न होने के कारण हो गई। पूरा परिवार स्वास्थ्य विभाग की तानाशाही, हठधर्मिता की दहशत में जी रहा है।
फोटो ग्राफरों की हुई बैठक समस्याओं पर किया विचार
सासनी, हाथरस। कस्बा में कन्हैया फोटो स्टूडियो पर अखिल भारतीय फोटोग्राफर फाउंडेशन रजिस्टर्ड की एक आवश्यक बैठक आहूत की गई। जिसमें फोटो ग्राफरों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा कर सरकार से समस्याओं के समाधान के अपनी बात सरकार तक पहुंचान के लिए मन बनाया गया।
गुरूवार को आहूत बैठक में तहसील स्तर पर एबीपी ऐप की कमेटी बनाने पर भी चर्चा हुई जिससे फोटोग्राफर की गिरती हुई स्थिति को सुधारा जा सके। सभी फोटोग्राफर भाइयों ने अखिल भारतीय फोटोग्राफर फाउंडेशन में अपनी आस्था व्यक्त की तथा फाउंडेशन के द्वारा किए जाने वाले कार्यों की सराहना की। बैठक में जिला अध्यक्ष अजय दीक्षित के साथ महासचिव सचिन शर्मा, उपाध्यक्ष साजन गुप्ता, सह सचिव राजकुमार, सासनी नगर अध्यक्ष श्री प्रदीप कुमार तथा गोपाल वाष्र्णेेय संजय श्रोती सुनील शर्मा विजय श्रोती सतेंद्र गुप्ता इसके अलावा वहां पर केके स्टूडियो सासनी वह राणा जी आदि मौजूद थे।
लाइनलाॅस 15 प्रतिशत से नीचे लायें-ऊर्जा मंत्री
लखनऊ। आगरा, अलीगढ़, औरैया, बांदा, चित्रकूट, एटा, इटावा, फर्रुखाबाद, हमीरपुर, हाथरस जिलों के हाई लाइनलॉस फीडर्स वाले शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के उपकेंद्रों की समीक्षा करते हुये ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री पं. श्रीकान्त शर्मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जिलों के हाई लाइन लॉस वाले शहरी व ग्रामीण उपकेंद्रों की समीक्षा की। उन्होंने हाई लॉस वाले उपकेंद्रों को रेड कैटेगरी से ग्रीन कैटेगरी में लाने और सस्ती व निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। इस कार्य में लापरवाही पाये जाने पर जवाबदेही तय की जाये। यूपीपीसीएल चेयरमैन इस लक्ष्य की लगातार मॉनिटरिंग करें।
ऊर्जा मंत्री ने आगरा के बांगुरी, अलीगढ़ के साधु आश्रम व बला-ए-किला, औरैया के कंचैसी व औरैया-प्रथम, बांदा के ओरान व पीली कोठी, चित्रकूट के गनिवा व गंगाजी रोड, एटा के अचलपुर व यूपीएसआईडीसी, इटावा के भरतिया कोठी व कलीवहां, फर्रुखाबाद के भतासा व पंचाल घाट, हमीरपुर के इमलिया व मौदाहा-प्रथम, हाथरस के नानऊ व कोटा रोड उपकेंद्रों की समीक्षा की। उन्होंने हाई लाइनलॉस फीडर्स वाले विद्युत उपकेंद्रों को रेड कैटेगरी से ग्रीन कैटेगरी में लाने और सस्ती बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिये।
बस मेटाडोर में भिडंत टेंपो चालक हुआ घायल
सासनी, हाथरस। आगरा अलीगढ राजमार्ग स्थित कन्या गुरुकुल और कंकाली मंदिर के बीच एक मेटाडोर और बस में भिडंत हो गई। जिसके बीच में आने से टैंपो चालक गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल को उपचार के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है।
जानकारी के अनुसार एक रोडबेज बस हाथरस से अलीगढ की ओर जा रही थी। उधर एक मेटाडोर अलीगढ की ओर से हाथरस की ओर जा रही थी। इसके साथ टेंपो भी चल रहा था। बताते हैं कि जैसे ही दोनों वाहन कंकाली मंदिर के निकट आए तो ओवरटेक करने के प्रयास में मेटाडोर बस से भिड गई। जिसकी चपेट में टेंपो आ गया। टैंपों, बस तथा मेटाडोर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गये। टेंपो को चालक गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना के बाद मौके पर जुटी भीड ने घटना की सूचना पुलिस को दी। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और घायल को उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया। उधर मेटाडोर चालक मौके का फायदा उठाकर भाग गया। घटना के बाद राजमार्ग बाधित हो गया। पुलिस ने क्षतिग्रस्त वाहनों को कब्जे में लेकर कोतवाली पहुंचाया। तब जाकर राजमार्ग सुचारू हो सका। समाचार लिखे जाने तक घटना की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी। लोगों ने बताया कि टैंपो में कोई सवारी नहीं थी। यदि ऐसा होता तो कई जान जा सकती थीं।
खंड शिक्षक निर्वाचन के लिए मांगे वोट

छात्रों के समर्थन में मोमबत्तियां जलाईं
हाथरस। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आव्हान पर सपा प्रदेश कार्यकारणी सदस्य रामनारायण काके ने कार्यकर्ताओं के साथ रात 9 बजकर 9 मिनट पर मोमबत्तियां जलाकर, थाली और तालियां बजाकर छात्रों पर हो रहे अत्याचार, बेरोजगारी और छात्रों के समर्थन में कार्यक्रम आयोजित किया।
इस मौके पर लक्ष्मण सिंह उर्फ पप्पू सिंह पूर्व अनुसूचित प्रकोष्ठ जिला उपाध्यक्ष, राकेश गुप्ता पूर्व नगर उपाध्यक्ष, आजाद कुरैशी बार्ड अध्यक्ष, अशोक दिवाकर पूर्व नगर सचिव, प्रेमपाल दिवाकर, मोहित कश्यप एड., अब्दुल रहमान, अशरफ, फैजान सैफी, चांद खान, विकास, अवधेश, इक्वल, अपन खान, नंदकिशोर, मोनू, सुनील कुमार दिवाकर आदि मौजूद थे।
टी-सीरीज का अगला सांग ‘कंधे का वो तिल’
टी-सीरीज का अगला सांग ‘कंधे का वो तिल’ लांच हुआ, इस सांग को सचेत टंडन ने आवाज दी है, इसमें सलमान यूसुफ खान और जारा यस्मिन नजर आएंगे
सचेत टंडन की आवाज में टी-सीरीज का अगला सांग ‘कंधे का वो तिल’ लांच हुआ, इसमें सलमान यूसुफ खान और जारा यस्मिन नजर आएंगे.
हिट सांग्स और हमेशा लोकप्रिय लव सांग्स देने के लिए मशहूर टी-सीरीज ने सिंगर सचेत टंडन के साथ अपने अगले सिंगल सांग को रिलीज किया. 2019 में कबीर सिंह के सांग बेखयाली की सफलता के बाद मनन भारद्वाज के कम्पोजीशन में और कुमार के लिरिक्स में सचेत का एक और इंटेंस और पैशनेट लव सांग श्कंधे का वो तिलश् आया है। रोमांटिक ट्रैक पर सलमान युसफ खान और जारा यसमिन का शानदार कंटेम्पररी डांस देखने को मिलेगा।
एक यंग, फ्रेश वाइब, आकर्षक धुन और यूनिक आर्टिस्टिक एक्सप्रेशन के साथ, ‘कंधे का वो तिल’ एक ऐसा सांग है, जिसे हर कोई अपनी लव स्टोरी से कनेक्ट करेगा। इस सांग के वीडियो को शूट करने में बहुत सारा खून-पसीना बहा, और मेहनत लगी। सलमान और जायरा दोनों ने ही शूटिंग से पहले एक महीने तक कड़ी तैयारी की, इस दौरान कोरियोग्राफी में उन्हें मामूली चोटें भी आईं, लेकिन उन्होंने पूरी तरह से प्रोफेशनल्स की तरह शूट करना जारी रखा।
गाने के बारे में बात करते हुए सचेत टंडन कहते हैं, ‘जब मैंने पहली बार गाना सुना तो मुझे लगा कि नई ऊर्जा इसमें डाल दी गई है। ‘कंधे का वो तिल’ एक भावुक, रोमांटिक ट्रैक है जिसमें एक अलग तरह की खुश्बू है।’
राजस्व, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, लोक निर्माण, वन, ऊर्जा एवं आई.टी. एवं इलेक्ट्राॅनिक्स, नियोजन, खाद्य एवं रसद के लम्बित प्रकरणों की गयी समीक्षा
लखनऊ। प्रधानमंत्री जी के समीक्षा बिन्दुओं ‘‘प्रगति’’ की समीक्षा बैठक मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई, जिसमें विभागवार लम्बित प्रकरणों की विस्तार से समीक्षा की गयी। बैठक में बताया गया कि प्रधानमंत्री जी द्वारा राज्य के स्तर पर कार्यवाही हेतु 354 बिन्दुओं पर निर्देश दिए गए थे जिसमें से 278 प्रकरणों का शत-प्रतिशत तथा 76 प्रकरणों का आंशिक निस्तारण किया जा चुका है। बैठक में इन्हीं 76 प्रकरणों में से राजस्व, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, लोक निर्माण विभाग, ऊर्जा, वन, नियोजन, खाद्य एवं रसद व आई.टी. एवं इलेक्ट्राॅनिक्स के 46 प्रकरणों की विभागवार समीक्षा की गयी।
मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि लम्बित प्रकरणों में समयबद्ध एवं तत्परता के साथ कार्यवाही कर निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार पूर्णतया निस्तारित कराएं। उन्होंने कहा कि जो प्रकरण पूर्णतया निस्तारित किये जा चुके हैं, सम्बन्धित विभाग अपने स्तर पर बैठक कर पुनः समीक्षा कर लें, कि उनमें अब कोई कार्यवाही अपेक्षित नहीं है।
उन्होंने ‘‘प्रगति’’ के बिन्दुओं से सम्बन्धित अधिकारियों से कहा कि कृत कार्यवाही की अद्यतन स्थिति का अद्यावधिक स्टेटस नियोजन विभाग को समय से उपलब्ध कराएं ताकि उन्हें ‘‘प्रगति’’ वेब पोर्टल पर अपलोड कराया जा सके।
महिलाएंः आत्महत्या नहीं संघर्ष करो
आंखों में सतरंगी सपने सजा कर जीवन रूपी बाग में कदम बढ़ा रहा व्यक्ति जीवनपथ पर आगे बढ़ने के बजाय मृत्यु रूपी खाई में समा जाए तो आश्चर्य की अपेक्षा आघात अधिक लगता है। आखिर अचानक कोई व्यक्ति मृत्यु को अपना कर जीवन का करुण अंत क्यों पसंद करता है?
भारतीय समाज में पुरुष जहां 64 प्रतिशत आत्महत्या करते हैं, वहीं महिलाएं 36 प्रतिशत आत्महत्या करती हैं। परंतु लेंसेट पब्लिक हेल्थ के 2017 के सर्वे के अनुसार दुनिया की जनसंख्या की गणना के अनुसार युवा और मघ्यमवर्गीय युवतियों की आत्महत्या के मामले में भारत तीसरे स्थन पर है। सोचने वाली आत यह है कि अगर भारतीय स्त्री सहनशीलता-सहिष्णुता और संघर्ष की मूर्ति कहलाती है, तब पराजय स्वीकार करके जिंदगी से स्वयं पलायन करने का कदम क्यों उठाती है?
शिक्षा और आधुनिकता के विकास के साथ महिलाओं को सपना देखने वाली आंखें मिलीं तो खुले आकाश में उड़ने के लिए पंख मिले, साथ ही आकाश भी मिला। पर उसके आजादी के साथ उड़ने वाले पंखों को काट कर बीच में तड़पने के लिए छोड़ने की सत्ता समाज ने पुरुषों के हाथों मे सौंन दी। यह भी कह सकते हैं कि पुरुषों ने अपने पास रखी। हमारा पुरुष प्रधान समाज, अनेक खामियों वाली विवाह व्यवस्था, गलत सामाजिक मूल्य, अधिक संवेदनशीलता और स्त्रियों की परतंत्रता के कारण पैदा होने वाली लाचारी एक हद तक असह्य बन जाती है। ऐसे में भयानक हताशा ही स्त्रियों केा आत्महत्या की ओर कदम बढ़ाने को मजबूर करती है।
थाॅम्सन फाडंडेशन और नेशनल क्राइम ब्यूरो के पिछले साल के आंकड़ों के अनुसार 15 से 49 साल की भरतीय महिलाओं में से 33-5 प्रतिशत घरेलू हिंसा, 8-5 प्रतिशत यौनशोषण, 2 प्रतिशत दहेज को लेकर महिलाओं ने आत्महत्या की है। भारत में संपत्ति के अधिकार से लेकर दुष्कर्म तक के कानून महिलाओें के हक में है, फिर भी देखा जाए तो महिलाओं को न्याय नहीं मिल रहा है। अध्ययन कहते हैं कि अगर अन्यायबोध हमेशा चलता रहा तो मन में घुटन सी होती रहती है। अगर यह घुटन बढ़ती रही और रही और अपनी हद पार कर गई तो महिला आत्महत्या का मार्ग अपनाती है।