जबसे सरकार ने सामूहिक प्रसंगों पर कौड़ा चलाया हैं, निमंत्रको की संख्या घटादी हैं मुझे कही से भी निमंत्रण पत्र नहीं आ रहे हैं।पड़ोसी की बेटी की शादी में दो सो लोगों को ही बुलाने की इजाजत थी, सबसे पहले दोस्तों की सूची बनी,एक के बाद एक सभी के दोस्तों के नाम कटते गए क्योंकि रिश्तेदार को बुलाना ज्यादा जरूरी हैं। फिर भी देखो हजार बंदे हो रहे थे तो पड़ोसियों की सूची को कम करते गए और मेरा नाम भी कमी हो गया फिर भी थोड़े कम तो हुए किंतु नियंत्रित संख्या से काफी ज्यादा थे।और उन्हें भी एक घर से सिर्फ दो लोगों को ही निमंत्रित किया गया,यही आसान उपाय था।
Read More »लेख/विचार
बनें जागरूक उपभोक्ता – योगेश कुमार गोयल
अनिल ने अपना बिजली का बिल सही समय पर जमा करा दिया लेकिन फिर भी विभाग ने उसका बिजली कनैक्शन काट दिया। रोमा ने रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए आवेदन भेजने की अंतिम तिथि से 4 दिन पहले ही स्पीड पोस्ट द्वारा आवेदन भेज दिया था लेकिन आवेदन सही समय पर नहीं पहुंचने के कारण वह परीक्षा में नहीं बैठ सकी और डाक विभाग इसके लिए अपनी गलती मानने को तैयार नहीं। सीमा का लैंडलाइन फोन कई महीनों से खराब पड़ा है पर विभाग फोन ठीक कराने के बजाय बिल लगातार भेज रहा है और बिलों के भुगतान के लिए बाध्य करता है।
Read More »भारत की पहचान कभी विश्व गुरु के रूप में थी
भारत का नवाचार, शिक्षण, नवोन्मेष, बौद्धिक नेतृत्व फिर एक बार विश्व गुरु बनने का मार्ग प्रशस्त करेगा
135 करोड़ जनसंख्या पारिस्थितिकी की अप्रयुक्त क्षमता का इस्तेमाल, कौशलता विकास और अच्छी शिक्षा को सुदूर क्षेत्रों तक ले जाकर कर सकते हैं – एड किशन भावनानी
भारत हजारों वर्षों से पारंपरिक, शिक्षण, संस्कृति, परंपराओं, प्रथाओं, वेदों कतेबों, साहित्यिक खजाने का अभूतपूर्व भंडार रहा है। जिसके बल पर भारत माता को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त था, परंतु अंग्रेजों की बुरी नज़र लगी और भारत जैसे सोने की चिड़िया के अणखुट खजाने और प्राकृतिक सौंदर्यता से छेड़छाड़ कर अंग्रेजों ने न सिर्फ भारतीय क्षमता, सौंदर्यता और खजाने को अभूतपूर्व नुकसान पहुंचाया बल्कि इसके दो टुकड़े भी कर दिए।
प्रत्यक्षे किम् प्रमाणम् – जो प्रत्यक्ष है, जो सामने है, उसे कोई प्रमाण की ज़रूरत नहीं
प्रौद्योगिक और डिजिटल क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ते भारत में कार्यक्रमों के संबोधनों में नेताओं द्वारा बड़े बुजुर्गों की कहावतों, संस्कृति, महाकाव्य, पौराणिक ग्रंथों के वचनों का उदाहरण देना सराहनीय – एड किशन भावनानी
भारत आज तेजी से प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्षेत्र में अपेक्षा से अधिक लक्ष्यों को हासिल कर रहा है जो हर भारतीय के लिए फक्र की बात है कि हम शीघ्र ही एक वैश्विक रीडर की स्थिति में होंगे!!! साथियों इस प्रौद्योगिकी युग में भी हम अभी बीते कुछ दिनों, महीनों से एक बात बारीकी से महसूस कर रहे हैं कि हमारे राजनीतिक नेताओं, बुद्धिजीवियों विशेष रूप से वैश्विक लीडर सूची में प्रथम क्रमांक पर आए व्यक्तित्व द्वारा अपने करीब क़रीब हर संबोधन में चाहे वह राजनीति हो या गैर राजनीतिक, धार्मिक हो या सामाजिक उसमें बड़े बुजुर्गों की कहावतों, संस्कृति, साहित्य, पौराणिक ग्रंथों के वचनों,महाकाव्य के वचनों का उल्लेख कर उसका मतलब समझाया जाता है
जन्मदिवस पर मोमबत्ती नहीं बुझाना
आज रुद्र का जन्मदिन था और रुद्र अपने बचपन की यादों में खो गया। माता-पिता ने उसे जन्मदिवस कुछ अलग तरीके से मनाना सिखाया था। पुरानी फोटो देखकर वह मन-ही-मन प्रफुल्लित हो रहा था। रुद्र को याद आ रहा था की नाना ने सिखाया था की जन्मदिवस पर मोमबत्ती नहीं बुझाना बल्कि जन्मदिवस के अनुरूप दीप प्रज्वलित करना, क्योंकि हम बोलते है “तमसो माँ ज्योतिर्गमय” अर्थात हम अंधकार से प्रकाश की तरफ जाए। मेरे जन्मदिवस पर मेरी आयु के अनुरूप ही दीप प्रज्वलित किए जाते थे।
Read More »भारत में सुशासन सप्ताह!
सुशासन के लिए राष्ट्रीय आंदोलन तैयार करने, प्रशासन गांव की ओर अभियान – 700 से अधिक जिलों, तहसील पंचायत समिति मुख्यालय में विजिट
समय बद्ध शिकायत निवारण, सेवा वितरण में सुधार के लिए, प्रशासन गांव की ओर अभियान सराहनीय – एड किशन भावनानी
भारत तेज़ी से डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रहा है। हर क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकी प्रतिस्थापित की जा रही है। करीब -करीब हर क्षेत्र के पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर को नई प्रौद्योगिकी के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में तब्दीली का क्रम तीव्र गति से शुरू है और सरकारी विभागों को पूर्ण डिजिटल करने का क्रम भी जोर-शोर से शुरू है!!! साथियों अगर हम शासकीय कार्यालयों की वर्तमान स्थिति की बात करें तो जितनी तेजी से डिजिटल इंडिया हो रहा है उतनी तेजी से सरकारी विभागों में कार्य नहीं हो रहा है!! जो एक कड़वा सच है!! बड़े बुजुर्गों का कहना है, आदत से बाज नहीं आओगे!! बिल्कुल सच!!! साथियों यही कहावत आज हम देख रहे हैं छोटे-छोटे कार्यो के लिए 50 चक्कर!! सब मिली भगत!!
साक्षरता का जीवन की गुणवत्ता से सीधा संबंध!!!
भारत में प्रौढ़ शिक्षा अभियान तेज़ करने की ज़रूरत – साक्षरता ही कौशल विकास की कुंजी हैं
डिजिटल इंडिया के तेजी से विकास के बावजूद भारत में अधिक निरक्षरता चिंतनीय – एड किशन भावनानी
भारत हर क्षेत्र में बहुत तीव्र गति से विकास कर नए नए आयाम प्राप्त कर रहा है!!! इसमें कोई दो राय नहीं है। पूरे विश्व में डिजिटल भारत के नए भारत की परिकल्पना से विश्व अचंभित है!!! हम जनसंख्यकीय तंत्र का लाभ देने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। जिसमें 135 करोड़ जनसंख्या होने का विशाल मात्रा में लाभ भी हम प्राप्त कर सके, इसके लिए कौशलता विकास मंत्रालय भी बनाया गया है, जिसका सकारात्मक परिणाम भी शीघ्र ही हमें आने वाले वर्षों में देखने को मिलेगा!!!
पूर्व तैयारियों के बाद तलाक का फैसला लें
जब दो विपरीत तार जुड़ जाते है तो चिंगारी उठना लाज़मी है। वैसे ही दो अलग स्वभाव के लोग शादी के बंधन में बंध जाते है तो तलाक होना भी तय है। “तलाक” ये शब्द ही एक लड़की की ज़िंदगी को तहस-नहस कर देने के लिए काफ़ी है। बहुत कम लड़कियां ये कदम उठाने की हिम्मत करती है। ज़्यादातर ससुराल में दमन सहते उम्र काट देती है। पर कुछ कारणों से कई बार ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं कि पति-पत्नी का साथ रहना संभव नहीं होता। मजबूरन उन्हें अपने रास्ते अलग करने पड़ते हैं।
Read More »आख़िर क्यूँ बदल जाते है बेटे शादी के बाद
आजकल बहुत से माँ-बाप की ये शिकायत रहती है की शादी के बाद बेटा बदल गया, अब हमारा नहीं रहा, बहू ने हमसे हमारा बेटा छीन लिया। ये विषय कोई आम नहीं, सोचनीय है। पहले माँ-बाप की मानसिकता की बात करते है, खास कर बेटा माँ के ज़्यादा करीब होता है। इंसान की फ़ितरत है अपनी सबसे अज़िज व्यक्ति या चीज़ पर किसी ओर का अधिकार बरदाश्त नहीं होता इसलिए बेटे की शादी के बाद बेटा उसकी पत्नी को ज़रा भी तवज्जों देता है तो माँ के मन में खटकता है जोकि बहुत गलत है।
Read More »मेडिटेशन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाइए
अगर यह बात पौराणिक संदर्भ में कही जाती तो शायद यकीन नहीं होता, लेकिन अब विज्ञान भी मानने लगा है कि ध्यान से एक अदृश्य कवच जैसा बनता है। उस माहौल में वह कवच शरीर के आस-पास छाए संक्रमणों से बचाता है। हॉवर्ड विश्वविद्यालय में कार्डियो फैकल्टी में शोध निर्देशक डॉ. हर्बर्ट वेनसन का कहना है कि नियमपूर्वक 20 मिनट प्रतिदिन ध्यान (मेडिटेशन) किया जाए, तो शरीर में ऐसे बदलाव आने लगते हैं कि वह रोग और तनाव के आक्रमणों का मुकाबला करने लगता है। इसके लिए अलग से चिकित्सकीय सावधानी बरतनी पड़ती।
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