Saturday, April 27, 2024
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लेख/विचार

15 मई – परिवारों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस:टूट रहे परिवार हैं, बदल रहे मनभाव ;प्रेम जताते ग़ैर से, अपनों से अलगाव 

(भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है. कच्चे से पक्के होते घरों की ऊँची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर दिया है. पत्थर होते हर आंगन में फ़ूट-कलह का नंगा नाच हो रहा है. आपसी मतभेदों ने गहरे मन भेद कर दिए है. बड़े-बुजुर्गों की अच्छी शिक्षाओं के अभाव में घरों में छोटे रिश्तों को ताक पर रखकर निर्णय लेने लगे है. फलस्वरूप आज परिजन ही अपनों को काटने पर तुले है. एक तरफ सुख में पडोसी हलवा चाट रहें है तो दुःख अकेले भोगने पड़ रहें है. हमें ये सोचना -समझना होगा कि अगर हम सार्थक जीवन जीना चाहते है तो हमें परिवार की महत्ता समझनी होगी और आपसी तकरारों को छोड़कर परिवार के साथ खड़ा होना होगा तभी हम बच पायंगे और ये समाज रहने लायक होगा.)

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आखिर क्यों गहरा रहा है देश में बिजली का संकट?

भीषण गर्मी के बीच बिजली की तेजी से बढ़ती मांग के कारण देश के कई राज्यों में बिजली की कमी का संकट गहरा रहा है। बिजली की मांग बढ़ने के साथ ही थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की खपत तेजी से बढ़ी है और इसी कारण कुछ राज्यों के बिजली संयंत्रों में कोयले का स्टॉक घट रहा है। दरअसल गर्मी के कारण कई बिजली कम्पनियों में बिजली की मांग में वृद्धि हुई है और जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, बिजली की मांग में भी उसी तेजी से वृद्धि हो रही है। कोरोना लॉकडाउन के बाद बड़ी मुश्किल से पटरी पर लौट रही औद्योगिक गतिविधियों के कारण उद्योगों में भी बिजली की खपत बढ़ी है, इससे भी बिजली की मांग बढ़ रही है लेकिन मांग के अनुरूप पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक नहीं है। कोयले की कमी के संकट को लेकर कोल इंडिया स्वीकार चुकी है कि गर्मी शुरू होने के साथ ही देश के बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार नौ साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि संघीय दिशा-निर्देशों के अनुसार बिजली संयंत्रों में कम से कम 24 दिनों का कोयला स्टॉक होना चाहिए।
आंकड़े देखें तो महाराष्ट्र में करीब 28 हजार मेगावाट बिजली की मांग है, जो गत वर्ष के मुकाबले 4 हजार मेगावाट ज्यादा है। उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना इत्यादि राज्य भी इस समय कोयले की किल्लत से जूझ रहे हैं, जिस कारण कुछ राज्यों में कुछ पावर प्लांटों में तो बिजली उत्पादन ठप्प हो गया है तोे कुछ प्लांटों में बिजली उत्पादन अपेक्षाकृत कम हो पा रहा है। केन्द्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) के मुताबिक देश में 173 बिजली संयंत्रों में से 155 गैर-पिथेड बिजली संयंत्र हैं, जहां पास में कोई कोयला खदान नहीं है और इनमें औसतन कोयले का करीब 28 फीसदी स्टॉक है जबकि कोयला खदानों के पास स्थित 18 पिथेड संयंत्रों का औसत स्टॉक सामान्य मांग का 81 फीसदी है। पिछले साल अक्तूबर माह में भी बिजली की मांग करीब एक फीसदी बढ़ जाने के कारण कोयला संकट के चलते बिजली संकट गहराया था और तब यह भी स्पष्ट हुआ था कि बिजली संयंत्रों को कोयले की वांछित आपूर्ति नही होने के अलावा कई नीतिगत खामियां भी बिजली संकट का प्रमुख कारण हैं।

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“माँ की महिमा”

जिस कोख में नौ महीने रेंगते मैं शून्य से सर्जन हुई उस माँ की शान में क्या लिखूँ, लिखने को बहुत कुछ है पर आज बस इतना ही लिखूँ कि, लिखी है मेरी माँ ने अपनी ममता की स्याही से मेरी तकदीर, रात-रात भर जाग कर मेरी ख़ातिरदारी में अपनी नींद गंवाई है कहो कैसे कह दूँ की मैं कुछ भी नहीं”
“माँ को दिल में जगह न दो ना सही पड़ी रहने दो घर के एक कोने में पर वृध्धाश्रम की ठोकरें मत खिलाओ माँ की जगह वहाँ नहीं” कैसे कोई अपनी जनेता के साथ ऐसा व्यवहार कर सकता है, जिसकी कोख में नौ महीने रेंगते बूँद में से तीन चार किलो का पिंड बना हो, जिनके खून का एक-एक कतरा पीकर पला बड़ा हो उस माँ को वृद्धाश्रम की ठोकर खाने के लिए छोड़ते कलेजे पर करवत नहीं चलती होगी?

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‘‘माँ ही पहली शिक्षिका, पहला स्कूल”

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे के लिए ये सबसे अच्छी उम्र होती है, क्योंकि वह इस उम्र में सबसे ज़्यादा सीखता है। एक बच्चा पांच साल से कम उम्र के घर पर ज़्यादातर समय बिताता है और इसलिए वह घर पर जो देखता है, उससे बहुत कुछ सीखता है। छत्रपति शिवाजी को उनकी माँ ने बचपन में नायकों की कई कहानियां सुनाईं और वो बड़े होकर कई लोगों के लिए नायक बने।

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नीली चिड़िया देगी सोने के अंडे ?

ट्विटर के कमर्शियल/सरकारी यूजर्स पर थोड़ी सी फ़ीस की संभावना, जबकि कैजुअल यूजर्स के लिए फ्री!!
ट्विटर प्लेटफार्म की कुछ सेवाओं को पेड सेवाएं करना, अपना प्रभुत्व बढ़ाना, अभिव्यक्ति की आजादी, एडिट बटन ऑप्शन जोड़ना इत्यादि रणनीतिक रोडमैप पर काम की संभावना – एड किशन भावनानी
वैश्विक स्तर पर एक मजबूत डिजिटल प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी कंपनियों में से एक ट्विटर को दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी व्यक्ति द्वारा खरीदना और कमर्शियल/सरकारी यूजर्स पर थोड़ी सी फ़ीस की संभावना नए मालिक द्वारा दिनांक 4 मई 2022 को अपने ट्विटर हैंडल से व्यक्त की है जबकि कैजुअल यूजर्स के लिए फ्री की बात टि्वट कर दुनिया में चर्चा का विषय बना दिया है जिसके बारे में हर मीडिया प्लेटफॉर्म, टीवी चैनलों पर चर्चाएं चल रही है।

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भारत का लक्ष्य समृद्धि और शांति

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद लगाए, पीएम के यूरोप दौरे पर पूरी दुनिया की नजरें हैं – भारत पर वैश्विक विश्वास बढ़ा
पीएम का तीन दिवसीय यूरोप दौरा मज़बूत रिश्तो, बेहतर कारोबारी संबंध, डिफेंस डील सहित समृद्धि और शांति की गाथा साबित होगी – एड किशन भावनानी
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत में हो रही विकास की गाथाओं, गतिविधियों, अद्भुत प्रौद्योगिकी विकास, 75 वें अमृत महोत्सव की गाथा, नई शिक्षा नीति, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी विदेश नीति और अभी 2 से 5 मई तक तीन दिवसीय पीएम की महत्वपूर्ण यूरोप यात्रा पर पूरी दुनिया की नजरें लगी हुई है!! जो हर भारतीय के लिए गौरवविंत क्षण है!! आज समय आ गया है कि हम अपने देश को वैश्विक नेतृत्व की पूरी गुणवत्ता से परिपूर्ण देश माने!!

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बाबा, बुलडोजर और वो… 

⇒चिंतन: बुलडोजर बाबा की रफ़्तार रोकने में रोड़ा बनेगा राजस्व विभाग 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बार – बार अधिकारियों को नसीहत व बुल्डोजर बाबा का सक्रियता से अपराधियों व बाहुबलियों पर बुलडोजर का चलाना एक अच्छी पहल व कर्मठता सिद्ध करता है लेकिन राजस्व कर्मियों का रोड़ा बनना कहीं न कहीं बाबा की कार्ययोजना पर पानी सा फेरना भी समझ आता है। साफ जाहिर है कि प्रत्येक तहसील प्रशासन व क्षेत्रीय लेखपाल से लेकर कानूनगो व कानूनगो से लेकर तहसीलदार एवं तहसीलदार से लेकर उपजिलाधिकारी तक सभी को पता है कि किस क्षेत्र में किस – किस सरकारी जमीन पर किस – किस बाहुबली या सामान्य व्यक्ति ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्ज़ा कर रखा है लेकिन इतना सब जानकारी होने के बाद भी स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही न किया जाना आखिकार किसका दोष है? वैसे हिस्ट्रीशीटर व हाई प्रोफाइल दोषियों पर प्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलाधिकारी के माध्यम से बुलडोजर चलना कोई बड़ी बात नहीं, बड़ी बात तो तब होगी जब तहसील स्तर पर प्रशासनिक अमले द्वारा बिना भेदभाव व बिना लेनदेन सरकारी संपत्ति को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया जाए। प्रत्येक तहसील स्तर पर सरकारी भूमि में बंजर, ऊसर, नवीन परती, गौचर, आबादी, ग्राम समाज, तालाब, वन विभाग सहित अन्य मदों की जमीन का होना स्वाभाविक व आम बात है और इस प्रकार की आरक्षित भूमियों पर कहीं न कहीं और किसी न किसी का कब्जा होना भी स्वाभाविक है लेकिन लेखपाल स्तर से कानूनगो स्तर तक या इससे भी ऊपर के स्तर कर खाऊ कमाऊ नीति के चलते लेनदेन कर प्रशासन द्वारा अतिक्रमणकारियों को वरदान देना भी आम बात है।

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बंद मुट्ठी लाख़ की खुल गई तो ख़ाक की

पारिवारिक, सामाजिक, व्यवसायिक, राजनीतिक सहित अनेक क्षेत्रों के संबंध में बंद मुट्ठी लाख़ की खुल गई तो ख़ाक की कहावत सटीक

भारतीय संस्कृति में बड़े बुजुर्गों की कहावतों की व्यवहारिक सटीकता, हमारे दैनिक जीवन में प्रमाणित होती है – एड किशन भावनानी

गोंदिया – वैश्विक सृष्टि की रचना जब अलौकिक शक्तियों से अलंकृत शक्ति ने की होगी तो, उसके अंश भारत पर विशेष कृपा, रहमत बरसाई होगी!! और अद्भुत संस्कारों, सभ्यता, मान सम्मान से ऐसी कौशलताओं की महक कर कृपादृष्टि बरसाई होगी कि भारत माता की मिट्टी में अद्भुत गुण समाहित हो गए और यहां जन्म लेने वाले हर जीव की देह में समाहित होकर बौद्धिक कौशलता से उपयुक्त गुणों की ज्योति पीढ़ी दर पीढ़ी जगाते रहते हैं जो, पीढ़ियों से हमारे बड़े बुजुर्गों को मिली और उसी वैचारिकता का हम लाभ उठा रहे हैं।

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ग्रामीण और छोटे बिजली उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति क्यों नहीं 

केंद्रीय विद्युत मंत्रालय देश में बिजली उपभोक्ताओं के अधिकारों को निर्धारित करने वाले नियम जारी करता हैं। इन नियमों में उपभोक्ताओं को विश्वसनीय सेवाएं और गुणवत्तापूर्ण बिजली सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान है। बिजली एक समवर्ती सूची (सातवीं अनुसूची) का विषय है और केंद्र सरकार के पास इस पर कानून बनाने का अधिकार और शक्ति है। ये नियम उपभोक्ताओं को उन अधिकारों के साथ “सशक्त” बनाने का काम करते हैं जो उन्हें गुणवत्ता, विश्वसनीय बिजली की निरंतर आपूर्ति तक पहुंचने की अनुमति देते हैं।सशक्त उपभोक्ता के लिए चुनौती और मुद्दे देखे तो कई राज्य विशेष रूप से ग्रामीण और छोटे बिजली उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं। चौबीसों घंटे आपूर्ति की गारंटी और प्रावधान केवल दांवों में है। सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों को लगभग 20 घंटे और शहरी क्षेत्र में 24 घंटे ग्रामीण और शहरी आपूर्ति के बीच भेदभाव है। बिजली मीटर से संबंधित नियम कहते हैं कि अलग-अलग राज्यों में शिकायत मिलने के 30 दिनों के भीतर खराब मीटरों की जांच की जानी चाहिए। उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम नियम कहते हैं कि मौजूदा कानूनों और विनियमों के अनुसार बिजली कंपनियों के खिलाफ शिकायतों के समाधान के लिए गठित फोरम का नेतृत्व कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए। लेकिन यह अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है।

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मजदूर भी इंसान है

क्या एक दिन पर्याप्त होगा किसीकी मेहनत और पसीने की कीमत चुकाने के लिए? नहीं पर साल में एक दिन सम्मानित करने से मजदूरों को हिम्मत और हौसला जरूर मिलता है। लगता है की हाँ हम भी इंसान है हमारे काम को भी सराहना मिल रही है।
1 मई को मनाए जाने वाले मजदूर दिवस की शुरुआत तब हुई जब पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में लोगों ने काम की अवधि को अधिकतम 8 घंटे प्रति दिन निर्धारित करने के लिए हड़ताल शुरू की थी। जिसके बाद 4 मई को शिकागो के हैमार्केट स्क्वायर में एक बम विस्फोट हुआ, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।।अखिल राष्ट्रीय संगठन ने इस घटना में मरने वालों की स्मृति में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस मनाने और पूरे विश्व में श्रम कल्याण को बढ़ावा देने के लिए की थी।
दुन्यवी हर शै में मजदूर के पसीने की उर्जा बसी है, मजदूर के लोखंडी जिस्म की तनतोड़ मेहनत से रचा बसा है हमारा संसार। सोचो मजदूर नहीं होते तो हम कितने बेबस होते। घर के निर्माण से लेकर घरकाम तक हम निर्भर होते है। पर क्या हमने कभी सोचा है मजदूर की निज़ी ज़िंदगी के बारे में मेहनत के बदले में कितनी कम मजदूरी मिलती है, मुश्किल से परिवार निर्वाह चलता है। बड़े लोगों को साहिब क्यूँ फ़र्क पडेगा आज कौन सी तारीख़ है, मज़दूर तलबगार होते है पहली तारीख़ के। मनाते है बड़े लोग जब मन चाहे जश्न लूटाकर लाखों रुपये मजदूर की पहली तारीख को मनती है होली, दीवाली।
कब सुबह करवट बदलकर ढ़ल जाती है रात में मज़दूर को कहाँ फुर्सत अपनी पूजा काम से, तन-मन से वो वफ़ादार है अपने मालिक भगवान से।

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